मुलाक़ात वो है जिसकी उम्मीद से रिश्तों में बेक़रारी बनी रहती है और दूरियों के दर्द को राहत मिलती है। शायर अपने महबूब से मुलाक़ात को बेक़रार रहे और जब उनसे मिले तो उसे अपने लफ़्ज़ों में कुछ यूं बयां किया-
यूँ सर-ए-राह मुलाक़ात हुई है अक्सर
उस ने देखा भी नहीं हम ने पुकारा भी नहीं
- इक़बाल अज़ीम
मुसाफ़िर हैं हम...
मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी
किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी
- बशीर बद्र
मुद्दतें गुज़रीं मुलाक़ात हुई थी तुम से
फिर कोई और न आया नज़र आईने में
- हनीफ़ कैफ़ी
मिलना जो न हो...
मिलना जो न हो तुम को तो कह दो न मिलेंगे
ये क्या कभी परसों है कभी कल है कभी आज
- नूह नारवी
मिल रही हो बड़े तपाक के साथ
मुझ को यकसर भुला चुकी हो क्या
- जौन एलिया
बताओ कौन सी सूरत है...
बताओ कौन सी सूरत है उन से मिलने की
न उस तरफ़ उन्हें फ़ुर्सत न हम इधर ख़ाली
- माधव राम जौहर
ठानी थी दिल में अब न मिलेंगे किसी से हम
पर क्या करें कि हो गए नाचार जी से हम
- मोमिन ख़ाँ मोमिन
न उदास हो न मलाल कर...
न उदास हो न मलाल कर किसी बात का न ख़याल कर
कई साल बाद मिले हैं हम तेरे नाम आज की शाम है
- बशीर बद्र
कैसे कह दूँ कि मुलाक़ात नहीं होती है
रोज़ मिलते हैं मगर बात नहीं होती है
- शकील बदायुनी
जाने वाले से...
जाने वाले से मुलाक़ात न होने पाई
दिल की दिल में ही रही बात न होने पाई
- शकील बदायुनी
ग़ैरों से तो फ़ुर्सत तुम्हें दिन रात नहीं है
हाँ मेरे लिए वक़्त-ए-मुलाक़ात नहीं है
- माधव राम जौहर
गाहे गाहे की मुलाक़ात...
गाहे गाहे की मुलाक़ात ही अच्छी है 'अमीर'
क़द्र खो देता है हर रोज़ का आना जाना
- अमीर मीनाई
'फ़राज़' तर्क-ए-तअल्लुक़ तो ख़ैर क्या होगा
यही बहुत है कि कम कम मिला करो उस से
- अहमद फ़राज़
आज नागाह...
आज नागाह हम किसी से मिले
बाद मुद्दत के ज़िंदगी से मिले
- ख़ुमार बाराबंकवी
आँख भर आई किसी से जो मुलाक़ात हुई
ख़ुश्क मौसम था मगर टूट के बरसात हुई
- मंज़र भोपाली
अगर हमारी आपसे...
अगर हमारी आपसे मुलाक़ात हो गई होती
आपकी आपके दिल से अदावत हो गई होती
- अज्ञात
जब ख़यालों में दबे पाँव वो आ जाता है
वो मुलाक़ात मुलाक़ात हुआ करती है
- मीना नक़वी
तू है ख़ुर्शीद...
तू है ख़ुर्शीद न मैं हूँ शबनम
क्या मुलाक़ात की सूरत ठहरे
- उम्मीद फ़ाज़ली
कल रात ज़िंदगी से मुलाक़ात हो गई
लब थरथरा रहे थे मगर बात हो गई
- शकील बदायूंनी
मैंने माना कि...
मैंने माना कि मुझे उनसे मोहब्बत न रही
हमनशीं फिर भी मुलाक़ात से जी डरता है
- हसन नईम
मुसाफ़िर हैं हम...
4 years ago