हिंदी गद्य के विकास से संबंधित प्रश्न UP Board Class 10 Hindi हिन्दी गद्य के विकास का संक्षिप्त परिचय हिंदी गद्य के विकास का संक्षिप्त परिचय दिया जा रहा है।ये प्रश्न ५ अंक के पूछे जाते है। up board class 10 hindi book solution up board solution class 10 hindi हिंदी गद्य साहित्य का विकास हिंदी गद्य का विकास एवं विधाओं पर आधारित प्रश्न हिंदी गद्य के विकास से संबंधित प्रश्नहिंदी गद्य के विकास से संबंधित प्रश्न हिन्दी गद्य के विकास का संक्षिप्त परिचय प्रिय मित्रों , उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद् द्वारा कक्षा १० व १२ के अंतर्गत UP Board Class 10 Hindi हिंदी गद्य के विकास का संक्षिप्त परिचय दिया जा रहा है।ये प्रश्न ५ अंक के पूछे जाते है। up board class 10 hindi book solution आप यहाँ से सभी महत्वपूर्ण प्रश्नों का अध्ययन करके अपनी परीक्षा में अधिक से अधिक अंक उठा सकते हैं।up board solution class 10 hindi आप सभी के उज्जवल भविष्य की हिंदीकुंज।कॉम कामना करता है। प्र.१. गद्य किसे कहते हैं ? उ. जो रचना छंद के बंधन से मुक्त हो वह गद्य कहलाती हैं। प्र.२. गद्य का महत्व क्या है ? उ. गद्य के माध्यम से अपने विचारों और भावों को सरल और स्वाभाविक रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है। प्र.३. गद्य का प्रथम विकास किस रूप में हुआ है ? उ. गद्य का प्रथम विकास सामान्य बोलचाल की भाषा में हुआ है। प्र.४. हिंदी गद्य के प्राचीन रूप का संक्षिप्त परिचय दीजिये। उ. हिंदी गद्य का प्राचीन रूप तत्कालीन दानपत्रों ,परवानों ,पट्टों,ग्रंथों की टीकाओं और अनुवादों में मिलता है। इसमें काल्पनिक और ऐतिहासिक कथाएँ भी मिलती हैं। प्र.५.क. हिंदी गद्य के प्राचीनतम प्रयोग हमें हिंदी की किन किन बोलियों में मिलते हैं ? उ. हिंदी गद्य के प्राचीनतम प्रयोग की राजस्थानी ,मैथिलि ,ब्रजभाषा और खड़ी बोली में मिलते हैं। प्र.५.ख. हिंदी गद्य का प्राचीनतम प्रयोग किस भाषा में हुआ है ? उ.हिंदी गद्य का प्राचीनतम प्रयोग राजस्थानी भाषा में हुआ है। प्र.६. भारतेंदु से पूर्व कौन से दो राजाओं ने हिंदी के विकास में योगदान दिया ? उ. भारतेंदु से पूर्व राजा शिवप्रसाद सितारे हिन्द तथा राजा लक्षमण सिंह ने हिंदी गद्य के विकास में योगदान दिया। प्र.७. भारतेंदु से पूर्व हिंदी गद्य के चार प्रवर्तकों और उनकी रचनाओं के नाम लिखिए ? उ. १. मुंशी सदासुख लाल - सुख सागर २. इंशा अल्ला खां - रानी केतकी की कहानी ३. लल्लू लाल - प्रेम सागर ,सिंहासन बतीसी ,बेताल पचीसी। ४. सदल मिश्र - नासिकेतोपाख्यान प्र.८. हिंदी की किन्ही दो बोलियों के नाम लिखिए ? उ. ब्रज और अवधी। प्र.९. ब्रजभाषा -गद्य का सूत्रपात किस वर्ष के आस -पास हुआ ? उ.ब्रजभाषा के गद्य का सूत्रपात सन १३४३ के आस -पास हुआ। प्र.१०. हिंदी की आठ बोलियों कौन कौन सी हैं ? उ. ब्रजभाषा ,बुन्देली ,हरियाणवी ,अवधी, कन्नौजी ,छत्तीसगढ़ी ,बघेली ,खड़ी बोली। प्र.११. हिंदी की तीन उपभाषाएं कौन सी है ? उ. राजस्थानी,पहाड़ी भाषा ,बिहारी। प्र.१२. भाषा विज्ञान की दृष्टि से हिंदी से किस भाषा का ग्रहण होता है ? उ. भाषा विज्ञान की दृष्टि से हिंदी के अंतर्गत उसकी आठों बोलियों को ग्रहण किया जाता है। प्र.१३. सीमित अर्थ में हिंदी से किस भाषा का ग्रहण होता है ? उ. सीमित अर्थ में हिंदी से दिल्ली मेरठ के आस -पास की बोली जाने वाली खड़ी बोली के साहित्यिक रूप को ग्रहण किया जाता है। प्र.१४. इस समय हिंदी गद्य से गद्य के किस रूप का ग्रहण होता है ? उ. हिंदी गद्य से खड़ी बोली के साहित्यिक एवं परिनिष्ठित गद्य का अर्थ लिया जाता है। प्र.१५. हिंदी में राजस्थानी गद्य का आरम्भ कब हुआ ? उ. राजस्थानी गद्य तेरहवीं शताब्दी से प्राप्त होता है। प्र.१६. खड़ी बोली गद्य की प्रमाणिक रचनाएँ कब मिलती हैं ? उ. खड़ी बोली गद्य की प्रमाणिक रचनाएँ सत्रहवीं शताब्दी से प्राप्त होती हैं। प्र.१७. खड़ी बोली गद्य की प्रथम प्रमाणिक रचना कौन सी है ? उ. खड़ी बोली गद्य की प्रमाणिक रचना सन १६२३ में जटमल कृत गोरा बादल की कथा को माना जाता है। प्र.१८. ब्रजभाषा गद्य में सर्वप्रथम कौन सी रचनाएँ प्राप्त होती हैं ? उ. ब्रजभाषा गद्य में सर्वप्रथम गोरखपंथी रचनाएँ प्राप्त होती हैं। प्र.१९.ब्रजभाषा गद्य किन रूपों में प्राप्त होता है ? उ. ब्रजभाषा गद्य मौलिक ,तिकात्मक ,पद्य - प्रधान ,अनुदित आदि कई रूपों में मिलता है। प्र.२०. दखिनी खड़ी बोली गद्य का प्रमाणिक रूप कब और कहाँ मिलता है ? उ. दक्खिनी खड़ी बोली गद्य का प्रमाणिक रूप सन १५८० से प्राप्त होता है।इसमें सूफी धर्म के सिद्धांत लिखे गए हैं। प्र.२१. सितारे हिन्द भाषा शैली किस रूप में था ? उ.सितारे हिन्द खड़ी बोली गद्य को अधिक नफीस बनाकर उर्दू जैसा रूप में था। प्र.२२. राजा लक्ष्मण गद्य भाषा के किस रूप के पक्ष में थे ? उ.राजा लक्ष्मण संस्कृतनिष्ठ हिंदी के पक्ष में थे। प्र.२३. भारतेंदु हरिश्चंद की गद्य भाषा के दो दोष बताईये ? उ. व्याकरण की त्रुटियाँ और ब्रजभाषा का प्रभाव। प्र.२४. काशी में नागरी प्रचारिणी सभा की स्थापना किसने की ? उ. नागरी प्रचारणी सभा की स्थापना बाबू श्याम सुन्दर दास ने की। प्र.२५. हिंदी गद्य के विकास में सबसे अधिक योगदान करने वाली पत्रिका का नाम लिखिए ? उ. सरस्वती पत्रिका ,संपादक - महावीर प्रसाद द्विवेदी। प्र.२६. ब्रजभाषा के प्राचीन गद्य की प्रमुख रचनाओं के नाम लिखिए। उ. प्राचीन ब्रजभाषा गद्य की प्रमुख रचनाओं के नाम निम्नलिखित हैं - क.चौरासी वैष्णवन की वार्ता एवं दो सौ बावन वैष्णवन की वार्ता - गोकुलनाथ। ख.अष्टयाम - नाभादास। ग. श्रृंगार रस मंडन - विट्ठलनाथ। घ. अगहन महामात्य - बैकुंठमणि शुक्ल। च.माधव विलास - लल्लूलाल। प्र.२७. (क) रानी केतकी की कहानी तथा चंद छंद वरदन की महिमा के लेखकों के नाम लिखिए। उ.रानी केतकी की कहानी - इंशा अल्ला खां। चंद छंद वरदन की महिमा - कवि गंग। प्र.२७.ख. लल्लूलाल और मथुरा शुक्ल की एक एक रचना का नाम लिखिए। उ.लल्लू लाल की गद्य रचना - प्रेमसागर तथा मथुरा शुक्ल - पंचाग दर्शन है। प्र.२८. आधुनिक हिंदी गद्य के विकास को कितने कालों अथवा युगों में बांटा गया है ? उ. क. भारतेंदु युग - सन १८५० से १९०३ तक ) ख. द्विवेदी युग - सन १९०३ से १९२० तक। ग.शुक्ल युग - सन १९२० से १९३७ तक। घ. शुक्लोत्तर युग - सन १९३७ से १९४७ तक। च. स्वतंत्रतयोत्तर युग - सन १९४७ से अब तक। प्र.२९. भारतेंदु युग के गद्य लेखकों के नाम लिखिए। उ. भारतेंदु युग के प्रमुख गद्यकारों में भारतेंदु हरिश्चंद ,देवकी नंदन खत्री ,किशोरीलाल गोस्वामी ,बालकृष्ण भट्ट ,प्रताप नारायण मिश्र ,बालमुकुन्द गुप्त के नाम महत्वपूर्ण हैं। प्र.३०.हिंदी गद्य का वास्तविक इतिहास कब से आरम्भ हुआ ? उ. हिंदी गद्य का वास्तविक इतिहास भारतेंदु युग सन १८६८ ई. से आरम्भ हुआ। प्र.३१. हिंदी साहित्य का प्रचार और सेवा करने वाली दो संस्थाओं के नाम लिखिए। उ. १. फोर्ट विलियम कॉलेज २. नागरी प्रचारिणी सभा। प्र.३२. बीसवीं शताब्दी में किस एक व्यक्ति ने हिंदी गद्य के निर्माण व प्रचार के लिए सर्वाधिक स्तुत्य कार्य किया ? उ. आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी। प्र.३३. हिंदी गद्य के विकास में आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी की दो प्रमुख देनों का उल्लेख कीजिये। उ. आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी ने भाषा को व्याकरण सम्मत बनाया तथा लेखकों का ध्यान गद्य की त्रुटियों की ओर आकर्षित किया और उनकी त्रुटियों का परिमार्जन करके गद्य को सही स्वरुप प्रदान किया। प्र.३४. द्विवेदी युग के प्रमुख गद्य लेखकों के नाम लिखिए। उ. द्विवेदी युग के प्रमुख गद्य लेखकों में आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी ,अध्यापक पूर्ण सिंह ,श्याम सुन्दर दास ,पद्म सिंह शर्मा ,चंद्रधर शर्मा गुलेरी ,गोपालराम गहमरी आदि महत्वपूर्ण हैं। प्र.३५. खड़ी बोली गद्य रचना का शुभारम्भ कब से हुआ ? उ. खड़ी बोली गद्य रचना का शुभारम्भ सन १७४३ से हुआ। प्र.३६. खड़ी बोली गद्य की प्रथम रचना तथा उसके लेखक का नाम बताओ। उ. खड़ी बोली गद्य की प्रथम रचना चंद छंद की बरनन की महिमा है।इसकी रचना गंग कवि ने सन १५७० ई. में की। खड़ी बोली के निरखे रूप की पहली गद्य रचना राम प्रसाद निरंजनी की भाषा योग बशिष्ठ है जिसकी रचना सन १७४१ में की गयी। प्र.३७. महावीर प्रसाद द्विवेदी ने किस हिंदी मासिक पत्रिका का संपादन करके हिंदी गद्य के विकास को प्रोत्साहित किया। उ. महावीर प्रसाद द्विवेदी जी ने सरस्वती पत्रिका का संपादन करके हिंदी गद्य के विकास को प्रोत्साहित किया। प्र.३८. आलोचना और इतिहास लेखन के क्षेत्र में आचार्य रामचंद्र शुक्ल के बाद किन साहित्यकारों ने सराहनीय कार्य किया ? उनके नाम बताईये। उ. आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ,आचार्य नन्द दुलारे वाजपेयी ,विश्वनाथ प्रसाद मिश्र ,रामकुमार वर्मा ,डॉ.नागेन्द्र तथा लक्ष्मी सागर वाश्न्रे इत्यादि। प्र.३९. शुक्ल युग के प्रमुख गद्य लेखकों के नाम लिखिए। उ. शुक्ल युग के प्रमुख गद्य लेखकों में आचार्य रामचंद्रशुक्ल ,जयशंकर प्रसाद ,प्रेमचंद ,रायकृष्ण दास ,शांतिप्रिय द्विवेदी ,माखनलाल चतुर्वेदी आदि उल्लेखनीय हैं। प्र.४०. स्वतंत्रता उपरान्त के प्रमुख गद्य लेखकों के नाम लिखिए। उ. स्वतंत्रता उपरान्त के प्रमुख गद्य लेखकों में हजारी प्रसाद द्विवेदी ,रामविलास शर्मा ,वासुदेव शरण अग्रवाल ,महादेवी वर्मा ,रामधारी सिंह दिनकर ,जैनेन्द्र कुमार ,शिवदान सिंह चौहान ,नन्द दुलारे वाजपेयी ,विद्या निवास मिश्र ,राहुल सांकृत्यायन ,कुबेरनाथ राय आदि प्रमुख है। प्र.४१. हिंदी गद्य में अब तक विकसित विधाओं के नाम लिखिए। उ. हिंदी गद्य में विकसित अब तक की विधाओं में निबंध ,नाटक ,कहानी ,उपन्यास ,आलोचना ,जीवनी ,इंटरव्यू ,आत्मकथा ,रेखाचित्र ,एकांकी ,रेडियो रूपक ,रिपोतार्ज़ ,यात्रावृत्त ,गद्य काव्य ,पत्र साहित्य ,डायरी आदि महत्वपूर्ण हैं। प्र.४२. छायावादी युग के गद्य की विशेषताओं का उल्लेख लिखिए। उ. छायावादी गद्य की प्रमुख विशेषताएँ - लक्षणकता, अलंकारिकता ,भावात्मक ,चित्रात्मकता आदि है। प्र.४३. प्रगतिवादी युग के गद्य की किन्ही दो विशेषताओं का वर्णन कीजिये। उ. प्रगतिवादी युग के गद्य की दो प्रमुख विशेषताएं हैं - सहज ,व्यवहारिक और अलंकार विहीन भाषा। सतेज और चुटीली उक्तियाँ। |