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- Category > Biography | जीवन परिचय
Date / February 20, 2022
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(bharatendu harishchandra ka jivan parichay) भारतेन्दु बाबु हरिश्चन्द्र का जन्म काशी में सन् 1850 ई. में हुआ। इनके पिता का नाम गोपालचन्द्र था वह भी एक अच्छे कवि थे और ‘गिरधरदास’ उपनाम से ब्रजभाषा में काव्य रचना करते थे। हम आपको बता दे की पांच वर्ष की अवस्था में ही भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (Bharatendu Harishchandra Biography) के सिर से मां की ममता का साया उठ गया और दस वर्ष का होते-होते पिता भी चल बसे, अतः आपकी प्रारम्भिक शिक्षा सुचारु रूप से न चल सकी। घर पर ही उन्होंने हिन्दी, उर्दू, बंगला एवं अंग्रेजी भाषाओं का अध्ययन किया और बनारस के क्वींस कॉलेज में प्रवेश लिया, परन्तु काव्य रचना की ओर विशेष रुचि होने के कारण अन्ततः आपने कॉलेज छोड़ दिया। भारतेन्दु जी का विवाह १३ वर्ष की अल्पायु में ‘मन्नों देवी’ के साथ हुआ था। — (भारतेंदु हरिश्चंद्र का जीवन परिचय कक्षा 11)—
भारतेन्दु जी एक प्रतिष्ठित एवं धनाढ्य परिवार से सम्बन्धित थे, किन्तु उन्होंने अपनी सम्पत्ति उदारता, दानशीलता एवं परोपकारी वृत्ति के कारण मुक्तहस्त होकर लुटाई। साहित्य एवं समाज सेवा के प्रति आप पूर्ण रूप से समर्पित थे। जो भी व्यक्ति इनके पास सहायता माँगने जाता था, उसे खाली हाथ नहीं लौटना पड़ा। परिणाम यह हुआ कि भारतेन्दु जी ऋणग्रस्त हो गए और क्षय रोग से पीड़ित हो गए अन्ततः इसी रोग के चलते सन् 1885 ई. में आपका स्वर्गवास हो गया।
भारतेन्दु जी ने कार्य में तो ब्रजभाषा का प्रयोग किया, किन्तु उनकी गद्य रचना परिष्क्रत खड़ी बोली हिन्दी में लिखी गई हैं। उनकी भाषा में अङ्ग्रेज़ी व उर्दू के प्रचलित शब्दों का प्रयोग हुआ है । साथ ही उसमें लोकोक्तियों एवं मुहावरों का भी प्रयोग किया गया है। Bharatendu Harishchandra Biography
भारतेन्दु जी युग निर्माता साहित्यकार के रूप में प्रतिष्ठित रहे हैं। वे हिन्दी गद्य के जनक के रूप में जाने जाते हैं। हिन्दी भाषा को गद्य की परिष्कृत भाषा बनाने में उनका योगदान अविस्मरणीय है। साहित्य की विविध विधाओं को प्रारम्भ करने में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। हिन्दी को विकसित कर एक लोकप्रिय भाषा बनाने में तथा विविध गद्य विधाओं का सूत्रपात कर उन्हें समृद्ध बनाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
प्रमुख कृतियाँ / भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की रचनाएँ | Bharatendu Harishchandra Biography- मौलिक नाटक[4]
- वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति (१८७३ई., प्रहसन)
- सत्य हरिश्चन्द्र (१८७५,नाटक)
- श्री चंद्रावली (१८७६, नाटिका)
- विषस्य विषमौषधम् (१८७६, भाण)
- भारत दुर्दशा (१८८०, ब्रजरत्नदास के अनुसार १८७६, नाट्य रासक),
- नीलदेवी (१८८१, ऐतिहासिक गीति रूपक)।
- अंधेर नगरी (१८८१, प्रहसन)
- प्रेमजोगिनी (१८७५, प्रथम अंक में चार गर्भांक, नाटिका)
- सती प्रताप (१८८३,अपूर्ण, केवल चार दृश्य, गीतिरूपक, बाबू राधाकृष्णदास ने पूर्ण किया)
काव्य-कृतियाँ : भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की काव्य-कृतियाँ
भक्त-सर्वस्व (1870)
प्रेम-मालिका
(1871)
प्रेम-माधुरी (1875)
प्रेम-तरंग (1877)
उत्तरार्द्ध-भक्तमाल (1876-77)
प्रेम-प्रलाप (1877)
गीत-गोविंदानंद (1877-78)
होली (1879)
मधु-मुकुल (1881)
राग-संग्रह (1880)
वर्षा-विनोद (1880)
विनय प्रेम पचासा (1881)
फूलों का गुच्छा (1882)
प्रेम-फुलवारी (1883)
कृष्णचरित्र (1883)
संक्षिप्त जीवन परिचय | |
नाम | भारतेन्दु बाबु हरिश्चन्द्र |
जन्म | सन् 1850 ई. |
पिता का नाम | गोपालचन्द्र |
माता का नाम | पार्वती देवी |
पत्नी | ‘मन्नों देवी’ |
जन्म स्थान | काशी |
मृत्य | 1885 ई. |
मृत्य स्थान | काशी |
शिक्षा | हिन्दी, उर्दू, बंगला एवं अंग्रेजी भाषाओं का अध्ययन |
रचना | प्रेम सरोवर, प्रेम तरंग, भक्त-सर्वस्व,सूरदास की जीवनी, जयदेव,महात्मा मुहम्मद |
FAQ
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की काव्य-कृतियाँ कौन – 2 सी है ?
भक्त-सर्वस्व (1870) , प्रेम-मालिका (1871) , प्रेम-माधुरी (1875), प्रेम-तरंग (1877) , उत्तरार्द्ध-भक्तमाल (1876-77) , प्रेम-प्रलाप (1877) , गीत-गोविंदानंद (1877-78) , होली (1879) , मधु-मुकुल (1881) , राग-संग्रह (1880) , वर्षा-विनोद (1880) , विनय प्रेम पचासा (1881) , फूलों का गुच्छा (1882) , प्रेम-फुलवारी (1883) ,कृष्णचरित्र (1883)
भारतेंदु हरिश्चंद्र की मृत्यु कब हुई ?
6 January 1885
भारतेंदु हरिश्चंद्र की माता का नाम क्या था ?
पार्वती देवी
भारतेंदु हरिश्चंद्र की पिता का नाम क्या था ?
गोपालचन्द्र
भारतेंदु हरिश्चंद्र की शिक्षा क्या थी ?
हिन्दी, उर्दू, बंगला एवं अंग्रेजी भाषाओं का अध्ययन
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