गुलाब जामुन कहानी के किस पात्र से प्रभावित हुए और क्यों उसे अपने शब्दों में लिखिए? - gulaab jaamun kahaanee ke kis paatr se prabhaavit hue aur kyon use apane shabdon mein likhie?

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गुलाब जामुन में न तो ‘गुलाब’ है और न ही ‘जामुन’, फिर क्यों पड़ा इसका यह नाम, जानिए इसकी दिलचस्प कहानी

अरब देशों में खाई जाने वाली मिठाई लुकमात-अल-कादी और गुलाब जामुन में कई समानताएं हैं. हालांकि इसे तैयार करने का तरीका थोड़ा अलग है. इतिहासविद् माइकल क्रोंडल कहते हैं, लुकमात-अल-कादी और गुलाब जामुन दोनों की उत्पत्ति पर्शियन डिश से हुई है. दोनों का कनेक्शन चाशनी से है.

TV9 Bharatvarsh | Edited By:

Updated on: Nov 27, 2021, 3:09 PM IST

जब भी मिठाइयों का जिक्र होता है तो गुलाब जामुन की बात जरूर होती है. यह भारतीय खानपान का अहम हिस्‍सा है. दिलचस्‍प बात यह है कि इस खास मिठाई में न तो गुलाब है और न ही जामुन, फिर भी इसे गुलाब जामुन क्‍यों कहते हैं. इस मिठाई का नाम गुलाब-जामुन रखने की सटीक वजह इत‍िहास में दर्ज है. इत‍िहास कहता है, इस मिठाई के नाम का कनेक्‍शन पर्शिया से है. 

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पर्शियन शब्‍दावली के मुताबिक, गुलाब दो शब्‍दों से मिलकर बना है. पहला  है ‘गुल’, इसका मतलब है फूल. दूसरा शब्‍द है ‘आब’ मतलब पानी. यानी गुलाब की खुशबू वाला मीठा पानी. जिसे हम आम भाषा में चाशनी कहते हैं, इसे ही तब वहां गुलाब कहा जाता था. दूध से तैयार किए गए खोये से गोलियां बनाई जाती थीं जिसे गहरे रंग होने तक फ्राय किया जाता था. जिसकी तुलना जामुन से की गई थी. इस तरह इसका नाम गुलाब जामुन पड़ा.

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एक थ्‍योरी कहती है, पहली बार गुलाब जामुन को मध्‍ययुग में ईरान में तैयार किया गया था. जिसे तुर्की के लोग बाद में भारत लेकर आए, इस तरह भारत में इसकी शुरुआत हुई. दूसरी थ्‍योरी कहती है, एक बार गलती से मुगल सम्राट शाहजहां के बावर्ची से यह तैयार हो गया था. जिसे काफी पसंद किया गया. धीरे-धीरे यह भारत के हर राज्‍य में फेमस हुआ और मिठाइयों का अहम हिस्‍सा बन गया. 

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अरब देशों में खाई जाने वाली मिठाई लुकमात-अल-कादी और गुलाब जामुन में कई समानताएं हैं. हालांकि इसे तैयार करने का तरीका थोड़ा अलग है. खानपान के इत‍िहास की जानकारी रखने वाले इत‍िहासविद् माइकल क्रोंडल कहते हैं, लुकमात-अल-कादी और गुलाब जामुन दोनों की उत्‍पत्ति पर्शियन डिश से हुई है. दोनों का कनेक्‍शन चाशनी से है.

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दूध के खोये से तैयार होने वाली इस मिठाई को कई नामों से जाना गया. पश्‍चिम बंगाल में इसे पंटुआ, गोलप जैम और कालो जैम के नाम से भी जाना जाता है. मध्‍य प्रदेश का जबलपुर भी गुलाब जामुन के लिए फेमस है. जबलपुर में एक जगह है कटंगी, यहां झुर्रे के रसगुल्‍ले प्रसिद्ध होने के साथ आकार में काफी बड़े भी होते हैं. स्‍वाद और आकार के कारण यहां आने वाला हर इंसान इसका स्‍वाद जरूर चखता है.

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गुलाब जामुन से जुड़ी एक और दिलचस्‍प बात का कनेक्‍शन राजस्‍थान से है. यहां गुलाब-जामुन की सब्‍जी बनाई जाती है. इसमें शक्‍कर की जगह मसालों के साथ ड्राय फ्रूट्स और टमाटर का इस्‍तेमाल किया जाता है. यह सब्‍जी यहां के स्‍थानीय व्‍यंजन का हिस्‍सा है. 

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गुलाब जामुन फटने का क्या कारण है?

गुल मतलब गुलाब और आब मतलब पानी। जिस समय यह भारत आया, उस समय कुछ लोग शक्कर की चाशनी को खुशबू देने के लिए उसमें गुलाब की पंखुड़ियां मिलाते थे। तो उसी से 'गुल' और 'आब' से यह गुलाब हो गया। जामुन जैसा आकार होने की वजह से यह व्यंजन कहलाने लगा 'गुलाब जामुन'।

क्या जानती हो गुलाब जामुन के बारे में?

कैसे पड़ा इस फल का नाम गुलाब जामुन इस फल का नाम गुलाब जामुन इसलिए रखा गया क्योंकि बताया जाता है कि इसका स्वाद बिल्कुल गुलाब जामुन की तरह ही होता है। यह अमरूद की तरह हल्का पीले-हरे रंग का होता है। यह फल पेड़ पर फरवरी में लगना शुरू हो जाता है और अप्रैल- मई तक खाने लायक हो जाता है। इसमें एक बड़ा बीज भी होता है।

गुलाब जामुन का आविष्कार कैसे हुआ?

गुलाब जामुन एक प्रकार का पकवान है जो मैदे, खोये तथा चीनी से बनाया जाता है। गलाब जामुन नामक एक फल भी होता है, जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। गुलाब जामुन एक फ़ारसी भाषा का शब्द है।

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