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कारागार या बन्दीगृह (जेल) वह स्थान या भवन है जिसमें राज्य द्वारा विचाराधीन अपराधियों या अपराध-सिद्ध अपराधियों को बन्दी बनाकर रखा जाता है। कारागार में उन्हें अनेक प्रकार की स्वतंत्रताओं से वंचित रखा जाता है। समाज में शांति स्थापित रहे इसके लिए हर देश का एक कानून होता है। कानून का उलंघन करने वालों को कानून का रखवाला यानी प्रहरी अथवा पुलिस पकड़ती है और जब तक उस पर न्यायालय से कोई सुनवाई नही हो जाता तब तक पुलिस उस अपराधी या दोषी को अपने गिरफ्त में रखती है।
वसं, लखनऊ: आदर्श कारागार लखनऊ के 57 बंदियों को एक साथ 15 दिन का गृह अवकाश मिलेगा। वे इन दिनों अपने परिवार के साथ रह सकेंगे। कारागार विभाग ने गुरुवार को इस संबंध में शासनादेश और बंदियों की सूची जारी कर दी है। पर्सनल बांड भरवाने के बाद इन बंदियों को 15 दिन के लिए घर जाने की अनुमति मिल जाएगी।
कारागार विभाग के मुताबिक इसमें उन बंदियों को प्राथमिकता दी गई है जिन्होंने आदर्श कारागार में एक साल की सजा पूरी कर ली हो और उनका आचरण अच्छा हो। यदि बंदी को किसी और राज्य की कोर्ट से सजा हुई हो तो उसे गृह अवकाश नहीं मिलेगा। अगर बंदी जमानत पर हो और कारागार नहीं लौटा हो तो उसे गृह अवकाश नहीं दिया जाएगा। जो बंदी पहले मिले गृह अवकाश पर समय से न लौटा हो वह भी इस अवकाश के दायरे में नहीं आएगा। गृह अवकाश उन्हीं को मिलेगा जो पैरोल के निर्धारित मानकों को पूरा करते हों। हत्या के मामले में तीन और डकैती के मामले में चार साल की सजा पूरी कर चुके हों। गृह अवकाश उन्हें मिलेगा जिनके पास रहने के लिए घर हो और उन्होंने जेल में श्रम से इतनी धनराशि जुटाई हो जिससे अपना किराया खर्च करने के बाद भी उनके खाते में कम से कम दस रुपये बच जाएं। जिन बंदियों को गृह अवकाश मिलेगा उनके बारे में जेल अधीक्षक को संबंधित जिले के डीएम और एसपी को जानकारी देनी होगी ताकि अवकाश के दौरान उनकी निगरानी हो सके।