इसे सुनेंरोकेंहँसी भीतरी आनंद का बाहरी चिह्न है। (घ) लेखक कहता है कि हँसी और आयु में सीधा संबंध है। जितना अधिक आनंद से हँसेंगे उतनी ही आयु बढ़ेगी। हेरीक्लेस हर बात पर खीझता था इसलिए बहुत कम जिया, परंतु डेमोक्रीट्स सदैव प्रसन्न रहता था इसलिए 109 वर्षों तक जिया।। भाई साहब की डाँट सुनने के बाद निराश हुआ छोटा भाई क्या
सोचने लगता था? इसे सुनेंरोकेंभाई साहब उपदेश की कला में निपुण थे। ऐसी-ऐसी लगती बातें कहते, ऐसे-ऐसे सूक्ति-बाण चलाते कि मेरे जिगर के टुकड़े-टुकड़े हो जाते और हिम्मत टूट जाती। इस तरह जान तोड़कर मेहनत करने की शक्ति मैं अपने में न पाता था और उस निराशा में ज़रा देर के लिए मैं सोचने लगता-‘क्यों न घर चला जाऊँ। हेरीक्लेस और डेमाक्रीटस के उदाहरण से लेखक ने किसकी महत्ता बताई है?हंसी भीतरी आनंद को प्रकट करने का बाहरी चिन्ह है इस कथन से लेखक का क्या आशय है?
इसे सुनेंरोकें(ख) हेरीक्लेस और डेमाक्रीटस का उदाहरण देकर लेखक बताना चाहता है कि सदा अपने कर्मों को खीझने वाला हेरीक्लेस बहुत कम जिया और प्रसन्न रहने वाला डेमाक्रीटस 109 वर्ष जिया। प्रसन्नता और हँसी सुखमय स्वस्थ जीवन के आधार हैं। अत: जो लोग दीर्घायु बनना चाहते हैं, उन्हें सदैव प्रसन्न और हँसमुख रहना चाहिए।
मुर्दा दिल क्या खाक जिया करते हैं का आशय स्पष्ट कीजिए?
इसे सुनेंरोकेंहँसी–खुशी का नाम जीवन है। जो रोते हैं उनका जीवन व्यर्थ है। कवि कहता है ‘ज़िंदगी ज़िंदादिली का नाम है, मुर्दा दिल क्या ख़ाक जिया करते हैं। उसमें वह कहता है कि उत्तम सुअवसर की हँसी उदास–से–उदास मनुष्य के चित्त को प्रफुल्लित कर देती है।
भीतरी आनंद की अभिव्यक्ति कैसे होती है?
Answer
- हँसी भीतरी आनंद का बाहरी चिह्न है| शरीर को अच्छा रखने की अच्छी से अच्छी दवा एक बार खिलखिला उठना है|
- जब मन प्रसन्न होता है तो चेहरे पर मुस्कुराहट या हंसी अपने आप आ जाती है। इसीलिये यह कहा जा सकता है कि हंसी भीतरी आनंद को प्रकट करती है|
निराशा के बादल फट जाने के बाद लेखक क्या करता था?
इसे सुनेंरोकेंबड़े भाई साहब पाठ में जब लेखक यानी छोटे भाई का मन निराश हो जाता था तो उस पर निराशा के बादल छा जाते थे और वह खुद को दुखी महसूस करता था। लेकिन थोड़ी देर बाद जब निराशा के बादल छंट जाते तो वह जोश में आकर इरादा करता कि आगे से खूब जी लगाकर पढ़ाई करूंगा।
भाई साहब से मुठभेड़ के समय लेखक क्या कर रहा था?
इसे सुनेंरोकेंAnswer: लेखक को ताज्जुब था कि पास होने पर ऐसा स्वागत है तो फेल होने पर क्या हाल होता। फिर सालाना इम्तिहान हुआ और संयोग से बड़े भाई साहब फेल और लेखक पास हो गया। भाई …
जीवन में समय का महत्व क्यों है अपठित गद्यांश?
इसे सुनेंरोकें(क) जीवन में समय का महत्त्व क्यों है? (i) समय काम के लिए प्रेरणा देता है। (ii) समय की परवाह लोग नहीं करते। (iii) समय पर किया गया काम सफल होता है।
जिंदादिली और मुर्दादिली से क्या अभिप्राय है?
इसे सुनेंरोकेंजीवन का अर्थ – जोश, उत्साह, हिम्मत और जिंदादिली। कहते हैं – जिंदगी जिंदादिली का नाम है। मुर्दादिल क्या खाक जिया करते हैं। जो लोग हर क्षण उत्साह की तरंग में रहते हैं, उनकी जीवन जीने की शैली मनोरम होती है।
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