Published on: 16 December 2021, 21:30 pm IST
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गर्भपात शारीरिक और मानसिक दोनों स्तर पर कष्टदायक होता है। और इसके लिए कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। पर कारणों को जानने के साथ ही गर्भपात के बाद सेहत का ख्याल रखना भी जरूरी है।
मिस्कैरेज के बाद अक्स महिलाएं अवसाद, गिल्ट, क्रोध का सामना कर सकती हैं, और संक्रमण से पीड़ित हो सकती है। उनमें खून की कमी का भी जोखिम हो सकता है। गर्भपात कराने वाली महिला को गंभीर पीठ दर्द, खून की कमी, तनाव, हताशा और चिंता का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए उचित देखभाल से इन समस्याओं को नियंत्रित करना जरूरी है।
गर्भपात अगर सुरक्षित हाथों से न करवाया जाए तो यह जान का जोखिम भी हो सकता है। चित्र: शटरस्टॉकयहां बताया गया है कि गर्भपात के बाद अपनी देखभाल कैसे करें:
अच्छा और संतुलित आहार लें
आहार में हरी पत्तेदार सब्जियां, सूखे मेवे, अदरक, लहसुन, तिल और दूध शामिल करें। जंक, प्रोसेस्ड फूड, शक्कर पेय और कोला से बचें। ये चीजें आपकी सेहत पर भारी पड़ सकती हैं। डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही विटामिन डी, आयरन और कैल्शियम जैसे सप्लीमेंट्स लें।
हैवी वर्कआउट करने से बचें
गर्भपात के बाद कपड़े, बर्तन धोने और पानी की बाल्टी उठाने सहित वजन उठाने से बचने की सलाह दी जाती है। ये आपके लिए समस्याग्रस्त हो सकते हैं। बिल्कुल भी व्यायाम न करें और पर्याप्त आराम करें। स्वस्थ रहने के लिए आपके लिए कम से कम आठ घंटे सोना अनिवार्य होगा।
गर्म पानी का सेवन करें
गर्भपात के बाद पानी की कमी हो सकती है। इसलिए कब्ज से बचने और हाइड्रेटेड रहने के लिए गर्म पानी पिएं।
बॉडी मसाज करवाएं
हां, शरीर की आरामदेह मालिश एक अच्छा विचार हो सकता है। आखिरकार, आप इतने दर्द से गुजरी हैं, और आपको शांत और तनाव मुक्त रहने की जरूरत है। मालिश सुखदायक हो सकती है। सरसों या तिल के तेल का प्रयोग गर्भपात के बाद होने वाले दर्द या ऐंठन को कम करने में मदद कर सकता है। इसलिए दर्द को कम करने और शरीर में गर्मी पैदा करने के लिए विशेष रूप से अपने पैरों और हथेलियों की मालिश करें।
हॉट कंप्रेशन कर सकता है आपकी मदद
गर्भपात के बाद, आपको ऐंठन हो सकती है। इसलिए, गर्म बैग दर्द को कम कर सकता है, इससे आप काफी ज्यादा बेहतर महसूस करेगें।
गर्भपात के बाद तुरंत गर्भधारण करने से बचें
अंतिम गर्भपात के तीन महीने बाद आप अपनी गर्भावस्था की योजना बना सकती हैं। यदि गर्भपात छह महीने के बाद हुआ है, तो एक वर्ष के अंतराल की आवश्यकता होती है। आप अबॉर्शन के आठ सप्ताह बाद संभोग करना शुरू कर सकती हैं।
अपना मेडिकल चेक-अप न छोड़ें
यदि आप उनमें से एक हैं जिनका गर्भपात हो चुका है, तो अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें। अपने चिकित्सक को शरीर में किसी भी असामान्य परिवर्तन की रिपोर्ट करें – ये खून की कमी, चक्कर आना, मतली महसूस करना या उल्टी हो सकती है। विशेषज्ञ द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करें, और आप गर्भपात के बाद की दिक्कतों से जल्दी ठीक हो सकेंगी।
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हिंदी न्यूज़इन 6 वजहों से खतरनाक है बार-बार गर्भपात कराना
हमारे देश में गर्भपात के मामलों में पिछले सालों में तेजी से इजाफा हुआ है। खासकर दवाओं से गर्भपात कराने की नई तकनीक आने के बाद गर्भपात के मामले और बढ़ गए हैं। यह चिंता का विषय है, क्योंकि एक तरफ जहां...
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 16 Jun 2016 03:03 PM
हमारे देश में गर्भपात के मामलों में पिछले सालों में तेजी से इजाफा हुआ है। खासकर दवाओं से गर्भपात कराने की नई तकनीक आने के बाद गर्भपात के मामले और बढ़ गए हैं। यह चिंता का विषय है, क्योंकि एक तरफ जहां इससे गर्भपात करना आसान हो गया है, वहीं दूसरी ओर इसके अधिक प्रयोग से शरीर को ऐसे नुकसान हो सकते हैं, जिसकी कल्पना भी आपको डरा देगी। इन खतरों में सबसे ज्यादा चिंताजनक है कैंसर की आशंका।
गर्भपात का शरीर पर दो तरह से असर होता है। कुछ साइड इफेक्ट
तो तुरंत नजर आने लगते हैं, पर कुछ सालों बाद अपना असर दिखाते हैं। पेट दर्द, ब्लीडिंग जैसे लक्षण तुरंत नजर आने लगते हैं, पर कैंसर जैसी बीमारियां सालों बाद अपना असर दिखाती हैं। तमाम शोध इस बात का दावा करते हैं कि जो महिलाएं मां नहीं बनी हैं उन्हें ब्रेस्ट और ओवेरियन कैंसर होने का खतरा अन्य महिलाओं की तुलना में 50 फीसदी अधिक होता है। अगर आपकी उम्र 40 से ज्यादा है और आप मां नहीं बनी हैं, तो एक बार कैंसर का पता लगाने वाले खास टेस्ट जरूर करवा लें। आर्टिमिस हॉस्पिटल की गाइनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर वीणा भट्ट के
अनुसार, ‘गर्भ से बचने के लिए गर्भनिरोधक का प्रयोग करें, गर्भपात से बचें। अगर गर्भपात करवाना जरूरी ही है, तो डॉक्टर की सलाह और देखरेख में ही गर्भपात करवाएं। गर्भपात के बाद खानपान का ध्यान रखें और अधिक वजन न उठाएं।’
गर्भपात के साइड इफेक्ट्स
- पेट में दर्द की शिकायत, उबकाई आना, उल्टी होना, डायरिया, स्पॉटिंग या ब्लीडिंग।
- आर्टिमिस हॉस्पिटल के न्यूरो बिहेवियरल एक्सपर्ट डॉक्टर प्रवीण गुप्ता के अनुसार,‘कई बार देखा गया है कि गर्भपात के बाद महिलाएं डिप्रेशन, मनोबल में कमी, सिर में दर्द, मूड में बार-बार बदलाव जैसी समस्याओं से ग्रस्त हो जाती हैं।’
- तमाम शोध इस बात को प्रमाणित कर चुके हैं कि जो महिलाएं पहले बच्चे का गर्भपात कराती हैं, उन्हें ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा 50 फीसदी तक बढ़ जाता है। दूसरी और तीसरी बार के बाद, यह खतरा और बढ़ता ही जाता है। यह खतरा ऐसी महिलाओं को ज्यादा होता है जो नि:संतान हैं।
- एक बार गर्भपात करवाने से सर्वाइकल कैंसर का रिस्क तो ढाई गुना तक बढ़ जाता है। दो या उससे अधिक गर्भपात कराने पर यह खतरा चार गुना बढ़ जाता है।
- ऐसी महिला जो बार-बार गर्भपात करवाती हैं, उनमें विकलांग बच्चे को जन्म देने का खतरा भी बढ़ जाता है।
- पीआईडी यानी पेल्विक इनफ्लेमेटरी डिजीज, एक जानलेवा बीमारी है। गर्भपात के समय इन्फेक्शन होने पर यह बीमारी जल्दी अपनी जद में ले लेती है।
गर्भपात की गोलियां लेने से पहले ये ध्यान रखें
- पिल्स से कभी-कभी पूरी तरह से गर्भपात नहीं हो पाता। ऐसे में पिल्स लेने के दो हफ्ते बाद रुटीन चेकअप जरूर करवा लें।
- अगर आप हृदय रोग, अस्थमा, डायबिटीज, एनीमिया या अन्य बीमारी से पीड़ित हैं तो पिल्स बिल्कुल न लें। एचआईवी से ग्रस्त महिलाओं को भी यह पिल्स नहीं दी जाती।
- अगर ठीक तरह से गर्भपात नहीं हुआ है तो ऐसे में इन्फेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है।
- अगर फेलोपियन ट्यूब में किसी तरह का जख्म हो जाता है तो ऐसे में महिला का भविष्य में मां बन पाना मुश्किल हो जाता है।
गर्भपात के बाद इन्हें न करें नजरअंदाज
- पेट या कमर में नियमित दर्द। खड़े होने पर परेशानी।
- सामान्य पीरियड्स के मुकाबले अधिक ब्लीडिंग।
- 100 से अधिक बुखार।
- गंधयुक्त डिस्चार्ज।
- गर्भवती होने के लक्षण।