5 प्रकार के प्रश्न कौन से हैं? - 5 prakaar ke prashn kaun se hain?

    (1)    मौखिक उत्तर के लिये किसी एक दिन की प्रष्न सूची में तारांक लगाकर विभेंद किये गये 20 से अधिक प्रष्न नहीं रखे जाते हैं तथा एक सदस्य के तीन से अधिक तारांकित प्रष्न नही रखे जाते है। परन्तु किसी एक दिन के लिए निधा्ररित अतारांकित प्रष्नों की कुल संख्या सामान्यता 100 से अधिक नही होती हैं।

1. प्रस्तावना प्रश्न – प्रस्तावना प्रश्न छात्रों के पूर्व-ज्ञान का पता लगाने के लिए, छात्रों को प्रस्तुत पाठ के लिए, तत्पर एवं प्रेरित करने के लिए तथा छात्रों के पूर्व-ज्ञान एवं नवीन ज्ञान में सम्बन्ध स्थापित करने के उद्देश्य से पूछे जाते हैं। इन प्रश्नों के द्वारा छात्रों में प्रस्तुत पाठ के लिए रुचि भी जाग्रत की जाती है। प्रस्तावना प्रश्न छात्रों के पूर्व ज्ञान से प्रारम्भ होकर एक श्रृंखलाबद्ध रूप से सरल से कठिन होकर नवीन पाठ के सम्बन्ध में छात्रों के सम्मुख एक समस्या निर्मित करते हैं।

2. बोधगम्य प्रश्न – प्रस्तुत पाठ के समझने में छात्र कहाँ तक सफल हुए हैं, यह जानने के लिए बोधगम्य या बोध-प्रश्न पूछे जाते हैं। इन प्रश्नों के द्वारा यह प्रयास किया जाता है कि छात्र ने जो नवीन ज्ञान प्राप्त किया, उसे एक व्यवस्थित रूप प्रदान कर सके। इससे निश्चित है कि बोध प्रश्न विषय-वस्तु पढ़ाने के उपरान्त ही पूछे जाते हैं और इनका सम्बन्ध भी प्रत्यक्ष रूप से प्रस्तुत की गई विषय-वस्तु से ही होता है।

3. विकासात्मक प्रश्न- विकासात्मक प्रश्नों द्वारा पाठ का विकास किया जाता है। ये प्रश्न पाठ को आगे बढ़ाते हैं तथा पाठ में छात्रों की रुचि को बनाए रखते हैं। इन्हीं के माध्यम से विषय-वस्तु छात्रों के सम्मुख प्रस्तुत की जाती है। इन प्रश्नों के माध्यम से शिक्षक को यह भी आभास हो जाता है कि छात्र विषय-वस्तु को समझ रहे हैं या नहीं अथवा उनकी पाठ में रुचि है या नहीं।

4. परिभाषा प्रश्न- जिन प्रश्नों के माध्यम से परिभाषाएँ निकलवाई जाएं, वे परिभाषा प्रश्न कहलाते हैं, जैसे- जनतन्त्र किसे कहते हैं ? मनोविज्ञान को परिभाषित कीजिए, आदि।

5. निबन्धात्मक प्रश्न- जिन प्रश्नों द्वारा किसी तथ्य पर व्याख्यात्मक तथा विस्तृत रूप से विचार व्यक्त करने के लिए कहा जाता है, वे निबन्धात्मक प्रश्न कहलाते हैं।

6. तुलनात्मक प्रश्न- शिक्षण के अवबोधात्मक उद्देश्य की परिपूर्ति हेतु सामान्यतः तुलनात्मक प्रश्न पूछे जाते हैं। इन प्रश्नों के माध्यम से यह पता लगाया जाता है कि छात्र दो तथ्यों के मध्य तुलना अथवा अन्तर कर सकते हैं अथवा नहीं। इस प्रकार के प्रश्न दोनों तथ्यों से सम्बन्धित विषय-वस्तु के प्रस्तुतीकरण के उपरान्त ही पूछे जाते हैं।

7. अभ्यास-प्रश्न- कोई विषय-वस्तु जो एक बार छात्रों के सम्मुख अध्यापक द्वारा प्रस्तुत की जा चुकी है, का अभ्यास कराने हेतु उसी विषय-वस्तु के विभिन्न रूपों में पूछे गए प्रश्नों को अभ्यास प्रश्न कहा जाता है।

8. आलोचना प्रश्न- जिन प्रश्नों के द्वारा किसी तथ्य, समस्या या विषय की आलोचना या समालोचना/समीक्षा करने को कहा जाए, वे आलोचना प्रश्न कहलाते हैं।

प्रश्न पूछने की प्रक्रिया कई उद्देश्यों पर आधारित होती है-

  1. विद्यार्थियों के पूर्व ज्ञान का पता करना ।
  2. पुराने ज्ञान का नए ज्ञान से संबंध जोड़ना।
  3. अवांतर भटकाव से ध्यान हटाकर विद्यार्थियों को मूलप्रसंग की ओर लाने की प्रेरणा
  4. विद्यार्थियों को सोचने व विचारने का अवसर प्रदान करना।
  5. विद्यार्थियों की कठिनाइयों को जानना।
  6. विद्यार्थियों के मानसिक विकास में सहयोग देना।
  7. विद्यार्थियों को कक्षा में पाठ्य वस्तु पर ध्यान केंद्रण ।
  8. पाठ की पुनरावृत्ति में सहायता देना।
  9. विद्यार्थियों को नवीन ज्ञान के सृजन हेतु प्रेरित करना।
  10. शिक्षणकार्य की सफलता व असफलता का पता करना।

IMPORTANT LINk

  • समस्या समाधान विधि के चरण
  • भूमि निर्वाह नीति की विशेषताओं का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
  • शिक्षण योजना पर टिप्पणी लिखिये।
  • भूमि निर्वाह नीति से आपका क्या अभिनय है? इसके चरणों को लिखिये।
  • इकाई योजना से आपका क्या अभिप्राय है? समझाइये।
  • वार्षिक योजना तैयार करने के चरणों को संक्षेप में लिखिये।
  • राजनीति विज्ञान में समस्या समाधान विधि द्वारा समस्या चयन सम्बन्धी कौनसी सावधानियाँ रखी जानी चाहिए?
  • सतत्- आन्तरिक मूल्यांकन एवं सत्रान्त-बाह्य मूल्यांकन की तुलना कीजिये ।
  • सतत् व व्यापक मूल्यांकन (CCE) की संकल्पना को विकसित कीजिये।
  • भूगोल शिक्षण में मूल्यांकन की विशेषताएँ
  • कक्षा-कक्ष सहभागिता का आंकलन करने की मुख्य कसौटी किस प्रकार की हो सकती है?
  • सामाजीकृत अभिव्यक्ति विधि के गुणों की विवेचना कीजिये।
  • इकाई योजना के सोपानों को लिखिये।
  • इकाई के प्रकारों का उल्लेख कीजियें।
  • सतत् व व्यापक मूल्यांकन (CCE) की आवश्यकता को बताइये।
  • पाठ योजना के प्रकार समझाइये।
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प्रश्न कितने प्रकार होते हैं?

➲ प्रश्न निम्नलिखित प्रकार के होते हैं....
तथ्यात्मक प्रश्न.
अभिसारी प्रश्न.
अपसारी प्रश्न.
विश्लेषणात्मक प्रश्न.
प्रश्नवाचक प्रश्न.

ज्ञानात्मक प्रश्न क्या होते हैं?

(1) ज्ञानात्मक "Uddeshyon" का सम्बन्ध सूचनाओं का ज्ञान तथा तथ्यों की जानकारी से होता है। अधिकांश शैक्षिक क्रियाओं द्वारा इसी उद्देश्य की प्राप्ति की जाती है। (2) भावात्मक "Uddeshyon" का सम्बन्ध रुचियों, अभिवृत्तियों तथा मूल्यों के विकास से होता है। यह शिक्षा का महत्त्वपूर्ण उद्देश्या माना जाता है। .

प्रस्तावनात्मक प्रश्न क्या है?

(अ) प्रस्तावनात्मक प्रश्न- पाठ्य-वस्तु को प्रारम्भ करने से पूर्व छात्रों के पूर्वज्ञान पर आधारित प्रश्न प्रस्तावनात्मक प्रश्न कहलाते हैं। (ब) आवृत्यात्मक प्रश्न-पाठ समाप्ति पर पाठ की सफलता तथा छात्रों की उपलब्धि का ज्ञान प्राप्त करने के लिए आवृत्त्यात्मक प्रश्न पूछे जाते हैं।

बोध प्रश्न क्या होता है?

बोधात्मक प्रश्न ― विद्यार्थियों को पाठ्य - वस्तु या विषय-वस्तु का बोध हुआ है या नहीं इसके लिए उद्देश्य पूर्ण बोधात्मक प्रश्न किये जाते हैं। यह व्याख्या के बाद किये जाते हैं। अंतिम अन्विति में सम्पूर्ण पाठ से प्रश्न किये जाते हैं। इन प्रश्नों को तैयार करते समय ध्यान रहे कि इनकी संख्या अधिक न हो।