चेरापूंजी में सबसे ज्यादा बारिश होती है क्या? - cheraapoonjee mein sabase jyaada baarish hotee hai kya?

चेरापूंजी 25.30°N 91.70°E में स्थित है। यह 1484 मीटर (4869 फुट) की औसत ऊंचाई पर स्थित है. यह “खासी हिल्स” के दक्षिणी हिस्से में एक पठार पर स्थित है जिसके सामने की ओर बांग्लादेश के मैदानी इलाके पड़ते हैं। यह पठार आसपास की घाटियों के ऊपर 600 मीटर की ऊंचाई पर है। चेरापूंजी में दक्षिण-पश्चिम और पूर्वोत्तर मानसूनी हवाएं दोनों और से आती हैं जिसके कारण एक लम्बा मानसून सीजन बन जाता है. यह खासी हिल्स के उस और पड़ता है जहाँ पर हवाओं का सबसे अधिक जोर रहता है. सर्दियों में यहाँ पूर्वोतर की ओर ब्रह्मपुत्र घाटी से आने वाली मानसून वर्षा लाती है.

गर्मियों में बंगाल की खाड़ी से आने वाला मानसून बारिश लाता है। मानसून के बादल बांग्लादेश के मैदानों के ऊपर से 400 किमी बेरोक उड़ान भरने के बाद खासी हिल्स से टकराते हैं. ये मैदानों में 2 से 5 कि. मी. के सफ़र के भीतर ही अचानक समुद्र तल १३७० मी की ऊंचाई पर पहुँच जाते हैं. गहरी घाटियों वाली पहाड़ियों की जियोग्राफी कुछ ऐसी है कि नीचे-नीचे उड़ रहे वर्षा-बादल चेरापूजी के आसमान को अचानक भर देते हैं. हवाएं वर्षा बादलों को इन घाटियों से ऊपर की और तीखे ढलानों की और उठा देती हैं. तेजी से ऊपर ऊंचाई पर पहुंचे बादल तेजी से ठन्डे हो कर जम जाते हैं जिससे अचानक तेज बारिश हो जाती है.

चेरापूंजी में वर्षा के लिए मुख्य रूप से यहाँ की पर्वतीय सरंचना को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। दक्षिण की ओर से पहाड़ियों की और उड़ते बदल घाटी में हवा के दबाव से तेजी पाते हैं। बादलों लम्बवत चेरापूंजी से टकराते हैं और बादल तेजी से ऊपर उठ जाते हैं. कोई आश्चर्य नहीं कि भारी वर्षा तब होती है जब हवाएं खासी हिल्स से सीध में टकराती हैं।

चेरापूंजी में औसतन 11,777 मिलीमीटर सालाना वर्षा होती है. इसके नाम सर्वाधिक वर्षा दर्ज करने के दो गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स हैं. पहला, एक साल में सर्वाधिक वर्षा का; अगस्त 1860 और जुलाई 1861 के बीच में 22,987 मिलीमीटर (905.0 इंच) और दूसरा, एक महीने में सर्वाधिक वर्षा का; जुलाई 1861 में 9,300 मिलीमीटर (370 में).

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बचपन से हम जनरल नॉलेज की किताबों में यही पढ़ते आए कि भारत के उत्तर पूर्व में स्थित मेघालय राज्य के चेरापूंजी देश का ही नहीं पूरी दुनिया का सबसे अधिक बारिश वाला शहर है.

  • News18Hindi
  • Last Updated : June 19, 2018, 17:22 IST

    क्या आप जानते हैं कि दुनिया में सबसे ज्यादा बारिश कहां होती है? चेरापूंजी? या मासिनराम? क्या आपके दिमाग में भी यह सवाल सुनकर कुछ देर के लिए एक शक पैदा हो जाता है. बचपन से हम जनरल नॉलेज की किताबों में यही पढ़ते आए कि भारत के उत्तर पूर्व में स्थित मेघालय राज्य के चेरापूंजी देश का ही नहीं पूरी दुनिया का सबसे अधिक बारिश वाला शहर है. लेकिन एकाएक यह शहर बदलकर मासिनराम हो गया. दरअसल, मासिनराम और चेरापूंजी के बीच 15 किलोमीटर का ही अंतर है. गिनीज बुक में दर्ज है कि साल 1985 में मासिनराम में 26,000 मिलीमीटर बारिश हुई थी जो अपने आप में एक रिकॉर्ड रहा.

    बंगाल की खाड़ी से नजदीकी और जमीन से 1491 मीटर की ऊंचाई होने की वजह से यहां साल भर बहुत अधिक नमी रहती है. खासी की पहाड़ियों पर बसे इस छोटे से गांव में हर साल करीब 11,871 मीटर बारिश होती है. इस बारिश से इतना पानी भर सकता है कि दुनिया की कई मशहूर इमारतें डूब सकती हैं.

    दूसरे नंबर पर है चेरापूंजी लेकिन फिर भी है नंबर वन:

    चेरापूंजी में मासिनराम की तुलना में 100 मिलीमीटर कम बारिश होती है. इस तरह यह दुनिया का दूसरा सबसे अधिक बारिश वाला गांव है. दरअसल अगर हम इतिहास में जाकर सबसे अधिक हुई बारिश की बात करें तो उसमें अभी भी चेरापूंजी पहले नंबर पर है. साल 2014 के अगस्त महीने में चेरापूंजी में 26,470 मिलीमीटर की बारिश हुई थी जो मासिनराम से अधिक था. लेकिन अगर हम साल भर का औसत निकालें तो बहुत कम अंतर से ही सही लेकिन मासिनराम दुनिया का सबसे अधिक बारिश वाला स्थान माना जा सकता है.

    टक्कर देने वाले और भी कुछ स्थान हैं:

    मेघालय के मासिनराम और चेरापूंजी के अलावा कोलंबिया के दो ऐसे गांव हैं जो सबसे अधिक बारिश के मामले में इन्हें टक्कर देते हैं. उत्तर पश्चिमी कोलंबिया के शहर लाइओरो और लोपेज डे मिसी ये दो शहर हैं जहां साल भर बारिश होती है. साल 1952 और 1954 के बीच में यहां सालाना 13,473 मिलीमीटर बारिश हुई थी जो मासिनराम की औसत बारिश से अधिक है.

    ये हैं कनूपी छाते

    लेकिन मौसमविदों का मनाना है कि उस समय बारिश को मापने के जो पैमाने प्रयोग किए जाते थे उनको अब नकार दिया गया है. साथ ही कोलंबिया के इन गांवों की बारिश का कई सालों का रिकॉर्ड भी अब खो चुके हैं. अब पिछले 30 सालों के डेटा के आधार पर भारत के मेघालय में स्थित यह दोनों गांव ही पहले और दूसरे नंबर पर आते हैं.

    कैसा है यहां का जीवन:

    किसी भी स्थान पर रहने वाले लोगों का जीवन वहां की जलवायु पर बहुत अधिक निर्भर करता है. मासिनराम और चेरापूंजी में जहां हमेशा मौसम नमी भरा रहता है, लोगों का पहनावा, खान-पान और काम-काज सब कुछ रेगिस्तान में रहने वालों से बिलकुल अलग होते हैं. इन हिस्सों में लगातार बारिश होती रहती है. इस वजह से यहां खेती करने की संभावना नहीं होती. इसीलिए यहां सबकुछ दूसरे गांव और शहरों से आता है. इस सामानों को प्लास्टिक में लपेटकर ड्रायर से सुखाकर बेचा जाता है.

    यहां लोग हमेशा अपने साथ बांस से बनी छतरियां रखते हैं. इन्हें कनूप कहा जाता है. काम पर जाने के लिए लोग प्लास्टिक पहनकर जाते हैं. बारिश की वजह से सड़कें बहुत जल्दी खराब हो जाती हैं. इसीलिए लोगों का बहुत सा समय इनकी मरम्मत में ही लग जाता है. जीवन बहुत मुश्किल है और बारिश इसे और मुश्किल बनाती है.

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    FIRST PUBLISHED : June 15, 2018, 17:07 IST

    क्या चेरापूंजी में हर समय बारिश होती है?

    चेरापूंजी 4869 फुट की ऊंचाई पर खासी हिल्स के दक्षिणी पठार पर स्थित है जहां मानसूनी हवाओं का हर समय जोर बना रहता है। यहां पूर्वोत्तर और दक्षिण-पश्चिमी मानसून की हवाएं आती हैं जिसकी वजह से हर समय मानसून रहता है।

    चेरापूंजी की वार्षिक वर्षा कितनी है?

    चेरापूंजी में औसतन 11,777 मिलीमीटर सालाना वर्षा होती है. इसके नाम सर्वाधिक वर्षा दर्ज करने के दो गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स हैं. पहला, एक साल में सर्वाधिक वर्षा का; अगस्त 1860 और जुलाई 1861 के बीच में 22,987 मिलीमीटर (905.0 इंच) और दूसरा, एक महीने में सर्वाधिक वर्षा का; जुलाई 1861 में 9,300 मिलीमीटर (370 में).

    चेरापूंजी में सर्वाधिक वर्षा क्यों होती है?

    यहां बंगाल की खाड़ी की वजह से काफी ज़्यादा नमी है और 1491 मीटर की ऊंचाई वाले खासी पहाड़ियों की बदौलत यह नमी संघनित भी हो जाती है. यहां औसतन सालाना बारिश 11,871 मिलीमीटर होती है.

    क्या चेरापूंजी में विश्व में सबसे अधिक वर्षा होती है?

    मेघालय के इस स्थान को विश्व में सबसे अधिक वर्षा वाले स्थान के रूप में जाना जाता है। मेघालय में स्थित चेरापूंजी और मासिनराम में सबसे ज़्यादा बारिश होती है। चेरापूंजी में 1012 से. मी़.

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