आध्यात्मिक डायरी में जोड़ें।
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786 का महत्व
इस्लाम धर्म में 786 को शुभ अंक माना जाता है। जिस प्रकार हिंदुओं में किसी भी काम को शुरू करने से पहले गणेश पूजा की जाती है, उसी प्रकार इस्लाम में 786 का स्मरण किया जाता है। इस्लाम धर्म में ‘786 का मतलब बिस्मिल्लाह उर रहमान ए रहीम होता है अर्थात् अल्लाह के नाम जो कि बहुत दयालु और रहमदिल है।’
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786 का महत्व
मैं ऐसे अल्लाह के नाम को लेकर अपने काम को शुरू करता हूं। इस लेख के जरिए हम आपको बताएंगे 786 अंक का महत्व और इससे जुड़ी कई बातें।
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बिस्मिल्लाह का रूप
इस्लाम धर्म को मानने वाले 786 अंक को बिस्मिल्ला का रूप मानते हैं। लोगों का ऐसा विश्वास है कि 786 का स्मरण करने के बाद बाद शुरू किए गए हर काम में बरकत होती है। लोग इस अंक को सीधे अल्लाह से जोड़कर देखते हैं। पाक माने वाले इस नंबर का क्रेज इस कदर है कि बच्चे 786 नंबर के नोट इकट्ठा करते हैं।
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बिस्मिल्लाह का रूप
थोड़ा बड़े होते हैं तो वे मोबाइल नंबर में 786 को ढूंढना शुरू कर देते हैं। इसके बाद जब वे काम-धंधे में आते हैं तो गाड़ी का नंबर 786 लेने की कोशिश करते हैं।
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काम में होगी तरक्की
इस्लाम धर्म के मानने वाले लोग 786 को पवित्र और अल्लाह का वरदान मानते हैं। यही कारण है कि इस्लाम धर्म को मानने वाले अपने हर कार्य में 786 को शामिल करते हैं। उनका मानना है कि जिस काम में 786 शामिल किया जाता है उसके होने में अल्लाह की पूरी मर्जी होती है। उसे काम को होने से कोई नहीं रोक सकता।
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गाड़ी का नंबर 786 हो तो
इतना ही नहीं इस्लाम धर्म को मानने वाले मकान का नंबर, मोबाइल का नंबर या गाड़ी का नंबर 786 ही लेने की कोशिश करते हैं। यदि उन्हें यह नंबर नहीं मिलता तो वे इसे अपनी गाड़ी या मकान पर गुदवा भी देते हैं।
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गाड़ी का नंबर 786 हो तो
लोगों का मानना होता है कि जिस गाड़ी का नंबर 786 हो वह जीवन में हर मुकाम पर सफलता दिलाती है और वो गाड़ी कभी धोखा भी नहीं देती। ऐसी गाड़ी की कीमत भी लोग अन्य गाड़ियों से ज्यादा देने के लिए तैयार रहते हैं।
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एकता का प्रतीक 786
अंक ज्योतिष के अनुसार 786 को परस्पर जोड़ने पर (7+8+6=21) 21 प्राप्त होता है। अब यदि 21 को भी परस्पर जोड़ा जाए तो 3 प्राप्त होता है। तीन को करीब-करीब सभी धर्मों में शुभ अंक माना जाता है।
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एकता का प्रतीक 786
इस्लाम धर्म में तीन अल्लाह, पैगम्बर और नुमाइंदे की संख्या भी तीन। इसी तरह हिंदू धर्म में तीन महाशक्तियां ब्रह, विष्णु महेश। इस इसे कुदरत की शक्ति के रूप में एकता का प्रतीक माना गया है।
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बिस्मिल्लाह का जोड़ है 786
इस्लाम धर्म में ‘बिस्तिल्लाह’, यानी कि अल्लाह के नाम को 786 अंक से जोड़कर देखा जाता है इसलिए मुसलमान इसे पाक अर्थात पवित्र एवं भाग्यशाली मानते हैं। कहते हैं यदि ‘बिस्मिल्लाह अल रहमान अल रहीम’ को अरबी या उर्दू भाषा में लिखा जाए और उन शब्दों को जोड़ा जाए तो योग 786 आता है।
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अल्लाह की इबादत से जोड़ने का तरीका
इस्लाम धर्म में अल्लाह के नाम का संबोधन देने के लिए एक विकल्प रूप में 786 जैसा पवित्र अंक उपयोग करने की सलाह दी गई। इस्लाम धर्म विज्ञान को नहीं मानता इसलिए कुछ मुस्लिम धर्म के अनुयायियों की मानें तो लोगों को अल्लाह की इबादत से जोड़कर रखने के लिए ही इस अंक का निर्माण किया गया होगा।
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नोट:
इस आलेख का तात्पर्य पौराणिक तथ्यों के बारे में बताना है। इसका मकसद किसी भी व्यक्ति, समुदाय, संप्रदाय या धर्म की भावनाओं को आहत करने का नहीं है।
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