भारत में लोकसभा के सबसे पहले आम चुनाव 1951 में हुए थे. इस चुनाव में 489 लोक सभा सीटों के लिए चुनाव हुए थे. इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने 364 सीटें जीती थीं जबकि जनसंघ को केवल 3 सीटों पर जीत मिली थी. वर्ष 1952 में हुए लोक सभा आम चुनावों के बाद अब तक कुल 16 लोकसभा चुनाव भारत में कराये जा चुके हैं. इस लेख में हम भारत के पहले लोक सभा चुनाव से लेकर अभी तक के चुनावों में विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा जीती गयी सीटों के बारे में बताया गया है.
भारत में 17वीं लोकसभा के गठन के लिए अभी अप्रैल 2019 में चुनाव चल रहे हैं. देश में लोकसभा के लिए कुल 552 सीटें हो सकतीं हैं लेकिन चुनावों में सिर्फ 543 सीटों के लिए मतदान कराया जा रहा है जिनमें से 523 सीटें राज्यों से जबकि 20 सीटें केंद्र शासित प्रदेशों से भरी जाती हैं. यदि कुल 543 सीटों में एंग्लो इंडियन समुदाय का कोई भी सदस्य चुनकर नहीं आता है तो राष्ट्रपति इस समुदाय के दो लोगों को चुनकर लोकसभा में भेज सकता है. राष्ट्रपति द्वारा 2 लोगों के चुने जाने के स्थिति में लोकसभा में 545 सीटें हो जाती हैं.
इस लेख में हम भारत के पहले लोकसभा चुनाव से लेकर अभी तक के चुनावों में विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा जीती गयी सीटों के बारे में बता रहे हैं.
पहले चुनाव से लेकर अब तक महत्वपूर्ण राजनीतिक दलों द्वारा जीती गयी सीटों की स्थिति इस प्रकार है;
चुनाव वर्ष | कुल निर्वाचित स्थान | दलों को मिली सीटें |
पहला (1952) | 489 | कांग्रेस-364,वामपंथी-27, समाजवादी-12, जन संघ-3 |
दूसरा (1957) | 494 | कांग्रेस-371,वामपंथी-27, प्रजा समाजवादी-19, जन संघ-4 |
तीसरा (1962) | 494 | कांग्रेस-361,वामपंथी-29, प्रजा समाजवादी-12, जन संघ-14 |
चौथा (1967) | 520 | कांग्रेस-283, जनसंघ- 35, सीपीआई-23, सीपीएम-19, प्रजा समाजवादी-13 |
पांचवा (1971) | 518 | कांग्रेस-352, सीपीएम-25, सीपीआई-24, डीएमके-23, जन संघ-21 |
छठवां (1977) | 542 | जनता पार्टी-298, कांग्रेस- 154, सीपीएम-22, सीपीआई-7 |
सातवां (1980) | 542 | कांग्रेस-353, जनता (सेक्युलर)-41, सीपीएम-36, सीपीआई-11, डीएमके-16 |
आठवां (1984) | 542 | कांग्रेस-415, टीडीपी-28 , सीपीएम-22, सीपीआई-6, जनता -10, बीजेपी-2 |
नवां (1989) | 543 | कांग्रेस-197,जनता दल-141,बीजेपी-86, , सीपीएम-32, सीपीआई-12, टीडीपी-2 |
दसवां (1991) | 543 | कांग्रेस-232, बीजेपी-119, जनता दल-59, सीपीएम-35, सीपीआई-13, टीडीपी-13 |
ग्यारहवां (1996) | 543 | बीजेपी-161, कांग्रेस-140, जनता दल-46, सीपीएम-32,समाजवादी पार्टी-17, टीडीपी-16, सीपीआई-12, बसपा-11 |
बारहवां (1998) | 543 | बीजेपी-182, कांग्रेस-141, सीपीएम-32,समाजवादी पार्टी-20, टीडीपी-12, सीपीआई-9, बसपा-5 |
तेरहवां (1999) | 543 | बीजेपी-182, कांग्रेस-114, सीपीएम-33, टीडीपी-29, समाजवादी पार्टी-26, बसपा-14 सीपीआई-4 |
चौदहवां (2004) | 543 | कांग्रेस-145, बीजेपी-138,सीपीएम-43, समाजवादी पार्टी-36, बसपा-19, शिवसेना-12, सीपीआई-10 |
पन्द्रहवां (2009) | 543 | कांग्रेस-206, बीजेपी-116, राजद-24, समाजवादी पार्टी-23, बसपा-21, सीपीएम-16, शिवसेना-11, टीडीपी-6, सीपीआई-4 |
सोलहवां (2014) | 543 | बीजेपी-282, कांग्रेस- 44, AIDMK- 37, TMC- 34, बिजू जनता दल- 20, शिवसेना-18, टीडीपी-16,टीआरएस-11, सीपीआई (एम)-9, समाजवादी पार्टी-5, सीपीआई-1 |
इस सारिणी के आधार पर ये तथ्य निकाले जा सकते हैं;
1. जब पहली लोक सभा के आम चुनाव हुए थे तो कांग्रेस सबसे बड़ी रजनीतिक पार्टी थी और जनसंघ जो कि बाद में बीजेपी के रूप में सामने आया उसके पास सिर्फ 3 लोक सभा सीटें थीं.
2. पहले चुनाव से लेकर (1952 से 1971 तक) पांचवें लोक सभा चुनाव तक कांग्रेस भारत की सबसे बड़ी पार्टी थी लेकिन 1977 के चुनाव में इसे जनता पार्टी ने हरा दिया और सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. इस चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ 154 जबकि जनता पार्टी को 352 सीटें मिली थीं.
3. 1984 के चुनाव में इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद पूरे देश में कांग्रेस के प्रति लोगों की हमदर्दी बढ़ी और कांग्रेस ने अपने पूरे राजनीतिक करियर की सबसे बड़ी जीत दर्ज करते हुए 415 सीटें जीतीं. लेकिन इस चुनाव में बीजेपी ने भी 2 सीटें जीतीं थी.
4. सन 1984 से 1999 तक बीजेपी की सीटों में लगातार वृद्धि होती आई थी और उसकी सीटों की संख्या 2 से बढ़कर 182 तक पहुँच गयी. लेकिन इसी अवधि में कांग्रेस की सीटों की संख्या 415 से घटकर 114 पर आ गिरी.
इस प्रकार ऊपर की सारिणी से आपने देखा कि किस प्रकार चुनाव दर चुनाव पार्टियों की सीटों में बदलाव होता आया है. जो पार्टी कभी 2 सीटें जीतती थी आज वह देश में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. उम्मीद है कि यह सारिणी आपको काफी रोचक लगी होगी.
आदर्श चुनाव आचार संहिता किसे कहते हैं?
किसी राजनीतिक पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा कब मिलता है?