गेहूं में पीलापन का क्या कारण है? - gehoon mein peelaapan ka kya kaaran hai?

गेहूं में पीलापन आने पर करें दवा का छिड़काव

Publish Date: Sat, 21 Jan 2012 08:20 PM (IST)Updated Date: Sat, 21 Jan 2012 08:21 PM (IST)

कृप्या इस समाचार को हैलो जागरण के लोगो सहित लगाएं..

यमुनानगर, जागरण संवाद केंद्र :

गेहूं की फसल में अचानक पीलापन आ गया है। पीलापन आने से किसान काफी चिंतित हैं। किसानों के मन में घर कर गया है कि कहीं पीलापन आने से उत्पादन पर असर न पड़ जाए। फसल में बीमारी का आना किसानों को इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होना भी है। बिजाई के समय अगर किसान सावधानी बरतें तो वे उसमें लगने वाली बीमारी व होने वाले नुकसान से बच सकते हैं। फसल में बीमारी आने पर उससे कैसे बचा जाए, क्या सावधानी बरती जाए। इसके उपचार शनिवार को कृषि उपनिदेशक डॉ. प्रदीप मिल ने किसानों को फोन पर बताए।

डॉ. प्रदीप मिल दैनिक जागरण द्वारा आयोजित हैलो जागरण कार्यक्रम में किसानों की समस्याओं का फोन पर निदान किया। खास बात यह रही कि ज्यादातर किसानों द्वारा किए गए प्रश्नों में गेहूं में आए पीलेपन व अन्य बीमारियों से संबंधित प्रश्न पूछे गए। डॉ. प्रदीप मिल ने किसानों द्वारा पूछे गए सभी प्रश्नों का बड़ी सहजता से जवाब दिया। किसानों ने क्या प्रश्न पूछे और डॉ. प्रदीप मिल द्वारा दिए गए जवाब निम्न प्रकार से हैं:

1. अराईयांवाला गांव से जसबीर सिंह

सवाल: गेहूं में पीलापन आने का कारण क्या है?

जवाब: आपने बिजाई के समय गेहूं में यूरिया की पूरी खुराक नहीं डाली। खेत में मात्र 25 किलो यूरिया ही डाला गया है। सर्दी के कारण पौधे को नाइट्रोजन नहीं मिलने के कारण पीलापन आया है।

2. देवधर से मांगे राम

सवाल: गन्ने की बिजाई कब तक और कौन सी किस्म की करें?

जवाब: गन्ने की फसल अच्छी लेनी है तो 30 फरवरी से 30 मार्च तक बिजाई करें। अच्छी फसल लेने के लिए गन्ने की 8436 किस्म की बिजाई करें।

3. रादौर से जगमोहन सिंह

सवाल : गेहूं की 343 किस्म की बिजाई की है। उत्पादन कैसा होगा?

जवाब: 343 किस्म यहां पर कामयाब नहीं है। इस किस्म में पीला रतुआ सहित अन्य बीमारियां ज्यादा लगती हैं। अगली बार इस किस्म को न लगाएं। गेहूं को पीलेपन से बचाने का तरीका है कि उसमें बिजाई के समय कम से कम दो बैग यूरिया डालें।

4. मालीमाजरा से नीरज कुमार।

सवाल: पाले का गेहूं पर क्या असर पड़ता है।

जवाब: पाले का गेहूं पर किसी तरह का विपरीत असर नहीं पड़ता। इससे घबराने की जरुरत नहीं है।

5. भरत राम

सवाल: गेहूं के साथ पापुलर लगा हो तो कीटनाशक का छिड़काव करते समय क्या सावधानी बरतनी चाहिए?

जवाब: गेहूं के पीलेपन को दूर करने के लिए क्लोडिनोफाक दवा का छिड़काव करना चाहिए। अगर पापुलर पहली बार लगाया है तो उसकी जड़ तक कीटनाशक दवा न जाने दें।

6. साढौरा से बलबीर सिंह

सवाल: गेहूं से मंडूसी को खत्म करने के लिए किस दवा का छिड़काव करें?

जवाब: मंडूसी के खात्मे के लिए कृषि विभाग द्वारा क्लोडिनोफाक दवा 50 प्रतिशत सब्सिडी पर दी जा रही है। एक किसान को पांच एकड़ की दवा दी जा रही है। क्षेत्र के एसडीओ से परमिट बनवाकर दवा ले सकते हैं।

7.शाहपुर से गुरमीत सिंह व बिलासपुर से अमरीक सिंह

सवाल: गेहूं में तेला व चेपा रोग दिखने लगा है, क्या करें?

जवाब: तेला चेपा रोग अक्सर मार्च माह में ही आता है, लेकिन इस बार यह पहले आ गया है। इससे निपटने के लिए 80 एमएल इमिडाक्लोपिड दवा पानी में मिला कर छिड़काव करें।

योजनाओं का फायदा उठाएं किसान :

कृषि उपनिदेशक डॉ. प्रदीप मिल ने किसानों को सलाह दी है कि अगर फसल में पीला रतुआ या अन्य कोई बीमारी हो तो उससे बचने के लिए शीघ्र ही दवा का छिड़काव करें। इस बारे में कृषि विशेषज्ञों से सलाह जरुर लेनी चाहिए। अगर कोई फसल ऐसी है जिसमें बीमारी ज्यादा आती है तो उसका एरिया लगातार नहीं होना चाहिए। उस फसल के अगले खेत में दूसरी फसल लगानी चाहिए ऐसा करने से बीमारी को फैलने से बचाया जा सकता है। उन्होंने किसानों से अपील की है कि वे सरकार द्वारा उनके लिए चलाई जा रही योजनाओं का फायदा उठाएं।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर

  • होम
  • वीडियो
  • सर्च
  • ई-पेपर

  • होम
  • वीडियो
  • सर्च
  • ई-पेपर

  • Hindi News
  • गेहूं की फसल पीला रतुआ की चपेट में, बताए बचाव के तरीके

गेहूं की फसल पीला रतुआ की चपेट में, बताए बचाव के तरीके

मौसममेंबदलाव के कारण इस वर्ष गेहूं की फसल में किसानों को कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। गेहूं की बिजाई के बाद अधिक तापमान रहने के कारण फुटाव कम हुआ जिस कारण कुछ खेतों में गेहूं की बालियां समय से पहले आने लगी। इसके साथ-साथ गेहूं में कुछ खेतों में पीलापन (पीला रतुआ ) आया हुआ है। कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष डॉ. हरिओम ने बताया कि गेहूं के पीला होने के कई कारण हो सकते हैं जैसे कैथल जिले में भूमिगत पानी में नमक की मात्रा का अधिक होना, खेत का लगातार लंबे समय तक गीला रहना या दो या दो से अधिक खरपतवार नाशक दवाओं का मिलाकर प्रयोग करना। यदि गेहूं की फसल खाद डालने के बाद भी पीली है तो इसके लिए किसान भाई किसी फूट वाली दवा या कीड़े-बीमारी की दवा का इस्तेमाल ना करें क्योंकि इस समय फसल में आमतौर पर किसी कीड़े या बीमारी का प्रकोप नहीं है। इसके लिए किसानों को चाहिए कि गेहूं की फसल पर तीन प्रतिशत यूरिया और 0.5 प्रतिशत जिंक सल्फेट का स्प्रे करें। एक एकड़ के लिए छह किलो यूरिया और 1.0 किलो जिंक सल्फेट (33 प्रतिशत ) को 200 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। इससे फसल का पीलापन लगभग ठीक हो जाएगा। यदि आवश्यकता हो तो एक स्प्रे 10 दिन के बाद भी करें। इस स्प्रे से नाइट्रोजन की कमी के साथ-साथ जिंक और सल्फर की कमी भी दूर होगी।

उन्होंने बताया कि पौधों की रुकी हुई ऊर्जा को जल्दी गति में आएगी। इससे खेत में विद्यमान दूसरे उर्वरकों का उपयोग भी बढ़ेगा। पानी में विद्यमान नमक का फसल पर प्रभाव भी कम होगा। खेत में कहीं भी सिंचाई के बाद पानी खड़ा रहने दें। इससे फसल पर नमक का प्रभाव अधिक होगा।

प्रतिदिनखेत में जाकर देखें फसल : वैज्ञानिकडॉ. रमेश वर्मा ने बताया कि किसानों द्वारा लगातार अपने खेतों में गेहूं के पत्तों का निरीक्षण करते रहें। यदि पत्तों पर कोई पीला पाउडर नजर आए तो तुरंत कृषि विज्ञान केंद्र, कैथल के वैज्ञानिकों या अपने कृषि अधिकारी को सूचित करें। यह पीला रतुआ नाम की बीमारी का प्रकोप होता है। यह बीमारी अभी तक कैथल जिले में दिखाई नहीं दी है।

कैथल | गेंहूमें लगी पीले रतुआ की बीमारी।

गेहूं में पीलापन आने पर क्या करें?

इसके लिए किसानों को चाहिए कि गेहूं की फसल पर तीन प्रतिशत यूरिया और 0.5 प्रतिशत जिंक सल्फेट का स्प्रे करें। एक एकड़ के लिए छह किलो यूरिया और 1.0 किलो जिंक सल्फेट (33 प्रतिशत ) को 200 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। इससे फसल का पीलापन लगभग ठीक हो जाएगा। यदि आवश्यकता हो तो एक स्प्रे 10 दिन के बाद भी करें

गेहूं की फसल पीली क्यों हो रही है?

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि फसल में खाद की कमी तथा अधिक समय तक पानी खड़ा रहने से फसल में पीलापन जाता है। इसलिए किसान विशेषज्ञों से सलाह लेकर उचित मात्रा में खाद का प्रयोग करें। मौसम में हो रहे बदलाव से जहां लोगों को सर्दी से कुछ राहत मिली है।

गेहूं में कौन सा जिंक डालना चाहिए?

उन्होंने बताया कि गेहूं फसल कि 45 दिन की अवस्था में फुटाव होने पर 500 ग्राम जिंक सल्फेट 21 प्रतिशत 2.5 किग्रा यूरिया को 100 लीटर पानी में मिला कर एक एकड़ में स्प्रे करें।

गेहूं में कौन सी दवा लेनी चाहिए?

इन खरपतवारों के कारण गेहूं की फसल में 30-45 प्रतिशत की हानि हो सकती है। इसलिए कृषकगण 2-4 डी सोडियम लवण 80 प्रतिशत डब्ल्यूपी 01 लीटर दवा 500-600 लीटर पानी में मिलाकर पहली सिंचाई के बाद स्प्रे करें।

संबंधित पोस्ट

Toplist

नवीनतम लेख

टैग