अंत में फाँसी पर कौन चढ़ा?
उत्तर: अंत में फांसी पर राजा चढ़ा।
रास्ते में गुरु और चेले को कौन मिला?
एक थे गुरु और एक था उनका चेला। एक दिन बिना पैसे के वे घूमने निकल पड़े। चलते-चलते वे एक नगर में पहुँच गए। वहाँ उन्हें एक ग्वालिन मिली।
चेले ने फांसी चढ़ने से पहले क्या मांग की?
गुरुजी गए, रह गया किंतु चेला, यही सोचता हूँगा मोटा अकेला । चला हाट को देखने आज चेला, - तो देखा वहाँ पर अजब रेल पेला | टके सेर हल्दी, टके सेर जीरा, टके सेर ककड़ी टके सेर खीरा । टके सेर मिलती थी रबड़ी मलाई, बहुत रोज़ उसने मलाई उड़ाई | सुनो और आगे का फिर हाल ताज़ा ।
अंधेर नगरी नाटक में फांसी पर कौन चढ़ता है?
नाटक का छठा और अंतिम दृश्य मंचित किया जा रहा है। श्मशान में गोवर्धन दास को फांसी देने की तैयारी पूरी हो गई है। तभी उसके गुरु महंत जी आकर उसके कान में कुछ मंत्र देते हैं। इसके बाद गुरु-शिष्य दोनों फांसी पर चढ़ने को उतावले दिखते हैं।