निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
जाति न पूछो साध की, पूछ लीजिए ज्ञान।
मोल करो तरवार का, पड़ा रहन दो म्यान।।
तलवार का ही मोल-भाव क्यों करना चाहिए?
- क्योंकि म्यान मुफ्त मिलती है।
- क्योंकि तलवार की धार काम आती है म्यान नहीं।
- तलवार के आधार पर म्यान का मूल्य होता है।
- तलवार के आधार पर म्यान का मूल्य होता है।
B.
क्योंकि तलवार की धार काम आती है म्यान नहीं।
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‘साखियाँ’ शब्द क्या अर्थ देता है?
- दूसरों को ज्ञान देना।
- प्रत्यक्ष ज्ञान का अनुभव करके सीख देना।
- किसी के द्वारा ज्ञान देना।
- किसी के द्वारा ज्ञान देना।
B.
प्रत्यक्ष ज्ञान का अनुभव करके सीख देना।
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साधु की जाति न पूछने की सलाह कबीर ने क्यों दी है?
- हमें उसके ज्ञान को प्राप्त करने की चेष्टा करनी चाहिए।
- बराबर जाति वाले से ज्ञान प्राप्त करके ही हम ज्ञानवान बन सकते हैं।
- जाति पूछने से यह ज्ञान नहीं देता।
- जाति पूछने से यह ज्ञान नहीं देता।
B.
बराबर जाति वाले से ज्ञान प्राप्त करके ही हम ज्ञानवान बन सकते हैं।
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किसी को अपशब्द क्यों नहीं कहने चाहिए?
- अपशब्द कहने से हम बुरे कहलाते हैं।
- अपशब्द कहने से कोई हमारे साथ बात नहीं करता।
- अपशब्द कहने से अपशब्द बढ़ते जाते हैं।
- अपशब्द कहने से अपशब्द बढ़ते जाते हैं।
C.
अपशब्द कहने से अपशब्द बढ़ते जाते हैं।
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कबीर ने घास के तिनके की भी निंदा न करने को क्यों कहा है?
- घास का तिनका गहरा घाव कर सकता है।
- वह उड़कर आँख में पड़ जाए तो कुछ दिखाई नहीं देता।
- घास के तिनके के माध्यम से कवि ने कहना चाहा है कि कभी किसी को छोटा और कमजोर मत समझो।
- घास के तिनके के माध्यम से कवि ने कहना चाहा है कि कभी किसी को छोटा और कमजोर मत समझो।
D.
घास के तिनके के माध्यम से कवि ने कहना चाहा है कि कभी किसी को छोटा और कमजोर मत समझो।
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ईश्वर की भक्ति हेतु कवि ने मन के बारे में क्या कहा है?
- मन को चारों और घुमाना चाहिए।
- मन की बातों पर विचार नहीं करना चाहिए।
- मन करे तो भक्ति करो. मन न करे तो नहीं।
- मन करे तो भक्ति करो. मन न करे तो नहीं।
D.
मन करे तो भक्ति करो. मन न करे तो नहीं।
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निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
जाति न पूछो साध की, पूछ लीजिए ज्ञान।
मोल करो तरवार का, पड़ा रहन दो म्यान।।
तलवार का ही मोल-भाव क्यों करना चाहिए?
- क्योंकि म्यान मुफ्त मिलती है।
- क्योंकि तलवार की धार काम आती है म्यान नहीं।
- तलवार के आधार पर म्यान का मूल्य होता है।
- तलवार के आधार पर म्यान का मूल्य होता है।
B.
क्योंकि तलवार की धार काम आती है म्यान नहीं।
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तलवार का महत्त्व होता है म्यान का नहीं’-उक्त उदाहरण से कबीर क्या कहना चाहते हैं? स्पष्ट कीजिए।
‘तलवार का महत्त्व होता है म्यान का नहीं’ इस उदाहरण से कबीर कहना चाहते हैं कि महत्त्व सदा मुख्य वस्तु का होता है जैसे हम तलवार लेना चाहें तो उसकी धार देखकर उसका मोल भाव करेंगे उसका म्यान कितना भी सुंदर क्यों न हो उसकी ओर हम ध्यान नहीं देते। ठीक वैस ही जैसे साधु-संतों के ज्ञान की महत्ता होती है उनकी जाति से किसी को कोई सरोकार नहीं होता।
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पाठ की तीसरी साखी-जिसकी एक पंक्ति है ‘मनुवाँ तो दहुँ दिसि फिर, यह तो सुमिरन नाहिं’ के द्वारा कबीर क्या कहना चाहते हैं?
‘मनुवाँ तो दहूँ दिसि फिरै, यह तौ सुमिरन नाहिं’ इस पंक्ति के माध्यम से कबीर ने कहना चाहा है कि हमारा मन भक्ति के समय यदि दसों दिशाओं की ओर घूमता रहता हैं, ईश्वर के स्मरण मैं एकाग्रचित्त नहीं होता तो ऐसी भक्ति व्यर्थ है।
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“ या आपा को डारि दे, दया करै सब कोय।”
“ऐसी बानी बोलिए मन का आपा खोय।”
इन दोनों पक्तियों में ‘आपा’ को छोड़ देने या खो देने की बात की गई है। ‘आपा’ किस अर्थ में प्रयुक्त हुआ है? क्या ‘आपा’ स्वार्थ के निकट का अर्थ देता है या घमंड
का?
“या आपा को डारि दे, दया करै सब कोय।”
“ऐसी बानी बोलिए मन का आपा खोय।”
इन दोनों पंक्तियों में ‘आपा’ शब्द का प्रयोग घमंड अर्थात् अंहकार के लिए प्रयुक्त हुआ है।
पहली पंक्ति में कबीर का कहना है कि मनुष्य को अपने स्वभाव से अहंकार को त्याग देना चाहिए ताकि सभी उस पर कृपाभाव रखें।
दूसरी पंक्ति में कबीर का कहना है कि अपने मन के अहंकार को त्याग कर हम ऐसी मीठी वाणी बोलनी
चाहिए कि सभी हमारी ओर आकर्षित हो जाएं।
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मनुष्य के व्यवहार में ही दूसरों को विरोधी बना लेनेवाले दोष होते हैं। यह भावार्थ किस दोहे से व्यक्त होता है?
जग में बैरी कोइ नहीं, जो मन सीतल होय।
या आपा को डारि दे, दया करै सब कोय।।
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कबीर घास की निंदा करने से क्यों मना करते हैं। पढ़े हुए दोहे के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
कबीर के दोहे में घास का विशेष अर्थ है क्योंकि इसमें उन्होंने पैरों के नीचे रौंदी जाने वाली घास के बारे में कहा है कि हमें कभी उसे निर्बल या कमजोर नहीं समझना चाहिए क्योंकि उसका छोटा-सा तिनका भी यदि आँख में पड जाए तो कष्टकर होता है। इस घास का वास्तविक संदेश यह है कि हमें समाज में रहने वाले छोटे से छोटे व्यक्ति काे भी कभी कमजोर नहीं समझना चाहिए, क्योंकि यदि वह शक्ति प्राप्त कर ले तो हमें गहरा आघात पहुंचा सकता है।
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