प्रश्न 13. फगुनाहट के रंगों में क्या-क्या डूब जाता है? लेखक फागुन को लेकर असमंजस में क्यों है-स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- फगुनहट के रंगों में सूखा-अकाल,घेराव-पथराव, नारे-जुलूस, आन्दोलन-हड़ताल और विरोध-विद्रोह सब डूब जाते हैं। फागुन के आते ही पछिमा बयार समधिन रंग और हुडदंग लिये ऐसी आती कि सब मदमस्त हो सब कुछ भूलकर उसी रंग में रंग जाते हैं और वही राग अलापने लगते हैं जैसे पलाश-अमलतास की जय, चंदा चमेली की जय, गुलाब-गुलसब्बो जिन्दाबाद, मल्लिका-कचनार जिंदाबाद। जब फागुन की बयार चलती है तो आम भी बौरा जाते हैं, मस्त हो जाते हैं, अर्थात् परिवर्तन की लहर जड़ चेतन सबको बदल देती है चारों ओर क्रान्ति की लहर दौड़ पड़ी हो। फगुनहट क्या-क्या बहार नहीं लाती और डेढ़ घड़ी के इस बदलाव के बाद बौरों की भीड़ लेकर फगुनहट का तूफान मेल अपनी गति में चला जाता है और सब कुछ फिर वैसे का वैसा इसलिए लेखक असमंजस में है कि फगुनहट के बाद फिर वही दुख, दुर्दशा और मस्ती कर रंग उतरने के बाद लोगों की वही स्थिति का सामना करना होगा।