छोटी दीपावली क्यों मनाई जाती है - chhotee deepaavalee kyon manaee jaatee hai

Diwali 2022 हर साल कार्तिक मास के अमवस्या तिथि के दिन दिवाली पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. इस वर्ष यह पर्व 24 अक्टूबर के दिन मनाया जाएगा. आइए जानते हैं दिवाली क्यों मनाते हैं?

नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क | Diwali 2022 Stories: साल भर के इंतजार के बाद फिर एक बार हर्षोल्लास का पर्व यानि दिवाली पर्व आज धूम-धाम से मनाया जा रहा है। हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि के दिन दीपावली पर्व मनाया जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश जी की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन पूजा करने से और माता लक्ष्मी की आराधना करने से भक्तों को विशेष लाभ मिलता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दिवाली पर्व क्यों मनाई जाती है? अगर नहीं तो बता दें कि दीपावली पर्व से जुड़ी कई कथाएं शास्त्रों में वर्णित हैं। आइए जानते हैं-

दिवाली 2022 कब है? (When is Diwali 2022?)

हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमवस्या तिथि के दिन दिवाली पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार इस वर्ष अमावस्या तिथि 24 अक्टूबर 2022, सोमवार के दिन पड़ रही है। इसलिए दिवाली पर्व भी 24 अक्टूबर के दिन ही मनाया जाएगा। इस दिन लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त 24 अक्टूबर के दिन 8 बजकर 19 मिनट से रात 10 बजकर 55 मिनट तक रहेगा।

क्यों मनाते हैं दिवाली का त्यौहार? (Why Diwali festival is celebrated?)

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को भगवान श्री राम 14 वर्षों के बाद वनवास की समय अवधि पूर्ण करके अपनी जन्मभूमि अयोध्या नगरी लौटे थे। इस उपलक्ष में संपूर्ण अयोध्या वासियों ने दीपोत्सव का आयोजन कर भगवान श्रीराम का स्वागत किया था। तब से हर साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को दीपावली का त्योहार उसी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। साथ ही घरों के साथ-साथ आसपास की जगहों को भी रोशनी से सजाया जाता है।

महाभारत काल में दिवाली क्यों मनाई गई थी?

हिंदू धर्म में प्रख्यात ग्रंथ महाभारत में यह बताया गया है कि कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को पांडव 13 वर्षों का वनवास पूरा कर अपने घर लौटे थे। बता दें कि कौरवों ने उन्हें शतरंज में हराकर 13 वर्षों तक वनवास का दंड दिया था। जब पांडव वापस अपने घर लौट कर आए थे तब उनके घर आगमन की खुशी में नगरवासियों ने दीपोत्सव के साथ उनका स्वागत किया था। मान्यता है कि तब से ही दिवाली पर्व मनाया जाता है।

दिवाली पर माता लक्ष्मी की पूजा क्यों की जाती है? (Lakshmi Puja on Diwali)

शास्त्रों में इस बात का वर्णन मिलता है कि जब देवता और असुर समुद्र मंथन कर रहे थे। तब समुद्र मंथन से 14 रत्नों की उत्पत्ति हुई थी जिनमें से एक माता लक्ष्मी भी थीं। मान्यता है कि कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को माता लक्ष्मी का जन्म हुआ था। इसलिए दिवाली के दिन भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से सुख-समृद्धि, धन, यश और वैभव सभी की प्राप्ति होती है और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।

दिवाली से पहले से पहले छोटी दिवाली क्यों मनाई जाती है? (Why Choti Diwali is Celebrated before Diwali)

शास्त्रों में इस बात का भी वर्णन मिलता है कि जब नरकासुर नामक राक्षस ने तीनों लोकों में अपने आतंक से हाहाकार मचा दिया था। तब सभी देवी-देवता व ऋषि मुनि उसके अत्याचार से परेशान हो गए थे। तब भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। इसी विजय के उपलक्ष में 2 दिन तक खुशियां मनाई गई थी। जिसे नरक चतुर्दशी यानी छोटी दिवाली और दिवाली के रूप में जाना जाता है।

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Edited By: Shantanoo Mishra

छोटी दिवाली क्यों मनाई जाती है

जगमग रोशनी और खुशियों का पंचोत्सव शुरू हो गया। पंचोत्सव के दूसरे दिन छोटी दिवाली होती है, जो कि आज है। श्री गुरू ज्योतिष शोध संस्थान के अध्यक्ष पं. हृदय रंजन शर्मा ने बताया कि आज नरक चतुर्दशी है।...

Sunilकार्यालय संवाददाता,अलीगढ़। Wed, 03 Nov 2021 01:56 PM

जगमग रोशनी और खुशियों का पंचोत्सव शुरू हो गया। पंचोत्सव के दूसरे दिन छोटी दिवाली होती है, जो कि आज है। श्री गुरू ज्योतिष शोध संस्थान के अध्यक्ष पं. हृदय रंजन शर्मा ने बताया कि आज नरक चतुर्दशी है। दीघार्यु की कामना के लिए घरों में दीप जलाए जाएंगे। इस दिन को छोटी दिवाली के नाम से भी जाना जाता है। आज लोग लंबी आयु की कामना करते हुए यम देव को समर्पित दीप जलाएंगे। इससे परिवार के सदस्यों को लंबी आयु प्राप्त होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था। छोटी दिवाली पर पूजन के  समय के विषय में बताया कि दीपदान के लिए सर्वश्रेष्ठ समय शाम 6:15 से रात 9:05 तक है।

छोटी दीवाली क्यों बनाई जाती है?

छोटी दिवाली को क्यों कहते हैं नरक चतुर्दशी? हिंदू मान्यता के मुताबिक, इस दिन भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध किया था। नरकासुर के बंदी गृह में 16 हजार से ज्यादा महिलाएं कैद थीं, जिन्हें भगवान कृष्ण ने आजाद कराया था। तब से छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी के तौर पर मनाया जाता है।

छोटी दीपावली पर किसकी पूजा की जाती है?

Chhoti Diwali 2022: हिंदू धर्म में दिवाली से एक दिन पूर्व छोटी दिवाली मनाने की परंपरा रही है. छोटी दिवाली को धन की देवी मां लक्ष्मी, भगवान गणेश और भगवान कुबेर की पूजा की जाती है. इनके अलावा छोटी दिवाली पर मृत्यु के देवता यमराज की भी पूजा का विशेष महत्व होता है.

बड़ी दीपावली क्यों मनाई जाती है?

राम जी की 14 साल वनवास के बाद वापसी रामायण में बताया गया है कि भगवान श्रीराम जब लंका के राजा रावण का वध कर पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या वापस लौटे तो उस दिन पूरी अयोध्या नगरी दीपों से जगमगा रही थी. भगवान राम के 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या आगमन पर दिवाली मनाई गई थी. हर नगर हर गांव में दीपक जलाए गए थे.

छोटी और बड़ी दिवाली क्यों मनाई जाती है?

तब सभी देवी-देवता व ऋषि मुनि उसके अत्याचार से परेशान हो गए थे। तब भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। इसी विजय के उपलक्ष में 2 दिन तक खुशियां मनाई गई थी। जिसे नरक चतुर्दशी यानी छोटी दिवाली और दिवाली के रूप में जाना जाता है

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