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राष्ट्रीय पुस्तकालय |
भारत |
राष्ट्रीय पुस्तकालय |
1836; 186 वर्ष पहले (कलकत्ता सार्वजनिक पुस्तकालय के तौर पर) जनवरी 30, 1903; 119 वर्ष पहले (इंपीरियल लाइब्रेरी के तौर पर) फ़रवरी 1, 1953; 69 वर्ष पहले (भारत का राष्ट्रीय पुस्तकालय के तौर पर) |
बेल्वेडियर एस्टेट, कोलकाता, पश्चिम बंगाल |
22°32′00″N 88°20′00″E / 22.533206°N 88.333318°Eनिर्देशांक: 22°32′00″N 88°20′00″E / 22.533206°N 88.333318°E |
IAS Chandan Sinha [1] |
nationallibrary.gov.in |
भारत का राष्ट्रीय पुस्तकालय कोलकाता में स्थित है। यह भारत का सबसे बड़ा पुस्तकालय है। राष्ट्रीय पुस्कालय की स्थापना 1948 में 'इंपीरियल लाइब्रेरी अधिनियम-1948' पारित करके की गई थी। इस पुस्तकालय को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा प्राप्त है।
इसकी मुख्य गतिवियां हैं :
- राष्ट्रीय महत्व की प्रत्येक मुद्रित सामग्री (एकदिवसीय प्रकाशनों को छोड़कर) तथा सभी पांडुलिपियां प्रापत करके उनका संरक्षण करना;
- देश से संबंधित मुद्रित सामग्री एकत्र करना चाहे वह कहीं भी प्रकाशित की गई हो;
- सामान्य एवं विशिष्ट दोनों प्रकार की सामयिक व पुरानी सामग्री के सन्दर्भ में ग्रंथ सूची और प्रलेखन सेवाएं उपलब्ध कराना (इसमें देश से संबद्ध विभिन्न पहलुओं पर चालू राष्ट्रीय ग्रंथसूचियां तथा पूर्वसमय की ग्रंथसूचियां तैयार करने की जिम्मेदारी भी शामिल है।);
- ग्रंथ सूची जानकारी के सभी सूत्रों के पूरी और सही जानकारी देने वाले सन्दर्भ केंद्र की भूमिका निभाना और अंतर्राष्ट्रीय ग्रंथसूची निर्माध गतिविधियों में हिस्सा लेना;
- पुस्तकों के अंतर्राष्ट्रीय आदान-प्रदान तथा देश के भीतर पुस्तकें लेने वाले केंद्र की भूमिका निभाना।
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
- राष्ट्रीय संग्रहालय
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
- राष्ट्रीय पुस्तकालय - तब और अब
- National Library of India
- ↑ Das, Soumya (16 July 2016). "National Library in Kolkata facing acute staff shortage". The Hindu.
भारत के राष्ट्रीय पुस्तकालय की स्थापना 1948 में कोलकाता में हुई थी।
पुस्तकालय के विभिन्न प्रकार होते हैं:
- शैक्षिक पुस्तकालय
- विश्वविद्यालय पुस्तकालय
- महाविद्यालय पुस्तकालय
- विद्यालय पुस्तकालय
- सार्वजनिक पुस्तकालय
- विशिष्ट पुस्तकालय
- सरकारी पुस्तकालय
- राष्ट्रीय पुस्तकालय
भारत के प्रमुख पुस्तकालय[संपादित करें]
दिल्ली सार्वजनिक पुस्तकालय[संपादित करें]
यूनेस्को और भारत सरकार के संयुक्त प्रयास से स्थापित दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी का उद्घाटन भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 27 अक्टूबर 1951 को किया। 15 वर्ष की इस अल्प अवधि में इस पुस्तकालय ने अभूतपूर्व उन्नति की है। इसमें ग्रंथों की संख्या लगभग चार लाख है। नगर के विभिन्न भागों में इसकी शाखाएँ खोल दी गई। इसके अतिरिक्त प्रारंभ से ही चलता-फिरता पुस्तकालय भी इसने शुरू किया।
पुस्तकालय के संदर्भ और सूचना विभाग में नवीनतम विश्वकोश, गैजट, शब्दकोश और संदर्भ साहित्य का अच्छा संग्रह है। बच्चों के लिए बाल पुस्तकालय विभाग है। पुस्तकों के अतिरिक्त इस विभाग में तरह-तरह के खिलौने, लकड़ी के अक्षर, सुन्दर चित्र आदि भी हैं। सामाजिक शिक्षा विभाग समय-समय पर फिल्म प्रदर्शनी, व्याख्यान, नाटक, वादविवाद प्रतियोगिता का आयोजन करता है। इसके अतिरिक्त इस विभाग के पास आधुनिकतम दृश्यश्रव्य उपकरण भी हैं। इस पुस्तकालय के सदस्यों की संख्या लगभग एक लाख है।
राष्ट्रीय पुस्तकालय, कलकत्ता[संपादित करें]
इस पुस्तकालय की स्थापना जे॰एच॰ स्टाकलर के प्रयत्न से 1836 ई॰ में कलकत्ता में हुई। इसे अनेक उदार व्यक्तियों से एवं तत्कालीन फोर्ट विलियम कालेज से अनेक ग्रंथ उपलब्ध हुए। प्रारंभ में पुस्तकालय एक निजी मकान में था, परंतु 1841 ई॰ में फोर्ट विलियम कालेज में इसे रखा गया। सन् 1844 ई॰ में इसका स्थानांतरण मेटकाफ भवन में कर दिया गया। सन् 1890 ई॰ में कलकत्ता नगरपालिका ने इस पुस्तकालय का प्रबंध अपने हाथ में ले लिया। बाद में तत्कालीन बंगाल सरकार ने इसे वित्तीय सहायता दी। 1891 ई॰ में इंपीयिल लाइब्रेरी की स्थापना की गई और लार्ड कर्जन के प्रयत्न से कलकत्ता पब्लिक लाइब्रेरी तथा इंपीरियल लाइब्रेरी को 1902 ई॰ में एक में मिला दिया गया। उदार व्यक्तियों ने इसे बहुमूल्य ग्रंथों का निजी संग्रह भेंट स्वरूप दिया।
सन् 1926 ई॰ में रिचे समिति ने इस पुस्तकालय के विकास के संबंध में भारत सरकार को अपना प्रतवेदन दिया। सितंबर, 1948 में यह पुस्तकालय नए भवन में लाया गया और इसकी रजत जयंती 1 फ़रवरी 1953 ई॰ को मनाई गई। स्वतंत्रता के पश्चात् इसका नाम बदलकर 'राष्ट्रीय पुस्तकालय' कर दिया गया। इसमें ग्रंथों की संख्या लगभग 12 लाख है। 'डिलीवरी ऑव बुक्स ऐक्ट 1954' के अनुसार प्रत्येक प्रकाशन की एक प्रति इस पुस्तकालय को प्राप्त होती है। वर्ष 1964-65 में इस योजना के अतंगर्त 18642 पुस्तकें इसे प्राप्त हुईं एवं भेंत स्वरूप 7000 से अधिक ग्रंथ मिले। केन्द्रीय संदर्भ पुस्तकालय ने राष्ट्रीय ग्रंथसूची को नौ जिल्दों में प्रकाशित कर एवं राज्य सरकार ने तमिल, मलयालम तथा गुजराती की ग्रंथसूचियाँ प्रकाशित कीं।
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
- पुस्तकालय का इतिहास