25 जून 1975 में क्या हुआ था? - 25 joon 1975 mein kya hua tha?

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Edited by Vineet Tripathi | नवभारत टाइम्स | Updated: Jun 25, 2022, 11:54 AM

News about आपातकाल: रामलीला मैदान की 25 जून, 1975 की रैली का जिक्र आते ही जेहन में उन तमाम रैलियों और अन्य सभाओं का ख्याल आने लगता है जिनके आयोजन ने इसे अलग स्थान दिलाया है। रामलीला मैदान में स्थायी मंच 1962 में ही बना। दरअसल ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ भारत के दौरे पर आई थीं।

हाइलाइट्स

  • दिल्ली के रामलीला मैदान में सरकार के खिलाफ लाखों की भीड़ उमड़ी
  • 25 जून, 1975 को देश में लगाया गया था आपातकाल
  • जेपी आंदोलन की गूंज ने इंदिरा सरकार की सत्ता गिरा दी थी

नई दिल्ली: दिल्ली के रामलीला मैदान में ना जाने कितनी रैलियां, सभाएं और धार्मिक समागम होते रहे, पर इसके लिए 25 जून, 1975 की तारीख हमेशा खास रहेगी। उस दिन वास्तव में विशाल रैली हुई थी रामलीला मैदान में। लाखों लोग आए थे। देश में इंदिरा गांधी के शासन के खिलाफ माहौल बना हुआ था। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उन्हें चुनावी गड़बड़ियों के लिए दोषी ठहराया था। जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में उन्हें सत्ता से बेदखल करने के लिए आंदोलन चलाया जा रहा था। उसी क्रम में रामलीला मैदान में रैली थी।

' सिंहासन खाली करो कि जनता आती है'
रैली को जयप्रकाश नारायण के अलावा आचार्य कृपलानी, विजय लक्ष्मी पंडित, अटल बिहारी वाजपेयी, मोरारजी देसाई वगैरह संबोधित करने वाले थे। उस दिन जेपी ने भाषण का श्रीगणेश रामधारी सिंह दिनकर की उन अमर पंक्तियों के साथ किया- ' सिंहासन खाली करो कि जनता आती है'। सारा रामलीला मैदान उन नेताओं को बिल्कुल शांत भाव से सुन रहा था। उस रैली की रात को ही लग गई थी देश में इमरजेंसी। इस घोषणा के तुरंत बाद रातों रात कई नेता हिरासत में ले लिए गए। जयप्रकाश नारायण, अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी वगैरह को गिरफ्तार कर लिया गया।

कैसे पुलिस को चकमा दिया था अरुण जेटली ने
राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के दस्तखत के साथ देश में आपातकाल लागू हो गया। अगली सुबह समूचे देश ने रेडियो पर इंदिरा गांधी की आवाज में संदेश सुना। उन्होंने कहा- 'इससे सामान्य लोगों को डरने की जरूरत नहीं है।' दिल्ली के रामलीला मैदान में हुई 25 जून की रैली की खबर पूरे देश में न फैल सके इसके लिए दिल्ली के बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित अखबारों के दफ्तरों की बिजली रात में ही काट दी गई। उस रात को याद करते हुए भारतीय जनता पार्टी के शिखर नेता नेता अरुण जेटली बताते थे- मैं रामलीला मैदान की रैली के बाद करीब 11-12 बजे अपना नारायणा स्थित घर पहुंचा। मैं तब दिल्ली यूनिवर्सिटी के लॉ सेंटर में पढ़ रहा था। रात को करीब 2 बजे पुलिस वालों ने मेरे घर का दरवाजा खटखटाया। मेरे पिता जी ने घर का दरवाजा खोला। पुलिसवाले पिताजी को कह रहे थे वे मुझे गिरफ्तार करने के लिए आए हैं। मैंने यह सब सुन लिया। जब तक मेरे पिता जी उनसे बात ही कर रहे थे कि मैं वहां से फरार हो गया।' उस दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय गोयल, बीजेपी के वरिष्ठ नेता प्रो. विजय कुमार मल्होत्रा, समाजवादी नेता राजकुमार जैन समेत बहुत से राजनीतिक कार्यकर्ताओं को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था।

रामलीला मैदान की यादगार सभाएं
रामलीला मैदान की 25 जून, 1975 की रैली का जिक्र आते ही जेहन में उन तमाम रैलियों और अन्य सभाओं का ख्याल आने लगता है जिनके आयोजन ने इसे अलग स्थान दिलाया है। रामलीला मैदान में स्थायी मंच 1962 में ही बना। दरअसल ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ भारत के दौरे पर आई थीं। उनके सम्मान में रामलीला मैदान में एक सार्वजनिक सभा का आयोजन होना था। बस तब कहीं जाकर स्थायी मंच को बनाया गया। पहले इधर अस्थायी मंच ही बनता था। इधर ही देश के पहल राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद और पंडित जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद उनकी याद में शोक सभाएं हुईं। सभा में शिरकत करते हुए लोग रो रहे थे। पंडित नेहरु की शोक सभा में जापानी और सोवियत संघ के प्रतिनिधियों ने हिन्दी में बोलकर लोगों का दिल जीत लिया था। इधर 26 नवंबर, 1974 को सोवियत संघ के शिखर नेता ब्रेजनेव के सम्मान में हुई सार्वजनिक सभा भी बहुत प्रभावशाली रही थी। तब भारत-सोवियत संघ की मैत्री अपने पूरे चरम पर थी।

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25 जून 1975 को क्या हुआ?

25 जून 1975 को भारत में आपातकाल के ऐलान के साथ ही सबसे पहले प्रेस पर सेंसरशिप लागू कर दिया गया. इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी के आदेश पर देश में नसबंदी कार्यक्रम की शुरुआत की गई. नागरिकों के सभी मौलिक अधिकारों को समाप्त कर दिया गया. सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाले राजनेताओं को जेल में डाला जाने लगा.

1975 में आपातकाल का कारण क्या है?

1975. 12 जून 1975 को इंदिरा गांधी को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने दोषी पाया और छह साल के लिए पद से बेदखल कर दिया। इंदिरा गांधी पर वोटरों को घूस देना, सरकारी मशीनरी का गलत इस्तेमाल, सरकारी संसाधनों का गलत इस्तेमाल जैसे 14 आरोप सिद्ध हुए लेकिन आदतन श्रीमती गांधी ने उन्हें स्वीकार न करके न्यायपालिका का उपहास किया ।

1975 में आपातकाल के समय भारत के राष्ट्रपति कौन थे?

25 जून 1975 को लागू इमरजेंसी (Emergency) का जिक्र होते ही तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद (Fakhruddin Ali Ahmed) भी याद किए जाते हैं.

25 जून को क्या बनाया जाता है?

इस दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भारत में आपातकाल लगाने की घोषणा की थी। 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक की 21 महीने की अवधि में भारत में आपातकाल लगा था।

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