बच्चों के कान के पीछे दाने क्यों निकलते हैं? - bachchon ke kaan ke peechhe daane kyon nikalate hain?

क्या आपको भी कानों में लगातार खुजली होती रहती है? कान में लगातार खुजली से ईयर इन्फेक्शन भी हो सकता है. कान के अंदर के हिस्से तक पहुंचना अंसभव है और कई बार लोग खतरनाक चीजों का इस्तेमाल करने लगते हैं जोकि बिल्कुल गलत है.

लेकिन कान में खुजली की वजह क्या है? जब किसी शख्स में अल्ट्रा सेंसिटिव न्यूरोलॉजिकल फाइबर्स होते हैं तो कानों में खुजली होती है. ये वे छोटे फाइबर होते हैं जो कानों की बाहरी परत बनाते हैं और सेसेंटिविटी बढ़ने से खुजली की समस्या हो सकती है. इसके अलावा ड्राई स्किन की वजह से भी खुजली हो सकती है. मानव के शरीर में सबसे ज्यादा सेंसेटिव कान होता है और इसलिए आपको इस समस्या से छुटकारा दिलाने में ये घरेलू उपाय बहुत काम आएंगे.

3 घरेलू उपाय जिनसे मिलेगी मदद-

एलोवेरा-

अधिकतर लोगों के घरों में एलोवेरा का पौधा होता है. आप अपने सिर को एक तरफ झुकाकर कान में एलोवेरा जेल की 3-4 बूंदे डाल सकते हैं. कुछ सेकेंड तक सिर झुकाए रखें ताकि एलोवेरा जेल बाहर ना निकल जाए. एलोवेरा से कान की भीतरी परत की ड्राइनेस दूर होती है और pH का स्तर भी सामान्य हो जाता है. इसका एंटी इन्फ्लैमेटेरी गुण कानों की खुजली और सूखेपन की समस्या से निजात दिलाने में मदद करता है.

तेल-

कई सारे तेल कानों की खुजली की समस्या से निजात दिलाने में इस्तेमाल किए जा सकते हैं. नारियल का तेल, ओलिव ऑयल कान में डाल सकते हैं.

लहसुन-

लहसुन के बहुत सारे गुण आपने पहले ही सुने होंगे. लहसुन में एंटीबायोटिक और दर्द में राहत दिलाने वाले गुण मौजूद होते हैं. गर्म जैतून या तिल के तेल में एक कली लहसुन क्रश कर डाल दें. लहसुन को निकाल लें और तेल को कान के बाहरी हिस्से में लगाएं. आराम मिलेगा.

शरीर के अन्य स्रावों की तरह, हम में से ज़्यादातर अकेले में इससे निपटना पसंद करते हैं. तब भी कई लोगों के लिए यह एक आकर्षण का विषय है.

पहले इसका इस्तेमाल एक लिप बाम और ज़ख़्मों पर मरहम के तौर पर किया जाता था

लेकिन यह इससे कुछ ज़्यादा कर सकता है. हाल के शोध से पता चलता है कि यह शरीर में प्रदूषक पदार्थ इकट्ठा होने का संकेत देता है और इससे शरीर में कुछ बीमारियों का भी पता लगाया जा सकता है.

कान के मैल से जुड़ी पाँच चीजें जो शायद आप ना जानते हो.

कान के अंदर की कोशिकाएँ विशेष तरह की होती है. वे एक जगह से दूसरे जगह तक जाती है.

लंदन के रॉयल नेशनल अस्पताल में गला, नाक और कान के प्रोफेसर शकील सईद के मुताबिक़ " आप कान में स्याही की एक बूंद डाल कर देखिए, कुछ हफ़्तों के बाद पाएंगे कि कोशिकाओं के साथ ये बाहर आ रही है."

यदि ऐसा नहीं होता है तो कान का छेद प्राकृतिक प्रक्रिया से बनी मृत कोशिकाओं से भर जाएगा.

इसी तरह से कान का मैल भी आगे बढ़ता है. ऐसा माना जाता है कि खाने-पीने के दौरान जबड़े के हिलने से भी ये मैल बाहर आता है.

प्रोफेसर सईद ने पाया है कि उम्र बढ़ने के साथ कभी-कभी यह मैल ज़्यादा काला हो जाता है और जिन लोगों के कान में बाल ज़्यादा होते हैं उनके कान से मैल बाहर नहीं आ पाता है.

कान के मैल में मोम होता है लेकिन यह मूल रूप से मृत केराटिनोसाइट्स कोशिकाओं का बना होता है.

कान का मैल कई पदार्थों का मिश्रण होता है. करीब 1,000 से 2,000 के बीच ग्रंथियां एंटी-माइक्रोबियल पेप्टाइड बनाती हैं. बालों की कोशिकाओं के करीब मौजूद वसा की ग्रंथियां मिश्रित एल्कोहल, स्कुआलीन नाम का तेल, कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड बनाती हैं.

महिलाओं और पुरूषों में कान का मैल एक समान मात्रा में बनता है लेकिन एक अध्ययन से पता चला है कि ट्राइग्लिसराइड की मात्रा नंवबर से जुलाई के बीच कम हो जाती है.

कान के मैल में लाइसोज़ाइम भी पाया जाता है जो एक एंटी-बैक्टिरियल एंज़ाइम है.

3. आपका परिवार कहां से है ये मायने रखता है

अमरीका के फिलाडेल्फिया के मोनेल संस्थान के वैज्ञानिकों के मुताब़िक एशियाई और गैर एशियाई लोगों के कान में अलग-अलग तरह का मैल होता है. क्रोमोज़ोम 16 कान के मैल के "गीले" या "सूखा" होने के लिए जिम्मेदार है.

जीन एबीसीसी11 में एक छोटा सा परिवर्तन कान के मैल के सूखा होने और चीनी, जापानी और कोरियाई व्यक्तियों के शरीर के कम दुर्गंध युक्त होने से संबंधित है.

अमरीकी अध्ययन में पूर्वी एशियाई और गोरे पुरुषों के समूहों में कान के मैल में 12 वाष्पशील कार्बनिक यौगिक पाए गए हैं.

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कान के मैल में एंटी-बैक्टीरियल एंजाइम लाइसोज़ाइम पाया जाता है.

कान को साफ़ करने के लिए किसी सिरींज के बदले नन्हा वैक्युम क्लीनर बेहतर है.

प्रोफेसर सईद सिरीज से बेहतर वैक्युम क्लीनर को मानते हुए कहते है, "अगर आप पानी का इस्तेमाल करते हैं तो उसे मैल से आगे जाना होगा और मैल लेकर वापस आना होगा. अगर कोई अंतर नहीं होगा तो ये मैल से आगे नहीं जा सकेगा और इस पर ज़्यादा ताकत भी नहीं लगाई जानी चाहिए. कान के पर्दे को सिरींज करने पर यूं तो नुकसान नहीं पहुंचता लेकिन ऐसा कभी-कभी होता है."

5. इससे प्रदूषण का पता चलता है

कान के मैल में कई अन्य शारीरिक स्राव की तरह कुछ भारी धातुओं के रूप में कुछ विषाक्त पदार्थ हो सकते हैं.

लेकिन एक तो यह ऐसी चीज़ देखने के लिए एक अजीब जगह है और दूसरी बात ये कि एक साधारण रक्त परीक्षण से ज़्यादा विश्वसनीय नहीं है.

क्‍या आपने अपने कान के पीछे दर्द या उभरी हुई त्‍वचा महसूस की है? अगर हां तो ये गांठ या लम्‍प हो सकती है। समय रहता अगर इसका इलाज क‍िया जाये तो त्‍वचा की इस समस्‍या से छुटकारा म‍िल सकता है। ये भी एक गंभीर बीमारी है ज‍िसे लोग अक्‍सर हल्‍के में ले लेते हैं। जरूरी नहीं है क‍ि हर गांठ में आपको दर्द महसूस हो। कभी-कभी वो ऐसी जगह बन जाती है जहां आपको दर्द का अहसास नहीं होता। आज हम आपको बतायेंगे क‍ि ये गांठ कान के पीछे आख‍िर होती कैसे है और इसे घरेलू इलाज की मदद से कैसे ठीक क‍िया जा सकता है। इस पर ज्‍यादा जानकारी लेने की ल‍िये हमने बात की ओम स्किन क्लीनिक, लखनऊ के वरिष्ठ कंसलटेंट डर्मेटोलॉज‍िस्‍ट डॉ देवेश मिश्रा से और बीमारी का कारण और इलाज पर जानकारी ली। 

बच्चों के कान के पीछे दाने क्यों निकलते हैं? - bachchon ke kaan ke peechhe daane kyon nikalate hain?

कान के पीछे गांठ (What is lump behind ear)

गांठ को स‍िस्‍ट या लम्‍प के नाम से भी जाना जाता है। वैसे तो ये शरीर के क‍िसी भी ह‍िस्‍से में हो सकती है पर आज हम बात करेंगे कान के पीछे उभरी गांठ के बारे में। कुछ गांठे कैंसर का रूप भी ले लेती हैं इसल‍िये इन पर ध्‍यान देने की जरूरत है। कुछ लोगों को जन्‍म से ही गांठ होती है जो आगे चलकर ठीक हो जाती है वहीं कुछ गांठ संक्रमण के कारण भी होती हैं। इनमें पस जमने लगता है ज‍िससे आपको तेज़ दर्द हो सकता है। हर इंसान में इसके लक्षण अलग होते हैं। गांठ के बढ़ने का इंतजार न करें। अगर उसका साइज बढ़ जाये या लाल हो जाये तो डॉक्‍टर को द‍िखाना न भूलें। आप डॉक्‍टर के पास जायेंगे तो वो कान के पीछे बनी गांठ को दवा या इंजेक्‍शन से ठीक करवा सकते हैं। कई बार गांठ बढ़ने पर चीरा या सर्जरी करवानी पड़ सकती है इसल‍िये ज्‍यादा इंतजार न करें। गांठ को एंटीबायोट‍िक दवा या पेन क‍िलर से ठीक क‍िया जा सकता है। लेज़र से भी गांठ का इलाज क‍िया जाता है। गांठ ज्‍यादातर 2 तरह की होती है। स्‍किन के अंदर या स्‍क‍िन के बाहर। जो गांठ स्‍क‍िन के अंदर होती है उसे एप‍िडरमाइड स‍िस्‍ट भी कहते हैं। ये छोटी और सख्‍त होती है। इसमें सूजन द‍िख सकती है। 

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क्‍यों बनती है कान के पीछे गांठ? (Causes of lump behind ear)

हम कान के पीछे के ह‍िस्से में सफाई पर ध्‍यान नहीं देते। उस जगह गंदगी से भी गांठ पड़ सकती है। ये सबसे कॉमन कारण है ज‍िसे लेकर मरीज़ क्‍लीन‍िक में आते हैं। इसके अलावा कई बार रोम छिद्र बंद होने के कारण भी मुहांसे गांठ का रूप ले लेते हैं। अगर गले में सूजन या संक्रमण है तो भी कान के पीछे स‍िस्‍ट उभर आती है। ये दाग भी छोड़ सकती है इसलि‍ये आपको ध्‍यान रखना है क‍ि आप इसे ज्‍यादा टच न करें। अगर कान के पीछे क‍िसी कारण से सूजन है तो वो भी आगे चलकर स‍िस्‍ट का रूप ले सकती है। कुछ रेयर केस में ये गांठ कैंसर का रूप भी ले सकती है इसल‍िये ऐसी कोई समस्‍या होने पर त्‍वचा रोग व‍िशेषज्ञ से संपर्क करें। बच्‍चों में भी ये समस्‍या हो सकती है। म‍िट्टी में खलने से बच्‍चों को पैरासाइट इंफेक्‍शन हो जाता है जिस पर ध्‍यान न देने पर वो एक स‍िस्‍ट के रूप में उभर आती है। डायब‍िटीज़ रोग‍ियों को भी कान के पीछे गांठ उभरने जैसी समस्‍या आ सकती है। इसके ल‍िये आप समय-समय पर शुगर जांच करवाते रहें। 

क्‍या योग है कान की गांठ का इलाज? (Yoga to treat lump behind ear)

कुछ लोग मानते हैं स्‍क‍िन की समस्‍या के ल‍िये योग काम नहीं आता पर ऐसा नहीं है। अगर आपको अक्‍सर गांठ होने की समस्‍या है तो आप योग का सहारा ले सकते हैं। सूर्य नमस्‍कार से कान के पीछे बन रही गांठ से छुटकारा पाया जा सकता है। इससे शरीर में एनर्जी बनती है और गांठ ठीक होने में मदद म‍िलती है। दूसरा उपाय है अनुलोम-व‍िलोम। इससे शरीर में ऊर्जा का स्‍तर बढ़ता है और गांठ ठीक होने लगती है। तीसरा आसान योगासन है कपालभात‍ि। सांस को छोड़ते हुए पेट को अंदर लेने की क्र‍िया को 15 से 20 म‍िनट करने से भी गांठ में आराम‍ म‍िलता है। 

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कान के पीछे उभरी गांठ को घरेलू उपाय से ठीक करें (Home remedies for lump behind ear)

बच्चों के कान के पीछे दाने क्यों निकलते हैं? - bachchon ke kaan ke peechhe daane kyon nikalate hain?

  • 1. कान के पीछे होने वाली गांठ को ठीक करने के लिये आप कुछ घरेलू उपाय अपना सकते हैं ज‍िनमें से पहला है अलसी के बीज का इस्‍तेमाल। अलसी के बीज को गरम कर एक साफ कपड़े में पोटली बनाकर बांध लें। अब उसे गांठ वाले हि‍स्‍से पर रखें। कुछ द‍िन में गांठ ठीक हो जायेगी। 
  • 2. एलोवेरा जैल स्‍किन के ल‍िये अच्‍छा माना जाता है। जहां गांठ है वहां एलोवेरा जैल लगाकर छोड़ दें। कुछ द‍िन में ही आपको आराम म‍िलेगा। 
  • 3. हल्‍दी की तासीर गरम होती है। हल्‍दी में 2 बूंद पानी म‍िलाकर उसे कान के पीछे वाले प्रभाव‍ित ह‍िस्‍से में लगायें। हल्‍दी लगाकर रात भर छोड़ दें। सुबह तक गांठ में जमा पस न‍िकल जायेगा। 
  • 4. पपीता कीटाणु मारने में असरदार माना जाता है। इसकी 1 स्‍लाइस न‍िकालकर कान के पीछे लगा लें। गांठ ठीक होने लगेगी। 
  • 5. अगर लगातार आपके शरीर में गांठ बन रही है तो आप पानी ज्‍यादा प‍ियें। पानी पीने से जहरीले पदार्थ शरीर के बाहर न‍िकलते हैं। कई बार कम पानी पीने से भी गांठ बनने की समस्‍या हो सकती है इसलिये कोई भी मौसम हो आप 8 ग‍िलास पानी रोजाना जरूर प‍ियें।
  • 6. कान के पीछे पड़ी गांठ को ठीक करने के ल‍िये सेब का स‍िरका भी असरदार है। इसे सुबह खाली पेट पीने से फायेदा म‍िलेगा। आप चाहें तो इसे 1 कप गरम पानी के साथ म‍िलाकर भी पी सकते हैं।  
  • 7. नार‍ियल के तेल में एंटीबैक्‍टीर‍ियल गुण होते हैं। आप इसमें 2 बूंद टी ट्री ऑयल म‍िलाकर गांठ पर लगायें इससे आपको दर्द में आराम म‍िलेगा और गांठ ठीक हो जायेगी। 
  • 8. बेक‍िंग सोडा में पानी म‍िलाकर पेस्‍ट बनायें और उसे 20 म‍िनट के ल‍िये गांठ पर लगाकर छोड़ दें। बेक‍िंग सोडा में एंटीसेप्‍ट‍िक गुण होते हैं। इससे गांठ ठीक जाती है।  
  • 9. तुलसी और नीम का पेस्‍ट गांठ पर लगाने से भी गांठ ठीक हो जाती है। इससे भी इंफेक्‍शन ठीक हो जाता है। नीम और तुलसी के पत्‍ते पीसकर पेस्‍ट बनाकर लगा लें। 
  • 10. सेंधा नमक को गरम पानी में म‍िलाकर आधे घंटे के ल‍िये लगा लें। इससे दर्द में राहत म‍िलेगी। 

अगर स‍िस्‍ट या गांठ एक हफ्ते से ज्‍यादा समय के ल‍िये कान के पीछे बनी रहती है या तेज़ दर्द उठ रहा है तो इसे जल्‍द से जल्‍द डॉक्‍टर को द‍िखायें। 

बच्चों के दाने कैसे ठीक करें?

श‍िशु के शरीर को साफ रखने की कोशिश करें. ... .
नहलाने के बाद बच्चे को अच्‍छी तरह से पोछ दें. ... .
गर्मी में श‍िशु को साफ, ढीले और सूती कपड़े ही पहनाएं..
अगर स्किन पर दाने न‍िकले हैं, तो शिशु को हल्‍के गुनगुने पानी से ही नहलाएं..
शिशु को हल्का भोजन दें..

कान से पीप क्यों निकलता है?

जब कान के भीतर वायरस या बैक्टीरिया चले जाते हैं तो ये मध्य कान को संक्रमित कर देते हैं। इन्फेक्शन की वजह से कान के परदे के पीछे अधिक मात्रा में तरल पदार्थ का निर्माण होने लगता है। जब बहुत अधिक तरल पदार्थ बनने लगता है तो इसके दबाव से कान का पर्दा फट जाता है जिससे इयर डिस्चार्ज की समस्या होती है।

कान के पीछे सूजन किस रोग के लक्षण है तथा इस रोग के क्या लक्षण है?

कानों में फंगल इन्फेक्शन को ऑटोमायकोसिस (Otomycosis) कहते हैं। कान में फंगल इंफेक्शन होने के बाद कान की परत में सूजन, कान की सूखी त्वचा एवं कान से बदबू की शिकायत होती है। बरसात में ऑटोमायकॉसिस होने का खतरा अधिक रहता है।

कान के पास गांठ क्यों होती है?

अगर आपके कान में एक गांठ या स्किन सी बन जाती है, तो समझ लें कि यह समस्या सिंपल नहीं है। यह कैंसर होने की शुरुआत है। इस तरह की स्किन समस्याओं को बेसल सेल कार्सीनोमा व घातक मेलेनोमा के नाम से जाना जाता है। जब कैंसर के कान के हिस्सों में पहुंचने लगता है तेज दर्द होता है।