बिहारी सतसई में किस भाषा का प्रयोग हुआ है - bihaaree satasee mein kis bhaasha ka prayog hua hai

Q. बिहारी सतसई ग्रंथ किस भाषा शैली में रचित है?
Answer: [D] ब्रजभाषा
Notes: बिहारी सतसई ग्रंथ ब्रजभाषा शैली में रचित है| ब्रजभाषा विक्रम की 13वीं शताब्दी से लेकर 20वीं शताब्दी तक भारत के मध्यदेश की मुख्य साहित्यिक भाषा एवं साथ ही साथ समस्त भारत की साहित्यिक भाषा थी| विभिन्न स्थानीय भाषाई समन्वय के साथ समस्त भारत में विस्तृत रूप से प्रयुक्त होने वाली हिन्दी का पूर्व रूप यह ‘ब्रजभाषा‘ अपने विशुद्ध रूप में आज भी आगरा, धौलपुर, मथुरा और अलीगढ़ जिलों में बोली जाती है जिसे हम 'केंद्रीय ब्रजभाषा' के नाम से भी पुकार सकते हैं। ब्रजभाषा में ही प्रारम्भ में हिन्दी-काव्य की रचना हुई। सभी भक्त कवियों, रीतिकालीन कवियों ने अपनी रचनाएं इसी भाषा में लिखी हैं जिनमें प्रमुख हैं सूरदास, रहीम, रसखान, केशव, घनानन्द, बिहारी, इत्यादि।

बिहारी के काव्य की भाषा क्या है?

बिहारी की भाषा ब्रजभाषा है। उनके समय तक ब्रजभाषा साहित्य की भाषा के रूप में स्वीकृत हो चुकी थी, और बिहारी की भाषा को हम अपेक्षाकृत शुद्ध ब्रजभाषा कह सकते हैं। उनके समय में ब्रजभाषा का क्षेत्र अत्यंत विस्तृत हो चुका था ।

सतसई का मतलब क्या होता है?

वह ग्रंथ जिसमें सात सौ पद्य हों । सात सौ पद्यों का समूह या संग्रह । सप्तशती । विशेष—हिंदी साहित्य में 'सतसई' शब्द से प्रायः सात सौ दोहे ही समझे जाते हैं ।

बिहारी सतसई के कवि कौन है?

बिहारी सतसई कवि बिहारी की रचना है, यह मुक्तक काव्य है, इसमें 713 दोहे संकलित हैं।

बिहारी सतसई का मुख्य छंद कौन सा है?

'बिहारी सतसई' की रचना 'ब्रज भाषा' में की गई है और इसमें 'दोहा' छंद का प्रयोग किया गया है।

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