इस्लाम विकिपीडिया में सुअर हराम क्यों है? - islaam vikipeediya mein suar haraam kyon hai?

इस्लाम धर्म के सबसे पवित्र और मुख्य ग्रन्थ कुरान पाक के मुताबिक स्पष्ट रूप से कहा गया है की इस्लाम धर्म में ऐसे किसी भी जानवर का सेवन करना वर्जित है जो हलाल और जिंबा न किया गया हो।

इन्हें खाना हराम है

आप शायद इस बात को जानते होंगे की कुरान पाक के अनुसार किसी भी जानवर का मांस खाना जो किसी बिमारी या दुर्घटना में मर गया हो हराम माना जाता है।

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वैज्ञानिको के अनुसार

वैज्ञानिको के शोध के अनुसार सूअर का मांस खाने से व्यक्ति को 72 प्रकार की बीमारियाँ हो सकती है इस बात की जानकारी विज्ञान ने अभी दी है किन्तु इसे 1400 वर्ष पूर्व ही कुरान पाक में बता दिया गया था।

मस्तिष्क को हानि

इस्लामिक ग्रन्थ कुरआन में सूअर के मांस को खाना हराम माना जाता है वैज्ञानिको के अनुसार सूअर के मांस में टाईनिया सोलियम नाम का बैक्टीरिया पाया जाता है जो व्यक्ति के मस्तिष्क को अपना शिकार बनाता है और इससे दिमागी रोग उत्पन्न होते है।

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इन अंगों को हानि

जिस स्थान पर सूअर को पाला जाता है उस स्थान पर कई प्रकार के जीवाणु पैदा हो जाते है यदि यह जीवाणु व्यक्ति की आँखों में चले जाते है तो इससे आखों की रोशनी जाने का खतरा हो सकता है तथा यदि ये आपके पेट में पहुँच जाते है तो कई प्रकार की बीमारियाँ उत्पन्न हो जाती है।

मुस्लिम धर्म की सबसे बड़ी धार्मिक पुस्तक कुरान में तीन जगह साफ़ लिखा गया है कि मुसलमान सूअर का मांस नहीं खा सकता है.

सबसे पहले तो यह बता दें कि इस्लाम में ‘सूअर’ नाम लेना भी हराम ही बोला जाता है.

लेकिन आज तक इस मुद्दे पर मिथ्या बातें की जाती रही हैं. जिस तरह से इस्लाम में सूअर को हराम बोला गया है, आज विज्ञान भी मानने लगा है कि सूअर का मांस इंसान के लिए सही नहीं होता है.

क्या लिखा गया है इस्लाम में:-

इस्लाम में सूअर का मांस क़ुर्आन के स्पष्ट प्रमाण के द्वारा हराम (निषिद्ध) किया गया है, और वह अल्लाह तआला का यह कथन है: ‘‘तुम पर मुर्दा, (बहा हुआ) खून और सुअर का मांस हराम है.’’ (सूरतुल बक़रा:173)

“तुम्हारे लिए (खाना) हराम (निषेध) किया गया मुर्दार, खून, सूअर का माँस और वह खाना जिस पर अल्लाह के अलावा किसी और का नाम लिया गया हो” – कुरआन 5:3

किसी भी परिस्थिति में मुसलमान के लिए इसको खाना वैध बताया गया है सिवाय इसके कि उसे ऐसी ज़रूरत आ जाये जिस में उसका जीवन उसको खाने पर ही निर्भर करता हो.

वैसे शरीयत ग्रंथों में भी सूअर के मांस के हराम किए जाने के किसी विशिष्ट कारण का उल्लेख तो नहीं है,  इस के बारे में केवल अल्लाह तआला का यह कथन है कि: “यह निश्चित रूप से गंदा -अशुद्ध और अपवित्र है.”

‘‘और वह (अर्थात् पैग़म्बर) पाक (शुद्ध) चीज़ों को हलाल (वैध) बताते हैं और नापाक (अशुद्ध) चीज़ों को हराम (अवैध) बताते हैं.’’ (सूरतुल आराफ:157)

क्यों सूअर गन्दा जानवर है और इसको खाना क्यों हराम है?

इस्लाम में एक बात साफ़- साफ बोली गयी है कि व्यक्ति को (मुसलमान) गन्दगी से बहुत दूर रहना चाहिए. यहाँ साफ़ बताया गया है कि ऐसी चीज़ों से भी आप दूर रहें जो गन्दी हों. इसलिए मल-मूत्र या दूसरी किसी तरह की गन्दगी कपड़ों पर या बदन पर लग जाएगी तो इन्सान नमाज़ नहीं पढ़ सकता और ना ही कुरान शरीफ पढ़ सकता है जब तक वो उस गन्दगी को साफ़ ना कर दे.

सूअर इंसानोँ और जानवरों की गंदगी खाता है:-

यह जानवर जैसा कि सभी प्रकार के मल खाता है तो इससे यह एक अपवित्र जीव बन जाता है. इसलिए इस्लाम में इसको हराम बोल गया है.

सूअर से होती हैं खतरनाक बीमारियाँ:-

हाल हीं मे कुछ डॉक्टर्स ने बताया है कि सूअर खानो वालो को 57 किस्म की घातक बिमारियाँ हो सकती हैं. अभी विश्व में जो एच1एन 1 जैसा खतरनाक वायरस चल रहा है उसकी वजह यह जीव है.

सूअर में होते हैं ख़ास तरह के कीड़े:-

सूअर में ख़ास तरह के कीड़े होते हैं जो इंसानी शरीर में नहीं जाने चाहिए. यह कीड़े खून में अंडे देते हैं और फिर वह अंडे बाकि पूरे शरीर में फैल जाते हैं. यह अगर दिमाग में चले जाएँ तो इंसान की मौत भी हो सकती है.

सबसे बेशर्म जीव बोला जाता है इसे:-

कहते हैं हम जिस तरह का भोजन करते हैं उसका असर हम पर जरुर पड़ता है. सूअर सबसे बेशर्म जीव है. केवल यही एक ऐसा जानवर है जो अपने साथियों को बुलाता है कि वे आएँ और उसकी मादा के साथ यौन इच्छा पूरी करें.

अब अंतिम बात बेशक आपकी अजीब लग सकती है लेकिन आज विज्ञान भी कहने लगा है कि सूअर का मांस इंसान को नहीं खाना चाहिए.

शायद पश्चिमी देश वाले इस्लाम की इस बात को स्वीकार करते तो शायद विश्व कई तरह की बिमारियों से बच सकता था.

(यह पोस्ट किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने के लिए नहीं लिखी गयी है अपितु इसका उद्देश्य लोगों को जागरूक करना है)

इसे सुनेंरोकेंहराम (गैर-हलाल) भोजन का सबसे आम उदाहरण पोर्क (सुअर का मांस उत्पाद) है। जबकि सूअर का मांस ही एकमात्र ऐसा मांस है जिसका सेवन मुसलमानों द्वारा नहीं किया जा सकता है (कुरान इसे मना करता है, सूरा 2:173 और 16:115 अन्य खाद्य पदार्थ जो पवित्रता की स्थिति में नहीं हैं वे भी हराम हैं।

हलाल चिकन क्या है?

इसे सुनेंरोकेंहलाल चिकन व झटका चिकन में क्या अंतर हैं? मांसपेशियां प्रोटीन की स्रोत हैं। कीटाणु मुख्यतः रक्त में होते हैं । हलाल करने का लक्ष्य रहता है कि हृदय धड़कता रहे, ताकि पशु शरीर का रक्त पूरा पंप होकर अपने साथ बीमारियों की जड़ अर्थात कीटाणुओं को लेकर बाहर निकल जाए।

हलाल कैसे करते हैं?

इसे सुनेंरोकेंमारते समय जानवरों का जिंदा और स्वस्थ होना भी जरूरी है. इसमें जानवरों के शव से सारा खून बहाया जाता है. इस प्रक्रिया के दौरान विशेष आयतें पढ़ी जाती हैं जिसे तस्मिया या शाहदा कहा जाता है. हलाल की प्रक्रिया पर अक्सर बहस भी होती है जैसे कि क्या इसमें जानवरों को बेहोश किया जा सकता है या नहीं.

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मुस्लिम लोग सूअर क्यों नहीं खाते?

इसे सुनेंरोकेंज़्यादातर ‘पोर्क’ का आयात मलेशिया से ही किया जाता है. यहाँ भी ग़ैर मुसलामानों के ‘पोर्क’ खाने पर कोई पाबंदी नहीं लगाई गई है. यहाँ भी ग़ैर मुसलमान ‘पोर्क’ खाते हैं और बेचते भी हैं और इस पर कोई पाबंदी नहीं है. तुर्की में भी ‘पोर्क’ सदियों से खाया जाता रहा है और यहाँ भी किसी के भी ‘पोर्क’ खाने पर कोई पाबंदी नहीं है.

मुताह क्या है?

इसे सुनेंरोकेंएक निश्चित समय के लिए एक निश्चित रकम के बदले स्त्री और पुरुष का संबंध ही मुताह विवाह कहलाता है। मुताह का शाब्दिक अर्थ होता है आनंद। इसीलिए मुताह को आनंद के लिए किए विवाह की संज्ञा भी दी जा सकती है। इस्लाम के पहले अरब समाज में यह काफी प्रचलित था।

मुसलमान सूअर क्यों खाते हैं?

इसे सुनेंरोकेंसुअर सबसे घिनौना जानवर है जिसको अल्लाह ने सिर्फ सफाई और करने के लिए पैदा किया है। सुवर अपना गुजारा मल खाकर ही करता है। जिन गांव क्षेत्रों में आज शौचालय नहीं है तो वहां के लोग बाहर ही मल-मूत्र का त्याग करते है तो सुअर ही इसकी सफाई करता है।

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सूअर में कितना प्रोटीन होता है?

इसे सुनेंरोकेंजमशेदपुर की डिमना रोड की डायटीशियन श्वेता झा बताती हैं कि अगर आप 100 ग्राम पोर्क का सेवन भी करते हैं तो इसके अंदर आपको 20-24 ग्राम प्रोटीन प्राप्त हो जाता है। इसे प्रोटीन का एक-सबसे अच्छा स्रोत माना जाता है।

क्या पाकिस्तान में सूअर है?

इसे सुनेंरोकेंMargalla हिल्स की राजधानी के आसपास के इस्लामाबाद के एक काफी बड़ी आबादी के घर हैं यूरेशियन जंगली सूअर । इन सूअरों का वजन १०० किलोग्राम तक हो सकता है और इनके दांत नुकीले होते हैं, जबकि नर वयस्कों के भी आमतौर पर ऊपर की ओर घुमावदार दांत होते हैं।

मांस क्यों खाते हैं लोग?

इसे सुनेंरोकेंमांस बहुत ही पौष्टिक आहार है और प्रोटीन से भरपूर है मांस उत्तम प्रोटीन का अच्छा स्रोत है। इसमें आठों आवश्यक अमीनो एसिड भी पाए जाते हैं जो शरीर के भीतर नहीं बनते है और जिसकी पूर्ति आहार द्वारा की जानी ज़रूरी है। मांस में लोह, विटामिन बी-1और नियासिन भी पाए जाते हैं।

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सूअर के मीट खाने से क्या फायदा?

इसे सुनेंरोकेंजानकारी के लिए बता दें कि सुअर का मांस (Pork) लाल मटन (red mutton) के अंतर्गत आता है जिसमे की पर्याप्त मात्रा में प्रोटिन और वसा पाया जाता है जो कि हमारे शरीर के लिए बहुत ही उपयोगी है। सुअर के मांस में सेलेनियम तत्व की मात्रा पाई जाती है जिससे कि हमारा प्रजनन शक्ति को बढ़ाता है।

फारसी शब्द हरम से क्या तात्पर्य है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer. Answer: मुसलमान राजाओं के महलों का वह हिस्सा जहाँ केवल स्त्रियाँ रहती थीं और जहाँ पुरुषों का जाना वर्जित होता था ‘हरम’ कहलाता था। मूल रूप से अरबी भाषा के शब्द ‘हरम’ का प्रयोग फारसी और उर्दु में भी होता है।

इस्लाम में सूअर हराम क्यों है?

हराम (गैर-हलाल) भोजन का सबसे आम उदाहरण पोर्क (सुअर का मांस उत्पाद) है। जबकि सूअर का मांस ही एकमात्र ऐसा मांस है जिसका सेवन मुसलमानों द्वारा नहीं किया जा सकता है (कुरान इसे मना करता है, सूरा 2:173 और 16:115 अन्य खाद्य पदार्थ जो पवित्रता की स्थिति में नहीं हैं वे भी हराम हैं।

सूअर का मांस क्यों नहीं खाते?

सूअर का मांस बहुत से रोगों का कारण है सबसे ज्यादा घातक कीड़ा Taenia Solium है जिसे आम लोग Tapeworm (फ़ीता कृमि कीड़े) कहते हैं। यह कीड़ा बहुत लंबा होता है और आँतों में रहता है। इसके अंडे खून में दाखिल होकर शरीर के लगभग सभी अंगों में पहुँच जाते हैं।

इस्लाम में क्या क्या हराम है हिंदी?

सभी व्यापार और व्यापार प्रथाओं के परिणामस्वरूप माल और सेवाओं के मुक्त और निष्पक्ष विनिमय के परिणामस्वरूप हरम, जैसे रिश्वत, चोरी और जुआ के रूप में माना जाता है। इसलिए, इस्लाम में धोखाधड़ी और बेईमानी के सभी रूप निषिद्ध हैं।

कुरान में काफिरों के बारे में क्या लिखा है?

कुरान में लिखा है मूर्तीपूजक नापाक है- कुरान सूरा 9 आयत 28 में लिखा है 'हे इमां वालों (मुसलमानों) मुशरिक (मूर्ती पूजक) नापाक है।'' कुरान में लिखा है काफिरों का क़त्ल अल्लाह करता है- कुरान आयत 8/17 और 18 दोनो में लिखा है तुम्हे काफिरों का क़त्ल नहीं किया है अल्लाह ने उन्हें क़त्ल किया है।