McMurdo Dry Valleys क्षेत्र एक ठंडा रेगिस्तान पारिस्थितिकी तंत्र है – ठंडा, अत्यंत शुष्क और हवा। यह एक shadow बारिश छाया ’प्रभाव के कारण होता है क्योंकि ध्रुवीय पठार से तट तक हवा के लुढ़कने से ट्रांस अंटार्कटिक पर्वत पर ठंड और संघनित होती है और बर्फ के रूप में इसकी नमी को जमा करती है। राइट वैली में औसत वार्षिक तापमान –19.8 ° C है और वार्षिक वर्षा 100 मिमी पानी के बराबर है। उपलब्ध पानी इसलिए मुख्य रूप से गर्मियों में हिमनद पिघल का एक परिणाम है।
”अधिकतर रेगिस्तानों को गर्म क्षेत्र के रूप में जाना जाता है, लेकिन संभवतः सभी रेगिस्तानी जीवोम क्षेत्र में ठंडे रेगिस्तान सबसे अनोखे क्षेत्र होते हैं।“ www.worldbiomes.com/biomes desert_htm
ठंडे या शीत रेगिस्तान की परिभाषा जनमानस की तर्कहीन धारणा के विपरीत है; जनसमान्य द्वारा गर्म रेगिस्तान को तो विश्व रेगिस्तानों से संबंधित माना जाता है लेकिन ठंडे रेगिस्तानों को अद्भुत सुंदरता के बावजूद भी रूखा माना जाता है।ठंडे रेगिस्तान शीतकाल में हिमपात के कारण निर्जन स्थल के रूप में जाने जाते हैं। पर्वतों के शिखरों तथा ध्रुवीय प्रदेश के निकटवर्ती क्षेत्रों में भी ऐसा ही वातावरण रहता है। ठंडे रेगिस्तान अंटार्कटिका, ग्रीनलैण्ड और आर्कटिक प्रदेशों में फैले हुए हैं। सर्दियों में भारी वर्षा होने के साथ इन क्षेत्रों में अक्सर गर्मियों में भी वर्षा होती है। ठंडे रेगिस्तान में सर्दियों का औसत तापमान -2 डिग्री सेल्सियस से -4 डिग्री सेल्सियस के बीच तथा ग्रीष्म ऋतु में 21 डिग्री सेल्सियस से 26 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है।
अधिकतर ठंडे रेगिस्तान चट्टानी अथवा हिम से ढ़के क्षेत्र होते हैं। बारह महीनें बर्फ से ढके इन क्षेत्रों में अनाज भी नहीं उगता जिससे यहां खाने के लिए कुछ नहीं है। यहां सारा पानी बर्फ रूप में होता है। ठंडे और गर्म दोनों रेगिस्तानों में पानी का अभाव रहता है। वास्तव में गर्म रेगिस्तानों की तुलना में ठंडे रेगिस्तानों में पानी की अधिक कमी होती है। धरती का सर्वाधिक शुष्क रेगिस्तान अंटार्कटिका का ठंडा रेगिस्तान है।
जीवन के चिन्ह (निशान)
प्रायः कम तापमान वनस्पति और जीवों के विकास को बाधित करता है। पौधों, सूक्ष्म जीवों और जानवरों में विशेषकर समतापी जीवों में ठंडे तापमान में रासायनिक क्रियाएं धीमी हो जाती हैं। ठंडे रेगिस्तानों में पौधों के विकास के लिए समुचित मात्रा में सूर्य की किरणें (शक्ति) उपलब्ध नहीं हो पातीं हालांकि अधिकतर क्षेत्रों के ऊंचे स्थानों पर स्थित होने के कारण वहां पर पराबैंगनी विकिरण की अधिकता के कारण पेड़-पौधे पनप नहीं पाते हैं।
पर्याप्त विरोधाभास के अनुरूप ठंडे रेगिस्तानों में सर्वाधिक जीव-जन्तु बड़े एवं गर्म रक्त वाले होते हैं। हालांकि इनकी संख्या भी बहुत कम होती हैं अधिकतर असमतापी जीव ठंडे रेगिस्तान को कम ही पसंद करते हैं। यह क्षेत्र सीमित जैवविविधता को रखता है।
ठंडे रेगिस्तानों में रहने वाले जीवों को यहां की ठंडी विषम शीत ऋतु के प्रति अपने को ढालना होता है। ऐसा करने के लिए कुछ जीव सतह के नीचे बिल बनाते हैं। धरती पर बर्फ की चादर, अच्छे कुचालक की भांति व्यवहार कर भूमि के अंदर की ऊष्मा को बाहर आने से रोके रखती है। ठंडे रेगिस्तान के अधिकतर जीव बिल बनाकर भूमि की सतह से नीचे ही रहते हैं।
भारत का ठंडा रेगिस्तान – लद्दाख
भारत का सबसे ठंडा रेगिस्तान लद्दाख क्षेत्र है। इसे चट्टानी धरती अथवा अनेक दर्रों वाली भूमि भी कहते हैं। लद्दाख का क्षेत्रफल 1,17,000 वर्ग किलोमीटर है। यह संसार का सबसे ऊंचा निर्जन पठार है। लद्दाख की ऊंचाई 2750 मीटर से लेकर 7,672 मीटर है। लद्दाख क्षेत्र में चार पर्वत श्रृंखलाएं हैं; 1. विशाल हिमालय 2.
लद्दाख क्षेत्र में शीत ऋतु में कभी-कभी तापमान -45 डिग्री सेल्सियस नीचे तक गिर जाता है। कठोर परिस्थितियों के बावजूद यह स्थान जीवन निर्जन नहीं है। यहां जानवर और वनस्पतियों ने इतनी रूखी परिस्थितियों में भी जीने के लिए अपने में अनुकूलन विकसित किया है।
लद्दाख के स्तनधारी पशुओं में मुख्य रूप से दुर्लभ साकिन, याक (एक प्रकार का जंगली गाय), संसार की सबसे बड़ी आकार की तिब्बतीय भेड़ नयान, भराल (नीली भेड़) तथा संसार की सबसे छोटी भेड़ यूरियल, भूरी भेड़, मारमोट्स, खरगोश, हिम तेंदुआ, बनबिलाव, तिब्बती हिरण एवं तिब्बती भेडि़या है। हाल ही में इस क्षेत्र में तिब्बती रेतीली लोमड़ी खोजी गई है।
लद्दाख के निवासियों की जीवन-शैली परंपरागत है। यहां के स्थानीय निवासी भेड़ तथा याक पालने के साथ ग्रीष्म ऋतु में नदियों की तली में जौ की खेती करते हुए जीवनयापन करते हैं।