हर की पौड़ी का क्या अर्थ है? - har kee paudee ka kya arth hai?

हर की पौड़ीधर्म संबंधी जानकारीसम्बद्धताप्रोविंसनिर्माण वर्षअवस्थिति जानकारीअवस्थितिज़िलाराज्य

हर की पौडी पर सांय का दृश्य

सनातन धर्म
हरिद्वार
पौराणिक
हरिद्वार उत्तराखण्ड
हरिद्वार
उत्तराखण्ड

हर की पौड़ी या हरि की पौड़ी भारत के उत्तराखण्ड राज्य की एक धार्मिक नगरी हरिद्वार का एक पवित्र और सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। इसका भावार्थ है "हरि यानी नारायण के चरण"।

कथा[संपादित करें]

हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार समुद्र मन्थन के बाद जब धन्वंतरी अमृत के लिए झगड़ रहे देव-दानवों से बचाकर अमृत ले जा रहे थे तो पृथ्वी पर अमृत की कुछ बूँदें गिर गई और वे स्थान धार्मिक महत्व वाले स्थान बन गए। अमृत की बूँदे हरिद्वार में भी गिरी और जहाँ पर वे गिरी थीं वह स्थान हर की पौड़ी था। यहाँ पर स्नान करना हरिद्वार आए हर श्रद्धालु की सबसे प्रबल इच्छा होती है क्योंकि यह माना जाता है कि यहाँ पर स्नान से मोक्ष की प्राप्ति होती है। base on true events

मान्यता[संपादित करें]

हर की पौड़ी या ब्रह्मकुण्ड पवित्र नगरी हरिद्वार का मुख्य घाट है। ये माना गया है कि यही वह स्थान है जहाँ से गंगा नदी पहाड़ों को छोड़ मैदानी क्षेत्रों की दिशा पकड़ती है। इस स्थान पर नदी में पापों को धो डालने की शक्ति है और यहाँ एक पत्थर में श्रीहरि के पदचिह्न इस बात का समर्थन करते हैं। यह घाट गंगा नदी की नहर के पश्चिमी तट पर है जहाँ से नदी उत्तर दिशा की ओर मुड़ जाती है। हर शाम सूर्यास्त के समय साधु संन्यासी गंगा आरती करते हैं, उस समय नदी का नीचे की ओर बहता जल पूरी तरह से रोशनी में नहाया होता है और याजक अनुष्ठानों में संलग्न होते हैं।

निकटवर्ती[संपादित करें]

इस मुख्य घाट के अतिरिक्त यहाँ पर नहर के किनारे ही छोटे-छोटे अनेक घाट हैं। थोड़े-थोड़े अन्तराल पर ही सन्तरी व सफेद रंग के जीवन रक्षक टावर लगे हुए हैं जो ये निगरानी रखते हैं कि कहीं कोई श्रद्धालु बह न जाए।

हर की पौड़ी का नयनाभिराम दृश्य जिसमें, मालवीय द्वीप (दाँए) जिसका नाम महामना मदन मोहन मालवीय के नाम पर रखा गया है और बिरला टॉवर जो सन १९३६ में बना था, दिख रहे हैं।

चित्र दीर्घा[संपादित करें]

  • हर की पौड़ी पर सन्ध्या आरती का एक दृश्य।

  • हर की पौड़ी पर घण्टाघर।

  • रात्री के समय हर की पौड़ी।

  • साँझ के समय हर की पौड़ी।

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • हर की पौड़ी पर संध्या आरती
  • हर की पौड़ी के समाचार
  • हर की पौड़ी पर एक कविता द्वारा मीनाक्षी ठाकुर
  • हर की पौड़ी - चित्रावली १
  • हर की पौड़ी - चित्रावली २
  • हर की पौड़ी - चिट्ठा[मृत कड़ियाँ]

हर की पौड़ी का मतलब क्या होता है?

हर की पौड़ी या हरि की पौड़ी भारत के उत्तराखण्ड राज्य की एक धार्मिक नगरी हरिद्वार का एक पवित्र और सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। इसका भावार्थ है "हरि यानी नारायण के चरण"।

हर की पौड़ी क्यों कहा जाता है?

हर की पौड़ी पवित्र स्थल का महत्व धार्मिक मान्यता है कि हर की पौड़ी में एक पत्थर में भगवान श्रीहरि विष्णु के पदचिन्ह हैं। इसके लिए इस घाट को हर की पौड़ी कहा जाता है। इस जगह पर गंगा नदी में आस्था की डुबकी लगाने से सभी पाप धूल जाते हैं। संध्याकाल में गंगाघाट पर आरती की जाती है।

हरिद्वार को हर की पौड़ी क्यों कहा जाता है?

दुर्योग से उस वक्त अमृत की कुछ बूंदें पृथ्वी पर गिर गईं. कहा जाता है कि जहां-जहां अमृत की बूंदें गिरीं, वह स्थान धर्म स्थल बन गया. अमृत की कुछ बूंदें हरिद्वार में भी गिरीं. वह स्थान हरि की पौड़ी कहलाया.

हर की पौड़ी का निर्माण कैसे हुआ?

हर की पौड़ी का निर्माण राजा विक्रमादित्य के भाई भारती की याद में किया गया था, जिन्होंने गंगा नदी के तट पर यहाँ ध्यान किया था। ठीक उसी जगह जहाँ शाम और सुबह की आरती होती है, उसे 'ब्रह्मकुंड' के नाम से जाना जाता है, ऐसा माना जाता है कि इस जगह पर अमृत ​​”की बूँदें' गिरी थी। इस घाट का समय समय पर पर कई बार नवीकरण भी हुआ है।

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