भाषा मानव जीवन की एक बहुत ही स्वाभाविक प्रक्रिया है। इसमें बच्चा खेल में सीखता है और पल और परिस्थिति के आधार पर उसकी भाषा का विकास होता है। छात्र पर कोई भाषा थोपी नहीं जाती। इसका विकास भीतर से गतिमान होना चाहिए। भाषा शिक्षण अनौपचारिक होना चाहिए।
अध्यापन में बहुत अधिक औपचारिकता की शुरूआत के कारण, सिखाई जा रही भाषा की प्रकृति कृत्रिम होने की संभावना है। दुनिया के प्रति प्रत्येक व्यक्ति की प्रतिक्रिया अलग होती है, और प्रतिक्रिया में भिन्नता भाषा के उपयोग में आसानी से व्यक्त की जाती है।
छठी कक्षा में व्यक्तित्व भिन्नता के लक्षण प्रकट होने लगते हैं। सभी भाषा कौशलों को मोटे तौर पर सुनने, बोलने, पढ़ने, लिखने और सोचने के कौशल में वर्गीकृत किया जा सकता है।एक अच्छी भाषा शिक्षा में, आपके कौशल का विकास इन चार तरीकों से होगा, जिससे छात्रों को सुनने, बोलने, लिखने और सोचने के अधिक से अधिक अवसर प्राप्त होंगे।
भाषा शिक्षण के लक्ष्य और उद्देश्य | Aims and Objectives of Language Teaching in
Hindi
भाषा के महत्व और पाठ्यचर्या में इसके स्थान को निर्धारित करने के बाद भाषा शिक्षण के उद्देश्यों को जानना आवश्यक है। क्योंकि लक्ष्य के ज्ञान के अभाव में शिक्षक उस नाविक की तरह होता है जिसे अपने लक्ष्य या गंतव्य का पता नहीं होता है, और बच्चा भी उस रास्ते पर एक नाव की तरह होता है, जो लहरों से टकराकर किनारे पर चली जाएगी।शिक्षा एक संपूर्ण प्रक्रिया है।
छात्रों को विभिन्न विषयों से अवगत कराकर शिक्षा के लक्ष्यों को पूरा करने का प्रयास किया जाता है। इसलिए शिक्षा के उद्देश्य को विभिन्न विषयों को पढ़ाने का उद्देश्य मानना अनुचित नहीं होगा, लेकिन भाषा शिक्षण के अपने लक्ष्य होते हैं, जो शिक्षण के माध्यम से ही संभव हैं।
भाषा शिक्षण के कुछ उद्देश्य होते हैं और इन्हीं उदेश्यों की पूर्ति एक भाषा शिक्षक का कर्तव्य होना चाहिए। भाषा शिक्षण के सामान्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं –
1. भाषा शिक्षण ऐसा होना चाहिए कि शुद्ध सरल स्पष्ट एवं प्रभावशाली भाषा में छात्र अपने भावों विचारों और अनुभूतियों की अभिव्यक्ति कर सके।
2 .जो छात्र सही इशारों से बोलकर कविता और प्रदर्शन की कला का आनंद ले सकेंऔर साथ ही साथ अपने मानसिक सुख और दुख की भावनाओं से संतुष्टि प्राप्त कर सकें।
3 .बालक या विद्यार्थी वाक्यांश और लोकोक्तियों से थोड़ा झिझकते हैं इसलिए बालकों के शब्दों वाक्यांशों तथा लोकोक्तियों आदि के कोष में वृद्धि करना भाषा शिक्षण का उदेश्य होना चाहिए।
4.विद्यार्थियों में शिक्षण की विभिन शेलियों से अवगत कराना और उसी के माध्यम से शुद्ध बोलना सिखाना।
5 .भाषा शिक्षण में ये नहीं जरूरी है कि एक भाषा शिक्षक का ये उदेश्य हो कि बच्चे भाषा के अध्ययन को बोझ न समझें इसलिए भाषा ज्ञान सरल भाषा में देना चाहिए।
व्यवहार परिवर्तन हेतु शिक्षण अधिगम व्यवस्था
भाषा शिक्षण के लक्ष्य :- भाषा कोई भी हो सामान्य उदेश्यों को छोड़कर भाषा शिक्षण के कुछ लक्ष्य होने चाहिए जिन्हे निम्नलिखत दिया गया है।
1. शब्दावली बढ़ाने के लिए मुख्य
लक्ष्य :-
किसी भी भाषा शिक्षण का ये मुख्य उद्देश्य होना चाहिए कि Vocabulary अर्थत जिसे हिंदी में शब्दावली कहते हैं उसके विकास के लिए प्रयास करें। भाषा कोई भी चाहे हिंदी हो अंग्रेजी हो या फिर कोई दूसरी भाषा जब तक शब्दावली का विकास नहीं होता है तब तक किसी भी भाषा का लक्ष्य पूरा नहीं हो सकता है। इसके लिए आप विद्यार्थी को रोज Assembly में जिस भाषा का आप शिक्षण करवाते हैं 20 शब्द बोलने के लिए कह सकते हैं या फिर शब्दकोष में रोज Copy पर नोट करने केलिए और
उन्हें याद करने के लिए कह सकते हैं।
2. छात्रों को भाषा ज्ञान के लिए प्रेरित करें :-
जब भी कोई भाषा का ज्ञान दिया जाता है तो उसके लिए एक आदर्श शिक्षक का ये लक्ष्य होना चाहिए कि विद्यार्थी भाषा की अन्तरात्मा तक कैसे पहुँच सकते हैं। किसी भी भाषा शिक्षण में भाषा सीखने के लिए जब तक आप विद्यार्थी को प्रेरित नहीं करेंगे भाषा शिक्षण का लक्ष्य अधूरा रह जाता है। जिस भाषा का आप शिक्षण करवा रहे हैं विद्यार्थियों को उस भाषा में समाचार सुनने और पत्रिका पढ़ने के
लिए प्रेरित करें।
3. उचित व्याकरणिक संरचना का विकास :-
कोई भी भाषा सीखना बोलना और लिखना उस भाषा के व्याकरण पर निर्भर करता है। भाषा शिक्षण का मूल उद्देश्य ही व्याकरण के सभी पहलुओं को सही तरीके से समझना है। एक भाषा को सीखने से पहले और सीखने से पहले आपको इस बात का ज्ञान होना जरूरी है कि वक्त सरंचना कैसे होती है वाक्य के बाद, एक पैराग्राफ के क्या गुण होते हैं और साहित्य और व्याकरण का आपस में क्या सबंध है।
4. भाषाई क्षमता प्रदान करने की कोशिश करें :-
भाषाई क्षमता प्रदान करने की कोशिश का अर्थ है कि आप जिस भाषा का शिक्षण करवाते हैं उसमें वैश्वीकरण लाने कोशिश करें ताकि उस भाषा का ज्ञान अन्य क्षेत्रों में भी फैले अर्थात विकास हो।
5. भाषा शिक्षण में इंटरनेट का उपयोग :-
भाषा शिक्षण का यह लक्ष्य होना चाहिए कि आप जिस भाषा का शिक्षण करवा रहे हैं उसका विकास करने के लिए ऐप, डिक्शनरी, वीडियो, ऑडियो आदि का प्रयोग करें ताकि आपके शिक्षण की कोशिश के साथ
इंटरनेट भी भाषा के विकास के लिए सहायक सिद्ध हो सके।
5. उचित विधि का प्रयोग :- भाषा कोई भी हो चाहे हिंदी हो अंग्रेजी हो उर्दू हो या फिर फ़ारसी जब तक आप उस भाषा को सिखाने के लिए उचित विधि का प्रयोग नहीं करते हैं आपका शिक्षण अधूरा है।
व्यवहार परिवर्तन के उद्देश्य
व्यावहारिक दृष्टि से कक्षा शिक्षण के समय शिक्षक को शिक्षण के उद्देश्य को ध्यान में रखकर शिक्षण करना होता है इन शिक्षण उद्देश्यों का प्रत्यक्ष संबंध अधिगम के उद्देश्य या
व्यवहार परिवर्तनों से होता है।
बी. एस. ब्लूम के अनुसार अधिगम उद्देश्य तीन प्रकार के होते हैं।
1:- ज्ञानात्मक पक्ष
2:- भावात्मक पक्षी
3:- क्रियात्मक पक्ष
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