एमएलसी को कौन चुनता है बिहार? - emelasee ko kaun chunata hai bihaar?

MLC Election 2022: विधानसभा चुनाव के बाद अब उत्तर प्रदेश में एमएलसी सदस्यों को लेकर सियासत गरमा रही है. तो आज जानते हैं एमएलसी सदस्यों का चयन किस तरह होता है.

एमएलसी को कौन चुनता है बिहार? - emelasee ko kaun chunata hai bihaar?

उत्तर प्रदेश विधान परिषद चुनाव (फाइल फोटो)

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 (Uttar Pradesh Assembly Election 2022) होने के बाद अब आगामी विधानपरिषद चुनाव के लिए तैयारियां की जा रही है. अब जल्द ही विधानपरिषद चुनाव (MLC Election) होने हैं और इसके लिए पार्टियों ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. 19 मार्च यानी शनिवार को नामांकन की आखिरी तारीख है और अगले महीने में विधानपरिषद के चुनाव होने वाले हैं. हाल ही में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने भी अपने उम्मीदवारों के नाम जारी कर दिए हैं. एमएलसी चुनाव को लेकर कई तरह के सवाल लोगों के मन में रहते हैं कि आखिर ये क्या है और इनका चुनाव किस तरह होता है.

एमएलसी भारत के सभी राज्यों में नहीं है, तो जानते हैं कि यह कहां कहां है. साथ ही जानते हैं कि एमएलसी सदस्यों का चयन कैसे होता है और इनकी वोटिंग की क्या प्रक्रिया है. दरअसल, जिस तरह संसद में राज्यसभा होती है, ठीक उसी तरह प्रदेश में एमएलसी की नियुक्ति होती है. आइए जानते हैं एमएलसी से जुड़ी खास बातें…

कौन होते हैं एमएलसी सदस्य?

दरअसल, अधिकतर राज्यों में सिर्फ विधानसभा होती है. इसका मतलब है कि इन राज्यों में एक सदनीय विधायिका है. कई राज्यों में विधानमंडल के दो सदन होते हैं, जिसमें विधानसभा और विधानपरिषद शामिल है. जिन राज्यों में द्विसदनीय विधायिका कहा जाता है. यह ठीक उसी तरह है, जैसे संसद में राज्यसभा और लोकसभा है. इसमें लोकसभा को विधानसभा माना जा सकता है जबकि राज्यसभा की तरह विधानपरिषद है.

जिस तरह लोकसभा के सदस्य सीधे जनता द्वारा चुने जाते हैं, वैसा ही विधानसभा के साथ होता है. इसके उलट जिस तरह राज्यसभा सदस्य सीधे जनता द्वारा नहीं बल्कि जनप्रतिनिधियों द्वारा चुने जाते हैं, वैसे ही विधानपरिषद के सदस्य सीधे नहीं चुने जाते हैं. विधानसभा को निचला सदन या लोकप्रिय सदन कहा जाता है और विधानपरिषद को उपरी सदन कहते हैं.

कैसे होता है एमएलसी सदस्यों का चयन?

वैसे तो एमएलसी सदस्यों का चयन भी वोटिंग के जरिए होता है. लेकिन, मतदान की इस प्रक्रिया में आम जनता हिस्सा नहीं लेती हैं. वहीं, इस प्रक्रिया में जनता द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधियों द्वारा एमएलसी सदस्यों का चयन किया जाता है. एमएलसी चुनाव में विधायकों के साथ ही स्थानीय निकाय निर्वाचन क्षेत्र के तहत जिला पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य और नगर निगम या नगरपालिका के निर्वाचित प्रतिनिधि हिस्सा लेते हैं. इनमें कुछ उम्मीदवारों का चयन विधायक और कुछ उम्मीदवारों का चयन 38 सदस्यों को विधायक चुनते हैं. वहीं 36 सदस्यों को स्थानीय निकाय निर्वाचन क्षेत्र के तहत की ओर से किया जाता है.

सीटों का है खास गणित?

विधान परिषद में एक निश्चित संख्या तक सदस्य होते हैं. विधानसभा के एक तिहाई से ज्यादा सदस्य विधान परिषद में नहीं होने चाहिए. जैसे मान लीजिए यूपी में 403 विधानसभा सदस्य हैं तो यूपी विधान परिषद में 134 से ज्यादा सदस्य नहीं हो सकते हैं. इसके अलावा विधान परिषद में कम से कम 40 सदस्य होना जरूरी है. बता दें कि उत्तर प्रदेश विधान परिषद में 100 सीटें हैं और एमएलसी का दर्जा विधायक के ही बराबर होता है.

कहां कहां है विधानपरिषद?

अभी देश में 6 राज्यों में ही विधान परिषद हैं. इसके अलावा बिहार, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में भी विधान परिषद अस्तित्व में है. विधान परिषद के सदस्य का कार्यकाल 6 साल के लिए होता है. चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम 30 साल उम्र होनी चाहिए. यूपी में विधान परिषद के 100 में से 38 सदस्यों को विधायक चुनते हैं. वहीं 36 सदस्यों को स्थानीय निकाय निर्वाचन क्षेत्र के तहत जिला पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य और नगर निगम या नगरपालिका के निर्वाचित प्रतिनिधि चुनते हैं. 10 मनोनीत सदस्यों को राज्यपाल नॉमिनेट करते हैं. इसके अलावा 8-8 सीटें शिक्षक निर्वाचन और स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के तहत आती हैं.

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एमएलसी को कौन चुनता है बिहार? - emelasee ko kaun chunata hai bihaar?

एमएलसी चुनाव का पूरा गणित - फोटो : अमर उजाला

विस्तार

उत्तर प्रदेश देश का एक ऐसा राज्य है जहां विधानसभा के साथ विधान परिषद (एमएलसी ) का भी अस्तित्व है। इसी के लिए मंगलवार को प्रदेश में मतदान हुआ। इसे शिक्षक और स्नातक क्षेत्र के चुनाव भी कहा जाता है। हमारेे देश का संचालन दो सदनों पर निर्भर करता है। केंद्र में इन्हें लोकसभा और राज्यसभा के नाम से जाना जाता है तो राज्य में विधानसभा और विधान परिषद के नाम से। हमारे देश में छह राज्य ऐसे हैं जहां विधान परिषद हैं। इन राज्यों में उत्तर प्रदेश (100 सीटें), महाराष्ट्र (78 सीटें), कर्नाटक (75 सीटें), बिहार (58 सीटें) और तेलंगाना (40 सीटें) शामिल है।      

आखिर क्यों होते हैं ये चुनाव?
हमारे देश का लोकतंत्र प्रतिनिधित्व के सिद्धांत पर चलता है। ऐसे में संविधान निर्माताओं ने इस बात को सुनिश्चित करना चाहा कि भारत के निर्माण में शिक्षकों और स्नातकों की भूमिका होनी चाहिए। विधान परिषद की संरचना और उसका गठन करते समय संविधान निर्माताओं ने इस प्रावधान को शामिल किया था और उसी समय से ये चुनाव हो रहे हैं। शिक्षकों और स्नातकों के कोटे से चुने गए एमएलसी को भी विधायक जितनी ही शक्तियां हासिल होती हैं।

कैसे होता है सदस्यों का चुनाव? 
इसके लिए पैमाना निर्धारित है। विधान परिषद में विधानसभा के एक-तिहाई से ज्यादा सदस्य नहीं हो सकते हैं लेकिन इनकी संख्या 40 से कम भी नहीं होनी चाहिए। इसके एक-तिहाई सदस्यों को विधायक मिलकर चुनते हैं। वहीं एक-तिहाई सदस्यों को नगर निगम, जिला बोर्ड वगैरह के सदस्यों द्वारा चुना जाता है। 1/12 सदस्यों को शिक्षक और 1/12 सदस्यों को रजिस्टर्ड स्नातक चुनते हैं। बाकी सदस्यों को मनोनीत करने का राज्यपाल का विशेषाधिकार है। विधान परिषद के जिन सदस्यों को शिक्षक और स्नातक चुनते हैं, उन्हें चुनने की प्रक्रिया को शिक्षक और स्नातक क्षेत्र का चुनाव कहा जाता है।

कौन चुनाव लड़ सकता है?
हाईस्कूल के शिक्षक, प्रधानाचार्य और कॉलेज के प्रोफेसर चुनाव लड़ सकते हैं। चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम उम्र सीमा 30 साल है। विधान परिषद के सदस्य का कार्यकाल छह साल के लिए होता है।

किसे है मतदान का अधिकार?
इस चुनाव की रोचक बात यह है कि मतदान पहचान पत्र होने के बाद भी आप इसमें हिस्सा नहीं ले सकते हैं। एमएलसी चुनाव में हाईस्कूल और उसके ऊपर पढ़ाने वाले शिक्षक ही वोट डाल सकते हैं। इसके अलावा मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों के शिक्षक को भी मतदान के अधिकार होते हैं। वो शिक्षक ही मतदान कर सकते हैं जिन्हें कम से कम तीन साल पढ़ाने का अनुभव हो। मतदाता बनने के लिए शिक्षक को एक फॉर्म भरना होता है। इस फॉर्म के साथ इस बात सबूत देना होताा है कि आप शिक्षक हैं। इसके बाद आपका नाम मतदाता सूची में आने के बाद आप मताधिकार का प्रयोग कर सकते हैं।

इसी प्रकार स्नातक निर्वाचन सीट के लिए स्नातक करने के तीन साल बाद ही मतदाता सूची में नाम जुड़वाने के लिए आवेदन किया जा सकता है। मतदाता बनने की बाकी सारी प्रक्रिया शिक्षक निर्वाचन की तरह ही होती है। स्नातक निर्वाचन एमएलएसी चुनाव में वही वोट दे सकता है, जो स्नातक हो। इस चुनाव में प्रत्याशी का भी स्नातक होना जरूरी है।

 

यूपी में शिक्षक निर्वाचन की सीटें
बरेली-मुरादाबाद, लखनऊ, गोरखपुर-फैजाबाद, वाराणसी, इलाहाबाद-झांसी, कानपुर, आगरा, मेरठ।

स्नातक निर्वाचन की सीटें
स्नातक निर्वाचन के लिए यूपी में आठ सीटें हैं। ये सीटे हैं लखनऊ, आगरा, मेरठ, वाराणसी, बरेली-मुरादाबाद, गोरखपुर-फैजाबाद, इलाहाबाद-झांसी, कानपुर।

विधान परिषद के चुनाव में कौन कौन भाग लेता है?

निर्वाचन परिषद के लगभग एक तिहाई सदस्य विधान सभा के सदस्यों द्वारा ऐसे व्यक्तियों में से चुने जाते हैं जो इसके सदस्य नहीं हैं। एक तिहाई (1/3) निर्वाचिका द्वारा, जिसमें नगरपालिकाओं के सदस्य, जिला बोर्डों और राज्य में अन्य प्राधिकरणों के सदस्यों सम्मलित हैं, द्वारा चुने जाते हैं।

Bihar विधान परिषद के सदस्य कैसे चुने जाते हैं?

इसके सदस्य अप्रत्यक्ष चुनाव के द्वारा चुने जाते हैं। कुछ सदस्य राज्यपाल के द्वारा मनोनित किए जाते हैं। बिहार विधान परिषद विधानमंडल का अंग है। बिहार विधान परिषद मे कुल 75 सीटे है।

एमएलसी को हिंदी में क्या कहते?

एमएलसी (MLC) यानी विधान परिषद सदस्य का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से होता है इसलिए MLC के चुनाव में जनता वोट नहीं देती है बल्कि कुछ एमएलसी सदस्यों को जनता के प्रतिनिधि वोट देकर चयन करते हैं।

बिहार में विधान परिषद की कितनी सीटें हैं?

अभी बिहार विधान परिषद् में 27 सदस्‍य बिहार विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से, 6 शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से, 6 स्‍नातक निर्वाचन क्षेत्र से, 24 स्‍थानीय प्राधिकार से तथा 12 मनोनीत सदस्‍य हैं ।