गन्ना से चीनी निकालने के लिए कैसे? | How to Extract Sugar from Sugarcane? | Hindi | Agriculture Article shared by : ADVERTISEMENTS: गन्ना से चीनी निकालने के लिए कैसे? | Read this article in Hindi to learn about how to extract sugar from sugarcane. चीनी मिलों में गन्ने से चीनी बनाने की संपूर्ण प्रक्रिया निम्नलिखित चरणों में सम्पादित होती है: चीनी, गन्ने के रस से प्राप्त की जाती है । रस, गन्ने की पोरियों की लाखों-करोडों कोशिकाओं में भरा रहता है । अतः गन्ने से रस प्राप्त करने के लिए आवश्यक है कि इन कोशिकाओं की चित्तियों को तोडा जाए । यह काम गन्ने की पेराई करके किया जाता है । पेराई करने के लिए गन्ने को यार्ड में बनी बेल्ट द्वारा लोहे के बेलनों तक पहुंचाया जाता है । ADVERTISEMENTS: बेलनों से पहले, तेज धारदार फरसों से गन्ने के छोटे-छोटे टुकडे कर लिए जाते हैं फिर इन टुकडों को लोहे के बेलनों द्वारा पेरा जाता है । इस प्रकार गन्ने से जो रस निकलता है उसे प्राथमिक रस कहते हैं । रस निकलने के बाद खोई पर पानी छिडक कर उसको फिर से पेरा जाता है ताकि बचा हुआ रस भी निकाला जा सके । इस प्रक्रिया को 2-3 बार दोहराया जाता है ओर इस प्रकार जो रस प्राप्त होता है उसे द्वितीयक रस कहा जाता है । प्रारंभिक और द्वितीयक रस को मिलाकर मिश्रित रस तैयार किया जाता है मिश्रित रस को छानकर इसमें से छोटे-छोटे गन्ने के टुकड़े, सूखी पत्तियाँ या जडों इत्यादि को अलग कर दिया जाता है । गन्ने के रस का स्वभाव अम्लीय (पी-एच 4.9 से 5.5) होता है और इसमें बहुत से चीनी रहित अवयव जैसे अर्काबनिक अम्ल, कार्बनिक पदार्थ, नाइट्रोजन युक्त पदार्थ इत्यादि मिले रहते हैं । इसलिए रस को छानने के बाद उसे उदासीन करने के लिए तथा अशुद्धताओं को निकालने के लिए चूने के पानी या अन्य रसायन जैसे फास्फोरिक एसिड, सल्फर डाई आक्साइड या फिर कार्बन डाईआक्साइड से उपचारित किया जाता है । निम्नलिखित दो प्रमुख कारणों की वजह से भी रस की सफाई करना अत्यंत आवश्यक है: ADVERTISEMENTS: (i) रस में चीनी रहित तथा अघुलनशील तत्व रस को गाढा रंग प्रदान अपारदर्शी बना देते हैं को रस में से निकालना ताकि रस को रंग-रहित पारदर्शी बनाया जा सके । (ii) रस पारदर्शी, रंग-रहित हो जाने के बाद उसे सफेद चमकदार बनाना ताकि चीनी का रंग भी सफेद हो सके । रस को साफ करने के लिए सर्वप्रथम उसे चूने के घोल से उपचारित किया जाता है ताकि रस का पी-एच 8 से 8.4 तक पहुंचाया जा सके । तदोपरांत रस को थोडा गर्म किया जाता है । गर्म करने पर रस में विद्यमान अघुलनशील तत्व फट कर रस से अलग हो जाते हैं और जब रस को निथरने के लिए ठंडा किया जाता है तो ये तत्व नीचे बैठ जाते हैं । निथरे हुए रस को साईपान द्वारा अलग कर लिया जाता है । नीचे बैठे हुए मटमैले रस को छाना जाता है । छानने के बाद जो ठोस पदार्थ बचते है उसे प्रेसमड के रूप में बाहर फेक दिया जाता है जो बाद में किसान खाद के रूप में गन्ने के खेतों में प्रयोग करते हैं । ADVERTISEMENTS: साफ शुद्ध किये हुए रस को दो चरणों में गाढा किया जाता है । पहले चरण में 15 ब्रिक्स वाले साफ रस को 60 बिक्स होने तक गाढा किया जाता है । यह प्रक्रिया बहुत से उष्मोत्सर्जकों से सम्पन्न की जाती है । दूसरे चरण में 60 ब्रिक्स वाले शीरे को और ज्यादा गाढा करके 93 से 100 ब्रिक्स तक पहुंचाया जाता है । यह प्रक्रिया वैक्यूम पैन में संपन्न की जाती है और इस प्रक्रिया को दाने तक उबाल कहा जाता है । ऊष्मा उत्सर्जकों में रस को गाढा करने के बाद उसके गाढे पदार्थ से दानेदार चीनी बनाई जाती है । यह कार्य वैक्यूम पैन में संपन्न किया जाता है । इसको उबालना बहुत कुशलता का कार्य है और इसमें दक्ष व्यक्ति का होना अति अनिवार्य है । इस प्रक्रिया में जो रस गाढा नहीं हो पाता उसे शीरे के रूप में बाहर निकाल दिया जाता है । इस शीरे को ही मोलासिस कहते हैं । कच्ची चीनी बनाने की विधि अत्यंत सरल है । इस विधि में रस को केवल चूने के घोल से उपचारित किया जाता है फिर इसे गर्म करके साफ कर लिया जाता है । इस विधि में थोडा परिवर्तन करके रस को सल्फर डाई आक्साइड और सुपर फास्फेट से उपचारित करके थोडा सा चूना मिला दिया जाता है ताकि रस का पी-एच उदासीन हो जाए । इस प्रकार से जो चीनी बनती है वह भूरे रंग की होती है और उस पर शीरे की परत चढी रहती है । इस प्रकार बनी कच्ची चीनी इस्तेमाल करने योग्य नहीं होती तथा इसका फिर से प्रसंस्करण करना होता है ताकि इस पर चढी शीरे की परत निकाल कर इसे इस्तेमाल योग्य बनाया जा सके । आगे की प्रक्रिया दानेदार चीनी बनाने वाली होती है ।
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