हिन्दी पद्य-साहित्य का प्रथम काल वीरगाथा काल कहलाता है। इसे चारणकाल, अपभ्रंशकाल, सन्धिकाल, आविर्भावकाल आदि नामों से भी सम्बोधित किया जाता है। इस युग में देश छोटे-छोटे राज्यों में बँटा हुआ था। राजा आपस में लड़ते थे। मुसलमानों का आक्रमण भी प्रारम्भ हो गया था। इस युग में वीरों और योद्धाओं में वीर रस का संचार करना ही काव्य का मुख्य उद्देश्य रह गया था । अतः वीर रस से पूर्ण गाथाओं का वर्णन किया जाता था इसीलिए इस काल को वीरगाथा काल कहा जाता है। यह सर्वथा उपयुक्त नाम है। Show These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 10 Hindi. Here we have given UP Board Solutions for Class 10 Hindi आदिकाल (वीरगाथाकाल). हिन्दी पद्य-साहित्य का संक्षिप्त इतिहास विशेष—पाठ्यक्रम के नवीनतम प्रारूप के अनुसार हिन्दी पद्य-साहित्य के संक्षिप्त इतिहास के अन्तर्गत रीतिकाल से आधुनिककाल तक का इतिहास सम्मिलित है, किन्तु अध्ययन की दृष्टि से यहाँ सभी कालों के विकास से सम्बन्धित प्रश्न दिये जा रहे हैं; क्योंकि एक-दूसरे से घनिष्ठता के कारण कभी-कभी निर्धारित काल से अलग काल के प्रश्न भी पूछ लिये जाते हैं। इसके अन्तर्गत कवियों और उनकी रचनाओं से सम्बन्धित प्रश्न भी पूछे जाते हैं। इसके लिए कुल 5 अंक निर्धारित हैं। प्रश्न 1
प्रश्न 2
प्रश्न 3
आदिकाल (वीरगाथाकाल) अतिलघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1 प्रश्न 2 प्रश्न 3 प्रश्न 4
प्रश्न 5
प्रश्न 6
प्रश्न 7
प्रश्न 8
प्रश्न 9 प्रश्न 10
We hope the UP Board Solutions for Class 10 Hindi आदिकाल (वीरगाथाकाल) help you. If you have any query regarding UP Board Solutions for Class 10 Hindi आदिकाल (वीरगाथाकाल), drop a comment below and we will get back to you at the earliest. आदि काल को वीरगाथा काल क्यों कहते हैं?आदिकाल को वीरगाथा काल क्यों कहा जाता है? हिंद की भाषाओं के प्रारंभिक काल को चारण काल सर्वप्रथम अंग्रेज भाषा विज्ञानी सर जॉर्ज ग्रियर्सन ने कहा। उन्होंने ही भारत की सम्पूर्ण भाषाओं का वैज्ञानिक अध्ययन और सर्वेक्षण किया था। चूंकि चारण जाति के योद्धा वीर रस के कवि भी थे, इसे वीरगाथा काल भी कहा गया।
रामचंद्र शुक्ल ने आदिकाल को वीरगाथा काल क्यों कहा?इस युग में वीरों और योद्धाओं में वीर रस का संचार करना ही काव्य का मुख्य उद्देश्य रह गया था । अतः वीर रस से पूर्ण गाथाओं का वर्णन किया जाता था इसीलिए इस काल को वीरगाथा काल कहा जाता है।
आदिकाल को चारण काल किसने कहा और क्यों?डॉ॰ रामकुमार वर्मा का मत
डॉ॰ रामकुमार वर्मा- इन्होंने हिंदी साहित्य के प्रारंभिक काल को चारणकाल नाम दिया है। रामकुमार वर्मा ने अपने पूर्ववर्ती इतिहासकारों की अपेक्षा अधिक विस्तृत और अधिक वेज्ञानिक रूप से विवेचत करते हुए इस काल के कवियों की विशिष्ट मनोदशा और प्रवृति को देखकर इसका नाम चारणकाल रखा ।
आदिकाल को कितने नामों से जाना जाता है?विभिन्न विद्वानों ने आदिकाल के विभिन्न नाम सुझाएँ हैं :. मिश्र बंधु : आदि काल. आचार्य रामचंद्र शुक्ल : वीरगाथा काल. महावीर प्रसाद द्विवेदी : बीजवपन काल. राहुल सांस्कृत्यायन : सिद्ध-सामंत युग. डॉ रामकुमार वर्मा : संधिकाल व चारणकाल. आचार्य हजारी प्रसाद : आदिकाल. |