छत्तीसगढ़ का प्राचीनतम रूप कहाँ प्राप्त हुआ था? - chhatteesagadh ka praacheenatam roop kahaan praapt hua tha?

छत्तीसगढ़ का प्राचीन इतिहास, Chhattisgarh Ka Prachin Itihas Ancient History of Chhattisgarh , chhattisgarh ke prachin itihas

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  • छत्तीसगढ़ का प्राचीन इतिहास | Chhattisgarh Ka Prachin Itihas
    • प्राग ऎतिहासिक काल 
    • पूर्व पाषाण काल :-
    • मध्य पाषाण काल :-
    • उतर /नव  पाषाण काल :-
    • पाषाण घेरे :-
    • शैल चित्र :-
    •  लौहपात्र :-
    •  सिंधु घाटी सभ्यता :-
    • वैदिक काल :-
    • उत्तर वैदिक काल:-
    • रामायण काल
    • महाभारत काल
    • महाजनपद काल (राजधानी-श्रावस्ती)
    • मौर्य काल(322 ईशा पूर्व)
    • सातवाहन काल
    • वाकाटक वंश(3-4 सताब्दी)
    • कुषाण काल
    • मेघवंश
    • ध्यान दे :
    • आजीविका
    • ग्रामीण विकास की फ्लैगशिप योजनाओ की जानकारी
    • पंचायतरी राज व्यवस्था 
    • छत्तीसगढ़ सामान्य ज्ञान  
    • इन्हे भी एक-एक बार पढ़ ले ताकि पुरानी चीजे आपको Revise हो जाये :-

प्राग ऎतिहासिक काल 

  • इसे पाषाण काल ( पत्थरो का काल ) भी कहा जाता है | 
  • इसे तीन भगो में बाटा  गया है | 

                     1.पूर्व पाषाण काल  

                     2.पाषाण काल 

                     3.उत्तर /नव  पाषाण काल 

पूर्व पाषाण काल :-

1 . इसकी जानकारी रायगढ के सिघनपुर गुफा से प्राप्त हुई है |  

2 . लाल रंग के छिपकली घड़ियाल सांभर  आदि की चित्रकारी की गई है | 

3. मानव की आओजरो की आकृति चित्रित किया गया है | 

4 .इसकी खोजे 1910 में ऐंडरसन ने किया था | 

5 . इसका प्रकाशन सर्वप्रथम लोचन प्रसाद पाण्डे ने किया था | 

मध्य पाषाण काल :-

1 . इसकी जानकारी रायगढ के कबरा पहाड़ गुफा से प्राप्त हुई है | 

2 लम्बे फलक वाले कुलहाड़ी अर्धचन्द्राकार आकृति में बने थे | 

3.आखेट पर अधिक चित्रों का चित्रण किया गया है 

4. सर्वाधिक जानकारी कबरा  पहाड़ से प्राप्त है |  

उतर /नव  पाषाण काल :-

1. इसकी जानकारी राजनांदगाव के चितवारी डोगरी से प्राप्त हुई है | 

2. जैन धर्म की मूर्तिकला की जानकारी है | 

3. चीनी व्यापारी व ड्रैगन चित्रित है | 

4. इस समय के  लोगे कृषि पर  निर्भर थे | 

5. 27  शैल चित्र प्राप्त हुवे है | 

6. इनकी खोज भगवान दास बघेल व रमेन्द्रनाथ मिश्रा ने  किया था  | 

7. कुछ अवशेष टेरम अर्जुनी से मिले |

पाषाण घेरे :-

1. शवों को दफना कर बड़े पत्थरों से ढक दिया जाता था जिन्हें पाषाण घेरे कहते थे | 

 2. यह  परंपरा आज भी है पर पत्थर का आकार छोटा हो गया है |  

3. इसकी जानकारी करहीभदर  चिरचारी व सोरर  दुर्ग से प्राप्त हुई है | 

4. बस्तर से गढ़धनोरा से 500 पाषाण घेरे प्राप्त हुई है | 

शैल चित्र :-

1. सिंघनपुर  व कबरा पहाड़ की गुफा में दीवारों पर चित्रकारी किया गया है जो रात में भी दिखाई देता है | 

2.  रायगढ़ की बोतल का गुफा सबसे लंबी गुफा है | 

 लौहपात्र :-

1. जोगीमारा सीता बिगरा की गुफा से प्राप्त हुआ है | 

2. मृद भांड मिट्टी के बर्तन करका भाठा बालोदा से प्राप्त हुआ है | 

 सिंधु घाटी सभ्यता :-

1. कोई भी  साक्ष्य छत्तीसगढ़ से प्राप्त नहीं हुए हैं |

वैदिक काल :-

2. कोई भी साक्ष्य छत्तीसगढ़ से प्राप्त नहीं हुए हैं |  

उत्तर वैदिक काल:-

1. नर्मदा नदी का उल्लेख रेवा  नदी के रूप में की गई है | 

2. उत्तर वैदिक काल के लोगों को छत्तीसगढ़ का ज्ञान था | 

रामायण काल

इस काल मै छत्तीसगढ़ दक्षिण कोसल का भाग था। इसकी राजधानी कुशस्थली थी।

●भानुमंत की पुत्री कौशल्या का विवाह राजा दशरथ से हुआ।

●रामायण के अनुसार राम अपना अधिकांश समय सरगुजा के रामगढ की पहाड़ी,सीताबेंगरा की गुफा तथा लक्षमनबेंगरा की गुफा की में ब्यतीत किये।

● खरौद मै खरदूषण का साम्राज्य था।

● बारनवापारा (बलौदाबाजार) मै ‘तुरतुरिया’ बाल्मीकि आश्रम जहां लव – कुश का जन्म हुआ था।

● सिहावा में श्रींगी ऋषि का आश्रम था। लव- कुश का जन्म स्थल मना जाता है।

● शिवरीनारायण में साबरी जी ने श्रीराम जी को झूठे बेर खिलाये थे ।

● पंचवटी (कांकेर) से सीता माता का अपहरण होने की मान्यता है ।

● रामजी के पस्चात कोशल राज्य दो भागों मै बटा

1) उत्तर कोशल-कुश का साम्राज्य

2) दक्षिण कोशल- वर्तमान छत्तीसगढ़

महाभारत काल

महाभारत महाकाव्य के अनुसार छत्तीसगढ़ प्राककोशल भाग था।अर्जुन की पत्नी चित्रांगदा सिरपुर की राजकुमारी थी और अर्जुन पुत्र बभ्रुवाहन की राजधानी सिरपुर था।

● मान्यता है कि महाभारत युद्ध में मोरध्वज और ताम्रध्वज ने भाग लिए थे।

●इसी काल में ऋषभ तीर्थ गुंजी जांजगीर-चाँपा आया था।

●सिरपुर –चित्रांगतपुर के नाम से जाना जाता है।

● रतनपुर को मणिपुर(ताम्रध्वज की राजधानी)

● खल्लारी को खल्वाटिका कहा जाता है , मान्यता है कि महाभारत का लाक्षागृह कांड यही हुआ था।भीम के पद चिन्ह (भीम खोह) का प्रमाण यही मिलता है ।

महाजनपद काल (राजधानी-श्रावस्ती)

इस काल में छत्तीसगढ़ चेदि महाजनपद के अंतर्गत आता था तथा छत्तीसगढ़ को चेदिसगढ़ कहा जाता था।

1.बौद्धधर्म :-

  • बौद्ध ग्रन्थ अवदानशतक मै ह्वेनसांग की यात्रा का वर्णन मिलता है।
  • बौद्ध ग्रन्थ अवदान शतक के अनुसार गौतम बुध सिरपुर आये थे और तीन माह तक समय व्यतीत किया था ।
  • यह जानकारी चीनी यात्री ह्वेनसांग की रचन “सी यु की” से भी पता चलता है ।
  • ह्वेनसांग ने छत्तीसगढ़ को “कियासलो” नाम दिया है । 
  • इसी समय बौद्ध भिक्षुक प्रभु आनंद ने सिरपुर में आनंद कुटी व स्वस्तिक विहार का निर्माण किया था। 

2.जैन धर्म:-

  • भगवती सूत्र के अनुसार महावीर स्वामी की जानकारी आरंग से मिलती है । 
  • पार्शवनाथ की जानकारी नागपुर से मिलती है । 

मौर्य काल(322 ईशा पूर्व)

  1. छत्तीसगढ़ कलिंग देश (उड़ीसा) का भाग था, कलिंग अभिलेख के अनुसार ।
  2. जोगीमारा की गुफा से “सुत्तनुका और देवदत्त “की प्रेम गाथा का वर्णन मिलता है। वे यहाँ नृत्य किया करते थे 
  3. रामगढ़ की पहाड़ी , जोगीमारा की गुफा , सीता बेंगरा मौर्या कालीन स्थल है 
  4. यहाँ से अशोक के खुदे हुए अभिलेख प्राप्त हुए है । जिसकी भाषा पाली है और लिपि ब्राह्मी थी ।
  5. सीता बेंगरा की गुफा विश्व की सबसे प्राचीनतम नाट्यशाल कहा जाता है ।
  6. जांजगीर चाँपा–अकलतरा और ठठारी से मौर्य कालीन सिक्के मिले।
  7. अशोक ने सिरपुर में बौद्ध स्तुप का निर्माण करवाया था। जो अभी प्राकृतिक कारन से नष्ट हो गए है ।
  8. देवगढ़ की पहाड़ी मै स्थित सीताबेंगरा की गुफा को प्राचीनतम नाट्यशाला माना जाता है।
  9. अशोक के सिक्के – अकलतरा , ठठरी बिलासपुर , बर्गों , तारापुर , उड़ेला अदि से प्राप्त हुए है । 

सातवाहन काल

  • सातवाहन शासक ब्राम्हण जाती के थे।
  • राजधानी – प्रतिस्थान , चंद्रपुर , ( महाराष्ट्र  )
  • चंद्रपुर के बार गांव से सातवाहन काल के शासक अपिलक का शिक्का प्राप्त हुआ।
  •  1921 में जांजगीर चाँपा के किरारी गांव के तालाब में काष्ठ स्तम्भ शिलालेख प्राप्त हुआ। जो की वर्तमान में घासीदास संग्रहालय रायपुर में रखा हुआ है ।
  • इस काल के मुद्रा बालपुर(जांजगीर चांपा),मल्हार और चकरबेड़ा (बिलासपुर) से प्राप्त होते है।
  • इस काल के समकालिक शासक खारवेल उड़ीसा का शासक था।
  • पोटीन सिक्का बालपुर , जांजगीर छापा व मल्हार , बिलासपुर से प्राप्त हुआ जिसमे राजा अपिलक का नाम उल्लेख है ।
  • बुढ़ीखार से चतुर्भुज विष्णु की प्रतिमा प्राप्त हुई है 
  • रोम की स्वर्ण मुद्राये बिलासपुर के चक्रबेधा से प्राप्त हुआ है 

नोट:- प्रथम सदी में नागार्जुन छत्तीसगढ़ आया था।

वाकाटक वंश(3-4 सताब्दी)

संस्थापक :- विन्धय्शक्ति 

राजधानी -नंदिवर्धन( नागपुर )

प्रसिद्ध शासक:-

1) महेंद्रसेन -समुद्रगुप्त के दुवारा पराजित ( प्रयाग प्रशस्ति से अभिलेख )

2) रुद्रसेन- चन्द्रगुप्त द्वितीय की बेटी प्रभावती से विवाह किया था । 

3) प्रवरसेन- इसके दरबार में कालिदास थे । 

4) नरेंद्रसेन – इसे नलवंश के राजा भवदत्त ने हराया था । 

5) पृथ्वीसेन- इसने पिता का बदला लेने के लिए भवदत्त के बेटे अर्थपति भट्टारक को हरया तथा पुष्करि ( भोपालपट्नम ) को बर्बाद कर दिया ।

कुषाण काल

  • कनिष्क के सिक्के खरसिया (रायगढ़) से प्राप्त हुआ।
  • इस काल में तांबे के काकानी  सिक्के- टेलीकोट ( रायगढ़ ) बिलासपुर से प्राप्त हुए।
  • इसी समय चार रत्नो में से एक नागार्जुन छत्तीसगढ़ आये थे । 

मेघवंश

  • छत्तीसगढ़ में मेघवंश था लेकिन उतने प्रमाण  स्पष्ट नहीं थे ।
  • सिक्के मल्हार से प्राप्त हुआ।

ध्यान दे :

इस Cg Vyapam ADEO Notes के लिए आपको इस आर्टिकल के लिंक को सम्हाल के रखना होगा , और इस पेज पर बार बार आकर देखना होगा की जब भी इसमें नए chapter को डालेंगे । हर चैप्टर के आगे उस पथ चैप्टर का लिंक आपको मिल जायेगा । Cg Vyapam ADEO Notes | Cg vyapam ADEO Book pdf Download

आजीविका

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ग्रामीण विकास की फ्लैगशिप योजनाओ की जानकारी

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19.निशक्त जनो के लिए योजनाए क्लिक करे
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22.छत्तीसगढ़ में जलग्रहण प्रबंधन क्लिक करे
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पंचायतरी राज व्यवस्था 

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13.पंचायतो पर निर्वाचन का संचालन नियंत्रण एवं उपविधियाँ से सम्बंधित प्रश्न क्लिक करे
16.शास्तियाँ-Cg Vyapam ADEO Notes | Cg vyapam ADEO Book pdf Download क्लिक करे
17.14 वा वित्त आयोग से सम्बंधित प्रश्न क्लिक करे
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छत्तीसगढ़ सामान्य ज्ञान  

1.छत्तीसगढ़ नामकरण क्लिक करे
2.छत्तीसगढ़ के 36 गढ़ क्लिक करे
3.छत्तीसगढ़ राज्य का गठन क्लिक करे
4.छत्तीसगढ़ की भगौलिक स्थिति , क्षेत्र एवं विस्तार क्लिक करे
5.छत्तीसगढ़ का विधायिका क्लिक करे
6.छत्तीसगढ़  में अब तक के राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री क्लिक करे
7.छत्तीसगढ़ की न्यायपालिका क्लिक करे
8.छत्तीसगढ़ के राज्य के प्रतिक क्लिक करे
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10.छत्तीसगढ़ का भूगोल क्लिक करे
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12.छत्तीसगढ़ की जलवायु क्लिक करे
13.छत्तीसगढ़ का अपवाह तंत्र क्लिक करे
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15.छत्तीसगढ़ के जलप्रपात क्लिक करे
16.छत्तीसगढ़ में कृषि सम्बंधित जानकारिया क्लिक करे
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19.छत्तीसगढ़ के उद्योग क्लिक करे
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30.छत्तीसगढ़ का लोक नाट्य क्लिक करे 
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33.छत्तीसगढ़ का चित्रकला क्लीक करे 
31.छत्तीसगढ़ के हस्तशिल्प क्लिक करे
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33.छत्तीसगढ़ के प्रमुख चित्रकार एवं शिल्पकार क्लिक करे
34.छत्तीसगढ़ का प्राचीन इतिहास क्लिक करे
35.छत्तीसगढ़ का मध्यकालीन इतिहास क्लिक करे
36.छत्तीसगढ़ का आधुनिक इतिहास क्लिक करे
39.छत्तीसगढ़ के आदिवासी विद्रोह क्लिक करे
40.छत्तीसगढ़ के स्वतंत्रता आंदोलन क्लिक करे
41.छत्तीसगढ़ के असहयोग आंदोलन क्लिक करे
42.छत्तीसगढ़ में  सविनय अवज्ञा आंदोलन क्लिक करे
43.छत्तीसगढ़ में शिक्षा क्लिक करे
44.छत्तीसगढ़ में प्रथम क्लिक करे

इन्हे भी एक-एक बार पढ़ ले ताकि पुरानी चीजे आपको Revise हो जाये :-

👉नल वंश छत्तीसगढ़

👉सातवाहन वंश

👉कलचुरी वंश छत्तीसगढ़

👉सोनाखान विद्रोह छत्तीसगढ़

👉चम्पारण छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ का प्राचीनतम रूप कहाँ से प्राप्त हुआ था?

इतिहास में इसके प्राचीनतम उल्लेख सन 639 ई० में प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्मवेनसांग के यात्रा विवरण में मिलते हैं। उनकी यात्रा विवरण में लिखा है कि दक्षिण-कौसल की राजधानी सिरपुर थी। बौद्ध धर्म की महायान शाखा के संस्थापक बोधिसत्व नागार्जुन का आश्रम सिरपुर (श्रीपुर) में ही था

छत्तीसगढ़ राज्य का प्राचीन नाम क्या है?

छत्तीसगढ़ प्राचीनकाल के दक्षिण कोशल का एक हिस्सा है और इसका इतिहास पौराणिक काल तक पीछे की ओर चला जाता है। पौराणिक काल का 'कोशल' प्रदेश, कालान्तर में 'उत्तर कोशल' और 'दक्षिण कोशल' नाम से दो भागों में विभक्त हो गया था इसी का 'दक्षिण कोशल' वर्तमान छत्तीसगढ़ कहलाता है।

छत्तीसगढ़ पहले कौन से राज्य में आता था?

1 नवंबर, 2000 यानी 19 साल पहले आज ही के दिन मध्यप्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ राज्य अस्तित्व में आया था

छत्तीसगढ़ के कौन से जिले से प्राचीन अवशेष प्राप्त हुए हैं?

छत्तीसगढ़ के 'गरियाबंद जिले' में प्राचीन बंदरगाह के अवशेष प्राप्त हुए हैं। ⏩ छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 65 किलोमीटर दूर स्थित गरियाबंद जिला स्थित है। इस जिले के पांडुका गाँव की पैरी नदी के पास प्राचीन बंदरगाह के अवशेष प्राप्त हुए हैं। यह अवशेष ढाई हजार वर्ष पुराने हैं