चीनी कैसे तैयार किया जाता है? - cheenee kaise taiyaar kiya jaata hai?

गन्ना से चीनी निकालने के लिए कैसे? | How to Extract Sugar from Sugarcane? | Hindi | Agriculture

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गन्ना से चीनी निकालने के लिए कैसे? | Read this article in Hindi to learn about how to extract sugar from sugarcane.

चीनी मिलों में गन्ने से चीनी बनाने की संपूर्ण प्रक्रिया निम्नलिखित चरणों में सम्पादित होती है:

1. गन्ने की पेराई:

चीनी, गन्ने के रस से प्राप्त की जाती है । रस, गन्ने की पोरियों की लाखों-करोडों कोशिकाओं में भरा रहता है । अतः गन्ने से रस प्राप्त करने के लिए आवश्यक है कि इन कोशिकाओं की चित्तियों को तोडा जाए । यह काम गन्ने की पेराई करके किया जाता है । पेराई करने के लिए गन्ने को यार्ड में बनी बेल्ट द्वारा लोहे के बेलनों तक पहुंचाया जाता है ।

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बेलनों से पहले, तेज धारदार फरसों से गन्ने के छोटे-छोटे टुकडे कर लिए जाते हैं फिर इन टुकडों को लोहे के बेलनों द्वारा पेरा जाता है । इस प्रकार गन्ने से जो रस निकलता है उसे प्राथमिक रस कहते हैं । रस निकलने के बाद खोई पर पानी छिडक कर उसको फिर से पेरा जाता है ताकि बचा हुआ रस भी निकाला जा सके । इस प्रक्रिया को 2-3 बार दोहराया जाता है ओर इस प्रकार जो रस प्राप्त होता है उसे द्वितीयक रस कहा जाता है ।

2. रस की सफाई:

प्रारंभिक और द्वितीयक रस को मिलाकर मिश्रित रस तैयार किया जाता है मिश्रित रस को छानकर इसमें से छोटे-छोटे गन्ने के टुकड़े, सूखी पत्तियाँ या जडों इत्यादि को अलग कर दिया जाता है । गन्ने के रस का स्वभाव अम्लीय (पी-एच 4.9 से 5.5) होता है और इसमें बहुत से चीनी रहित अवयव जैसे अर्काबनिक अम्ल, कार्बनिक पदार्थ, नाइट्रोजन युक्त पदार्थ इत्यादि मिले रहते हैं ।

इसलिए रस को छानने के बाद उसे उदासीन करने के लिए तथा अशुद्धताओं को निकालने के लिए चूने के पानी या अन्य रसायन जैसे फास्फोरिक एसिड, सल्फर डाई आक्साइड या फिर कार्बन डाईआक्साइड से उपचारित किया जाता है ।

निम्नलिखित दो प्रमुख कारणों की वजह से भी रस की सफाई करना अत्यंत आवश्यक है:

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(i) रस में चीनी रहित तथा अघुलनशील तत्व रस को गाढा रंग प्रदान अपारदर्शी बना देते हैं को रस में से निकालना ताकि रस को रंग-रहित पारदर्शी बनाया जा सके ।

(ii) रस पारदर्शी, रंग-रहित हो जाने के बाद उसे सफेद चमकदार बनाना ताकि चीनी का रंग भी सफेद हो सके ।

रस को साफ करने के लिए सर्वप्रथम उसे चूने के घोल से उपचारित किया जाता है ताकि रस का पी-एच 8 से 8.4 तक पहुंचाया जा सके । तदोपरांत रस को थोडा गर्म किया जाता है । गर्म करने पर रस में विद्यमान अघुलनशील तत्व फट कर रस से अलग हो जाते हैं और जब रस को निथरने के लिए ठंडा किया जाता है तो ये तत्व नीचे बैठ जाते हैं ।

निथरे हुए रस को साईपान द्वारा अलग कर लिया जाता है । नीचे बैठे हुए मटमैले रस को छाना जाता है । छानने के बाद जो ठोस पदार्थ बचते है उसे प्रेसमड के रूप में बाहर फेक दिया जाता है जो बाद में किसान खाद के रूप में गन्ने के खेतों में प्रयोग करते हैं ।

3. रस को उबाल कर गाढा करना:

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साफ शुद्ध किये हुए रस को दो चरणों में गाढा किया जाता है । पहले चरण में 15 ब्रिक्स वाले साफ रस को 60 बिक्स होने तक गाढा किया जाता है । यह प्रक्रिया बहुत से उष्मोत्सर्जकों से सम्पन्न की जाती है । दूसरे चरण में 60 ब्रिक्स वाले शीरे को और ज्यादा गाढा करके 93 से 100 ब्रिक्स तक पहुंचाया जाता है । यह प्रक्रिया वैक्यूम पैन में संपन्न की जाती है और इस प्रक्रिया को दाने तक उबाल कहा जाता है ।

4. दानेदार चीनी बनाना:

ऊष्मा उत्सर्जकों में रस को गाढा करने के बाद उसके गाढे पदार्थ से दानेदार चीनी बनाई जाती है । यह कार्य वैक्यूम पैन में संपन्न किया जाता है । इसको उबालना बहुत कुशलता का कार्य है और इसमें दक्ष व्यक्ति का होना अति अनिवार्य है । इस प्रक्रिया में जो रस गाढा नहीं हो पाता उसे शीरे के रूप में बाहर निकाल दिया जाता है । इस शीरे को ही मोलासिस कहते हैं ।

5. कच्ची चीनी का निर्माण:

कच्ची चीनी बनाने की विधि अत्यंत सरल है । इस विधि में रस को केवल चूने के घोल से उपचारित किया जाता है फिर इसे गर्म करके साफ कर लिया जाता है । इस विधि में थोडा परिवर्तन करके रस को सल्फर डाई आक्साइड और सुपर फास्फेट से उपचारित करके थोडा सा चूना मिला दिया जाता है ताकि रस का पी-एच उदासीन हो जाए ।

इस प्रकार से जो चीनी बनती है वह भूरे रंग की होती है और उस पर शीरे की परत चढी रहती है । इस प्रकार बनी कच्ची चीनी इस्तेमाल करने योग्य नहीं होती तथा इसका फिर से प्रसंस्करण करना होता है ताकि इस पर चढी शीरे की परत निकाल कर इसे इस्तेमाल योग्य बनाया जा सके । आगे की प्रक्रिया दानेदार चीनी बनाने वाली होती है ।

दुनिया के हर भोजन की जान होता मीठा. बिना चीनी के कोई मीठी चीज नही बन सकती. तो आखिर यह चीनी बनती कैसे है. गन्ने से चीनी कैसे बनाई जाती है. गन्ने से चीनी बनने की पूरी प्रक्रिया जानने के लिए यह आर्टिकल पूरा पढे.

चीनी कैसे तैयार किया जाता है? - cheenee kaise taiyaar kiya jaata hai?
गन्ने से चीनी कैसे बनती है


  • खेत से किसानों द्वारा ट्रेक्टर ट्रॉली मे भर कर गन्ना चीनी मिल तक लाया जाता है.
  • किसान द्वारा गन्ना मिल मे देने से पहले उसका वजन किया जाता है ताकि गन्ने की कीमत का भुगतान किया जा सके.
  • मिल मे लाने के बाद गन्ने से भरी ट्रॉली को एक क्रैन की मदद से अनलोडिंग स्टेशन पर खाली किया जाता है .
  • अनलोडिंग स्टेशन से एक दूसरी क्रैन गन्ने को एक कनवेयर बेल्ट पर डालती है जहां से गन्ना आगे बढ़ता है.
  • कनवेयर बेल्ट से होता हुआ गन्ना कृशर मशीन की तरफ आगे बढ़ता है, कृशर गन्ने को बहुत बारीक टुकड़ो मे काट देता है, इस अवस्था मे भी जूस गन्ने मे ही रहता है.

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  • बारीक कटे हुए गन्ने के यह टुकड़े कनवेयर बेल्ट पर होते हुए आगे लगे रोलर की तरफ बढ़ते है, यहाँ रोलर के अत्यधिक प्रेशर से गन्ने के इन टुकड़ो से जूस निकाल जाता है.
  • यहाँ गन्ना दो भागो मे अलग हो जाता है पहला होता है जूस और दूसरा होता है जूस निकालने के बाद बचा हुआ गन्ने का कचरा जिसे बगेस कहा जाता है.
  • यहाँ से गन्ने का बचा हुआ बगेस अलग होकर कनवेयर बेल्ट से होते हुए बाहर चला जाता है.
  • इस बगेस को भट्टी मे जला कर उसकी मदद से मिल मे मौजूद बॉयलर से बिजली बनाई जाती है. यह बगेस चीनी मिल को बिजली देने के काम आता है.
  • जो बगेस बच जाता है उसे स्टोर कर लिया जाता है ताकि जरूरत पड़ने पर उसे बिजली बनाने के काम लिया जा सके.
  • गन्ने के जूस को पम्प की मदद से पाइप से होते हुए आगे की तरफ बढ़ता है.
  • जूस को एक टैंक मे स्टोर किया जाता है.
  • टैंक से निकल कर जूस एक बॉयलर की तरफ बढ़ता है
  • बॉयलर मे जूस को 110 डिग्री पर गरम किया जाता है, गर्म करने के बाद जूस को लगभग 3 घंटे तक ठंडा किया जाता है.
  • गर्म करके ठंडा करने से जूस मे मौजूद अशुद्धियाँ जैसे बारीक कचरा मिट्टी टैंक मे नीचे बैठ जाती है. और साफ जूस ऊपर की तरफ रह जाता है.
  • यह साफ जूस आगे की प्रोसैस के लिया बढ़ जाता है यहाँ जूस मे मौजूद बारीक से बारीक अशुद्धि को एक रोलर पर स्प्रे कर के उसकी की मदद से अलग कर दिया जाता है. जूस से निकालने वाले इस कचरे को महि कहा जाता है.
  • महि एक कनवेयर से होते हुए बाहर निकाल जाती है, कनवेयर बेल्ट के नीचे खड़े हुए ट्रक मे भर कर इस कचरे को बाहर निकाल दिया जाता है.
  • गन्ने के साफ़ जूस को बड़े बड़े 5 टैंक मे गर्म किया जाता है. गर्म से जूस यहाँ गाढ़ा होना शुरू हो जाता है और शुगर सिरप का रूप लेने लगता है. अलग अलग लेवल पर सिरप को गर्म करने से यह गाढ़ा होते हुए क्रिस्टल का रूप लेने लगता है.
  • चीनी के दानों का जो चोकोर आकार होता है उसे चीनी क्रिस्टल कहा जाता है.
  • सिरप जब बहुत गाढ़ा होकर क्रिस्टल का रूप लेने लगता है तब उसमे पहले से तैयार कुछ चीनी डाली जाती है जिसे नुकलियाई कहा जाता है.
  • इसी पहले से बनी चीनी को कॉपी कर सिरप चीनी का रूप लेने लगता है.
  • चीनी के दानों का आकार इस बात पर निर्भर करता है की सिरप को कितना गर्म किया जाता है.
  • चीनी के दाने यहा से कनवेयर बेल्ट पर होते हुए आगे बढ़ते है और एक टैंक मे जाते है.
  • आखरी लेवल पर चीनी के दानों से मोलासिस को अलग किया जाता है, इसके लिए चीनी को एक टैंक मे डाला जाता है जाता इसे 1200आरपीएम पर घुमाया जाता है. यहा चीनी मे गर्म भाप का स्प्रे किया जाता है.
  • इस लेवल पर चीनी से मोलासिस अलग हो जाता है. यहा से निकाल कर चीनी कनवेयर बेल्ट से गुजरती है
  • इस बेल्ट पर अलग अलग आकार की जाली लगी होती है जहां चीनी के दानों को आकार के हिसाब से अलग अलग किया जाता है.

    चीनी बनाने में क्या क्या मिलाया जाता है?

    चीनी बनाने का प्रोसेस गन्ने की चीनी बनाने के लिए सबसे पहले गन्ने का रस निकाला जाता है. चीनी बनाने की प्रकिया के दौरान गन्ने के रस में सल्फर डाई आक्साइड, फोस्फोरिक एसिड आदि मिलाकार रिफाइन किया जाता है. और मटमैले से रंग को साफ करने के लिए उसे जानवरों की हड्डियों से बने कोयले द्वारा साफ किया जाता है.

    चीनी कैसे बनाई जाती है?

    गन्ने से रस निकाला जाता है और उसे उबाला जाता है और उबलते समय समय केमिकल का यूज किया जाता है इस प्रोसेस के द्वारा गन्ने में होने वाले सभी विटामिन्स मिनरल्स को भी निकाल दिया जाता है और चीनी में सिर्फ ग्लूकोज रह जाता है उसके बाद इस चीनी को हड्डियों के कोयले से छाना जाता है और शक्कर तैयार हो जाती है.

    क्या चीनी बनाने में हड्डी का प्रयोग किया जाता है?

    जी हां । यह सच है कि चीनी को सफेद रंग का बनाने के लिए अन्य कई कैमिकल्स के साथ पशुओं की हड्डियों के चूरे का प्रयोग है किया जाता है । इसीलिए चीनी को सफेद जहर भी कहा जाता है ।

    शक्कर कैसे तैयार की जाती है?

    शक्कर गन्ने के पौधे की पत्तियों में प्रकाश संश्लेषण द्वारा बनाई जाती है.
    सूर्य से ऊर्जा कार्बन डाइऑक्साइड और पानी को ऑक्सीजन और ग्लूकोज में बदल देती है.
    संयंत्र को रेशेदार डंठल में पाए जाने वाले मीठे रस में चीनी के रूप में अतिरिक्त ऊर्जा की जरूरत नहीं होती है.