भगत ने बेटे के क्रिया में तूल क्यों नहीं लिया - bhagat ne bete ke kriya mein tool kyon nahin liya

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निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:बेटे के क्रिया-कर्म में तूल नहीं किया, पतोहू से ही आग दिलाई उसकी। किंतु ज्योंहि श्राद्ध की अवधि पूरी हो गई पतोहू के भाई को बुलाकर उसके साथ कर दिया, यह आदेश देते हुए कि इसकी दूसरी शादी कर देना। उनकी जाति में पुनर्विवाह कोई नई बात नहीं, किंतु पतोहू का आग्रह था कि वह यहीं रहकर भगतजी की सेवा-बंदगी में अपने बैधव्य के दिन गुजार देगी। लेकिन, भगतजी का कहना था-नहीं, यह अभी जवान है, वासनाओं पर बरबस काबू रखने की उम्र नहीं है इसकी। मन मतंग है, कहीं इसने गलती से नीच-ऊँच में पैर रख दिए तो। नहीं-नहीं, तू जा। इधर पतोहू रो-रोकर कहती -मैं चली जाऊँगी तो बुढ़ापे में कौन आपके लिए भोजन बनाएगा, बीमार पड़े, तो कौन एक चुल्लूपानी भी देगा? मैं पैर पड़ती हूँ, मुझे अपने चरणों से अलग नहीं कीजिए! लेकिन भगत का निर्णय अटल था।बालगोबिन भगत ने बेटे का क्रिया-कर्म कैसे किया?


बालगोबिन भगत ने अपने बेटे के क्रिया-कर्म में कोई आडंबर नहीं किया। उन्होंने अपने बेटे की चिता में अपनी पतोहू से आग दिलाई।

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निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
बेटे के क्रिया-कर्म में तूल नहीं किया, पतोहू से ही आग दिलाई उसकी। किंतु ज्योंहि श्राद्ध की अवधि पूरी हो गई पतोहू के भाई को बुलाकर उसके साथ कर दिया, यह आदेश देते हुए कि इसकी दूसरी शादी कर देना। उनकी जाति में पुनर्विवाह कोई नई बात नहीं, किंतु पतोहू का आग्रह था कि वह यहीं रहकर भगतजी की सेवा-बंदगी में अपने बैधव्य के दिन गुजार देगी। लेकिन, भगतजी का कहना था-नहीं, यह अभी जवान है, वासनाओं पर बरबस काबू रखने की उम्र नहीं है इसकी। मन मतंग है, कहीं इसने गलती से नीच-ऊँच में पैर रख दिए तो। नहीं-नहीं, तू जा। इधर पतोहू रो-रोकर कहती -मैं चली जाऊँगी तो बुढ़ापे में कौन आपके लिए भोजन बनाएगा, बीमार पड़े, तो कौन एक चुल्लूपानी भी देगा? मैं पैर पड़ती हूँ, मुझे अपने चरणों से अलग नहीं कीजिए! लेकिन भगत का निर्णय अटल था।
पतोहू क्या चाहती थी और क्यों?


बालगोबिन भगत की पतोहू अपने भाई के साथ नहीं जाना चाहती थी, वह दूसरा विवाह भी नहीं करना चाहती थी। वह यहीं रहकर भगत जी की सेवा करना चाहती थी। वह उन्हें बुढ़ापे में बेसहारा छोड़ कर नहीं जाना चाहती। वह उनके लिए खाना बनाना, बीमारी में देखभाल करना आदि कार्य करना चाहती है।

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Solution : भगत जी ने अपनी पतोहू को उसके भाइयों के साथ भेजने का निर्णय लिया। भगतजी की पतोहू अभी युवती थी। भगत जी ने यह उचित नहीं समझा कि उनके बुढ़ापे के सहारे के लिए उनकी पतोहू अपनी भावनाओं को दबाकर बाकी जिन्दगी व्यतीत करे। उन्होंने अपनी बहू को उसके भाई के साथ यह कहकर भेज दिया कि वह दूसरी शादी कर ले।


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बेटे के क्रिया-कर्म में तूल नह...

बेटे के क्रिया-कर्म में तूल नहीं किया, पतोहू से ही आग दिलाई उसकी। किन्तु ज्योंही श्राद्ध की अवधि पूरी हो गई, पतोह के भाई को बलाकर उसके साथ कर दिया, यह आदेश देते हुए कि इसकी दूसरी शादी कर देना। इधर पतोहू रो-रोकर कहती - मैं चली जाऊँगी तो बुढ़ापे में कौन आपके लिए भोजन बनाएगा, बीमार पड़े तो कौन एक चुल्लू पानी भी देगा , मैं पैर पड़ती हूँ, मुझे अपने चरणों से अलग नहीं कीजिए। लेकिन भगत का निर्णय अटल था। तू जा, नहीं तो मैं ही इस घर को छोड़कर चल दूंगा - यह थी उनकी आखिरी दलील और इस दलील के आगे। बेचारी की क्या चलती ? <br> पाठ तथा लेखक का नाम लिखिए।

लिखित उत्तर

Solution : बालगोबिन भगत, लेखक का नाम- रामवृक्ष बेनीपुरी।

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'बेटे के क्रिया कर्म में तुल न...

'बेटे के क्रिया कर्म में तुल नहीं किया, पतोहू से ही आग दिलाई उसको। किंतु ज्यों ही श्राद्ध की अवधि पूरी हो गई, पतोहू के भाई को बुलाकर उसके साथ कर दिया, यह आदेश देते हुए कि उसकी दूसरी शादी कर देना। उनकी जाति में पुनर्विवाह कोई नयी बात नहीं, किंतु पतोहू का आग्रह था कि वह यही रहकर भगत जी की सेवा-बंदगी में अपने वैधव्य के दिन गुजार देगी। लेकिन भगत जी का कहना था-नहीं, अभी यह जवान है, वासनाओ पर बरबस काबू पाने की उम्र नहीं है इसकी। मन मतंग है, कही इसने गलती से ऊँच-नीच में पैर रख दिए तो। नहीं-नहीं तू जा। इधर पतोहू रो-रो कर कहती-मैं चली जाऊँगी, तो बुढ़ापे में कौन आपके लिए भोजन बनाएगा, बीमार पड़े तो कौन एक चुल्लू पानी भी देगा? मैं पैर पड़ती हूँ, मुझे अपने चरणों से अलग नहीं कीजिए। लेकिन भगत का निर्णय अटल था। तू जा, नहीं तो, मैं ही इस घर को छोड़कर चल दूँगा। यह उनकी आखिरी दलील और इस दलील के आगे बेचारी की क्या चलती? <br> बालगोबिन भगत ने बेटे का क्रिया-कर्म किस प्रकार करवाया?

लिखित उत्तर

Solution : बाल गोबिन भगत ने अपने बेटे का क्रिया-कर्म अत्यन्त सादगीपूर्ण ढंग से करवाया। क्रिया-कर्म में किसी प्रकार का तूल नहीं किया। अपनी पतोहू (पुत्र-वधु) से ही उस (पुत्र) को आग दिलवायी।

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