जो कान को मधुर लगती है तथा चित्त को प्रसन्न करती है। इस ध्वनि को संगीत की भाषा में ‘‘नाद’’ कहते हैं। इस आधार पर संगीत मे उपयोगी नाद को स्वर कहते है।
संगीत में स्वर किसे कहते हैं
संगीत में वह शब्द जिसका कोई निश्चित रूप हो और जिसकी कोमलता या तीव्रता अथवा उतारचढाव आदि का सुनते ही सहज अनुमान हो सकें स्वर कहलाता है। भारतीय संगीत में स्वर की संख्या सात है -- षड़ज-स
- ऋषभ-रे
- गांधार-ग
- मध्यम-म
- पंचम-प
- धॅवत-ध
- निषाद-नि।
स्वर की परिभाषा
पं0 ओंकारनाथ ने स्वर की परिभाषा इस प्रकार दी है - ‘‘वह नाद जो किसी प्रकार के आघात से उत्पन्न होता है, जो रंजक हो, जो कान को मधुर लगती है सुख देने वाला हो, जो निश्चित श्रुति स्थान पर रहते हुए भी अपनी जगह स ऊपर या नीचे हटने पर विकृत होता है, और आत्मा की सुख-दःख आदि संवेदनाओं को अभिव्यक्त करने में सहायक हो, उसे ‘स्वर’ कहते है‘‘।
संगीत में स्वर के प्रकार
संगीत में स्वर मुख्य स्वर सात होते हैं - षडज(सा), ऋषभ (रे), गन्धार (ग), मध्यम (म), पंचम (प), धैवत (ध), निषाद (नी) स्वरों के मुख्य दो प्रकार माने जाते हैं।
- शुद्ध स्वर
- विकृत स्वर
2. विकृत स्वर - 5 स्वर ऐसे होते हैं जो शुद्ध तो होते हैं साथ ही साथ विकृत भी होते हैं। जो स्वर अपने निश्चित स्थान से थोड़ा चढे़ अथवा उतरे हुए होते हैं, वे ‘विकृत स्वर’ कहलाते हैं।
विकृत स्वर के भी दो प्रकार होते हैं - क) कोमल विकृत ख) तीव्र विकृत जब कोई स्वर अपने निश्चित स्थान (शुद्धावस्था) से नीचा होता है तो उसे ‘कोमल विकृत’ कहतें हैं और जब कोई निश्चित स्थान से ऊपर होता है तो उसे ‘तीव्र विकृत’ कहते हैं।
सप्तक में षड़ज और पंचम के अतिरिक्त शेष स्वर जैसे रे, ग, ध, नि स्वर कोमल विकृत तथा म तीव्र विकृत होता है।
एक सप्तक में 7 शुद्ध, 4 कोमल और 1 तीव्र स्वर, कुल मिलाकर 12 स्वर होते हैं। इनका क्रम इस प्रकार है:-
स, रे, रे, ग, ग, म, म, प, ध, ध, नी, नि, सां
स्वरों को एक और दृष्टिकोण से विभाजित किया गया है -
- चल स्वर
- अचल स्वर
1. चल स्वर - वे स्वर जो शुद्ध होने के साथ-साथ विकृत (कोमल अथवा तीव्र) भी होते है उन्हे चल स्वर कहते हैं। जैसे रे ,ग ध, नी कोमल और म तीव्र।
2. अचल स्वर - जो स्वर सदैव शुद्ध होते हैं, विकृत कभी नहीं होते, अचल स्वर कहलाते हैं। जैसे - सा (षड़ज) और प (पंचम)।
[ ८ ]संगीत परिचय
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पाठ पहला
प्रश्न—स्वर किसको कहते हैं?
उत्तर—सुरीली और मीठी आवाज जो कानों को भली प्रतीत हो उसे स्वर कहते हैं।
प्रश्न—मूल स्वर कितने होते हैं?
उत्तर—मूल स्वर सात होते हैं।
प्रश्न—मूल स्वरों के पूरे नाम बताओ?
उत्तर—मूल स्वरों के पूरे नाम इस प्रकार हैं।
(१) षडज, (२) ऋषभ, (३) गन्धार, (४) मध्यम, (५) पंचम, (६) धैवत और (७) निषाद्
प्रश्न—मूल स्वरों के आधे नाम बताओ।
उत्तर—मूल स्वरों के आधे नाम हैं:—
स रे ग म प ध नी
प्रश्न—स्वर कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर—स्वर तीन प्रकार के होते हैं। [ ९ ]प्रश्न-तीन प्रकार के स्वरों के नाम बताओ।
उत्तर-शुद्ध, कोमल और तीव्र
प्रश्न-शुद्ध स्वर कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर-शुद्ध स्वर दो प्रकार के होते हैं, चल और अचल।
प्रश्न-चल स्वरों के नाम और संख्या बताओ।
उत्तर-चल स्वर पाँच हैं। उनके नाम ये हैं।
रे ग म ध और नी।प्रश्न-अचल स्वर कितने और कौन-कौन से हैं?
उत्तर-अचल स्वर दो हैं, स और प।
प्रश्न-शुद्ध स्वरों के नाम और संख्या बताओ।
उत्तर-शुद्ध स्वर सात हैं उनके नाम ये है:-
स रे ग म प ध नीप्रश्न-कोमल स्वरों की संख्या और नाम बताओ।
उत्तर-कोमल स्वर चार हैं उनके नाम ये हैं
रे॒ ग॒ ध॒ और नि॒प्रश्न-तीव्र स्वरों के नाम और संख्या बताओ।
उत्तर-तीव्र स्वर केवल एक है और वह म॑ है।
प्रश्न-शुद्ध, कोमल और तीव्र कुल कितने स्वर हैं?
उत्तर-शुद्ध, कोमल और तीव्र कुल १२ स्वर हैं।
प्रश्न-बारह स्वरों में से कितने शुद्ध, कितने कोमल और कितने तीव्र स्वर हैं?
उत्तर-सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र स्वर है।
इसे सुनेंरोकेंसप्तक के तीन प्रकार सामान्यतया प्रचलित गायन वादन में प्रयुक्त होते हैं जिनके नाम है: मन्द्र सप्तक, मध्य सप्तक और तार सप्तक।
सप्तक से आप क्या समझते हैं?
इसे सुनेंरोकेंसप्तक क्रमानुसार सात शुद्ध स्वरों के समूह को कहते हैं। सातों स्वरों के नाम क्रमश: सा, रे, ग, म, प, ध और नि हैं। इसमें प्रत्येक स्वर की आन्दोलन संख्या अपने पिछले स्वर से अधिक होती है। दूसरे शब्दों में सा से जैसे-जैसे आगे बढ़ते जाते हैं, स्वरों की आन्दोलन संख्या बढ़ती जाती है।
थाट का सही क्रम क्या है?
इसे सुनेंरोकेंसप्तक के 12 स्वरों में से 7 क्रमानुसार मुख्य स्वरों के उस समुदाय को ठाट या थाट कहते हैं जिससे राग की उत्पत्ति होती है। थाट को मेल भी कहा जाता है। इसका प्रचलन पं॰ भातखंडे जी ने प्रारम्भ किया। हिन्दी में ‘ठाट’ और मराठी में इसे ‘थाट’ कहते हैं।
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एक सप्तक में कुल कितनी श्रुतियाँ हैं?
इसे सुनेंरोकेंदोनों पद्धतियाँ एक सप्तक में बाईस श्रुतियाँ मानती हैं।
दक्षिण भारतीय संगीत मे कितने सप्तक होते है *?
इसे सुनेंरोकेंपुरातन काल से ही भारतीय स्वर सप्तक संवाद-सिद्ध है। महर्षि भरत ने इसी के आधार पर २२ श्रुतियों का प्रतिपादन किया था जो केवल भारतीय शास्त्रीय संगीत की ही विशेषतशुद्ध स्वर से उपर या नीचे विकृत स्वर आते है। सा और प के कोई विकृत स्वर नही होते। रे, ग, ध और नी के विकृत स्वर नीचे होते है और उन्हे कोमल’ कहा जाता है।
सप्तक किसे कहते हैं और इसके कितने प्रिार होते हैं?
इसे सुनेंरोकेंसात शुद्ध स्वरों के समूह को सप्तक कहते हैं। इन सात स्वरों के नाम हैं, सा रेे ग म प ध नि। हर सप्तक में सा के बाद रे, ग म प ध नि स्वर होते हैं। नि के बाद पुनः सां आता है और यही से दूसरा सप्तक भी शुरू होता है।
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सप्तक के स्थापना का मूल आधार क्या है?
इसे सुनेंरोकेंमें संगीत, एक सप्तक (लातिन: octavus: आठवें) या सही सप्तक है के अंतराल के बीच एक संगीत पिच और एक अन्य आधे के साथ या इसकी आवृत्तिहै । यह द्वारा परिभाषित किया गया है एएनएसआई की इकाई के रूप में आवृत्ति के स्तर जब लघुगणक का आधार दो है ।
कुल कितने थाट होते हैं?
इसे सुनेंरोकेंथाट में 12 स्वरों में से सात स्वर होने चाहिए और इन्हें अनिवार्य रूप से आरोही क्रम में रखा जाना चाहिए। 10 थाट हैं-बिलावल, खमज, कैफी, असावन, भैरवी, भैरव, कल्याण, मारवा, पूर्वी और टोडी।
एक सप्तक में कितने कोमल व कितने तीव्र स्वर होते हैं?
इसे सुनेंरोकेंइस प्रकार एक सप्तक में ७ शुद्ध, ४ कोमल और तीव्र स्वर होता है। कुल मिलाकर बारह स्वर होते हैं।