हम औषधि का प्रयोग क्यों करते हैं? - ham aushadhi ka prayog kyon karate hain?

उत्‍तर: बच्‍चों के विरुद्ध शारीरिक हिंसा में सभी प्रकार के शारीरिक दण्‍ड, यातनाएं, क्रूर, अमानवीय या अपमानजनक व्‍यवहार अथवा दण्‍ड, और वयस्‍क लोगों या अन्‍य बच्‍चों द्वारा दमनीय व्‍यवहार तथा प्रताड़ना शामिल हैं। जिस दण्‍ड में शारीरिक बल का प्रयोग किया जाता है और जिसका उद्देश्‍य कुछ हद तक दर्द या तकलीफ देना होता है, चाहे वो कितनी भी कम हो, ऐसे दण्ड को शारीरिक दण्ड के नाम से जाना जाता है। बच्‍चे को हाथ से पीटना (‘चांटा लगाना’, ‘थप्‍पड़ मारना’, ‘पिटाई करना’) अथवा किसी चीज से पीटना (जैसे चाबुक, छड़ी, बेल्‍ट, जूता, लकड़ी की चम्‍मच आदि) शारीरिक दण्ड की श्रेणी में आते हैं। इसी तरह से बच्‍चे को लात मारना, झकझोरना अथवा फेंकना, खरोंचना, चिकोटी काटना, काटना, बाल खींचना, कान खींचना, डंडे से पीटना, बच्‍चे को तकलीफदेह अवस्‍था में रखना, जलाना, गर्म चीज से जलाना अथवा जबरदस्‍ती मुंह में कुछ ठूंसना भी शारीरिक दण्ड का हिस्सा हैं।       

प्रश्‍न: यौन हिंसा से क्‍या अभिप्राय है?

उत्‍तर: यौन हिंसा वयस्कों द्वारा बच्चों के साथ की जाने वाली ऐसी यौन गतिविधि है जिसके विरुद्ध बच्चों को आपराधिक कानून के अंतर्गत सुरक्षा का अधिकार है। इसमें शामिल हैं: (क)  बच्चों को गैर-कानूनी अथवा मनोवैज्ञानिक रूप से नुकसानदेह यौन गतिविधि में शामिल होने के लिए प्रलोभन देना अथवा उनके साथ जबरदस्‍ती करना; (ख)  बच्चों का देह व्यापर और आर्थिक यौन शोषण; (ग) बच्चों को बाल यौन शोषण की ऑडियो अथवा वीडियो इमेज में शामिल करना; (घ) यात्रा एवं पर्यटन में बाल वेश्‍यावृत्ति, यौन दासता, यौन शोषण, यौन शोषण के प्रयोजन से अंतर्राज्यीय एवं अंतर्राष्ट्रीय बाल तस्‍करी और जबरदस्‍ती शादी के लिए बच्‍चों की बिक्री। जब किसी बच्‍चे के विरुद्ध कोई यौन गतिविधि दूसरे बच्‍चे द्वारा की जाती है और अपराध करने वाला बच्‍चा पीडि़त बच्‍चे से उम्र में काफी बड़ा है अथवा ताकत, धमकी या दबाव का इस्‍तेमाल करता है, तो इसे भी यौन शोषण माना जाता है। स्‍टेट पार्टी द्वारा परिभाषित आयु सीमा से बड़े होने पर बच्‍चों के बीच सहमति से बनाए गए यौन संबंधों को यौन शोषण नहीं माना जाता।  

प्रश्‍न: अंतरंग साथी (पार्टनर) हिंसा क्‍या है?

उत्‍तर: अंतरंग साथी हिंसा में वर्तमान अथवा पूर्व साथी द्वारा शादी, साथ रहने अथवा अन्‍य औपचारिक या अनौपचारिक संयोजन (यूनियन) के दौरान किया गया कोई भी शारीरिक, यौन अथवा भावनात्‍मक शोषण शामिल हैं।

खुले में शौच

प्रश्‍न: खुले में शौच जाना क्‍या है? भारत में खुले में शौच जाने की प्रथा कितनी प्रचलित है?

उत्‍तर: खुले में शौच जाने से अभिप्राय है, लोगों द्वारा मल-त्‍याग के लिए शौचालय का इस्‍तेमाल करने के बजाए शौच के लिए खुले में जाना। यह प्रथा भारत में काफी प्रचलित है और भारत में खुले में शौच जाने वाले लोगों की संख्‍या विश्‍व में सबसे अधिक है। भारत की आधी जनसंख्‍या से अधिक, करीब 62 करोड़ लोग, नियमित रूप से खुले में शौच के लिए जाते हैं। इस प्रकार एशिया में खुले में शौच करने वाले लोगों का 90 प्रतिशत और दुनिया भर के खुले में शौच जाने वाले 110 करोड़ लोगों का 59 प्रतिशत हिस्सा भारत में है।

प्रश्‍न: यदि खुले में शौच जाने के स्‍वास्‍थ्‍य, आत्‍म-सम्‍मान और सशक्तिकरण पर इतने अधिक नकारात्‍मक प्रभाव हैं तो भारत की आधे से अधिक आबादी खुले में क्‍यों जाती है?

उत्‍तर: खुले में शौच जाने की आदत शुरुआती बचपन से ही बन जाती है नियमित आदत है। स्‍वच्‍छता सामाजिक रूप से अस्‍वीकार्य विषय होने के कारण  इस पर चर्चा नहीं होती। इसलिए, खुले में शौच जाना अनेक भारतीयों के लिए सामान्‍य व्‍यवहार बना हुआ है। इसके बने रहने के ये उदाहरण दिए जा सकते हैं गरीबी (शौचालय का निर्माण न करवा पाना), भूमि‍ न होना, किराएदार के रूप में ऐसे घरों में रहना जहां शौचालय न हों (आमतौर पर शहरी क्षेत्रों में), और इसमें कोई संदेह नहीं कि सांस्‍कृतिक व सामाजिक मानदण्‍ड खुले में शौच की प्रथा को मान्‍यता देते हैं। एक प्रबल मान्‍यता यह भी है कि बच्‍चों के मल से नुकसान नहीं होता है। ऐसा मानना गलत है, क्‍योंकि बच्‍चों के मल में वयस्‍कों के मल से अधिक रोगाणु होते हैं। परिणामस्‍वरूप, बच्‍चों के मल को आमतौर पर खुले में घरों के पास अथवा खुली नालियों में फेंक दिया जाता है। इस बात में आश्‍चर्य नहीं होना चाहिए कि देश में खुले में शौच की सफाई  (ओडीई) करने का माहौल बनाना बड़ी चुनौती है। 

हमारे साथ काम करें

प्रश्‍न: यूनिसेफ द्वारा नियुक्त किए जाने वाले कार्य क्षेत्र कौन-कौन से हैं?

उत्‍तर: प्रशासन, आपॅरेशन, वित्‍त, मानव संसाधन, आपूर्ति/खरीद, लॉजिस्टिक्‍स, आईटी/सूचना प्रणाली, विधिक/नीति, मॉनिटरिंग/मूल्‍यांकन, पॉलिसी एडवोकेसी/पार्टनरशिप, बाल सुरक्षा, शिक्षा, प्रारंभिक बचपन का विकास, स्‍वास्‍थ्‍य/पोषण, एचआईवी/एड्स, जल एवं स्‍वच्‍छता, फंड रेसिंग।

प्रश्‍न: स्‍टाफ की विभिन्‍न श्रेणियां कौन-कौन सी हैं?

उत्‍तर: इंटरनेशनल प्रोफेशनल (आईपी) स्‍टाफ की अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर भर्ती की जाती है और ये दुनियाभर में सभी ड्यूटी स्‍टेशनों पर सेवा देते हैं। वे नेतृत्‍व, प्रबंधकीय अथवा विशेषज्ञ कार्य करते हैं, जिनके लिए तकनीकी विशेषज्ञता का स्‍तर चाहिए। सीनियर स्‍टाफ अथवा डायरेक्‍टर स्‍तर के पद भी इस श्रेणी में आते हैं। अधिक जानकारी के लिए, कृपया www.unicef.org/about/employ देखें। जनरल सर्विस (जीएस) स्‍टाफ की भर्ती स्‍थानीय तौर पर की जाती है और ये संगठन के सभी क्षेत्रों और सभी स्‍थानों पर प्रशासनिक व सहायक सेवाएं देते हैं। नेशनल ऑफिसर (एनओ) स्‍टाफ उसी देश के निवासी होते हैं जिस देश में वे तकनीकी और प्रोफेशनल प्रकृति के कार्य करते हैं। नेशनल ऑफिसरों की भर्ती स्‍थानीय तौर पर की जाती है।

प्रश्‍न: विभिन्‍न प्रकार के कॉन्‍ट्रैक्‍ट कौन-कौन से हैं?

उत्‍तर: यूनिसेफ संगठन की जरूरतें देखते हुए अनेक तरह  के रोजगार कॉन्‍ट्रैक्‍ट प्रस्‍तुत करता है। यूनिसेफ भारत में इस समय निम्‍न‍ प्रकार के कॉन्‍ट्रैक्‍ट पेश करता है: फिक्‍स्‍ड टर्म या नियमित नियुक्ति – विशिष्‍ट रूप से दो वर्ष के लिए, जिसका संगठन की जरूरतों के अनुसार नवीनीकरण किया जा सकता है। आप यूनिसेफ के स्‍टाफ होंगे। फिक्‍स्‍ड-टर्म कॉन्‍ट्रैक्‍ट स्‍टाफ की तीन श्रेणियों में जारी किए जा सकते हैं: इंटरनेशनल प्रोफेशनल, नेशनल ऑफिसर और जनरल सर्विस श्रेणी। टेम्‍परेरी अपॉइंटमेंट: टेम्‍परेरी अपॉइंटमेंट सीमित समय के लिए होती हैं, जिन्‍हें आपात स्थितियों में प्रतिक्रिया सहित कम अवधि की जरूरतें पूरी करने के लिए एक वर्ष से कम समय के लिए जारी किया जाता है। टेम्‍परेरी अपॉइंटमेंट यूनिसेफ स्‍टाफ की सभी तीनों श्रेणियों में जारी किया जा सकता है। टेम्‍परेरी अपॉइंटमेंट मॉडल्‍टी में भर्ती किए गए स्‍टाफ सदस्‍यों को पूरा वेतन मिलता है, लेकिन लाभ कुछ कम मिलते हैं। कंसल्‍टेंसी: यूनिसेफ किसी निश्चित कार्य को निर्धारित समय में पूरा करने के लिए कंसल्‍टेंसी हेतु लोगों को नियुक्‍त करता है, जिसके लिए संगठन में आवश्‍यक विशेषज्ञता तत्‍काल उपलब्‍ध नहीं हो।   

प्रश्‍न: किसी पद के लिए उम्‍मीदवार के पास क्‍या-क्‍या योग्‍यताएं होनी चाहिए?

उत्‍तर: यूनिसेफ को संबंधित क्षेत्रों में उच्‍च तकनीकी योग्‍यताएं चाहिएं। यूनिसेफ का मानना है किसी विशिष्‍ट भूमिका के लिए न केवल व्‍यक्ति की तकनीकी योग्‍यता का मूल्‍यांकन करना अनिवार्य है, बल्कि उसकी व्‍यवहार संबंधी योग्‍यता और संगठन में उसकी सांस्‍कृतिक योग्‍यता का मूल्‍यांकन करना भी उतना ही महत्‍वपूर्ण है। स्‍टाफ का चुनाव यूनिसेफ की योग्‍यता मॉडल से निर्देशित होगा। यूनिसेफ के सभी स्‍टाफ के पास कोर वैल्‍यू होनी चाहिए। योग्‍यताएं उन व्‍यवहारों का समूह हैं जो यूनिसेफ के लिए परिणाम हासिल करने के लिए अनिवार्य होती हैं। यूनिसेफ के सभी स्‍टाफ के लिए साझा कोर वैल्‍यू इस प्रकार हैं: विविधता और एकजुटता, सत्‍यनिष्‍ठा और प्रतिबद्धता। हमारी महत्‍वपूर्ण योग्‍यताएं हैं: लोगों के साथ संचार, काम करना और परिणाम हासिल करने की प्र‍वृत्ति होना। इन क्षेत्रों में अपेक्षित निपुणता जॉब के स्‍तर के अनुसार भिन्‍न-भिन्‍न होती हैं। कार्य करने की योग्‍यताएं भी पद के कार्य क्षेत्रों के अनुसार भिन्‍न-भिन्‍न होती हैं। कृपया अपेक्षित योग्‍यताएं  जानने के लिए किसी पद की रिक्ति घोषणा (वैकेंसी अनाउंसमेंट) पढ़ें। आप यूनिसेफ की प्रत्‍येक कोर वैल्‍यू और योग्‍यता को विस्‍तार से जानने के लिए इन दस्‍तावेजों पर क्लिक कर सकते हैं।

प्रश्‍न: किसी विशिष्‍ट पद का वेतनमान क्‍या है?

उत्‍तर: राष्ट्रीय अधिकारी (नेशनल ऑफिसर) में स्‍टाफ के सदस्य और सामान्‍य सेवा अधिकारी (जनरल सर्विस ऑफिसर) श्रेणियों को स्‍थानीय वेतनमान के आधार पर वेतन का भुगतान किया जाता है‍ जिसमें  समय-समय पर सुधार  किया जाता है। निम्‍नलिखित लिंक से अधिक जानकारी प्राप्‍त की जा सकती है: http://www.un.org/depts/OHRM/salaries_allowances/salaries/india.htm 

प्रश्‍न: स्‍टाफ मेम्‍बर को क्‍या-क्‍या लाभ और पात्रताएं मिलती हैं?

उत्‍तर: यूनिसेफ के कर्मचारी परिवार अनुकूल कार्य-जीवन, और विविधता नीतियों का लाभ उठाते हैं। यूनिसेफ संतुलित लिंग और भौगोलिक प्रतिनिधित्‍व बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। कर्मचारियों के लिए अन्‍य लाभ और पात्रताओं में शामिल हैं: कर छूट - संयुक्‍त राष्‍ट्र द्वारा भुगतान किए जाने वाले वेतन, अनुदान और भत्‍तों पर आमतौर पर आयकर से छूट होती है। भत्‍ते और लाभ – आप अन्‍य भत्‍तों और फायदों के पात्र हो सकते हैं: आपके आश्रित बच्‍चे होने पर परिवार भत्‍ता भी शामिल है। आपके कॉन्‍ट्रैक्‍ट के आधार पर आपको प्रतिवर्ष 30 दिन से लेकर 18 दिन तक अवकाश व छुट्टियां भी मिल सकेंगी। इसके अलावा, यूनिसेफ मैटर्निटी, पैटर्निटी, अडोप्‍शन, पेड सिक लीव आदि देता है। यूनिसेफ प्रतिवर्ष 10 वेतन सहित अवकाश भी देता है; ये एक फील्‍ड ऑफिस से दूसरे फील्‍ड ऑफिस के लिए अलग-अलग होते हैं। हेल्‍थ इंश्‍योरेंस - आप यूनिसेफ द्वारा प्रायोजित कोई मेडिकल इंश्‍योरेंस प्‍लान लेने के पात्र होंगे। मासिक प्रीमियम का भुगतान आपके संगठन द्वारा संयुक्‍त रूप से किया जाएगा। रिटायरेमेंट पेंशन – आपकी नियुक्‍त‍ि छह माह या अधिक समय के लिए होने अथवा बिना किसी व्‍यवधान के आपके छह माह की सेवा पूरी करने पर, आप यूनाइटेड नेशन्‍स ज्‍वाइंट स्‍टाफ पेंशन फंड (यूएनजेएसपी) के प्रतिभागी बनते हैं। आपके मासिक वेतन से अनिवार्य अंशदान की कटौती होगी।

प्रश्‍न: किसी व्‍यक्ति को वैकेंसी की फर्जी सूचना अथवा नियुक्‍त‍ि या प्रशिक्षण का फर्जी प्रस्‍ताव मिलने पर उसे क्‍या कदम उठाने चाहिए?

उत्‍तर: यूनिसेफ को पता है कि इंटरनेट के माध्‍यम से फर्जी वैकेंसी घोषित की जा रही हैं, जिनका उद्देश्‍य है कि लोग रोजगार के लिए पंजीकरण कराएं और शुल्‍क भेजें। यदि आपको ऐसा कोई नोटिस मिले तो आपसे अनुरोध है कि आप यूनाइटेड नेशन्‍स से अथवा इनकी ओर से प्राप्‍त ई-मेल, पत्र अथवा टेलीफोन संचार की प्रमाणिकता जांचें और यदि आपको विश्‍वास हो कि दी गई जानकारी धोखाधड़ीपूर्ण है तो www.un.org/en/aboutun/fraudalert/contactform.asp?address=1 के माध्‍यम से फ्रॉड ई-मेल अलर्ट भेजें। इस मामले में अधिक जानकारी के लिए कृपया www.un.org/en/aboutun/fraudalert पर जाएं।  

प्रकाशन

प्रश्‍न: यूनिसेफ प्रकाशन क्‍या हैं?

उत्‍तर: बच्‍चों के अधिकारों के हित में संगठन के अधिदेश की पूर्ति हेतु यूनिसेफ के प्रकाशन महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे पॉलिसी संवाद में शामिल होने के लिए यूनिसेफ को साधन उपलब्‍ध कराते हैं और निर्णय-लेने की प्रक्रिया प्रभावित करते हैं, बच्‍चों की ओर से यूनिसेफ और इसके भागीदारों के प्रयासों का वर्णन करते हैं, और यूनिसेफ का ज्ञान नेतृत्‍व और विशेषज्ञता दर्शाते हैं। यूनिसेफ का वार्षिक प्रमुख प्रकाशन, द स्‍टेट ऑफ द वर्ल्‍ड्ज चिल्‍ड्रन, आज दुनिया में बच्‍चों को प्रभावित करने वाले सबसे महत्‍वपूर्ण मुद्दों को शामिल करता है। यह अनुसंधान आधारित एडवोकेसी रिपोर्ट बच्‍चों के जीवित रहने, दुनिया के देशों, प्रदेशों और क्षेत्रों के विकास और सुरक्षा पर नवीनतम उपलब्‍ध आंकड़े दर्शाते हैं; इन्‍हें सांख्यिकीय तालिकाओं में दर्शाया जाता है, जो प्रकाशन की मानक विशेषता है। यह रिपोर्ट पहली बार 1979 में, अंतरराष्‍ट्रीय बाल वर्ष के अवसर पर, द सिचूएशन ऑफ चिल्‍ड्रन इन डिवेलपिंग वर्ल्‍ड के रूप में प्रकाशित की गई थी। इस प्रकाशन को अपना वर्तमान नाम, द स्‍टेट ऑफ द वर्ल्‍ड्ज चिल्‍ड्रन, अगले वर्ष दिया गया।

प्रश्‍न: यूनिसेफ के प्रकाशन किन-किन भाषाओं में उपलब्‍ध हैं?

उत्‍तर: प्रकाशन के वेबपेज पर दिए गए लिंक में उपलब्‍ध भाषाओं के व़र्जन दर्शाए जाएंगे। हमारे अनेक प्रकाशन अंग्रेजी, फ्रेंच और स्पेनिश भाषा में उपलब्‍ध हैं। यूनिसेफ के कार्यालय और नेशनल कमेटियां भी सामग्री का स्‍थानीय भाषाओं में अनुवाद करते हैं। किसी विशिष्‍ट स्‍थानीय भाषा की जरूरत के लिए, http://www.unicef.org/infobycountry/index.html पर यूनिसेफ कंट्री ऑफिस की वेबसाइट पर अथवा http://www.unicef.org/about/structure/index_natcoms.html पर यूनिसेफ नेशनल कमेटी की वेबसाइट पर जाएं।

प्रश्‍न: प्रकाशन को प्रिंट अथवा डाउनलोड कैसे किया जा सकता है?

उत्‍तर: पीडीएफ फाइल डाउनलोड या प्रिंट करने के लिए, आपके कंप्‍यूटर में फ्री एडोबी एक्रोबेट रीडर अवश्‍य होना चाहिए। पीडीएफ फाइल लॉन्‍च हो जाने पर, सेव या प्रिंट फंक्‍शन पर क्लिक करें। ध्‍यान रहे कुछ रिपोर्टें, काफी बड़ी होती हैं और कुछ कंप्‍यूटरों या प्रिंटरों को उन्‍हें प्रोसेस करने में कठिनाई हो सकती है।

प्रश्‍न: क्‍या यूनिसेफ प्रकाशनों का नि:शुल्‍क इस्‍तेमाल किया जा सकता है?

उत्‍तर: यूनिसेफ शैक्षणिक और जानकारी के उद्देश्‍य से अपने प्रकाशनों के इस्‍तेमाल को बढ़ावा देता है, लेकिन यूनिसेफ के सभी प्रकाशन कॉपीराइट कानूनों और विनियमों के अंतर्गत सुरक्षित हैं। इसलिए, यूनिसेफ के किसी भी प्रकाशन की पूरी तरह अथवा आंशिक रूप से प्रिंट अथवा इलेक्‍ट्रॉनिक कॉपी तैयार करने के लिए यूनिसेफ से लिखित अनुमति की जरूरत होती है। सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों, शैक्षणिक व अनुसंधान संस्‍थानों, गैर-वाणिज्यिक प्रयोजन के लिए काम कर रहे व्‍यक्तियों को बिना किसी शुल्‍क के अनुमति दी जाती है। वाणिज्यिक प्रकाशकों को कुछ वित्‍तीय योगदान देने के लिए कहा जाता है। डिविजन ऑफ कम्‍युनिकेशन के प्रकाशनों की कॉपी तैयार करने की अनुमति के लिए, कृपया पब्लिकेशन्‍स सेक्‍शन 3 यूनाइटेड नेशन्‍स प्‍लाजा, न्‍यूयॉर्क, एनवाई 10017, यूएसए, टेलीफोन: +1 (212) 326-7434, ई-मेल से संपर्क करें। यूनिसेफ के अन्‍य ऑफिस या डिविजन के प्रकाशनों की कॉपी तैयार करने के लिए, कृपया उस ऑफिस या डिविजन से संपर्क करें। प्रत्‍येक प्रकाशन के लिए संपर्क जानकारी की सूची दी गई है।

प्रश्‍न: यूनिसेफ के किसी प्रकाशन को कैसे उद्धृत (Cite) किया जा सकता है?

उत्‍तर: जिन प्रकाशनों के लिए पहले ही अनुमति ली जा चुकी है, उन्‍हें उद्धृत करने के लिए, सभी मामलों में ये मानक आभार पंक्ति लिखी जानी चाहिए: लेखक का नाम [व्‍यक्ति या संस्‍थान], प्रकाशन का पूरा शीर्षक [शीर्षक और उपशीर्षक], विभाग का नाम [यदि उपलब्‍ध हो], प्रकाशक [यूनिसेफ], प्रकाशन का शहर, दिनांक [महीना और वर्ष, यथा उपलब्‍ध], पृष्‍ठ संख्‍या। यूनिसेफ की अनुमति से पुनर्मुद्रित। उदाहरण के लिए: यूनाइटेड नेशन्‍स चिल्ड्रन्‍ज फंड, प्रोग्रेस फॉर चिल्‍ड्रन: ए रिपोर्ट कार्ड ऑन एडोलेसेंट्स, नं. 10, यूनिसेफ, न्‍यूयॉर्क, अप्रैल, 2012। यूनिसेफ की अनुमति से पुनर्मुद्रित। कृपया यूनिसेफ प्रकाशन से ईमेल द्वारा संपर्क करें।  

एनीमिया (खून की कमी)

प्रश्‍न: खुले में शौच से मुक्ति पाना भारत के लिए अनिवार्य क्‍यों है?

उत्‍तर: खुले में शौच भारत में बच्चों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है। इसी प्रथा के कारण दुनिया में पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की भारत में सबसे ज्यादा मौतें होती हैं। भारत में प्रतिवर्ष डायरिया से पांच वर्ष से कम आयु के 188,000 बच्चों की मौत होती है। मल में मौजूद रोगाणु फि‍र से लोगों में पहुंच कर बीमारी फैलाते हैं। बार-बार दस्‍त लगने की घटनाओं से कमजोर हुए बच्‍चों में कुपोषण, बौनापन और निमोनिया जैसे संक्रमण होने की संभावना अधिक रहती है। भारत में लगभग 43 प्रतिशत बच्‍चे कुछ हद तक कुपोषण से पीडि़त हैं। डायरिया और कृमि संक्रमण दो प्रमुख स्‍वास्‍थ्‍य स्थितियां हैं जो स्‍कूल जाने वाले बच्‍चों को प्रभावित करती हैं, जिससे उनकी पढ़ने की क्षमता पर असर पड़ता है। इसके अलावा, खुले में शौच से भारत में महिलाओं के आत्‍म-सम्‍मान का भी जोखिम रहता है। महिलाएं अपनी गरिमा की सुरक्षा के लिए गोपनीयता की वजह से अंधेरे में मलत्‍याग के लिए जाने हेतु विवश रहती हैं। तथापि, इससे महिलाओं पर यौन हमले होने और सांप द्वारा डसे जाने जैसी घटनाओं का जोखिम रहता है। खराब स्‍वच्‍छता राष्‍ट्रीय विकास को भी प्रभावित करती है: श्रमिक कम उत्‍पादन करते हैं, कम जीते हैं, कम बचत और निवेश करते हैं, और अपने बच्‍चों को स्‍कूल भेजने में कम समर्थ होते हैं।

प्रश्न: ए‍नीमिया (खून की कमी) क्‍या है?

उत्‍तर: मनुष्‍य के रक्‍त में हीमोग्‍लोबिन नामक लाल पिग्‍मेंट होता है जो फेफड़ों और शरीर के विभिन्‍न अंगों में ऑक्‍सीजन पहुंचाता है। हीमोग्‍लोबिन को लाल, सशक्‍त और स्‍वस्‍थ बनाने के लिए, मुख्‍यत: आयरन, फोलिक एसिड, विटामिन सी, प्रोटीन और विटामिन बी12 चाहिए – ये अनिवार्य पोषक तत्‍व हैं और हमारा शरीर इनका निर्माण अपने आप नहीं कर सकता। इन्‍हें भोजन में लेने की जरूरत होती है। आहार में इन पोषक तत्‍वों की कमी से हीमोग्‍लोबिन की सघनता (गाढ़ापन) कम हो जाती है जिससे यह पतला और पीला हो जाता है। जब हीमोग्‍लोबिन की सघनता व्‍यक्ति की आयु और लिंग समूहों के लिए निर्धारित स्‍तर से कम होती है तो इसे एनीमिया (खून की कमी) कहा जाता है। हीमोग्‍लोबिन सघनता की कमी से शरीर के विभिन्‍न अंगों में ऑक्‍सीजन की आपूर्ति कम हो जाती है जिससे शरीर की कोशिकाएं और ऑर्गेनिक सिस्‍टम सुचारू रूप से काम नहीं कर पाते। इन सभी पोषक तत्‍वों में आयरन (लौह) की कमी से होने वाला एनीमिया अधिक आम है। सभी प्रकार के एनीमिया में से, आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया 50 प्रतिशत से अधिक मामलों में पाया जाता है। सभी प्रकार के ए‍नीमिया में, आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया सबसे आम है। बुखार की तरह एनीमिया एक लक्षण (मैनिफिस्‍टेशन) है, न कि कोई बीमारी, इसका सबसे आम कारण आयरन की कमी है। अन्‍य कारणों में अन्‍य विटामिन और मिनरल की कमी शामिल है जैसे विटामिन ए, बी, फोलिक एसिड और जिंक, मलेरिया और कृमि संक्रमण।      

प्रश्‍न: एनीमिया एक समस्‍या क्‍यों है?

उत्‍तर: भारत में 10-19 वर्ष आयु समूह के युवाओं की 120 करोड़ में से 24.3 करोड़ संख्‍या दुनिया में सबसे अधिक है। इस आयु समूह को किशोर वर्ग कहा जाता है और इसमें भारत की जनसंख्‍या का एक-चौथाई हिस्‍सा शामिल है। यह भारत के भावी आर्थिक विकास का प्रमुख संचालक है। तथापि, भारत में 15-19 वर्ष आयु समूह की 56 प्रतिशत लड़कियां और 30 प्रतिशत लड़के एनीमिया से ग्रस्‍त हैं। इसका मतलब है कि 2 में से 1 लड़की और 3 में से 1 लड़का एनीमिया से ग्रस्‍त है। हरियाणा में 58 प्रतिशत किशोरियां और 26 प्रतिशत किशोर एनीमिया से ग्रस्‍त हैं। एनीमिया के कारण युवकों और युवतियों की मानसिक और शारीरिक क्षमता क्षीण हो रही है, उनका शारीरिक विकास रूक रहा है, जिससे उन्‍हें थकान महसूस होती है, सांस फूलती है और दैनिक कार्य करने के लिए उनकी याददाश्‍त और ऊर्जा नकारात्‍मक रूप से प्रभावित हो रही है। किशोर आयु में विवाह और गर्भधारण भारत में, विशेषकर ग्रामीण भारत में, अभी भी प्रचलित है। गर्भावस्‍था में लड़कियों में खून की कमी से कम वजन के शिशु को जन्‍म देने का जोखिम बढ़ जाता है, जिसके परिणामस्‍वरूप जन्‍म के समय जटिलताएं पैदा हो सकती हैं। अनुसंधान से पता चलता है कि जीवन के पहले वर्ष के बाद, किशोरावस्‍था दूसरी अधिकतम तेज विकास वाली अवधि होती है। यदि किशोरों को उचित आहार दिया जाए और सही देखरेख की जाए तो वे इस अवधि में अपने वयस्‍क वजन का 50 प्रतिशत तक वजन, अपने कद का 20% कद और अपने वयस्‍क कंकाल/अस्थि द्रव्‍यमान का 50% तक हासिल कर सकते हैं। जिस देश के युवक व यु‍वतियों को आगे बढ़ना चाहिए वे एनीमिया से अपनी शारीरिक और मानसिक क्षमता प्राप्‍त करने में पिछड़ जाते हैं।   

प्रश्‍न: आयरन (लौह) की कमी के क्‍या कारण हैं?

उत्‍तर: शरीर द्वारा आयरन की जरूरत आंत द्वारा अवशोषित किए गए आयरन से अधिक होने पर शरीर में स्‍टोर किए गए आयरन का उपयोग होता है। यह अवस्‍था लंबे समय तक बनी रहने पर, आयरन का स्‍टोर खाली होने लगता है और रक्‍त में आयरन की कमी हो जाती है। आमतौर पर, हमारे भोजन में आयरन के कम सेवन से अथवा किसी कारण से भोजन से आयरन को अवशोषित करने में रुकावट के कारण एनीमिया विकसित हो जाता है। इसके अलावा, भारी चोट, प्रसव चोट या सर्जरी के दौरान अधिक खून बह जाने और आंत में हुक वर्म/राउंड वर्म होने और मलेरिया होने के मामले में एनीमिया हो जाता है, इस दौरान हीमोग्‍लोबिन में खराबी आ जाती है। 

प्रश्‍न: किशोरों में आयरन की कमी का जोखिम क्‍यों होता है?

उत्‍तर: किशोरावस्‍था के दौरान, कद और वजन और लैंगिक परिपक्वता में तेजी से बढ़ोतरी होती है। इसके अलावा किशोरियों में माहवारी की शुरुआत हो जाती है जिसकी वजह से प्रतिमाह रक्‍त का नुकसान होता है। इन अतिरिक्‍त मांगों से निपटने के लिए, आयरन की अधिक जरूरत होती है। यदि यह उपलब्‍ध नहीं होता तो किशोरियों में खून की कमी आ जाती है और इससे एनीमिया हो जाता है।

प्रश्‍न: खून की कमी व्‍यक्ति को कैसे प्रभावित करती है?

उत्‍तर: खेलने, चलने, सीढि़यां चढ़ने से खून की कमी वाले व्‍यक्ति की सांस फूलने लगती है और वह थका हुआ महसूस करता है। घर के छोटे-मोटे कामों से भी थकान हो सकती है। याद रखने और सीखने की क्षमता कम हो जाती है। आप अक्‍सर बीमार रहने लगते हैं और काम करते समय अथवा जो कुछ पढ़ा हो उसे याद रखने में दिक्‍कत होती है। इससे शैक्षिक सफलता में कमी आती है। खून की कमी वाले बच्‍चों का गणित की परीक्षा में औसत से कम अंक पाने का जोखिम दोगुणा रहता है। स्‍कूल जाने वाले बच्‍चे अक्‍सर बीमार पड़ जाते हैं जिससे वे स्‍कूल में अनुपस्थित रहते हैं। लड़कियों में गर्भावस्‍था के दौरान खून की कमी से एनीमिक बच्‍चे को जन्‍म देने का जोखिम रहता है: यह एक दुष्‍चक्र है, जन्‍म के समय शिशु का वजन कम होता है और प्रसव के दौरान उनका स्‍वयं का जीवन प्रभावित होता है।

प्रश्‍न: हम इसकी रोकथाम कैसे कर सकते हैं?

उत्‍तर: भोजन में लौह से भरपूर पदार्थ जैसे पालक, मेथी, सरसिया, सुआ नी भाजी (सोया पत्ता की सब्जी), अजमान ना पान बाजरा, खजूर, मांस, मछली, अंडे और सप्ताह में एक बार आयरन फोलिक एसिड (आईएफए) की टेबलेट लेना एनीमिया से बचने का प्रभावी साधन है। ऊपर बताए आहार के अलावा, किशोरों में कीड़ों की रोकथाम के लिए छह महीने में एक बार कृमि की दवा दी जानी चाहिए। भोजन से दो घंटे पहले और बाद में चाय और कॉफी पीने से बचना चाहिए क्‍योंकि ये शरीर में आयरन का अवशोषण रोकते हैं। लौह-युक्त भोजन के साथ विटामिन सी से भरपूर खाद्य पदार्थों जैसे आंवला, अमरूद, बेर, संतरा और नींबू का सेवन करना चाहिए, क्‍योंकि इससे आयरन के अवशोषण में सुधार आता है।

प्रश्‍न: क्‍या आयरन की कमी की रोकथाम के लिए आयरन टेबलेट जादुई गोली है?

उत्‍तर: जी हां। ऐसा इसलिए, क्‍योंकि शाकाहारी भोजन से लौह को प्रभावी तरीके से अवशोषित नहीं किया जाता। किशोर और किशोरियों को यह टेबलेट सप्‍ताह में एक बार लेनी चाहिए। यह कोई दवा नहीं बल्कि एक पोषक तत्‍व है जो आपको भोजन से मिलता है। चूंकि इस पोषक तत्‍व की आवश्‍यकता अधिक होती है और आहार से इसकी पूर्ति नहीं हो सकती इसलिए टेबलेट के रूप में इसकी प्रतिपूर्ति की जाती है। 

प्रश्‍न: आयरन टेबलेट लेने के प्रतिकूल प्रभाव क्‍या-क्‍या हैं?

उत्‍तर: जब आयरन की टेबलेट पहली बार ली जाती है तो शरीर के लिए इसे पचाना थोड़ा कठिन हो सकता है और इससे पेट दर्द और मितली आने जैसे लक्षण सामने आ सकते हैं। लेकिन भोजन के बाद आयरन की टेबलेट लेने पर अवशोषण थोड़ा कम होगा मगर पेट दर्द और मितली जैसे प्रभाव नहीं होंगे। कुछ सप्‍ताह तक टेबलेट लेते रहने पर ये प्रतिकूल प्रभाव ख्‍त्‍म हो जाते हैं क्‍योंकि शरीर आयरन टेबलेट के प्रति ढल जाता है। कुछ लोगों को मल काला होने की शिकायत हो सकती है लेकिन यह पूरी तरह से नुकसान रहित है। शरीर आवश्‍यकता अनुसार आयरन ले लेता है और अतिरिक्‍त आयरन मल द्वारा शरीर से बाहर आ जाता है। प्रतिकूल प्रभावों से बचने के लिए टेबलेट को कभी खाली पेट नहीं लेना चाहिए। बीमारी में किसी विटामिन अथवा पोषक तत्‍व को लेने की कभी मनाही नहीं होती। बल्कि इससे शरीर की रोग से लड़ने की क्षमता में सुधार होता है और बीमारी से तेजी से उबरने में मदद मिलती है।

प्रश्‍न: आईएफए टेबलेट कैसे लें – क्‍या करें

उत्‍तर: एक टेबलेट लें • टेबलेट को निगलें • पेट भर कर खाना खाएं • टेबलेट लेने के बाद एक गिलास गर्म पानी पीएं

हम औसत आय का प्रयोग क्यों करते हैं?

हम औसत का प्रयोग इसलिए करते हैं क्योंकि दो देशों की आर्थिक स्थिति को जाने का यह सबसे अधिक सरल मापदंड हैं। किसी देश की आय को यदि उसकी कुल जनसंख्या से विभाजित कर दिया जाए तो हमें उसकी औसत आय प्राप्त हो जाती हैं। इसी प्रकार औसत विभिन्न विषयों के बारे में प्राप्त की जा सकती हैं

हम औषध का प्रयोग क्यों करते हैं इनके प्रयोग करने की क्या कोई सीमाएं है विकास से जुड़े अपने उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए?

Solution : जब भी हमें एक बड़े सैम्पल का आकलन करना होता है तो एक एक आँकड़े का आकलन मुश्किल होता है। इसलिए ऐसी स्थिति में औसत का प्रयोग महत्वपूर्ण हो जाता है। औसत की अपनी सीमाएँ भी होती हैं। कई बार औसत से सही चित्र सामने नहीं आता है।

आप क्यों सोचते हैं कि औसत आय विकास को समझने का एक महत्त्वपूर्ण मापदण्ड है व्याख्या कीजिए?

Solution : क्योंकि यह बताती है कि एक व्यक्ति कितना कमा सकता है। प्रश्न 38. शिशु मृत्यु दर क्या है ?

औसत की सीमाएं क्या है?

Solution : औसत का प्रयोग विभिन्न देशों, राज्यों अथवा क्षेत्रों की तुलना करने के लिए किया जाता है। औसत की अनेक सीमाएँ हैं <br> (i) यह आय के वितरण के संबंध में सही तस्वीर नहीं पेश करती । (ii) औसत अभौतिक वस्तुओं तथा सेवाओं संबंधी कोई जानकारी नहीं देती।