अभिनव विद्रोह की अवधारणा क्या है? - abhinav vidroh kee avadhaarana kya hai?

2.1.8. किसने कहा, "इतिहास एक घर है जिसमें सभी विषय समाहित हैं।"

12.1.10. नवजागरण का प्रारम्भ सर्वप्रथम किस देश में हुआ था ?

12.1.12. 'सत्तर बच्छर' नामक पुस्तक का प्रकाशन कब हुआ था?

12.1.14. पहिए एवं कृषि का आविष्कार कब हुआ था?

116. फ्रांस की सभ्यता का सर्वेक्षण किसने किया था?

21.18. किसने कहा, "इतिहास महापुरुषों की जीवन गाथा है।"

उत्तर : मोहन बागान क्लब ने 1911 ई० में आई.एफ.ए. शोल्ड सप्रथम जीता था।

इतिहास की अवधारणा भाग ग

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3.1.किस प्रकार एक आत्मकथा इतिहास के एक स्रोत के रूप में उपयोगी है ?

उत्तर : स्मृति इतिहास जानने की एक बहुत ही महत्वपूर्ण साधन है। स्मृति के द्वारा ही आत्मकथा, यात्रा-वृत्तांत, निबंध लेखन आदि संपन्न होते हैं। आत्मजीवन मूलक ग्रंथों का प्रधान विषय-वस्त स्मृति कथा है। स्मृति कथाओं की रचना विशेषकर ज्ञानी व्यक्ति ही करते हैं। उनके द्वारा दिये गये विवरण से अतीत के विभिन्न वास्तविक घटनाओं के तथ्यों की प्राप्ति होती है।

3.2.ब्रिटिश सरकार क्यों 1878 ई० में 'सोमप्रकाश' पत्रिका का प्रकाशन बन्द कर दिया था ?

उत्तर : लार्ड लिटन के वर्नाक्यूलर प्रेस अधिनियम के पारित हो जाने पर ब्रिटिश सरकार द्वारा इस पत्र का प्रकाशन बंद कर दिया गया, क्योंकि इस पत्रिका के माध्यम से अंग्रेजी शासन के विभिन्न जनस्वार्थ विरोधी नीतियों का विरोध किया जाता था, जनमत तैयार किया जाता था।

 इतिहास के अध्ययन में खाद्याभास की भूमिका क्या है ?

| उत्तर : इतिहास द्वारा प्राचीन काल से आधुनिक काल तक लोगों के द्वारा व्यवहार में लाए गए खाद्य पदार्थों का वर्णन है। सभी इतिहासकारों का मानना है मनुष्य आरंभ में मांसाहारी प्राणी था। इसके अलावा किसी स्थान विशेष की भू-प्रकृति, जलवायु, संस्कृति, पेशा, धार्मिक विश्वास एवं परम्परा के द्वारा भी हम लोगों के खाद्य अभ्यास के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं।

भारत में परिवेश आंदोलन से युक्त कुछ नेताओं के नाम बताओ।

उत्तर : चाँदनी प्रसाद भट्ट, सुन्दरलाल बहुगुणा एवं मेधा पाटकर आदि परिवेश आंदोलन से युक्त प्रमुख नेता हैं।

 पर्यावरण इतिहास क्या है?

उत्तर : इतिहास की इस शाखा में प्रकृति एवं समय के साथ जमीन, जल, वातावरण, जीव-मण्डल तथा मानवीय पाकलापों द्वारा प्रकृति पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन किया जाता है।

 इतिहास के लेखन में फोटोग्राफी किस प्रकार सहायक है ?

उत्तर : आधुनिक भारतीय इतिहास में फोटोग्राफी का महत्व काफी अधिक है। फोटोग्राफी की खोज 19वीं शताब्दी के  दशक में हुई थी। ब्रिटिश ईस्ट-इण्डिया कम्पनी के अधिकारियों ने फोटोम्राफी को काफी महत्व दिया। उनके अनुसार स्थापत्य कला, पुरातात्विक स्मारकों तथा यात्रियों के यात्रा-वृत्तांत को सही रूप में आँकने में फोटोग्राफी की भूमिका महत्वपूर्ण है।

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निम्नवर्गीय इतिहास से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर : निम्नवर्गीय इतिहास से आशय उस इतिहास लेखन से है जिसके अन्तर्गत कृषक, मजदूर एवं समाज के निम्नवर्ग के लोगों के रहन-सहन, भाषा, खान-पान एवं आर्थिक व सामाजिक व्यवस्था का अध्ययन किया जाता है। 

आधुनिक काल के इतिहास लेखन में चलचित्र की भूमिका क्या है ?

उत्तर : चलचित्र का इतिहास किसी समाज या देश की स्थिति का ज्ञान कराती है। कई कलाकारों ने विभिन्न प्रकारको भूमिकाओं के माध्यम से इतना सजीव चित्रण किया है कि उसे देखकर उस समय की राजनीतिक दशा, सामाजिक दशा लोगों का जीवन-यापन एवं उनकी स्थिति का ज्ञान स्वत: ही लगाया जा सकता है।

इतिहास में विचित्रता से तुम क्या समझते हो?

उत्तर : इतिहास की विचित्रता से यही समझा जाता है कि इतिहास के माध्यम से प्राचीन या अतीत की समस्त विषयो एवं घटनाओं का अध्ययन किया जाता है और उसकी जानकारी प्राप्त होती है।

 इतिहास के अध्ययन के तत्व स्वरूप आत्म जीवनी एवं संस्मरणों के महत्व क्या हैं ?

उत्तर : स्मृति के द्वारा ही आत्मकथा, यात्रा-वृतांत, निबंध लेखन आदि संपन्न होते हैं। आत्मजीवन मूलक ग्रंथों का प्रधान विषय-वस्तु स्मृति कथा है। इस प्रकार स्मृति कथा एक प्रकार का साहित्य है जहाँ लेखक अपने जीवन में घटित घटनाओं का विवरण अपने स्मृतियों के माध्यम से प्रस्तुत करता है। 

नूतन सामाजिक इतिहास में किन-किन तथ्यों का अध्ययन किया जाता है?

उत्तर : नूतन सामाजिक इतिहास में मानव जीवन के सामाजिक, धार्मिक, राष्ट्रीय, अर्थ व्यवस्था, नैतिकता, आचार व्यवहार, भोजन-वस्त्र, कला-संस्कृति आदि का अध्ययन किया जाता है। 

उत्तर : 'सत्तर बच्छर' के लेखक विपिन चन्द्र पाल हैं। इस पुस्तक में उन्होंने अपने जीवन के उन महत्वपूर्ण तथ्यों का वर्णन किया है जिसके द्वारा हमें उनके स्वाभाव, सिद्धान्त एवं अंग्रेजी शासन के विरुद्ध उनके कार्य का पता चलता है। विपिन चन्द्र पाल एक सिद्धान्तवादी व्यक्ति थे, उन्होंने अपने सिद्धांतों के साथ कभी समझौता नहीं किया। 

विज्ञान प्रौद्योगिकी और चिकित्सा के इतिहास से आप क्या समझते हैं?

उत्तर : इतिहास की इस शाखा में जैविक विज्ञान, इंजीनियरिंग, कम्प्यूटर और सूचना विज्ञान, भूगोल, गणित एवं विकास, दवा, न्यूरोसाइन्सेस, फर्मेसी, भौतिक विज्ञान, मानसिक रोगों की चिकित्सा, सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं प्रौद्योगिक के अविष्कार एवं विकास का अध्ययन किया जाता है। 

खेल के इतिहास से हमें क्या पता चलता है?

उत्तर : खेल के इतिहास से हमें पता चलता है कि किस प्रकार समाज अपने विश्वासों में परिवर्तन लाता है, जिससे खेलों के नियम बदल जाते हैं। खेल के इतिहास के माध्यम से ही हमें अतीत में विभिन्न देशों के द्वारा आयोजित विभिन्न प्रकार के खेलों की जानकारी प्राप्त होती है।

 सरकारी दस्तावेज क्या है ?

उत्तर : सरकारी दस्तावेज एक महत्वपूर्ण स्रोत है। इसकी मदद से हमें अतीत की विभिन्न जानकारियाँ प्राप्त होती है, जिनका विश्लेषण कर तत्कालीन इतिहास की सटीक रचना की जा सकती है। सरकारी दस्तावेज विभिन्न प्रकार के होत हैं, जैसे- प्रतिवेदन, विवरण, पुलिस के दस्तावेज तथा गुप्त समाचार इत्यादि।

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 नव जागरण काल किसे कहा गया है ?

उत्तर : 'बंगाल में हुए सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक तथा धार्मिक आंदोलन के समय को ही नव जागरण काल कहा जाता है। नव जागरण काल मुख्यतः: राजा राममोहन राय के काल से रवीन्द्रनाथ टैगोर के काल तक माना जाता है।

जवाहरलाल अपनी पुत्र को पत्र क्यों लिखते हैं?

उत्तर : जवाहरलाल नेहरू जी को स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अधिकतर समय जेल में रहना पड़ता था और इन्दिरा घर पर रहती थीं, अत: नेहरू जी पत्र के माध्यम से ही उन्हें जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देते थे तथा ज्ञान की अनेक बातें लिखकर समझाया करते थे।

क्षेत्रीय इतिहास के बारे में लिखें।

उत्तर : क्षेत्रीय इतिहास को अभी तक परम्परागत इतिहास लेखन में महत्ता न दिए जाने से इसका विकास अवरूद्ध था। 

सत्तर बच्छर की विष्य-वस्तु क्या है?

उत्तर : सत्तर बच्छर में विपिन चन्द्र पाल के प्रारम्भिक जीवन, पिता के साथ उनके संबंध एवं राजनीतिक आदर्शों का वर्णन है। सत्तर बच्छर विभिन्न चन्द्र पाल की आत्म जीवनी है जिसमें तत्कालीन भारत की राजनीतिक परिस्थितियों का उल्लेख है।

इतिहास की अवधारणा विभाग घ

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4.1 - आधुनिक इतिहास के अध्ययन में दृश्य कला की धारा का विश्लेषण करो।

 उत्तर : आधुनिक इतिहास की इस शाखा में चित्रकला और छायाचित्र कला के ऐतिहासिक लक्षणों का अध्ययन किया जाता है।

 चित्रकारी : औपनिवेशिक शासन में कई तरह के नए कला रूपों, शैलियों, सामग्री और तकनीकों का सूत्रपात हुआ। इन्हें भारतीय कलाकारों ने संभ्रान्त और जनसाधारण दोनों ही क्षेत्रों ने अपने स्थानीय ग्राहकों और बाजारों के हिसाब से अपनाकर नई शक्ल दी। आप पाएंगे कि जिन दृश्य कलाओं को आप आज स्वाभाविक मान लेते हैं, उनमें से बहुत सारी कलाओं का जन्म उसी काल में हुआ था। उदाहरण के लिए बुर्जियों, मीनारों और महराबों वाली भव्य सार्वजनिक इमारते, कोई मनोहारी भूदृश्य, किसी तस्वीर में यथार्थ परक मानव छवि या किसी देवी-देवता की तस्वीर तथा मशीनों द्वारा असंख्य मात्रा में छापी गई तस्वीरें आदि इसी तरह के उदाहरण हैं। मध्ययुग के शासकों ने चित्रकला में अपनी रूचि दिखाते हुए उस समय के प्रमुख चित्रकारों को अपना राजाश्रय दिया। कुछ प्रमुख चित्रकारों तथा उनकी चित्रकारी जैसे लियोनार्दो द विंशी कृत मोनालिसा, राफेल कृत द लॉस्ट सॉपर इत्यादि प्रमुख है।

 छायाचित्र : उन्नीसवीं सदी के मध्य तक यूरोप से कई छाया-चित्रकारी भी भारत आने लगे थे। उन्होंने तस्वीरें खींची, स्टुडियो खोले और छायाचित्रकारी की कला को बढ़ावा देने के लिए छायाचित्रकारों से जुड़ी समितियों का गठन किया। इनमे से कुछ ऐसे चित्रकार थे जो अंग्रेज अफसरों की तस्वीरें खींचने लगे थे। इन तस्वीरों में अंग्रेज अफसरों को रोबीले और ताकतवर अंदाज में दिखाया जाता था। कई छायाचित्रकारों ने टूटी-फूटी इमारतों और मनोहारी भू-दृश्यों की खोज में देश-भर की यात्रा की। कई छाया चित्रकार ऐसे थे जो ब्रिटिश सैनिक विजय के दृश्यों को कैमरे में कैद करते थे। इनके अलावा कई ऐसे छाया चित्रकार भी थे जो भारत को एक आदिम देश साबित करने के लिए यहाँ की सांस्कृतिक विविधता को दर्ज कर रहे थे।

4.2 -  आधुनिक इतिहास के अध्ययन के तत्वों में पुलिस एवं गुप्तचरों द्वारा पालन की गई भूमिकाओं की चर्चा करो साथ ही इतिहास की व्याख्या में इन तत्वों की उपयोगिता का भी उल्लेख करो। अथवा, भारत के आधुनिक इतिहास को जानने में सरकारी दस्तावेजों की उपयोगिता का वर्णन करो।

उत्तर : आधुनिक भारत के इतिहास को जानने के कई साधन है। सरकारी दस्तावेज एक महत्वपूर्ण स्रोत है। इनकी मदद से हमें अतीत की जानकारियाँ प्राप्त होती है। घटनाओं की तारीख, स्थान आदि महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है। इन जानकारियों को संभाल कर रखा गया था इसलिए इनके नषट होने की संभावना भी बहुत कम है। रिपोर्ट किसी भी घटना की सरकारी जाँच होती थी एवं सरकार के द्वारा उस घटना पर एक रिपोर्ट तैयार की जाती थी। इन रिपोर्टों में उस घटना की विस्तृत जानकारी होती थी। उस घटना के आरंभ से लेकर सरकार द्वारा उठाये कदम, उस घटना से जुड़े लोगों की जानकारियाँ, सरकारी अफसरों के बयान आदि सभी विषय एकत्रित की गई होती थी।

पुलिस की चिट्ठी

: किसी भी घटना की जानकारी सबसे पहले पुलिस को होती थी। पहले के समय में चिट्ठियों के द्वारा अधिकारियों तक सूचना पहुंचाई जाती थी। इन चिट्ठियों में घटनाओं की जानकारियां लिखी होती थी इन चिट्ठियों के द्वारा उस घटना की पूर्ण जानकारी प्राप्त होती है। इन चीजों में भेजने वाले एवं पाने वाले दोनों अधिकारियों के नाम लिखे होते जिससे इनकी विश्वसनीयता बनी रहती है।

 गोपनीय सूचना : किसी भी घटना की जानकारीयां पहले से उक्त घटना के घटने की आशंका को ध्यान में रुख कर सरकार के द्वारा पहले से कई स्थानों पर गुप्तचर लगे रहते थे। इनके द्वारा किसी घटना की सूचना सरकार को पहले मिल जाती थी। ऐसे ही खबर सरकारी विभागों में भी होते थे जो सरकार की सूचनाओं को समाचार-पत्रों एवं विशिष्ट व्यक्तियों को बताते थे। इनकी सूचनाएँ भी इतिहास को सही तरीके से जानने में सहायक होते है।

4.3 - बिपिन चन्द्र पाल द्वारा रचित 'सत्तर बच्छर' नाम की आत्म-जीवनी का मुख्य मुद्दा क्या है?

अथवा, सत्तर बच्छर से हमें कौन-सी ऐतिहासिक जानकारी मिलती है?

उत्तर : सत्तर बच्छर : सत्तर बच्छर के लेखक विपिन चन्द्र पाल है।यह उनकी आत्मकथा है। इस पुस्तक का प्रकाशन 1927 ई० में हुआ था। इस पुस्तक में उन्होंने अपने जीवन के उन महत्वपूर्ण तथ्यों का वर्णन किया है जिसके द्वारा हमें उनके स्वभाव, सिद्धान्त एवं अंग्रेजी शासन के विरुद्ध उनके कार्य का पता चलता है। यह पुस्तक करीब 50 पृष्ठों का है। विपिन चन्द्र पाल लोगों को इस पुस्तक की सच्चाई से अवगत कराने के लिए विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से महत्वपूर्ण तथ्यों को सबके समक्ष उपस्थित करने का प्रयास किया। इस पुस्तक से हमें पता चलता है कि विपिन चन्द्र पाल एक सिद्धान्तवादी व्यक्ति थे, उन्होंने अपने सिद्धांतों के साथ कभी समझौता नहीं किया। यहाँ तक की उनके अनेक सिद्धान्त पिता और पुत्र के सम्बन्धों के बीच में भी आ गए थे। इस कारण इन्होंने अपने पिता से गुजारा भत्ता लेने से भी इंकार कर दिया और स्वयं ही रोजी-रोटी की खोज में निकल पड़े। इसी क्रम में इन्होंने कटक में प्रधानाध्यापक का कार्य भार संभाला। लेकिन वहाँ भी विद्यालय के प्रबंधक से इनके विचार नहीं मिले जिसके कारण इन्होंने प्रधानाध्यापक के पद से त्याग पत्र दे दिया। विपिन चन्द्र पाल कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में से एक थे। वे लाल-बाल-पाल की प्रसिद्ध तिकड़ी के सदस्य थे। इनकी आत्मकथा में तत्कालीन भारत की राजनीतिक परिस्थितियों की महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्राप्त होती है। कांग्रेस के द्वारा चलाये गए विभिन्न आन्दोलनों की विस्तृत जानकारियाँ, राजनीति एवं तत्कालीन परिस्थितियों का स्पष्ट ज्ञान इस पुस्तक से प्राप्त होता है। 

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4.4 सरला देवी चौधुरानी की रचना 'जीवनेर झड़ा पता' एवं रवीन्द्र नाथ टैगोर की रचना 'जीवन स्मृति' के ऐतिहासिक महत्व का विश्लेषण करो। अथवा, जीवनेर झड़ा पाता से हमें कौन-सी ऐतिहासिक जानकारी का उल्लेख करो।

 उत्तर : जीवनेर झड़ा पता :- यह सरला सरला देवी चौधुरानी की आत्मकथा है। ये रवीन्द्रनाथ टेगौर के बड़े भाई की पत्नी थी। टैगोर परिवार में जन्म लेने के कारण शुरू से ही राजनीति एवं साहित्य में इनकी जिज्ञासा रही। इन्होंने बेथुन स्कूल एवं कालेज से शिक्षा प्राप्त की। यह एक शिक्षाविद एवं नारीवादी महिला थी। इनकी आत्मकथा में नारियों की स्थिति एवं उनकी समस्याओं का सजीव वर्णन मिलता है। उन्होंने नारी उत्थान एवं उनकी शिक्षा के लिए काफी कार्य की थी। इन्होंने कई समाचार पत्रों का अनुवाद भी किया था। उस समय की महिला आत्मकथा की यह एक अनमोल कृति है। इस संस्मरण में सरला के बाल्यकाल का वर्णन है। जैसा कि सरला देवी ने उल्लेख किया है कि जन्म से ही इनके जीवन में पतझड शरू हो गया था जिसकी शुरुआत माता के तिरस्कार से होती है। जीवनर झड़ा पता का प्रारम्भ जोड़सांकू के टेगौर परिवार के घर के दूसरे तल्ले से शुरू होता है जहाँ सरला का डूबते सूर्य वाले घर में जन्म होता है। इसके शीघ्र बाद ही घर की परम्परा के अनुसार उसे एक नर्स के हाथों सौंप दिया गया। अपने संस्मरण में सरला ने लिखा है कि जब वह चार वर्ष की थी तो संगमरमर पत्थर पर खेलते हुए सीढ़ियों से लुढ़क गयी, दो दाँत टूट गए और वो खून से भर गई। आया के भय से उसे जोर से रोने का साहस भी न था। माँ ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया, पिता नीचे आए और उन्होंने दवा आदि लगाई। वह कहती है कि वह नहीं जान पाई कि माँ का प्यार क्या होता है। उनका विवाह उनकी इच्छा के विरुद्ध कर दिया गया था। उनका दाम्पत्य जीवन भी सुखमय नहीं बीता और 1923 में उनके पति की मृत्यु हो गई। वह स्वामी विवेकानन्द के विचारों से काफी प्रभावित थी। इस पुस्तक में सरला देवी चौधरानी के महात्मा गाँधी के साथ भारतीय रा्ट्रीय आन्दोलन में भाग लेने का वर्णन है। 1944 ई० में सरला देवी चौधुरानी की मृत्यु हो गई।

 जीवन स्मृति:- जीवन स्मृति से हमें रवीन्द्रनाथ टैगोर के आरिम्भक 27 वर्षो के जीवन का वर्णन मिलता है। इस पुस्तक में रवीन्द्रनाथ टैगोर के जीवन के उन पहलुओं का वर्णन है जिसके बारे में पूरा विश्व अन्जान है इस पुस्तक में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने वर्णन किया है कि उनका बचपन बड़े ही कठोर निर्देशन तथा अनुशासन में बीता, वे प्रकृति की गोद में अपने पर पर ही शिक्षा अध्ययन करते थे। उनकी देखभाल करने वाले उनपर कठोर नियत्रण रखते थे। वे अपने घर के खिडकी पर बैठे-बैठे प्राकृतिक दृश्यों को निहारा करते थे तथा उन पर कविताएं लिखते थे। इसके अलावा उनकी इस पुस्तक में बालको के मनोविज्ञान का वर्णन भी मिलता है।

4.5. यातायात के इतिहास की विशेषता लिखिए।

उत्तर : परिवहन का इतिहास हमें नये वैज्ञानिक आविष्कारों के विषय में बतलाता है। विज्ञान की उन्नति से ही परिवहन की उन्नति हुई। जल, स्थल तथा वायु परिवहन सभी विज्ञान के अविष्कार से ही प्रगतिशील हए। मनुष्य ने सबसे पहले स्थल यातायात की सुविधा दूर-दूराज जाने के लिए किया था जो घोड़ों या बैलों से खीची जानेवाली गाडियाँ थी। फिर उसके बाद यातायात के साधनों में डोगी, छोटी नाव प्रमुख थी जिससे जलमार्ग द्वारा यात्रा होती थी। धीरे धीरे यातायात के क्षेत्रों में विकास होता गया। कच्ची सड़कों के स्थान पर पक्की सड़के बनने लगी। जल एव स्थल से बढ़कर मनुष्य ने वायुमार्ग से भी यातायात के साधनों को बनाया पटरियों पर दौड़नेवाली रेलगाड़ियाँ बनाई गई, जल में चलनेवाली छोटी नाव की जगह विशाल एवं कई मंजिले वाली जलयान बनाए गए। यातायात के क्षेत्र में सबसे अधिक विकास औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप हुआ। औद्योगिक क्रांति ने मोटर से चलनेवाले यातायात के साधन बनाए तथा उनके चलने लायक पक्की सड़कें बनाई। आज सड़कों पर साइकिल, मोटर साइकिल, बस, ट्रक, कार एवं इलेक्ट्रानिक गाड़ियां जैसे ट्राम इत्यादि बहुतायत चलती है। भारत में पहली बार रेल 1853 ई० मे बम्बई से ठाणे तक चली थी। पक्षियों को आकाश में उड़ते देख कभी मनुष्य ने भी इसी तरह उड़ने की कल्पना की थी और उसने अपने मेहनत और लगन से अपने सपने को साकार किया। इस दिशा में प्रथम प्रयास पतंग के रूप में रहा। तत्पश्चात गुब्बारा बनाकर उड़ाया गया। ''राईट बादर्स, ऑरबिल राईट और बिलवर राइट" ने इस दिशा में नई उपलब्धियाँ प्राप्त की तथा वायुयान का आविष्कार किया।

4.6. स्थानीय इतिहास की विशेषता पर प्रकाश डालिए।

उत्तर : स्थानीय इतिहास के अन्तर्गत किसी एक विशिष्ट जगह एवं विशिष्ट जाति का उल्लेख मिलता है। इसमे उस स्थान के सांस्कृतिक एवं सामाजिक दशा का जिक्र होता है। घटनाओं की जानकारी स्थानीय लोगों के द्वारा लिखित पत्रों या मौखिक मिलती है। स्थानीय इतिहास से उन स्थानों की जानाकरी प्राप्त होती है जिनका जिक्र या महत्व ज्यादा नहीं होता है। इन ऐतिहासिक तथ्यों का संग्रह इतिहासकारों द्वारा शौकिया किया गया होता है जिससे वास्तविक स्थिति का ज्ञान पूरी तरह नहीं हो पाता है। जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका का सिविल युद्ध एवं इग्लैंड में हुए कृषि आंदोलन।

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4.7. पर्यावरण के इतिहास का महत्व लिखिए।

उत्तर : पर्यावरण का इतिहास मनुष्यों के प्राकृतिक जगत के साथ सम्बन्धों का अध्ययन है। अन्य ऐतिहासिक सिद्धांतों से अलग हट कर यह मनुष्यों के विभिन्न क्रियाओं के ऊपर प्रकृति की भूमिका को प्रदर्शित करता है। वातावरण विषयों से सम्बन्धित इतिहासकार मनुष्यों के पर्यावरण पर निर्भरता एवं पर्यावरण में मनुष्य की भूमिका का अध्ययन करता है। पर्यावरण के इतिहास की शुरुआत संयुक्त राज्य अमेरिका में हुई। 1960 एवं 1970 के दशक में पर्यावरण सम्बन्धी आन्दोलन ने जोर पकड़ा। आज वर्तमान समय में पर्यावरण की सुरक्षा एक बड़ी समस्या बन कर उभरी है और पर्यावरणविद् हमेशा इस समस्या के समाधान ढूढ़ने में जुटे हुए है। आज पूरा विश्व पर्यावरण से सम्बन्धित मुद्दों पर विचार करने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर बैठक कर रहा है तथा लोगों को पर्यावरण सम्बन्धित समस्याओं की जानकारी एव बचात के उपाय बता रहा है। पर्यावरण इतिहास ने सामाजिक इतिहास और वैज्ञानिक इतिहास के साथ मिलकर अपने कार्य को बढ़ाया है। यह शहरों, जनसंख्या तथा संसाधनों के उचित इस्तेमाल पर जोर दे रहा है। वर्तमान समय में पर्यावरण इतिहास ने लोगों को काफी जागरूक बना दिया है।

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