आशा किस कवि की रचना है - aasha kis kavi kee rachana hai

आशा

हे आशा किस रूप में तुम हो आती
कभी मुझको भी तो बतलाओ
कहाँ तुम्हारा बसेरा है मुझको भी समझाओ
कभी कभी अपना रुख बदलो .
ओ री आशा तो तुम फिर से आओ न I

बचपन के वो पल ,जो नयनो में रहते हर पल ,
उन पलो से भी कुछ बंधी थी आशा ,
अब तो घर आ जा , क्यों भेज रही निराशा ,
कुछ दे जा मुझ राही को ,
जो भटक रहा तेरी राह निहारे ,
ओ री आशा तो तुम फिर से आओ न I I

है आशा तुम कहाँ छुपी हो ,कहाँ रुकी हो ,
कभी तो आ इस विरले मन –उपवन में ,
उन भूली –बिसरी यादों में ,
फिर से एक उम्मीद की लौ जलाओ तुम ,
ओ री आशा फिर से आओ तुम II

कभी तो उन सपनों के पंख लगाओ ,
उड़ाने दो मुझे कहीं दूर बहारों में ,
घिर आता सावन फूल –फूल मुस्काता है ,
इस निराशा भरे जीवन में सावन बनकर ,
ओ री आशा फिर से आओ तुम II

सोनी गुप्ता
कालकाजी नई दिल्ली

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जीवन में एक उम्मीद का होना बहुत जरूरी है। यदि आपके जीवन में बस निराशा ही है और जीवन में आगे बढ़ने का कोई रास्ता नजर नहीं आता तो जीवन व्यर्थ है । आपको एक आशा की किरण कोई जगाना होगा। तभी आप जीवन में आगे बढ़ सकते हैं। उसी जीवन की उम्मीद पर प्रस्तुत है यह आशा पर कविता :-

आशा पर कविता

निराशा के दीप बुझाकर
आशाओं के दीप जलायें
दसों दिशा में फैले तम को
मिलकर कोसो दूर भागायें,
स्नेहरूपी दीप जलाकर
जीवन मे उजियारा लायें
निराशा के दीप बुझाकर
आशाओं के दीप जलायें।

मिटाकर मन के अंधकार को
नव जीवन की ज्योत जलायें
अनाथों का हाथ पकड़कर
फिर नाथ की शरण मे आयें,
हनुमान की भांति इस जग को
रामभक्ति का पाठ पढ़ायें
निराशा के दीप बुझाकर
आशाओं के दीप जलायें।

सत्कर्म की राह चलें
सद्भावना हर जगह फैलाएं
सच्चाई के पथ पर बढ़ें हम
सारी बुराई मार गिराएँ,
जलकर दीपों की बाती सा
जग को हम रोशन कर जाएँ
निराशा के दीप बुझाकर
आशाओं के दीप जलायें।

करो बुलन्द खुद को इतना
चुनौतियों न टिकने पायें
जीवन के हर संकटों से लड़कर
विजय पताका हम फहराएँ,
जीवन तब ही सुखी रहेगा
जब हम मन का तमस मिटाएं
निराशा के दीप बुझाकर
आशाओं के दीप जलायें।

निराश न हो इतना कि
गम के सागर में गम जाए
परेशानियों से घिरकर तू
जीवन में न कहीं थम जाए,
ऐसा कुछ तू कर दे जिससे
दुनिया बस तेरे ही गुण गाये
निराशा के दीप बुझाकर
आशाओं के दीप जलायें।

स्नेहरूपी दीप जलाकर
जीवन मे उजियारा लायें
निराशा के दीप बुझाकर
आशाओं के दीप जलायें।

पढ़िए :- सफल जिंदगी के लिए सकारात्मक विचार

मेरा नाम हरीश चमोली है और मैं उत्तराखंड के टेहरी गढ़वाल जिले का रहें वाला एक छोटा सा कवि ह्रदयी व्यक्ति हूँ। बचपन से ही मुझे लिखने का शौक है और मैं अपनी सकारात्मक सोच से देश, समाज और हिंदी के लिए कुछ करना चाहता हूँ। जीवन के किसी पड़ाव पर कभी किसी मंच पर बोलने का मौका मिले तो ये मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी।

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आशा कविता के कवि कौन है?

आशा पांडेय के इस कविता-संग्रह की कविताओं में आज के जीवन यथार्थ की अनेक छबियां उजागर होती है– आज की मूल्यहीन राजनीति, बढ़ते अपराध,गरीबी,सार्वजनिक जीवन में व्याप्त भ्रष्टाचार,सामाजिक अन्याय आदि पाठक की चेतना को सहज उद्वेलित करता है।

मन में ऊंचे भाव जगाने का कार्य कौन करता है?

कलम ने लोगों के मन में ऊँचे भाव पैदा करती है। इसके अलावा दिमाग में भी उत्तेजनापूर्ण भाव पैदा करती है

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