बालकों के सामाजिक विकास को प्रभावित करने वाले तत्व क्या है? - baalakon ke saamaajik vikaas ko prabhaavit karane vaale tatv kya hai?

Factors Affecting Social Development

Factors Affecting Social Development / सामाजिक विकास को प्रभावित करने वाले कारक

हम पहले ही पढ़ चुके हैं कि शैशवावस्था , बाल्यावस्था और किशोरावस्था में सामाजिक विकास किस प्रकार होता है। सामाजिक विकास को प्रभावित करने वाले कुछ तत्व होते हैं। अगर दूसरे शब्दों में कहें तो सामाजिक विकास कुछ कारकों पर निर्भर करता है। यहां हम उन तत्वों और कारकों का वर्णन करेंगे जो सामाजिक विकास को प्रभावित करते हैं-

सामाजिक विकास को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं:

वंशानुक्रम

वंशानुक्रम बालक की अनेक योग्यताएं निर्धारित करता है। सामाजिक विकास को वंशानुक्रम प्रभावित करता है। परंतु कुछ मनोवैज्ञानिक सामाजिक विकास पर वंशानुक्रम के प्रभाव को कुछ सीमा तक ही मानते हैं।

शारीरिक विकास

जिस बालक का शारीरिक विकास संतोषजनक होता है, उसका सामाजिक विकास भी संतोषजनक होता है।

सोरेन्सन का कहना है- जिस प्रकार अच्छा शारीरिक और मानसिक विकास साधारणत: सामाजिक रूप से परिपक्व होने में सहायता करता है, उसी प्रकार कम शारीरिक और मानसिक विकास बालक के सामाजिक विकास की गति को धीमा कर देता है।

संवेगात्मक विकास

संवेगात्मक विकास भी सामाजिक विकास को प्रभावित करता है। क्रोधी व्यक्ति से सभी घृणा करते हैं, चिड़चिड़े स्वभाव के व्यक्ति को भी कोई पसंद नहीं करता है परंतु मधुर स्वभाव वाला व्यक्ति सभी को अपनी ओर आकर्षित करता है। Factors Affecting Social Development

क्रो एंड क्रो के अनुसार- संवेगात्मक और सामाजिक विकास साथ साथ चलते हैं।

परिवार

बालक का समाजीकरण परिवार में ही आरंभ हो जाते हैं। बालक के घर वाले परिवार में जिस तरह से व्यवहार करते हैं, बालक भी वैसे ही व्यवहार का अनुकरण करता है।

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माता-पिता का दृष्टिकोण

बालक के प्रति माता-पिता का दृष्टिकोण भी उसके सामाजिक विकास को प्रभावित करता है जिस बालक को बहुत अधिक लाड़ प्यार मिलता है उसका सामाजिक विकास अन्य बालकों की अपेक्षा कम होता है।

माता-पिता की आर्थिक स्थिति

जो बालक धनी परिवार से संबंध रखते हैं, उनका सामाजिक विकास संतोषजनक ढंग से होता है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि उनका संपर्क अनेक व्यक्तियों से होता है, जो उसके सामाजिक विकास में सहायक होते हैं। निर्धन परिवार के बालकों का सामाजिक विकास मंद गति से होता है।

विद्यालय का वातावरण

विद्यालय का वातावरण भी सामाजिक विकास को बहुत अधिक प्रभावित करता है, यदि विद्यालय का वातावरण मधुर है तो बालक का सामाजिक विकास संतोषजनक ढंग से होगा। जनतंत्रीय सिद्धांतों पर चलने वाले विद्यालयों में बालकों का सामाजिक विकास अच्छी तरह से होता है।

शिक्षक का मानसिक स्वास्थ्य

बालक के सामाजिक विकास पर शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य का भी काफी प्रभाव पड़ता है यदि शिक्षक अपने छात्रों से सहानुभूति रखता है तो उस बालक का मानसिक विकास अच्छा रहता है। फलस्वरूप उसका मानसिक विकास होता रहता है। योग्य शिक्षकों की देखरेख बालकों के सामाजिक विकास को प्रभावित करती है।

विद्यालय के क्रियाकलाप

वाद विवाद अंत्याक्षरी, शैक्षिक भ्रमण और खेलकूद बालक के सामाजिक विकास को प्रभावित करते हैं। खेल के द्वारा बालक सामाजिक गुणों का विकास करते हैं। जो बालक खेलकूद में भाग नहीं लेते हैं उनका सामाजिक विकास रुक जाते हैं या काफी मंद गति से होता है।

समूह

हरलॉक का कहना है कि- समूह के प्रभाव के कारण बालक सामाजिक व्यवहार का ऐसा प्रशिक्षण प्राप्त करता है, जो समाज द्वारा निश्चित की गई दशाओं में उतनी कुशलता से प्राप्त नहीं किया जा सकता।

उपर्युक्त कारणों के अतिरिक्त भी कुछ अन्य कारण है जो भारत के सामाजिक विकास को प्रभावित करते हैं:

  • परिवार के रीति रिवाज
  • परिवार में बोली जाने वाली भाषा
  • धार्मिक संस्थाएं
  • मनोरंजन के साधन जैसे नाटक सिनेमा रेडियो आदि
  • समाचार पत्र
  • राष्ट्रीय पर्व
  • शिक्षा के अनौपचारिक साधन
  • सामाजिक प्रतियोगिताएं
  • पारिवारिक माहौल इत्यादि।

Factors Affecting Social Development

आर्थिक तत्वसामाजिक-पर्यावरणीय तत्वभौतिक तत्ववंशानुगत तत्व

Answer : B

Solution : सामाजिक विकास में उन मूल्यों, ज्ञान और कौशल को सीखना शामिल है जो बच्चों को दूसरों से प्रभावी ढंग से संबंधित करने और परिवार, स्कूल और समुदाय में सकारात्मक तरीके से योगदान करने में सक्षम बनाता है। बच्चों के सामाजिक कौशल का विकास उनके परिवार की प्रकृति और प्रारंभिक शिक्षा से प्रभावित होता है। अनुभव। इस प्रकार, सामाजिक-पर्यावरणीय तत्व बच्चों के सामाजिक विकास को प्रभावित करते हैं।

वातावरण और संगठित साधनों के कुछ ऐसे विशेष कारक हैं जिनका बालक के सामाजिक विकास की दशा पर निश्चित और विशिष्ट प्रभाव पड़ता है।

सामाजिक विकास को प्रभावित करने वाले कारक

सामाजिक विकास को प्रभावित करने वाले कारक है -

1. परिवार के वातावरण का स्वरूप

परिवार ही वह साधन है जहां बालक का सबसे पहले समाजीकरण होता है। जिस परिवार का वातावरण सामान्यत: पारस्परिक, सुखद और सुन्दर भावनाओं पर आधारित होता है व जिसमें बालकों के प्रति आवश्यक स्नेह व सहानुभूति बनी रहती है। तब ऐसे उत्साहपूर्ण व प्रेरक पारिवारिक परिवेश में बालक के व्यवहार में भी पारस्परिक आधार पर आदान-प्रदान की मधुर सामाजिक भावनाएं विकसित होती है।

2. पास-पड़ोस के परिवेश का प्रभाव

बच्चे का कुछ समय अपने पड़ोसियों के साथ गुजरता है। अत: पड़ोसियों के साथ पारस्परिक अन्त:क्रिया का प्रभाव उसके सामाजिक विकास पर पड़ता है।

3. वंशानुक्रुम

 

मनोवैज्ञानिकों के अनुसार सामाजिक विकास पर वंशानुक्रम का भी प्रभाव पड़ता है। वंशानुक्रम व्यक्ति को शारीरिक तथा मानसिक विकास के साथ-साथ उसके सामाजिक विकास को भी प्रभावित करता है। अनेक सामाजिक गुण व्यक्ति को वंश परम्परा के रूप में अपने पूर्वजों से प्राप्त होते है।

4. शारीरिक तथा मानसिक विकास 

शारीरिक तथा मानसिक विकास का व्यक्ति के सामाजिक विकास से घनिष्ठ संबन्ध होता है। शारीरिक दृष्टि से स्वस्थ तथा विकसित मस्तिष्क वाले बालकों के समाजीकरण की सम्भावनायें अस्तिाक होती है, जबकि अस्वस्थ तथा कम विकसित मस्तिष्क वाले बालकों के समाजीकरण की सम्भावना कम होती है। बीमार, अपंग, शारीरिक दृष्टि से अनाकर्षक, विकश्त मस्तिष्क वाले, अल्प बुद्धि वाले बालक प्राय: सामाजिक अवहेलना तथा तिरस्कार सहते रहते है। जिसके फलस्वरूप उनमें हीनता की भावना विकसित हो जाती है तथा वे अन्य बालकों के साथ स्वयं को समायेाजित करने में कठिनाई का अनुभव करते हैं।

5. संवेगात्मक विकास 

 सामाजिक विकास का एक महत्वपूर्ण आधार संवेगात्मक विकास होता है। संवेगात्मक तथा सामाजिक व्यवहार एक दूसरे के अनुयायी होते हैं। जिन बालकों में प्रेम, स्नेह, सहयोग, हास-परिहास के भाव अद्धिाक होते हैं, वे सभी को अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं तथा स्नेह व आकर्षण का पात्र बन जाते हैं। इसके विपरीत जिन बालकों में ईर्ष्या, द्वेष, क्रोध, घश्णा, नीरसता आदि भाव होते हैं, वे किसी को भी अच्छे नही लगते हैं, तथा ऐसे बालकों की सभी उपेक्षा करते हैं।

6. पालन-पोषण प्रणाली

बालकों में सामाजिक विकास उनके पालन-पोषण के ढंग द्वारा अधिक प्रभावित होता है। जिन बालकों के पालन पोषण में माता-पिता द्वारा उचित दुलार-प्यार दिया जाता है तथा बालकों की देख-रेख उनके द्वारा स्वयं की जाती है, उनमें सामाजिक नियमों को सीखने तथा उनके अनुरूप व्यवहार करने की तीव्र प्रेरणा होती है। अत: ऐसे बालकों का सामाजिक विकास अधिक तीव्र तथा संतोषजनक होती है।

7. सामाजिक वर्ग-भेद

सामाजिक आथिर्क स्थिति के आधार पर समाज को मुख्य मुख्य रूप से तीन वर्गो अर्थात निम्न, मध्य तथा उच्च वर्ग में विभाजित किया जा सकता है। प्रत्येक सामाजिक वर्ग के नियमों, मूल्यों, मानदण्डो, विश्वासों तथा लोकरीतियों में अंतर होता है, इस कारण भिन्न-भिन्न वर्गो के बच्चों के समाजीकरण में अंतर होता है।

8. समाज

समाज का भी बालक के समाजीकरण की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण योगदान रहता है। सामाजिक व्यवस्था बालक के समाजीकरण को एक निश्चित दिशा प्रदान करती है। समाज के कार्य, आदर्श तथा प्रतिमान बालक के सामाजिक दृष्टिकोण का निर्माण करते हैं।

9. विद्यालय

बालक के सामाजिक विकास में उसके विद्यालय की उतनी ही आवश्यकता होती है, जितना कि उसके परिवार की। विद्यालय में बालक नियम, आत्म संयम, अनुशासन, नम्रता जैसे गुणों को लगभग सहज रूप से ही अधिगत कर लेता है। यदि विद्यालय का वातावरण जनतंत्रीय है, तो बालक का विकास अविराम गति से उत्तम रूप ग्रहण करता चला जाता है।

10. अध्यापक

बालकों के सामाजिक विकास पर उनके अध्यापकों का महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। छात्र अपने अध्यापक से उसी के समान व्यवहार करना सीखते हैं। यदि अध्यापक शांत, शिष्ट तथा सहयोगी होता हैं तो छात्रों में भी शिष्टता, धैर्य तथा सहकारिता के गुण विकसित हो जाते हैं। इसके विपरीत यदि शिक्षक अशिष्ट, क्रोधी तथा असहयोगी हैं तो छात्र भी उसी के समान बन जाते हैं।

11. अभिजात समूह

बालक को सामाजिक विकास में उसके सगं ी-साथियों की मंडली की भी प्रभावशाली भूमिका रहती है। समान आयु के बच्चे एक अलग समूह का निर्माण कर लेते है, जो ऐच्छिक होता है। एक बालक की मित्र मंडली, जितनी बड़ी, विषम व जितनी अधिक विभिन्न अभिरूचियों व अभिवश्त्तियों वाली होती है। उतना ही बालक का सामाजिक विकास का क्षेत्र तद्नुसार अधिक देखने में आता है।

12. संस्कृति

 प्रत्येक सस्ंकृति के अपने कछु प्रतिमान, परम्पराएँ मूल्य होते हैं जिन्हें सांस्कृतिक प्रतिमान अथवा प्रतिरूप कहते है। बच्चे अपनी संस्कृति के इन प्रतिरूपों को माता-पिता, शिक्षक आदि के माध्यम से सीख लेते है। इस सीखने में समाजीकरण के कई संरचन सहायक होते हैं, जिसमें प्रत्यक्ष निर्देशन, अनुकरण, निरीक्षण, प्रतिरूपण, प्रबलन आदि मुख्य हैं।

13. प्रचार के माध्यम

बालकों के सामाजिक विकास पर प्रचार के भिन्न-भिन्न माध्यमों जैसे रेडियो, टेलीविजन, सिनेमा, अखबार, मैंगजीन आदि का भी प्रभाव पड़ता है। इन माध्यमों द्वारा भिन्न-भिन्न सामाजिक पहलुओं पर अपने-अपने ढंग से जोर डाला जाता है। बालकों को इन माध्यमों से तरह-तरह की बातें बताई जाती हैं। इन बातों का वे तुलनात्मक अध्ययन एवं विश्लेषण करते हैं, जिससे उनमें सामाजिक सूझ भी विकसित हो जाती है, जो उन्हें विभिन्न तरह के सामाजिक व्यवहार सीखने में मदद करती है।

14. सामाजिक वंचन

जब बालक को अन्य साथियों एवं व्यक्तियों से मिलने जुलने का अवसर नही दिया जाता है तो इससे उनका सामाजिक विकास पर बुरा प्रभाव पड़ता है तथा इस स्थिति को सामाजिक वंचन कहा जाता है। कई बार सामाजिक वंचन अधिक होने से बालकों में असामाजिकता का शीलगुण विकसित होने की सम्भावना बढ़ जाती है।

बालक के सामाजिक विकास को प्रभावित करने वाले तत्व कौन से हैं?

सामाजिक विकास को प्रभावित करने वाले कारक.
परिवार के वातावरण का स्वरूप परिवार ही वह साधन है जहां बालक का सबसे पहले समाजीकरण होता है। ... .
पास-पड़ोस के परिवेश का प्रभाव बच्चे का कुछ समय अपने पड़ोसियों के साथ गुजरता है। ... .
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सामाजिक विकास को प्रभावित करने वाले कारक कौन है?

Solution : सामाजिक विकास में उन मूल्यों, ज्ञान और कौशल को सीखना शामिल है जो बच्चों को दूसरों से प्रभावी ढंग से संबंधित करने और परिवार, स्कूल और समुदाय में सकारात्मक तरीके से योगदान करने में सक्षम बनाता है। बच्चों के सामाजिक कौशल का विकास उनके परिवार की प्रकृति और प्रारंभिक शिक्षा से प्रभावित होता है। अनुभव।

बालक पर सामाजिक का क्या प्रभाव पड़ता है?

बालक के सामाजिक विकास का प्रभाव समाज के सदस्यों के पारस्परिक संबंध समाज के सदस्यों का दृष्टिकोण समाज के मूल्य आदर्श उनके निवास रहन-सहन परंपराएं बालक पर गहरा प्रभाव डालती है। समाज के द्वारा बालक को सामूहिक जीवन की शिक्षा दी जाती है और उनमें प्रेम, सहयोग, सहकार, परोपकार आदि अच्छी आदतें विकसित की जाती है।

बालक के सामाजिक विकास में सबसे महत्वपूर्ण कारक कौन सा होता है?

वंशानुक्रम वंशानुक्रम बालक के सामाजिक विकास को प्रभावित करने वाला महत्त्वपूर्ण कारक है।

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