Solution : संतुलन कीमत (Equilibrium Price)-संतुलन कीमत वह कीमत है जिस पर माँग तथा पूर्ति एक-दूसरे के बराबर होते हैं या जहाँ क्रेताओं की खरीद या विक्रेताओं की बिक्री एक-दूसरे के समान होती है। पूर्ण प्रतियोगी बाजार में संतुलन कीमत का निर्धारण माँग तथा पूति की शक्तियों द्वारा होता है। संतुलन कीमत उस बिन्दु पर निर्धारित होती है जहाँ बाजार माँग बाजार पूर्ति के बराबर हो जाती है। <br> पूर्ण प्रतियोगिता में संतुलन कीमत/मूल्य का निर्धारण (Determination of equilibrium price in perfect competition state)- of storefront स्थिति में क्रेता वस्तु की सीमांत उपयोगिता से अधिक कीमत देने को तैयार नहीं होते हैं तथा विक्रेता सीमांत लागत से कम कीमत पर वस्तु की आपूर्ति नहीं करेंगे। इस प्रकार इन दोनों अधिकतम एवं न्यूनतम सीमाओं के बीच ही वस्तु की कीमत का निर्धारण होगा। वास्तव में, संतुलन कीमत का निर्धारण उस बिन्दु पर होगा जहाँ वस्तु की माँग की पूर्ति के बराबर होगी। <br> <img src="//d10lpgp6xz60nq.cloudfront.net/physics_images/UNQ_HIN_10Y_QB_ECO_XII_QP_E02_011_S01.png" width="80%"> <br> चित्र में E बिन्दु पर वस्तु की माँग मानी जाने वाली मात्रा, पूर्ति के बराबर है अर्थात् OP संतुलित कीमत है जहाँ पर OM संतुलित मात्रा है। यदि कीमत `OP_1` है तो पूर्ति `P_1B` तथा माँग `P_1A` है। इस अवस्था में अधिक पूर्ति की दशा है जिससे विक्रेताओं में परस्पर प्रतियोगिता होगी तथा इस प्रतियोगिता के कारण वस्तु की कीमत कम हो जाएगी तथा माँग का विस्तार होगा। जब कीमत कम होकर OP रह जाएगी तो माँग तथा पूर्ति परस्पर बराबर हो जाएँगे इसलिए OP संतुलित कीमत स्थापित होगी। यदि किसी कारण से वस्तु की कीमत कम होकर `OP_2` रह जाती है तो माँग, पूर्ति से अधिक होगी जिससे विक्रेताओं में प्रतियोगिता बढ़ जाएगी। इससे अतिरिक्त माँग की दशा उत्पन्न होगी इस कारण कीमत बढ़नी शुरू हो जाएगी तथा तब तक बढ़ती रहेगी जब तक वह OP नहीं हो जाती। इस दशा में फिर माँग तथा पूर्ति में संतुलन स्थापित हो जाएगा।
Iii संतुलन कीमत से आप क्या समझते हैं क्या होता है जब किसी वस्तु की माँग में वृद्धि तथा पूर्ति में कमी होती है ?`? - iii santulan keemat se aap kya samajhate hain kya hota hai jab kisee vastu kee maang mein vrddhi tatha poorti mein kamee hotee hai ?`?
Solution : संतुलन कीमत (Equilibrium Price)-संतुलन कीमत वह कीमत है जिस पर माँग तथा पूर्ति एक-दूसरे के बराबर होते हैं या जहाँ क्रेताओं की खरीद या विक्रेताओं की बिक्री एक-दूसरे के समान होती है। पूर्ण प्रतियोगी बाजार में संतुलन कीमत का निर्धारण माँग तथा पूति की शक्तियों द्वारा होता है।
जिस कीमत पर किसी वस्तु की मांगी गई मात्रा उसकी आपूर्ति की मात्रा के बराबर हो उसे सन्तुलन कीमत कहते हैं । सन्तुलन कीमत पर वस्तु की मांगी गई मात्रा उसकी आपूर्ति की मात्रा के बराबर होती है । वस्तु की यह मात्रा संतुलन मात्रा कहलाती है ।
उत्तर - संतुलन कीमत वह कीमत है जो मांग एवं पूर्ति की शक्तियों द्वारा उस बिंदु पर निर्धारित होती है जहां वस्तु की मांग और पूर्ति आपस में बराबर हो जाते हैं। साम्य कीमत मांग की ऐसी स्थिति को दर्शाती है जहां कीमत को निर्धारित करने वाली शक्तियों में किसी बदलाव की कोई प्रवृत्ति नहीं होती अर्थात बदलाव की अनुपस्थिति होती है।
संतुलन या साम्य या साम्यावस्था (इक्विलिब्रिअम) से तात्पर्य किसी निकाय की उस अवस्था से है जब दो या अधिक परस्पर विरोधी वस्तुओं या बलों के होने पर भी 'स्थिरता' (अगति) का दर्शन हो। बहुत से निकायों में साम्यावस्था देखने को मिलती है। १. अच्छी तरह तौलने की क्रिया या भाव।