भारतीय अर्थव्यवस्था में 2,000 रुपये के नोटों की संख्या, 2017-18 की तुलना में करीब एक चौथाई कम हुई है। आपको बता दें कि नोटबंददी के बाद यह 33,630 लाख के अपने चरम पर पहुंच गई थी, जो कि मार्च 2021...
Himanshu Jhaलाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्ली।Mon, 08 Nov 2021 07:41 PM
हमें फॉलो करें
इस खबर को सुनें
0:00
/
ऐप पर पढ़ें
भारतीय अर्थव्यवस्था में 2,000 रुपये के नोटों की संख्या, 2017-18 की तुलना में करीब एक चौथाई कम हुई है। आपको बता दें कि नोटबंददी के बाद यह 33,630 लाख के अपने चरम पर पहुंच गई थी, जो कि मार्च 2021 में घटकर 24,510 लाख हो गई है। अगर मूल्यों में देखें तो यह उस समय करीब 6.72 लाख करोड़ रुपये था, जो अब घटकर 4.90 लाख करोड़ रुपये हो गया है।
प्रचलन से हटाए गए 2,000 रुपये के नोटों की संख्या 9,120 लाख है, जिनकी कुल कीमत 1.82 लाख करोड़ रुपये है। इसका मतलब है कि 2,000 रुपये के नोटों की संख्या में 27 फीसदी की गिरावट आई है है।
कहां गए वो 2,000 रुपये के नोट?
आरबीआई की ताजा सालाना रिपोर्ट इन नोटों के बारे में कुछ नहीं कहती है। जाहिर है, आरबीआई ने 2,000 रुपये के नए नोटों की छपाई बंद कर दी है क्योंकि ये उच्च मूल्य के नोट बैंकों में वापस नहीं आ रहे हैं। एटीएम में भी लोगों को पहले की तरह 2,000 रुपये के नोट नहीं मिल रहे हैं। इस बात की प्रबल संभावना है कि इन नोटों की कीमत अधिक होने के कारण काले धन के रूप में जमा किया गया हो।
नोटबंदी के समय भी काले धन का अनुमान लगभग 4-5 लाख करोड़ रुपये था, जो विशेषज्ञों का मानना था कि यह सिस्टम में वापस नहीं आएगा।
आरबीआई ने बाजार में कम मूल्य के नोटों की संख्या बढ़ा दी है। RBI की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, प्रचलन में बैंकनोटों के मूल्य और मात्रा में क्रमशः 16.8 प्रतिशत और 7.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो कि 2020-21 के दौरान क्रमशः 14.7 प्रतिशत और 6.6 प्रतिशत की वृद्धि के मुकाबले 2019-20 के दौरान देखी गई।
500 रुपये और 2,000 रुपये के बैंक नोटों की हिस्सेदारी 31 मार्च, 2021 तक प्रचलन में बैंकनोटों के कुल मूल्य का 85.7 प्रतिशत थी, जबकि 31 मार्च, 2020 को यह 83.4 प्रतिशत थी। इससे यह साफ है कि 2,000 रुपये के नोट की जगह 500 रुपये के नोट ले रहे हैं। मात्रा के लिहाज से, 500 रुपये के मूल्यवर्ग में 31.1 प्रतिशत की उच्चतम हिस्सेदारी थी।
बैंक नोटों की कुल मात्रा में 500 रुपये मूल्यवर्ग के बैंक नोटों की हिस्सेदारी 31 मार्च, 2019 को 19.8 प्रतिशत से बढ़कर 31 मार्च, 2020 तक 25.4 प्रतिशत और 31 मार्च, 2021 को 31.1 प्रतिशत हो गई।
राज्यसभा में सुशील मोदी ने कहा कि 2,000 रुपये के नोटों का आपराधिक गतिविधियों व अवैध व्यापार में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो रहा है। लिहाजा सरकार को इसे चरणबद्ध तरीके से बंद कर देना चाहिए।
Surya Prakashभाषा,नई दिल्लीMon, 12 Dec 2022 01:40 PM
हमें फॉलो करें
इस खबर को सुनें
0:00
/
ऐप पर पढ़ें
केंद्र की मोदी सरकार ने 2016 में नोटबंदी के दौरान 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को बंद कर दिया था। इसके बाद 500 और 2,000 रुपये के नोट जारी किए गए थे। उसी दौरान कई विपक्षी नेताओं ने सवाल उठाया था कि बड़े नोटों का हवाला देकर ही सरकार ने 500 और 1000 के नोटों को बंद किया था। ऐसे में अब 2,000 के नोटों का प्रचलन शुरू करने से क्या लाभ है? अब ऐसी ही मांग भाजपा के ही राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने भी दोहराई है। उन्होंने सोमवार को राज्यसभा में यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि 2,000 रुपये के नोटों का आपराधिक गतिविधियों व अवैध व्यापार में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो रहा है। लिहाजा सरकार को इसे चरणबद्ध तरीके से बंद कर देना चाहिए।
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा, 'बाजार में गुलाबी रंग के 2,000 रुपये के नोटों का दर्शन दुर्लभ हो गया है। एटीएम से नहीं निकल रहा है और अफवाह है कि यह अब वैध नहीं रहा।' उन्होंने सरकार से इस बारे में स्थिति स्पष्ट करने की मांग की। बता दें कि केंद्र सरकार ने 8 नवंबर, 2016 को नोटबंदी की घोषणा की थी। इसके तहत 500 और 1,000 रुपये के नोटों को अवैध घोषित कर चलन से बाहर कर दिया गया था। सरकार ने कुछ दिनों के बाद उनके स्थान पर 500 रुपए और 2,000 रुपए के नए नोट जारी किए थे।
अमेरिका में 100 डॉलर से ज्यादा का नोट नहीं, बंद हो प्रचलन
भाजपा सदस्य मोदी ने दावा किया कि पिछले तीन वर्ष से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 2,000 रुपये के नोटों की छपाई बंद कर दी है और बड़ी संख्या में 2,000 रुपये के नकली नोट जब्त भी किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, 'बड़े पैमाने पर लोगों ने 2,000 के नोटों की जमाखोरी कर रखी है। केवल अवैध व्यापार में इसका इस्तेमाल हो रहा है। कुछ जगहों पर यह ब्लैक में भी मिल रहा है व प्रीमियम पर बिक रहा है।' उन्होंने कहा कि मादक पदार्थों की तस्करी, मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद की फंडिंग सहित कई अपराधों में इन नोटों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है। मोदी ने कहा कि दुनिया की सभी आधुनिक अर्थव्यवस्थाओं में बड़े नोटों का प्रचलन बंद हो गया है। उन्होंने कहा कि अमेरिका में अधिकतम 100 डॉलर है और वहां भी 1,000 डॉलर के नोट नहीं हैं। उन्होंने कहा कि चीन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय संघ में भी नोटों के अधिकतम मूल्य 200 तक ही है।
इंडोनेशिया में चलता है 1 लाख तक का नोट
बिहार के पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि केवल पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे देशों में 5,000 के नोट हैं, जबकि इंडोनेशिया में एक लाख मूल्य तक के नोट प्रचलन में हैं। उन्होंने कहा, 'भारत में 2,000 के नोट के प्रचलन का अब कोई औचित्य नहीं है। अब तो सरकार डिजिटल लेनदेन को भी बढ़ावा दे रही है। इसलिए मेरा सरकार से अनुरोध है कि वह चरणबद्ध तरीके से 2,000 के नोटों को धीरे-धीरे बंद कर दे।' उन्होंने मांग की कि सरकार जनता को मौका दे ताकि वे एक या दो साल में 2,000 के नोटों को दूसरे नोटों से बदल लें।