जानिए क्या अंतर है लोकतंत्र और गणतंत्र में? (Difference between Democracy and Republic)
भारत एक लोकतंत्रात्मक गणराज्य है। जब भी हम लोकतंत्रात्मक गणराज्य की बात करते है तो हमारे पास दो शब्द आते है पहला “लोकतंत्र” और दूसरा “गणतंत्र” आज हम आपको इन्ही दो शब्दो के गुण अर्थ के बारे में बतायेंगे की लोकतंत्र और गणतंत्र में क्या अंतर है ?
जैसा की हम सब जानते है और कहा भी जाता है की ‘लोकतंत्र जनता की शासन है’। अब्राहम लिंकन ने कहा भी है की “लोकतंत्र जनता का, जनता के लिए, और जनता के द्वारा” की जाने वाली शासन ही जनता का शासन यानि लोकतंत्र कहलाता है।
An article by: Deepak Kumar Prajapati
गणतंत्र एक ऐसी शासन प्रणाली होती है जहाँ जनता राज्य के सर्वोच्च पद पर आसीन होने वाले व्यक्ति को चुनती है। गणतंत्र राज्य में सर्वोच्च पद पर आसीन होने वाला व्यक्ति वंशानुगत नहीं होता है अपितु उसे जनता द्वारा चुना जाता है। जापान एक ऐसा देश है, जहाँ लोकतंत्र तो है किन्तु गणतंत्र नहीं है वही अगर हम बात करे ब्रिटेन की तो ब्रिटेन में भी लोकतंत्र है किन्तु गणतंत्र नहीं, क्योंकि वहां राज्य का जो प्रमुख है वह वंशानुगत है। यानि जापान और ब्रिटेन ये दोनों देश लोकतांत्रिक राजतन्त्र है न की लोकतान्त्रिक गणराज्य। हमारा देश भारत लोकतान्त्रिक गणराज्य है और हमें इसका गर्व होना चाहिए।
लोकतंत्र की परिभाषा :
“लोकतंत्र का अर्थ एक ऐसी जीवन पद्ति से है जिसमे स्वतंत्रता, समता, और बंधुता सामाजिक जीवन के मूल सिद्धांत होते है”।
बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर
“लोकतंत्र, अपनी महंगी और समय बर्बाद करने वाली खूबियों के साथ सिर्फ भ्रमित करने का तरीका भर है जिससे जनता को विश्वास दिलाया जा सके की वही शासक है जबकि वास्तविक सत्ता कुछ गिने – चुने लोगों के हाथों ही होती है”।
जार्ज बर्नार्ड शॉ
ऊपर आपने लोकतंत्र के दो विरोधाभाषी परिभाषा को पढ़ा जिसमे एक तरफ बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर सकारात्मक परिभाषा दे रहे है वही दूसरी ओर जार्ज बर्नार्ड शॉ नकारात्मक परिभाषा दे रहे है।
लोकतंत्र शब्द की उत्पत्ति
शब्द लोकतंत्र अंग्रेजी पर्याय ‘डेमोक्रेसी’ से आया है जिसकी उत्पत्ति ग्रीक मूल की शब्द ‘डेमोस’ से हुई है। डेमोस का अर्थ होता है – ‘जन साधारण’ और इसके साथ एक और शब्द जोड़ा गया है ‘क्रेसी’ जिसका अर्थ होता है ‘शासन’ मतलब जन साधारण के द्वारा की जाने वाली शासन।
विद्वान् राजनीतिज्ञ सरटोरी ने अपनी पुस्तक ‘डेमोक्रेटिक थ्योरी’ में लिखा है की राजनिति लोकतंत्र की एक प्रक्रिया है जिसे प्रतियोगी संघर्ष से प्राप्त की जाती है और कुछ लोग इस सत्ता को नेतृत्व प्रदान करते है। सरटोरी का ये भी मानना है की लोकतंत्र एक काफी कठिन शासन होता है ये इतना कठिन है की केवल विशेषज्ञ लोग ही इसे भीड़तंत्र से बचा सकते है। सरटोरी साहब ने अपने परिभाषा में भीड़तंत्र शब्द का इस्तेमाल किया है भीड़तंत्र का मतलब है भीड़ के द्वारा चलाया जाने वाला शासन।
विद्वान हंटिंगटन के अनुसार लोकतंत्र को तीन आधारों पर समझा जा सकता है।
- शासकीय सत्ता का साधन
- सरकार के उद्देश्य
- सरकार चुनने की प्रक्रिया के आधार पर
लोकतंत्र का इतिहास :
अगर हम ऐतिहासिक दृष्टि से अवलोकन करे तो भारत में लोकतंत्रात्मक शासन प्रणाली का आरम्भ पूर्व वैदिक काल से ही हो गया था। प्राचीन काल में भारत में सुदृढ़ लोकतान्त्रिक व्यवस्था विधमान थी और इसका साक्ष्य हमें प्राचीन साहित्य, सिक्कों और अभिलेखों से प्राप्त होते है। विदेशी यात्रियों एवं विद्वानों के वर्णन में भी इस बात का प्रमाण मिलते है वर्तमान संसद की तरह ही प्राचीन समय में परिषदों का निर्माण किया गया था। गणराज्य या संघ की नीतियों का संचालन इन्ही परिषदों द्वारा होता था इसके सदस्यों की संख्या विशाल थी। उस समय के सबसे प्रसिद्ध गणराज्य लिच्छवि की केंद्रीय परिषद में 7,707 सदस्य थे वही योधेय की केंद्रीय परिषद में 5,000 सदस्य थे। वर्तमान संसदीय सत्र की तरह ही परिषदों के अधिवेशन नियमित रूप से होते थे, अगर हम ऋग्वेद तथा कौटिल्य साहित्य को देखे तो हमें वहां चुनाव पद्ति की भी पुष्टि मिलती है।
गणतंत्र
आइये अब जानते है गणतंत्र के बारे में गणतंत्र में दो शब्द शामिल है एक गण और दूसरा तंत्र जहाँ “गण” का अर्थ है “जनता” वहीं “तंत्र” का अर्थ है “शासन” अर्थात गणतंत्र एक ऐसी शासन प्रणाली है जिसमे राज्य का प्रमुख चुना जाता है वह वंशानुगत नहीं होता है।
गणराज्य शब्द की उत्पत्ति
गणराज्य शब्द संस्कृत शब्द गणः जिसका अर्थ ‘जनता’ और राज्यः जिसका अर्थ ‘राज्य या देश’ होता है से लिया गया है।
गणराज्य एक ऐसा देश होता है जहाँ के शासन तंत्र में सैद्धांतिक रूप से देश का सर्वोच्च पद पर आम जनता में से कोई भी व्यक्ति पदासीन हो सकता है। इस तरह के शासन तंत्र को गणतंत्र यानि जनता द्वारा नियंत्रित होने वाली शासन कहलाता है।
लोकतंत्र और प्रजातंत्र इससे अलग होता है। लोकतंत्र वो शासन तंत्र होता जहाँ वास्तव में समान्य जनता या उसके बहुमत के इच्छा
से शासन चलता है, आज विश्व के अधिकांश देश गणराज्य है और इसके साथ लोकतान्त्रिक भी है।
एक गणराज्य या गणतंत्र (लातिन रेस पब्लिका) सरकार का एक रूप है जिसमे देश को एक “सार्वजानिक मामला” माना जाता है, न की शासकों की निजी संस्था या सम्पति। एक गणराज्य के भीतर सत्ता के प्राथमिक पद विरासत में नहीं मिलते है। यह सरकार का एक रूप है जिसके अंतर्गत राज्य का प्रमुख राजा नहीं होता है। गणतंत्र राज्यों में देश का शासन प्रणाली संविधान के द्वारा संचालित होती है, और संविधान
सर्वोच्च होती है जिसमे कानून का शासन होता है।
भारत में 26 नवंबर, 1949 को संविधान अपना लिया गया था। इसके कुछ हिस्से उसी दिन लागु को गई थी, और कुछ हिस्से 26 जनवरी, 1950 को लागु किये गए, क्योंकि 26 जनवरी, 1950 को हमारा संविधान पूर्ण रूप से लागु हो गया था इसीलिए हम सब हर वर्ष इस दिन को हर्षोउल्लास के साथ गणतंत्र दिवस के रूप में मानते है।
धन्यबाद।
जय हिन्द।
जय भारत।