आंखें अंदर क्यों चली जाती है? - aankhen andar kyon chalee jaatee hai?

भारती तनेजा
ब्यूटी एक्सपर्ट

मेरी उम्र 27 साल है। समस्या यह है कि मेरी आंखें काफी अंदर की तरफ हैं। इससे आईशैडो लगाने के बाद भी ये अट्रैक्टिव नहीं दिखती। कोई उपाय बताएं?
रमनदीप

आंखों का मेकअप करने से पहले आंखों के आसपास हल्का सा फाउंडेशन या कंसीलर लगाएं। फिर डार्क शेड के आईशैडो को अपनी आईलिड पर फैलाकर लगाएं। उस शेड से कोई हल्का शेड आईलिड से आईब्रो तक फैलाकर लगाएं। चाहें, तो उसी शेड के आईशैडो को आंखों के निचले हिस्से में भी लगा सकती हैं। इसके बाद आंखों के ऊपर आईलाइनर का डबल कोट लगाएं। आंखों के नीचे काजल पेंसिल से रेखा बनाएं। पलकों को आकर्षक बनाने के लिए मसकारे का यूज करें। इस तरह मेकअप करने से आपकी आंखें आकर्षक दिखेंगी।

घुंघराले बाल चाहिए
मेरी उम्र 25 वर्ष है। मेरे बाल लंबे हैं। मैं उन्हें स्ट्रेट रखने के बजाय घुंघराले बनाना चाहती हूं। इसके लिए मुझे क्या करना होगा?
नेहा गुप्ता

लंबे व स्ट्रेट बालों को घुंघराला बनाने के लिए आप रोलर्स का इस्तेमाल कर सकती हैं। आप वेव्स चाहती हैं, तो बालों गीले बालों की पतली चोटियां बनाकर बांधें। इन्हें सूखने पर खोल दें। इससे आपके बालों को नेचरल वेव्स मिलेंगे। ये स्टाइल आपको एक डिफरेंट लुक भी देगा।

लिपस्टिक फैल जाती है
मेरी उम्र 19 वर्ष है। मैं जब भी लिपस्टिक लगाती हूं, तो वह कुछ समय बाद फैल जाती है। इसे ना फैलने देने के लिए क्या करूं?
सुमन झा
आपकी लिपस्टिक फैलने का कारण लिपस्टिक को सही ढंग से ना लगाना है। इसे लगाने से पहले लिप लाइनर से आउट लाइन बनाएं। उसके बाद लिपस्टिक को लिप ब्रश की मदद से लगाएं। लिप लाइनर से लगाई गई लिपस्टिक फैलती नहीं है बल्कि इससे होंठों की शेप भी अच्छी लगती है। आउट लाइन बनाकर लगाई गई लिपस्टिक ज्यादा लंबे समय तक टिकी रहती है।

हमारी दोनों आंखों में अच्छा समन्वय/तालमेल होता है, दोनों आंखे एक ही दिशा में और एक ही बिंदु पर फोकस करती हैं।

लेकिन कई बच्चे जन्म से ही भैंगेपन के शिकार होते हैं। जब मस्तिष्क दोनों आंखों से अलग-अलग दृश्य संकेत प्राप्त करता है, तो वह कमजोर आंखों से मिलने वाले संकेत को नज़रअंदाज़ कर देता है, अगर मस्तिष्क दोनों संदेशों को ग्रहण करने लगता है तो डबल विज़न की समस्या हो जाती है।

यह समस्या अक्सर बच्चों में होती है, लेकिन यह जीवन में बाद में भी विकसित हो सकती है। भैंगेपन की समस्या किसी दुर्घटना के कारण आंख में चोट लगने या किसी अन्य स्वास्थ्य समस्या के कारण भी हो सकती है।

अगर इसका समय रहते उपचार न कराया जाए तो देखने की क्षमता प्रभावित हो सकती है।

जानिए क्या होता है भैंगापन?

भैंगापन जिसे स्क्विंट या स्ट्राबिस्मस या क्रॉस्ड आईस कहते हैं, आंखों से संबंधित एक समस्या है, जिसमें दोनों आंखें एक सीध (ठीक तरह से अलाइन) में नहीं होती हैं।

एक आंख अंदर की ओर या बाहर की ओर या नीचे की ओर या उपर की ओर हो जाती है। ऐसी स्थिति में, दोनों आंखें एक साथ एक बिंदु पर केंद्रित नहीं हो पाती हैं। दोनों आंखें अलग-अलग दिशाओं में देखती हैं, और अलग- अलग बिंदुओं पर फोकस होती है।

यह समस्या आंख की मांसपेशियों पर खराब नियंत्रण के कारण होती है, क्योंकि इन्हें तंत्रिकाओं के दोषपूर्ण संकेत मिलते हैं।

यह ऐसी समस्या नहीं है, जिसे ठीक नहीं किया जा सकता है, अधिकतर मामलों में आंखों का भेंगापन पूरी तरह ठीक हो जाता है।

प्रकार

आंख की स्थिति के आधार पर यह भैंगेपन की समस्या अलग-अलग प्रकार की होती है।

आंखें अंदर क्यों चली जाती है? - aankhen andar kyon chalee jaatee hai?
An illustration showing various types of Starbismus

हाइपरट्रोपिया

हाइपरट्रोपिया जब आंख उपर की ओर मुड़ जाती है।

हाइपोट्रोपिया

हाइपोट्रोपिया जब आंख नीचे की ओर मुड़ जाती है।

एसोट्रोपिया

एसोट्रोपिया जब आंख अंदर की ओर चली जाती है।

एक्सोट्रोपिया

एक्सोट्रोपिया जब आंख बाहर की ओर चली जाती है।

क्या हैं कारण?

अधिकतर मामलों में भैंगेपन की समस्या जन्मजात होती है, लेकिन कुछ बीमारियां या दुर्घटनाएं भी इसका कारण बन सकती हैं।

  • जन्मजात विकृति:  बच्चों में भैंगेपन के अधिकतर मामले जन्मजात ही होते हैं। गर्भ में शारीरिक विकास में समस्या आने पर मस्तिष्क, आंख की मांसपेशियों और तंत्रिकाओं में संप्रेषण/संचार असामान्य हो जाता है, जिससे दोनों आंखों का समन्वय/तालमेल प्रभावित होता है।
  • अनुवांशिकी (जिनैटिक): अगर परिवार के किसी सदस्य में भैंगेपन की शिकायत है, तो नवजात शिशु में इसके होने की आशंका बढ़ जाती है। कई बच्चों में यह जन्म के पहले पांच वर्षों में भी विकसित हो जाती है।
  • दुर्घटनाएं: किसी दुर्घटना के कारण मस्तिष्क में चोट लग जाना या आंखों की तंत्रिकाओं या आँख का पर्दे (रेटिना) का क्षतिग्रस्त हो जाना।
  • आंखों से संबंधित समस्याएं: आंखों से संबंधित किसी अन्य समस्या जैसे निकट दृष्टिदोष, दूर दृष्टिदोष या एस्टिग्मेटिज़्म के कारण भी भैंगेपन की समस्या हो सकती है।
  • वायरस का संक्रमण: वायरस का संक्रमण जैसे वायरल फिवर, चेचक, खसरा, मेनेजाइटिस आदि इसका कारण बन सकते हैं।
  • अन्य स्वास्थ्य समस्याए: मस्तिष्क विकार, मस्तिष्क का ट्यूमर, स्ट्रोक, मधुमेह(डायबिटीज़) या मस्तिष्क पक्षाघात (सेरिब्रल पाल्सी) जैसी समस्याएं भैंगेपन के लिए एक जोखिम कारक हैं।

लक्षण

भैंगेपन का सबसे सामान्य लक्षण है, दोनों आंखों का एकसाथ एक बिंदु पर फोकस नहीं हो पाना। इसके अलावा निम्न लक्षण दिखाई दे सकते हैं।

  • दृष्टि प्रभावित होना।
  • दोहरी दृष्टि (डबल विज़न)।
  • गहराई की अनुभूति प्रभावित होना।
  • आंखों में खिंचाव या सिरदर्द।

यह लक्षण लगातार भी बने रह सकते हैं या तब दिखाई दे सकते हैं, जब आप थके हुए हों या अच्छा महसूस नहीं कर रहे हों।

डायग्नोसिस (मूल्यांकन)

  1. कार्नियल आई रिफ्लेक्स टेस्ट: भैंगेपन का पता लगाने के लिए कार्नियल आई रिफ्लेक्स टेस्ट किया जाता है। इसमें यह पता लगाया जाता है कि आंख में भैंगापन कितना है और किस प्रकार का है।
  2. विज़ुअल एक्युटी टेस्ट: यह पता लगाने के लिए की पीड़ित की दृष्टि सामान्य है या भैंगेपन के कारण कोई प्रभाव पड़ा है, विज़ुअल एक्युटी टेस्ट किया जाता है।

अगर मरीज में भैंगेपन के अलावा कुछ शारीरिक लक्षण भी दिखाई दें रहे हों तो दूसरी स्थितियों का पता लगाने के लिए मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र की जांच की जाती है।

उपचार

अगर शुरूआत में ही इसका डायग्नोसिस/ मूल्यांकन हो जाए तो उपचार अधिक प्रभावी रहता है, स्थिति गंभीर होने पर इसका पूरी तरह उपचार संभव नहीं है।

छह साल की उम्र तक उपचार कराना काफी प्रभावी रहता है, वैसे इसका उपचार कभी भी किया जा सकता है। जब किसी अन्य स्वास्थ्य समस्या के कारण भैंगेपन की समस्या होती है तो उसका उपचार जरूरी हो जाता है।

अगर समय रहते सर्जरी करा ली जाए तो परिणाम अच्छे प्राप्त होते हैं और 3 डी विज़न विकसित हो सकता है।

1. नेत्र व्यायाम (आई एक्सरसाइज)

कईं विज़न थेरेपी प्रोग्राम भी भैंगेपन के उपचार में शामिल किए गए हैं, यह आंखों में समन्वय/तालमेल को सुधारने में सहायता करते हैं।

आंखों की मांसपेशियों को मजबूत बनाने में नेत्र व्यायाम भी कारगर हैं। यह अस्पताल में एक मशीन पर भी की जा सकती है, जिसे साइनोप्टोफोरे कहते हैं या घर पर भी की जा सकती है।

पेंसिल पुश-अप्स व्यायाम को भैंगेपन के लिए सबसे अच्छी नेत्र व्यायाम माना जाता है। इसके स्टेप्स निम्नानुसार हैं;

  • पेंसिल को एक हाथ की दूरी पर रखें, दोनों आंखों के बीच में।
  • पेंसिल को देखते हुए, उसे नाक के पास लाएं। कोशिश करें कि इसकी एक इमेज/प्रतिबिंब बनाए रखें।
  • पेंसिल को लगातार नाक के पास लाएं, जब तक कि आप उसे एकमात्र इमेज/ प्रतिबिंब के रूप में न देख पाएं।
  • अब पेंसिल को उस बिंदु पर ले जाकर रोक कर रखें,जहां केवल एक इमेज/ प्रतिबिंब दिखाई दे।
  • अगर केवल एक इमेज/ प्रतिबिंब नहीं दिख रही हो तो फिर से शुरू करें।
  • 12 हफ्तों तक 20 बार इस नेत्र व्यायाम को करना, इस समस्या का एक आसान, मुफ्त और प्रभावी उपचार है।

2. चश्मा और कांटेक्ट लेंस

भैंगेपन को चश्मे या कांटेक्ट लेंसेस के द्वारा भी ठीक किया जा सकता है।

अगर दूरदृष्टि दोष के कारण भैंगेपन की समस्या होती है, तो चश्मे से ठीक हो जाती है। जब समस्या मामूली हो तो डॉक्टर प्रिज्म लगाने की सलाह दे सकते हैं, जो विशेष प्रकार के चश्मे होते हैं।

अगर चश्मे या कांटेक्ट लेंसों से स्थिति ठीक न हो तो सर्जरी जरूरी हो जाती है।

3. आई पैच (आंख की पट्टी)

जिस आंख में भैंगापन होता है, उसमें आई पैच/आंख की पट्टी के इस्तेमाल द्वारा दृष्टि को बेहतर बनाया जाता है।

4. बोटुलिनम टॉक्सिक इंजेक्शन या बॉटोक्स

जब यह पता नहीं चल पाता कि किस स्वास्थ्य समस्या के कारण भैंगापन विकसित हो गया है तब बोटॉक्स इंजेक्शन का विकल्प चुना जाता है। यह इंजेक्शन आंख की सतह की मांसपेशी में लगाया जाता है।

बोटॉक्स, उन मांसपेशियों को अस्थायी रूप से कमजोर कर देता है, यह आंखों को ठीक तरह से अलाइन/एक सीध में करने में सहायता कर सकता है।

5. सर्जरी (ऑपरेशन)

सर्जरी तब की जाती है जब दूसरे उपचारों से कोई लाभ नहीं होता है।

इसके द्वारा आंखों को रि-अलाइन/फिर से एक सीध में कर दिया जाता है और बाइनोक्युलर विज़न (द्विनेत्रीय दृष्टि) को पुनः स्थापित कर दिया जाता है।

कभी-कभी सही संतुलन पाने के लिए दोनों आंखों का ऑपरेशन करना पड़ता है।

सर्जरी के साइड इफेक्ट्स (ऑपरेशन के दुष्प्रभाव)

वैसे तो सर्जरी सुरक्षित है, लेकिन बहुत ही कम मामलों में जटिलताओं का खतरा होता है, इसमें सम्मिलित है:

आंखों का अलाइनमेंट/संरेखण पूरी तरह ठीक न होना।

  • डबल विज़न (दोहरी दृष्टि)।
  • संक्रमण।
  • घाव पड़ जाना।
  • दृष्टिहीनता।
  • ओवर करेक्शन (जरूरत से ज्यादा सुधार) के कारण दूसरी दिशा में भैंगापन आ जाना।

उपचार न कराने से होने वाली जटिलताएं

अगर उपचार ना कराया जाए तो भैंगापन लैजी आई या एम्बलायोपिया का कारण बन सकती है जिसमें मस्तिष्क एक आंख से मिलने वाले इनपुट्स (संकेतो) को नज़रअंदाज़ कर देता है।

कभी-कभी बचपन में सफल उपचार के बाद, भैंगापन व्यस्क आयु मे दोबारा हो जाता है। इससे डबल विज़न (दोहरी दृष्टि) की समस्या हो सकती है, क्योंकि इस समय तक मस्तिष्क दोनों आंखों से संकेतों को संग्रहित करने के लिए प्रशिक्षित हो जाता है। इसलिए, वह इनमें से एक को नज़रअंदाज़ नहीं कर पाता है।

आंखें अंदर घुस जाए तो क्या करें?

आप अपनी धंसी हुई आंखों को ठीक करने के लिए आई क्रीम्स या जेल का भी इस्‍तेमाल कर सकती हैं। ह्यालुरोनिक एसिड, विटामिन-सी, के, ई और रेटिनॉल जैसी क्रीम्‍स धंसी आंखों के लिए बेस्ट मानी जाती है। यह आंखों के आस-पास के स्किन को हाइड्रेट और स्किन को नॉरिश करती हैं।

आंखों में गड्ढे क्यों पड़ जाते हैं?

इन काले घेरों के बनने के कई कारण होते हैं जिनमे आनुवंशिकता, उम्रवृद्धि, रूखी त्वचा, ज्यादा आंसू बहाना, कंप्यूटर के सामने देर तक कार्य करना, मानसिक एवं शारीरिक तनाव, नींद की कमी होना एवं पौष्टिक भोजन का अभाव हैं। विभिन्न आयु वर्ग के स्त्री या पुरुषों में यह डार्क सर्कल हो सकता हैं

आंखें कमजोर होने के क्या लक्षण है?

नज़रअंदाज़ न करें इन लक्षणों को.
आंखों या सिर में भारीपन और धुंधला दिखाई देना।.
आंखें लाल होना और उनसे पानी आना।.
आंखों में खुजली होना.
रंगों का साफ दिखाई न देना।.
लगातार सिरदर्द की शिकायत रहना और आंखों में थकावट होना।.

आंखों के नीचे गड्ढे कैसे भरें?

काले घेरों की प्रॉब्लम को कम करने के लिए कुकुम्बर थैरेपी का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए खीरे के टुकड़े को आंखों के ऊपर रखें। कुछ देर तक आंख बंद रखने के बाद डार्क एरिया पर इसे हल्के-हल्के घुमाएं । ऐसा करने से आंख के आसपास का थुलथुलापन कम होने के साथ कालापन भी दूर होगा।