- मुख्य पृष्ठ >
- पाठ्यक्रम सत्र 2020-21 >
- नियमित पाठ्यक्रम
नियमित पाठ्यक्रम
अध्ययन का माध्यम : नियमित
1 | एम.ए. हिन्दी साहित्य | -- | 2 वर्ष | स्नातक (संबंधित विषय में) | छमाही | प्रावीण सूची | स्नातकोत्तर | नियमित |
2 | हिन्दी शीघ्रलेखन | -- | 1 वर्ष | 10+2 | छमाही | प्रावीण सूची | पत्रोपाधि | नियमित |
3 | एम्.कॉम वाणिज्य | -- | 2 वर्ष | स्नातक (वाणिज्य) | छमाही | प्रावीण सूची | स्नातकोत्तर | नियमित |
4 | बी.कॉम. | -- | 3 वर्ष | 10+2 (वाणिज्य/गणित) | वार्षिक | प्रावीण सूची | स्नातक | नियमित |
5 | बी.बी.ए. | -- | 3 वर्ष | 10+2 | वार्षिक | प्रावीण सूची | स्नातक | नियमित |
6 | एल.एल.एम. (विधि) | -- | 1 वर्ष | स्नातक विधि (एल.एल.एम् में प्रवेश के वि.वि. प्रवेश परीक्षा मे सफल होना आवश्यक है ) | छमाही | प्रावीण सूची | स्नातकोत्तर | नियमित |
7 | पर्यावरण विधि | -- | 1 वर्ष | स्नातक | छमाही | प्रावीण सूची | स्नातकोत्तर-पत्रोपाधि | नियमित |
8 | सायबर कानून | -- | 1 वर्ष | स्नातक | छमाही | प्रावीण सूची | स्नातकोत्तर-पत्रोपाधि | नियमित |
9 | एम.ए. जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन | -- | 2 वर्ष | स्नातक | छमाही | प्रावीण सूची | स्नातकोत्तर | नियमित |
10 | बी.ए. जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन | -- | 3 वर्ष | 10+2 | वार्षिक | प्रावीण सूची | स्नातक | नियमित |
पाठ्यक्रम सत्र 2020-21
स्टोरी हाइलाइट्स
- एमपी में अटल बिहारी हिंदी यूनिवर्सिटी का अजब गजब कोर्स
- डिप्लोमा के बाद झोलाछाप डॉक्टर भी खोल सकेंगे सेंटर
- 12वीं पास कोई भी कर सकता है एक साल का यह कोर्स
जिन नीम-हकीमों को खतरा-ए-जान कहा जाता है और जिन झोलाछाप डॉक्टरों से लोग तौबा करते हैं. उन्हें भोपाल की अटल बिहारी हिंदी यूनिवर्सिटी अजब-गजब कोर्स कराकर बाकायदा इलाज करने का सर्टिफिकेट देने जा रही है. इस कोर्स का नाम है 'प्राथमिक चिकित्सा विशेषज्ञ डिप्लोमा कोर्स'.
वैसे तो हर कोई दुआ करता है कि नीम-हकीम और झोलाछाप डॉक्टरों से पाला पड़ने से ऊपरवाला बचाए रखे, इनसे इलाज कराने से लोग खौफ खाते हैं. लेकिन भोपाल की अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय ने बाकायदा एक नया कोर्स शुरू किया है. इसका विज्ञापन भी अखबार में दिया गया है.
इस इश्तेहार में पीएम मोदी के रोजगार एवं स्वरोजगार का सपना दिखाकर नीम-हकीम और झोलाछाप डॉक्टरों को महज 24 हजार फीस पर बाकायदा एक साल का डिप्लोमा कोर्स कराए जाने का जिक्र है. इसमें लिखा है 'नीम-हकीम, झोलाछाप डॉक्टर, ए.एन.एम, मेडिकल स्टोर, नर्सिंग होम, स्वास्थ्य विभाग और स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े व्यक्ति और वो सभी जो 12वीं पास हैं प्राथमिक चिकित्सा विशेषज्ञ डिप्लोमा करने हेतु पात्र हैं'.
अखबारों में छपे इस विज्ञापन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और सीएम शिवराज सिंह चौहान की तस्वीरें चस्पा कर साफ अक्षरों में लिखा है कि इस डिप्लोमा के बाद अभ्यर्थी अपना प्राथमिक उपचार केंद्र खोल सकते हैं.
देखें: आजतक LIVE TV
अभ्यर्थी का बैकग्राउंड नहीं देखते- वीसी
इस बारे में 'आजतक' से बात करते हुए अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति रामदेव भारद्वाज ने बताया कि 'कोई भी व्यक्ति जो 12वीं पास है इस कोर्स को कर सकता है. इस में एडमिशन ऑनलाइन होगा. इसकी परीक्षा भी ऑनलाइन होगी और यह एक साल का कोर्स होगा. झोलाछाप हो या कुछ भी हो, 12वीं पास करने के बाद कोई भी व्यक्ति इस कोर्स को कर सकता है. इसमें झोलाछाप का प्रश्न नहीं बल्कि जो पढ़ना चाहता है वे सब पढ़ें, भले ही वह कोई भी हो. वह निजी तौर पर क्या काम करता है, खेती-किसानी करता है, या फिर बाजार में घूमता है, उसका बैकग्राउंड हमारा कंसर्न नहीं है. हमारा कंसर्न है कि जो सिलेबस है उसको वह पढ़े और उसके अनुरूप परीक्षा दे. उसमें यदि वह पास होगा तो उसको सर्टिफिकेट मिलेगा'.
कांग्रेस ने जताया विरोध
ये जानकर हैरानी तो होगी, लेकिन इससे पहले कमलनाथ सरकार में रोजगार के नाम पर गाय हांकने और बैंड बाजा बजाने की ट्रेनिंग देने को लेकर सीएम शिवराज समेत बीजेपी के तमाम नेताओं ने इसका जमकर मजाक उड़ाया था. अब जबकि खुद सत्ता में आने के बाद सरकार के अधीन आने वाली अटल बिहारी हिंदी विश्वविद्यालय में नीम-हकीम और झोलाछाप डॉक्टरों को इस तरह का कोर्स कराया जा रहा है तो कांग्रेस को भी इस पर तंज कसने का मौका मिल गया है.
कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने आजतक से बात करते हुए बताया कि यह बेहद गंभीर और विवादास्पद मामला है क्योंकि नीम-हकीम और झोलाछाप डॉक्टर किस तरह से इलाज करते हैं यह सब जानते हैं. पूर्व में कई बार हमने सुना है कि किस तरह से झोलाछाप डॉक्टर के इलाज के बाद लोगों की जान तक जा चुकी है लेकिन इसके बावजूद पता नहीं क्यों भारतीय जनता पार्टी की सरकार उन्हें कोर्स करवा कर सर्टिफिकेट देने जा रही है.
इसलिए बना था अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय
दरअसल हिंदी के प्रचार प्रसार और हिंदी माध्यम में हर विषय में शिक्षा के लिहाज से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर मध्यप्रदेश की एक मात्र हिंदी यूनिवर्सिटी की स्थापना साल 2011 में की गई थी. लेकिन साल दर साल ये यूनिवर्सिटी हिंदी के क्षेत्र में वो मुकाम हासिल नहीं कर पाई जैसी कि परिकल्पना की गई थी.
वैसे इसमें कोई संदेह नहीं कि मध्यप्रदेश के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर एमबीबीएस और बाकी डिग्रीधारी डाक्टरों की बेहद कमी है, लेकिन सवाल ये है कि क्या इस कमी को पूरा करने के लिए नीम-हकीम और झोलाछाप डॉक्टरों को महज एक कोर्स कराकर इसकी इजाजत देना किसी की जान से खिलवाड़ नहीं तो और क्या है?
ये भी पढ़ें
- NTA JEE Main 2021: 4 बार आयोजित होगी परीक्षा, अपनी सुविधानुसार ऐसे कर सकेंगे अटेम्प्ट
- RRB NTPC CBT 1 Exam City, Date 2020: जारी होने जा रही है एग्जाम डेट, सेंटर की जानकारी