चीन और अमेरिका में सबसे ताकतवर कौन है? - cheen aur amerika mein sabase taakatavar kaun hai?

अमेरिका टेक्नोलॉजी के मामले में चीन की ताकत पर चोट करना चाहता है। उसने चाइनीज टेक्नोलॉजी कंपनियों पर अंकुश लगाने के लिए कई कदम उठाएं हैं।

चीन का सपना दुनिया की सबसे बड़ी ताकत (Biggest force in world) बनने की रही है। इसके लिए उसने अमेरिका से सबसे ताकतवर देश का तगमा छीन लेने की ठानी थी। इसके लिए टेक्नोलॉजी के मामले में अमेरिकी बादशाहत को खत्म करना जरूरी था। लेकिन, इस काम में चीन नाकाम रहा है।

टेक्नोलॉजी के फील्ड में अमेरिका से लगातार पिछड़ रहा चीन

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस रिसर्च, ऑपरेटिंग सिस्टम्स और एयरक्राफ्ट मैन्युफैक्चरिंग के मामले में चीन का प्रोगेस अच्छा नहीं रहा है। ऐसा लगता है कि वह जल्द इन क्षेत्रों में अमेरिका से आगे नहीं निकल सकेगा। इसकी वजह यह है कि इन क्षेत्रों में कामयाबी के लिए जो स्पेशियलाइज्ड टैलेंट चाहिए, वह अभी चीन में उपलब्ध नहीं है। उधर, अमेरिका टेक्नोलॉजी के मामले में लगातार नई बुलंदियां हासिल कर रहा है। ये ऐसी टेक्नोलॉजी हैं, जिनसे भविष्य की तस्वीर तय करने वाली हैं।

अमेरिका-चीन की लड़ाई में चीन को ज्यादा नुकसान

कुछ हफ्ते पहले चीन के सबसे भरोसेमंद थिंक टैंक्स में से एक-इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल एंड स्ट्रैटेजिक स्टडीज (IISS) ने एक रिपोर्ट पेश की थी। इसमें एक-दूसरे से आगे निकलने की अमेरिका और चीन की कोशिशों का व्यापक विश्लेषण है। इसमें कहा गया है कि दोनों के बीच बढ़ती दूरी का असर दोनों देशों पर पड़ेगा। लेकिन, ज्यादा नुकसान चीन को होगा। इसकी वजह यह है कि इस लड़ाई में उसकी ज्यादा चीजें दांव पर लगी हैं।

चीन का प्रोग्रेस रोकना अमेरिका का लक्ष्य

अमेरिका टेक्नोलॉजी के मामले में चीन की ताकत पर चोट करना चाहता है। उसने चाइनीज टेक्नोलॉजी कंपनियों पर अंकुश लगाने के लिए कई कदम उठाएं हैं। पहला, उसने कई चाइनीज कंपनियों पर बैन लगा दिया है। इससे ये कंपनियां अमेरिका से कैपिटल और सप्लाई हासिल नहीं कर पाएंगी। दूसरा, अमेरिका ने अपने यहां मौजूद चाइनीज कंपनियों के एक्सपोर्ट पर रोक लगाई है। अमेरिका विज्ञान के क्षेत्र में चीन के साथ सहयोग को भी हतोत्साहित कर रहा है। इन वजहों से अमेरिका और चीन के रिश्ते बहुत खराब हो चुके हैं।

आत्मनिर्भर बनने के लक्ष्य से दूर है चीन

दरअसल, टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अमेरिका के मुकाबले चीन लंबे समय से पिछड़ रहा है। इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल एंड स्ट्रैटेजिक स्टडीज (IISS) ने पहले बताया था कि चीन को 2022 में सप्लाई चेन में बाधा का सामना करना पड़ेगा। चीन को भी इसका डर था। यहीं वजह है कि वह वक्त रहते इस मामले में खुद को आत्मनिर्भर बना लेना चाहता था। लेकिन, अहम टेक्नोलॉजी खुद विकसित करने में वह नाकाम रहा है। इससे सही मायने में आत्मनिर्भर बनने के उसके सपने को बड़ा झटका लगा है।

फ्यूचर टेक्नोलॉजी विकसित करने में चीन नाकाम

उदाहरण के लिए ऑपरेटिंग सिस्टम्स तैयार करने में चीन को ज्यादा सफलता नहीं मिली है। मशहूर मैग्जीन इकोनॉमिस्ट के मुताबिक, चाइनीज कंपनियों ने एंड्रॉयड और एपल के आईओएस जैसे ऑपरेटिंग सिस्टम बनाने की खूब कोशिश की हैं। उन्होंने इसके लिए 2019 से 2021 के दौरान करीब 4 अरब डॉलर का निवेश किया है। चीन की फोन बनाने वाली कंपनी हुवेई को अमेरिका में चिप और सॉफ्टेवयर हासिल करने से रोक दिया गया। आज चीन की ज्यादातर आबादी एंड्रॉयड और आईओएस का उसी तरह से इस्तेमाल करती है, जैसा दूसरे देशों के लोग कर रहे हैं।

रिसर्च और स्टडी के लिए अब भी अमेरिका पहली पसंद

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के फील्ड में भी चीन का प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं है। एआई से जुड़े रिसर्च के मामले में अमेरिका के मुकाबले चीन बहुत पिछड़ चुका है। आज भी एआई के फील्ड में रिसर्च और काम करने वाले लोगों के लिए अमेरिका पहला डेस्टिनेशन है। आप स्थिति का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि आज बड़ी संख्या में चाइनीज स्टूडेंट्स एआई की स्टडी के लिए अमेरिका जाना चाहते हैं। इसमें से ज्याादतर चीन नहीं लौटना चाहते। IISS की रिपोर्ट में कहा गया है कि करीब 88 फीसदी चाइनीज स्टूडेंट्स अमेरिका में रहना चाहते हैं। सिर्फ 10 फीसदी चीन लौटना चाहते हैं।

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भारत, चीन, पाकिस्तान… कौन सा देश है कितना पावरफुल? आंकड़ों में जानें अन्य देशों की भी ताकत

ताकतवर देशों का एक मजबूत आधार होती है, उस देश की सैन्य ताकत. किसी देश के पास मौजूद सैन्य ताकत उस देश के महाशक्ति होने का आधार होता है.

TV9 Bharatvarsh | Edited By:

Updated on: Oct 10, 2022, 11:53 AM IST

दुनिया के महाशक्ति देशों की चर्चा होती है तो उनमें अमेरिका, भारत, चीन समेत कई देशों के नाम आते हैं. इसके पीछे सामाजिक, आर्थिक जैसे कई कारण होते हैं. ताकतवर देशों का एक मजबूत आधार होती है, उस देश की सैन्‍य ताकत. आइए जानते हैं, भारत, अमेरिका, चीन, पाकिस्तान समेत कुछ और भी देशों के पास कितनी ताकत है.

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सबसे पहले बात करते हैं हिंदुस्‍तान यानी अपने देश भारत की. भारत के पास 14.60 लाख से ज्‍यादा सेना हैं. 17 हजार से ज्‍यादा तोप और एंटी टैंक सिस्‍टम है. एयरक्राफ्ट के मामले में भारत काफी मजबूत है.

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पाकिस्‍तान की बात करें तो पाक सेना में 6.51 लाख सैनिक हैं. 6000 से ज्‍यादा लड़ाकू वाहन और 7000 से ज्‍यादा तोप और एंटी टैंक सिस्‍टम है.

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चीन की सेना में 20.35 लाख सैनिक हैं. 20 हजार से ज्‍यादा लड़ाकू वाहन, 26 हजार से ज्‍यादा तोप और एंटी टैंक सिस्‍टम, 5 हजार से ज्‍यादा एयरक्राफ्ट ड्रैगन की सेना को ताकतवर बनाते हैं.

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अमेरिकी सेना में 13.95 लाख सैनिक हैं. 46 हजार से ज्‍यादा लड़ाकू वाहन और 14 हजार से ज्‍यादा एयरक्राफ्ट के साथ अमेरिका बहुत ताकतवर देश है.

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किम जोंग के उत्तर कोरिया में 12.80 लाख सैनिक कार्यरत हैं. 34 हजार से ज्‍यादा तोप और एंटी टैंक सिस्‍टम और 6500 से ज्‍यादा लड़ाकू वाहन इसकी ताकत बढ़ाते हैं.

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बात करें दक्षिण कोरिया की तो यहां 5.55 लाख सैनिक कार्यरत हैं. 7 हजार से ज्‍यादा तोप और एंटी टैंक सिस्‍टम साउथ कोरिया की ताकत हैं. बाकी आंकड़े देखें.

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जापान की सेना में 2.47 लाख सैनिक कार्यरत हैं. 2200 से ज्‍यादा तोप और एंटी टैंक सिस्‍टम, 1700 से ज्‍यादा लड़ाकू वाहन, 1400 से ज्‍यादा एयरक्राफ्ट जापानी सेना की ताकत हैं.

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अमेरिका कितना पावरफुल है?

82.2 प्‍वाइंट के साथ अमेरिका इस सूची में पहले स्‍थान पावदान पर है। 74.6 प्‍वाइंट के साथ चीन इस इंडेक्‍स में दूसरे स्‍थान पर है। चीन अमेरिका से करीब आठ प्‍वाइंट ही पीछे है। इसके बाद 38.7 प्‍वाइंट के साथ जापान तीसरे स्‍थान पर है।

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चीन भारत से आगे क्यों है?

इस डेटा के अनुसार, 2021 में भारत का चीन के साथ व्यापार 125.6 अरब डॉलर पहुँच गया. यह पहली बार है, जब चीन के साथ व्यापार 100 अरब डॉलर से ऊपर पहुँचा है. इसमें भारत ने 97.5 अरब डॉलर का आयात किया है और निर्यात महज़ 28.1 अरब डॉलर का है. आयात और निर्यात दोनों रिकॉर्ड हैं.

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