भाषा
भाषा वह साधन है जिसके द्वारा हम अपने विचारों को व्यक्त करते है और इसके लिये हम वाचिक ध्वनियों का उपयोग करते हैं। भाषा मुख से उच्चारित होनेवाले शब्दों और वाक्यों आदि का वह समूह है जिनके द्वारा मन की बात बतलाई जाती है।
सामान्यतः भाषा को वैचारिक आदान-प्रदान का माध्यम कहा जा सकता है। भाषा आभ्यंतर अभिव्यक्ति का सर्वाधिक विश्वसनीय माध्यम है। यही नहीं वह हमारे आभ्यंतर के निर्माण, विकास, हमारी अस्मिता, सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान का भी साधन है। भाषा के बिना मनुष्य सर्वथा अपूर्ण है और अपने इतिहास तथा परम्परा से विच्छिन्न है। प्रायः भाषा को लिखित रूप में व्यक्त करने के लिये लिपियों की सहायता लेनी पड़ती है। भाषा और लिपि, भाव व्यक्तीकरण के दो अभिन्न पहलू हैं। एक भाषा कई लिपियों में लिखी जा सकती है और दो या अधिक भाषाओं की एक ही लिपि हो सकती है। उदाहरणार्थ पंजाबी, गुरूमुखी तथा शाहमुखी दोनो में लिखी जाती है जबकि हिन्दी, मराठी, संस्कृत, नेपाली इत्यादि सभी देवनागरी में लिखी जाती है।
भाषा अधिगम
अधिगम (Learning) का तात्पर्य होता है सीखना। किसी भी प्रकार के अधिगम की प्रक्रिया जीवनभर चलती रहती है। भाषा के संदर्भ में भी यह बात लागू होती है, किन्तु जहाँ अन्य प्रकार के ज्ञान के अधिगम अनायास भी सम्भव है, वहीं भाषा का अधिगम स्वयं के प्रयासों तथा इसे सीखे सकने वाली वातावरणजन्य परिस्थितियों में ही सम्भव होता है, इसलिए भाषा को अर्जित सम्पत्ति कहा गया है।
वास्तव में सीखने की प्रक्रिया व्यक्ति की शक्ति और रुचि के कारण विकसित होती है। बच्चों में स्वयं अनुभूति द्वारा भी सीखने की प्रक्रिया होती है, जैसे-बालक किसी जलती वस्तु को छूने का प्रयास करता है और छूने के बाद की अनुभूति से वह यह निष्कर्ष निकालता है कि जलती हुई वस्तु को छूना नहीं चाहिए। अधिगम की यह प्रक्रिया सदैव एक समान नही रहती है। इसमें प्ररेणा के द्वारा वृद्धि एवं प्रभावित करने वाले कारकों से इसकी गति धीमी पड़ जाती है।
विभिन्न मनोवैज्ञानिकों के अनुसार भाषा-अधिगम
भाषा-अधिगम को लेकर मनोवैज्ञानिकों के मत एक-दूसरे से भिन्न हैं।
पॉवलाव और स्किनर के अनुसार- ‘‘भाषा की क्षमता का विकास कुछ शर्तों के अंतर्गत होता है, जिसमें अभ्यास, नकल,
रटने जैसी प्रक्रिया शामिल होती है।’’
चॉम्स्की के अनुसार- ‘‘बालकों में भाषा सीखने की क्षमता जन्मजात होती है तथा भाषा मानव मस्तिष्क में पहले से विद्यमान होती है।’’
पियाज़े के अनुसार- ‘‘भाषा परिवेश के साथ अंत:क्रिया द्वारा विकसित होती है।’’
वाइगोत्सकी के अनुसार– ‘‘भाषा-अधिगम में बालक का सामाजिक परिवेश एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बच्चे की भाषा समाज के संपर्क में आने तथा बातचीत करने के कारण होती
है।’’
भाषा अर्जन
भाषा अर्जन (Language acquisition) उस प्रक्रिया को कहते हैं जिसके द्वारा मानव भाषा को ग्रहण करने एवं समझने की क्षमता अर्जित करता है तथा बातचीत करने के लिये शब्दों एवं वाक्यों का प्रयोग करता है।
चॉम्स्की के अनुसार– ‘‘भाषा अर्जन की क्षमता बालकों में जन्मजात होती है और वह भाषा की व्यवस्था को पहचानने की शक्ति के साथ पैदा होता है।’’
भाषा अर्जन की विधियाँ
अनुकरण: बालक जब भी भाषा के नए नियम या
व्याकरण के नियम सुनता है, वह उसे बिना अर्थ
जाने दोहराता है। इसके द्वारा वह इन नियमों को आत्मसात कर अपने भाषा प्रयोग में लाने लगता है।
अभ्यास: भाषा के नए नियमों और रूपों का विद्यार्थी बार-बार अभ्यास करते हैं, जिससे नियम उनके भाषा प्रयोग में शामिल हो जाते हैं।
पुनरावृत्ति: बालक भाषा के जिन नियमों या रूपों को बार-बार सुनता है, वही नियम उसे याद हो जाते हैं और वह उसे अपने व्यवहार में लाने लगता है।
भाषा-अधिगम तथा अर्जन पर निम्न परिस्थितियों का प्रभाव पड़ता है:
- परिवेश
- सीखने की इच्छाशक्ति
- सिखाई जाने वाली भाषा का छात्र के जीवन से सम्बन्ध
- छात्र की मानसिक तथा शारीरिक स्थिति
- शिक्षण विधि तथा शिक्षक का व्यवहार
भाषा अधिगम और भाषा अर्जन में अंतर
भाषा अधिगम | भाषा अर्जन |
भाषा अधिगम के लिए जागरूक प्रयास करने पड़ते हैं। | भाषा अर्जन एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और यह अवचेतन रूप में होता है |
भाषा अधिगम के लिए नियम और ग्रामर की जरूरत पड़ती है। | भाषा अर्जन आस पास के वातावरण,आस पास के लोगो के माध्यम से ही सिख जाते है। |
भाषा अधिगम के द्वारा हम पढ़ना लिखना सीखते है। | भाषा अर्जन के द्वारा हम बोलना व समझना सिख जाते है |
भाषा अधिगम में किताब और व्याकरण की जरूरत पड़ती हैं। | भाषा अर्जन में किताब और व्याकरण की जरूरत नही पड़ती। |
See, if you can answer below questions after reading this article:
भाषा सीखने और भाषा अर्जित करने में मुख्य अंतर का आधार है [Language I – Hindi] [CTET-2019-07] | |
Options | A) भाषा-आकलने B) साक्षरता C) पाठ्य सामग्री D) भाषा-परिवेश +-Show Answer D) भाषा-परिवेश |
भाषा अर्जन और भाषा अधिगम में मुख्य अन्तर [Language II – Hindi] [CTET-2013-07] | |
Options | A) भाषा लेखन के अभ्यास का B) पाठ्य पुस्तक के अभ्यासों का अभ्यास करने का C) स्वाभाविकता का D) भाषा के नियमों को स्मरण करने का +-Show Answer C) स्वाभाविकता का |
भाषा सीखने-सिखाने की प्रक्रिया में सबसे कम महत्त्वपूर्ण है [Language II – Hindi] [CTET-2018-12] | |
Options | A) भाषा का आकलन B) भाषा-शिक्षण की पद्धति C) भाषा का परिवेश D) भाषा की पाठ्य-पुस्तक +-Show Answer D) भाषा की पाठ्य-पुस्तक |