जैव विविधता किसे कहते हैं जैव विविधता का संरक्षण पर्यावरण के लिए क्यों आवश्यक है? - jaiv vividhata kise kahate hain jaiv vividhata ka sanrakshan paryaavaran ke lie kyon aavashyak hai?

 जैव विविधता संरक्षण जैव विविधता संरक्षण की विधियां

जैव विविधता संरक्षण का आशय,प्रकृति में उपस्थित विविध जीव-जंतु, प्रजातियों एवं अन्य जैव संसाधनों को संरक्षण प्रदान करना है। पारिस्थितिक संतुलन एवं मानव जीवन की आवश्यकतओं की आबाध आपूर्ति के लिए जैव विविधता का होना आवश्यक है।

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परितंत्र एवं प्रजातियों के सत्त उपयोग को बनाए रखने के लिए विश्व एवं स्थानिक स्तर पर संरक्षण के अनेक प्रयास किए जा रहे हैं।

जैव विविधता संरक्षण की प्रमुख रूप से दो विधियां हैं-

स्व-स्थाने सरंक्षण In-Situ Conservation 

स्वस्थाने सरंक्षण के अंतर्गत विभिन्न जीव जातियों को उनके प्राकृतिक आवास में संरक्षण प्रदान किया जाता है। स्व स्थाने संरक्षण के अंतर्गत निम्न विधियां हैं-

  • राष्ट्रीय उद्यान
  • वन्यजीव अभ्यारण्य
  • जैव मंडल आगार
  • पवित्र उपवन एवं झीलें
  • समुदाय एवं सरंक्षण आगार

यह भी पढ़ें  भारत में जैवविविधता संरक्षण 

बाह्य स्थाने संरक्षण Ex-Situ Conservation

इसके अंतर्गत, संकटग्रस्त पादपों व जंतुओं को उनके प्राकृतिक आवास से अलग विशेष स्थान पर सावधानीपर्वूक संरक्षित किया जाता है। इसके अंतर्गत निम्न विधियां शामिल हैं-

  • चिड़ियाघर
  • वनस्पति उद्यान
  • जीन बैंक
  • बीज बैंक
  • निम्नतापीय संरक्षण

विश्व संरक्षण रणनीति  के जैव विविधता संरक्षण के संबंध में सुझाव 

1. उन प्रजातियों के संरक्षण का प्रयास होना चाहिए जो कि संकटग्रस्त हैं।

2. विलुप्ति पर रोक के लिये उचित योजना तथा प्रबंधन की आवश्यकता।

3. खाद्य फसलों, चारा पौधों, मवेशियों, जानवरों तथा उनके जंगली रिश्तेदारों को संरक्षित किया जाना चाहिए।

4. प्रत्येक देश की वन्य प्रजातियों के आवास को चिंहित कर उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करना चाहिए।

5. उन आवासों को सुरक्षा प्रदान करना चाहिए जहाँ प्रजातियाँ भोजन, प्रजनन तथा बच्चों का पालन-पोषण करती हैं।

6. जंगली पौधों तथा जन्तुओं के अन्तरराष्ट्रीय व्यापार पर नियंत्रण होना चाहिए।

जैव विविधताः संपूर्ण अध्ययन सामग्री

जैव विविधता क्या है ( jaiv vividhata kya hai )

जब किसी विषेस स्थान पर जीव जंतु और पेड़ पैधो की जंसंख्या बहुत अधिक हो इसके अलावा उन जीवो और पौधों में जातिगत विभिन्नता भी अधिक हो तब ऐसी अवस्था के लिए जैव विविधता सब्द उपयोग किया जाता है इंग्लिश में इसे biodivercity कहा जाता है

दोस्तों आप सभी के मन मे जैव विविधता सब्द से संबंधित कई विचार आते हैं क्योंकि यह हमारे पर्यावरण का एक महत्वपूर्ण मुद्दा है जिसको एक स्टूडेंट और compitative exam की तैयारी करने वालो को जानना बहुत जरूरी है

इस post मे आज आपको बताया जाएगा की जैव विविधता क्या है  और हॉटस्पॉट किसे कहते हैँ  तो चलिए आज आपको biodiversity की पूरी जानकारी देते हैँ

जैव विविधता क्या है ( biodivercity kya hai )

जैसे की आप सभी लोग जानते हैँ जीव जगत को दो भागो मे बाटा गया हैँ जिसको plant और animal किंगडम के रूप मे जाना जाता है 

plant  को flora कहा जाता है जिसमे सभी प्रकार के पेड़ पौधे हुए और animal को fauna कहा जाता है जिसमे छोटी चींटी से लेकर कई जीव आते है

जैव विविधता में plants और animal की पूरी प्रजाती समाहित होती जब इनकी संख्या  बहुत जादा और प्रजातिओ मे विविधता होती है तब इसके लिए जैव विविधता शब्द उपयोग कीया जाता है तब जैव विविधता की परिभाषा  क्या होंगी आइये जानते हैं 

 जैव विविधता का डेफिनेशन होगा – जहा पर जीव जंतु और पेड़ पौधे  की जनसंख्या बहुत जादा होने के बाद उनमे  प्रजाती और जातिगत  विविधता हो तब  वह  जैव विविधता कहलाता है

सर्वप्रथम नार्मन मेयर्स ने जैव विविधता का अवधारणा दिया

22 May – World Biodiversity Day मनाया जाता है

जैव विविधता क्यों आवश्यक है –

पृथ्वी के पर्यावरण संतुलन मे biodiversity बहुत जादा जरुरी है जिस स्थान पर यह नही पाया जाता वहाँ प्राथमिक उत्पादन बहुत कम होता है, यहाँ पर प्राथमिक उत्पादक से अर्थ होगा पेड़ पौधे से क्योंकि ये ही सूर्य की ऊर्जा का उपयोग करते है और अपने लिए भोजन बना कर खुद और दूसरे आश्रित जीवो को भोजन हेतु अपने पत्ते और फल उपलब्ध करवाते हैं

इस प्रकार यह पृथ्वी मे पर्यावरण संतुलन मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं  इसके अतिरिक्त ऑक्सीजन का निर्माण कर पेड़ पौधे  सभी जीवो को बहुत मदद करती है

शाकाहारी   जीव द्वारा plants के बीजो को एक जगह से दूसरे जगह तक फैलाने मे मुख्य हाथ होता है जिससे वन छेत्रफल का आकार बढ़ता है इसके अतिरिक्त बहुत सारे प्राक्रितक   कारक भी जिम्मेदार होते है

प्राक्रितक   कारक मे हवा, पानी, मौसम मुख्य भूमिका निभाते है

मासाहरी जीव के द्वारा भी शाकाहारी जीवो की संख्या नियंत्रित किया जाता है इस प्रकार हम कह सकते है की earth की समुचित ढंग से नियंत्रण के लिए जैव विविधता बहुत आवश्यक है

हॉटस्पॉट क्या है

जिस किसी खास जगह पर जीवो मे विविधता के साथ उनकी बहुत जादा संख्या पायी जाती है तब वह hot spot(गर्म जगह ) कहलाता है ऐसे जगह मे जैव विविधता सर्वाधिक होंगी 

जैव विविधता  की अवधारणा नोरमन मेयर्स  ने दिया है 

पृथ्वी मे कई स्थान ऐसे है जहाँ प्रजातियों मे विविधता के साथ उनकी जनसंख्या भी अधिक होती है  ऐसे छेत्रो मे हमें बहुत सारे प्रकार के पेड़ पौधे और जीव दिखाई देते है

विश्व मे ऐसे hot spot वाले कुल जगह 36 है जिसमे से भारत मे 4 जगह हॉटस्पॉट के रूप मे शामिल है इसमें

भारत मे 4 जगह हॉटस्पॉट के रूप मे शामिल है

पूर्वी हिमालय

2 पश्चिमी हिमालय

3 पश्चिमी घाट

4 sudaland – अंडमाड निकोबार द्वीप समूह नया शामिल है

1  पूर्वी हिमालय

भारत में पूर्वी हिमालय का एरिया अरुणाचल प्रदेश असम मेघालय त्रिपुरा मिजोरम और मणिपुर जैसे राज्य पूर्वी हिमालय वाले एरिया में आते हैं इस क्षेत्र में जो जियोग्राफी है वह असमान है

अर्थात समतल एरिया की कमी है और पेड़ पौधों के साथ जंगल की भी अधिकता है जिसके कारण पूर्वी हिमालय में भी जैव  विविधता पाई जाती है किंतु यहां की  जैव   विविधता पश्चिमी घाट की तुलना में कम है 

 इसका मुख्य कारण पूर्वी हिमालय मध्य हिमालय एरिया, भूमध्य रेखा से बहुत दूर है इसके अलावा हिमालय वाला एरिया होने की वजह से ठण्ड के दिनों मे अच्छी ठंडी होती है इसके आलवा बहुत अधिक मात्रा मे पेड़ पौधे हैं जो अनमोल गिफ्ट है वहाँ के लोगो के लिए 

असम,मेघालय, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश जैव विविधता से समृद्ध राज्य हैं 

2 पश्चिमी हिमालय

पश्चिमी हिमालय वाले एरिया उत्तराखंड लद्दाख जम्मू कश्मीर और उत्तर प्रदेश का एरिया पश्चिमी हिमालय में आता है यहां पर भी जीवो की बहुत सारी प्रजाति पाई जाती है जो बाकी जगह से अलग होती है

 कश्मीर एरिया में कश्मीरी हिरण उत्तराखंड में कस्तूरी मृग पाया जाता है इसके अलावा तेंदुए चीता जैसे जानवर पाए जाते हैं

3 पश्चिमी घाट

 महाराष्ट्र से लेकर तमिलनाडु तक का समुद्री तटवर्ती वाला इलाका पश्चिमी घाट कहलाता है, पश्चिमी घाट में सहयाद्री पर्वत फैला हुआ है जो एक तरह से विभाजक का काम करता है पूर्वी भारत और पश्चिमी भारत को

भारत में सबसे ज्यादा जय विविधता पश्चिमी घाट में पाया जाता है

 इसका कारण पश्चिमी घाट में वर्षा वनों का पाया जाना है यह वर्षा वन उस जगह पर पाए जाते हैं जहां उष्णकटिबंधीय भूमध्य रेखा  हो

 वेस्टर्न घाट में केरल के वायनाड इलाके में साइलेंट घाटी है जो कि एक सदाबहार वनों का इलाका है इसे नेशनल पार्क घोषित किया गया है इसका नाम साइलेंट वैली नेशनल पार्क रखा गया है

इसका कारण है  इस एरिया में जंगलों में पाए जाने वाले झींगुर नहीं पाया जाता है जिसके कारण ये फॉरेस्ट शांत लगते है इस कारण इसे ये नाम दिया गया इसके अलावा वेस्टर्न घाट में नीलगिरी है जो भारत का प्रथम बस फेयर जॉन है इसकी स्थापना सन उन्नीस 1938 में किया गया था

वेस्टर्न घाट में पाए जाने वाले सबसे फेमस जीव शेर पूंछ मकाक,उड़ने वाली गिलहरी और बहुत सारे जीव है जो जो जैव विविधता को बढ़ाते हैं इसके अलावा वेस्टर्न घाट में ऐसे ईकोटोन प्रजाति हैं जो वहाँ की लोकल प्रजाति को अपनी और अट्रैक्ट करते हैं जिससे जीव जंतु किसी एक हरिया में आकर भोजन हेतु परिस्थितिक तंत्र का निर्माण करते हैं

भारत मे पश्चिमी घाट मे जैव विविधता सर्वाधिक पायी जाती है 

हॉटस्पॉट होने के लिए क्या आवश्यक है

पृथ्वी मे ऐसे जगह जो बहुमध्य रेखा के आस पास हों वहाँ हमेशा वर्षा वन पाये जायेगे जिसके कारण वहाँ जैव विविधता के साथ उनकी संख्या भी अधिक होगी जो

 हॉटस्पॉट कहलायेगा

जैव विविधता  कहा पाया जाता है 

जैसे की हमने बात कीया यह हमेशा वर्षा वन मे अधिक होगा ठीक इसके उल्टा जहाँ बहुत जादा बर्फ या ठंडी होगी वहाँ  जैव विविधता बहुत कम होगी क्योंकि उनके लिए वहाँ उचित भोजन, आवास  और माहौल वह नही मिल पायेगा जिसकी सर्वाधिक जरुरत होती है

समान्यतह बहुमध्य रेखा से ध्रुव की ओर जाने से जैव विविधता कम होती है इसके विपरीत ध्रुव से बहुमध्य रेखा की ओर जाने से जैव विविधता बढ़ती है अर्थात हम कह सकते हैँ भोजन और आवास की सुविधा जीवो के लिए बहुत जादा जरुरी हैँ

ब्राजील के अमेज़न  घने जंगलो मे सर्वाधिक जैविविधता पायी जाता है और यहाँ पर तो कई प्रजातियों की खोज होना अभी भी बाकी है, यह वर्षा वनो की अधिकता के कारण साल भर वर्षा होती रहती है  इसके अतिरिक्त ये जंगल बहुत जादा ऑक्सीजन का उत्पादन करते हैँ जिसके कारण इसे धरती का फेफड़ा कहा जाता हैँ

जैवविविधता मापन कैसे किया जाता है

– जैवविविधता को अल्फा , बीटा , गामा जैसे पद्धति से मापा जाता हैं

अल्फा जैव विविधता

मापन में किसी एरिया में उपस्थित सभी प्रकार की जीव जंतुओं की गणना की जाती है और यह देखा जाता है कि जीवो की जातिगत आधार पर कितनी विभिन्नता है और उनकी कुल संख्या कितनी है इसके अलावा उनके आवास और भोजन के लिए किस प्रकार अंतः क्रिया करते हैं

 बीटा जैव विविधता मापन

जय विविधता मापन की इस तकनीकी किसी एरिया बेस पर सभी जीव जंतु को देखा जाता है कि क्या उनकी जनसंख्या पहले की अपेक्षा अपेक्षा कम हुई है और यदि जनसंख्या कम हुई है तो उसका कारण माइग्रेशन तो नहीं है बीटा जय विविधता में यह देखा जाता है कि किसी एरिया बीएसपी जीव जंतुओं को आवास और खाने की समस्या तो नहीं हो रही है क्योंकि जिस क्षेत्र में खाने और आवास की समस्या होती है उस एरिया से सभी जीव जंतु पलायन करने लगते हैं

गामा जैव विविधता मापन

जय विविधता मापन की इस तकनीक में अल्फा और बीटा तकनीक का गुणनफल का उपयोग किया जाता है अर्थात इसमें यह देखा जाता है कि किसी खास एरिया में कितने जीव जंतुओं की प्रजाति है और उसके जातियों में जातिगत विभिनता कितनी है इसके अलावा भोजन और आवास की कमी की वजह से कितनी जीव जंतु का पलायन हुआ है गामा जय विविधता में यही देखा जाता है

जैव विविधता के प्रकार

जीवो में पाए जाने वाले विविधता के आधार पर जय विविधता को तीन भागों में बांटा गया है जिसे हम

  • आनुवंशिक विविधता
  • प्रजातीय विविधता
  • पारिस्थितिक विविधता

के नाम से जानते हैं आइये इन के बारे में विस्तार से जानते हैं

आनुवंशिक विविधता क्या है

जब किसी एक ही प्रकार की जाति में अनुवांशिक आधार पर विभिन्न ता पाई जाती है तब इसे अनुवांशिक विविधता कहते हैं मान के चलिए अगर कोई दो व्यक्ति हैं और वे दोनों के ही मां-बाप अलग अलग तब इन दोनों व्यक्तियों में अनुवांशिक आधार पर विभिनता पाई जाएगी जोकि त्वचा के रंग शरीर का का कुछ विशिष्ट गुण और बौद्धिक क्षमताओं में थी विभिन्न तो देखी जाएगी

प्रजातीय विविधता क्या है

जब एक ही प्रकार के समुदाय में उपस्थित सभी प्रकार के पांच प्राणियों में प्रजाति आधार पर विविधता पाई जाती है तब उसे प्रजाति विविधता कहा जाता है

इसको हम आपको आसान भाषा में समझाते मान के चलिए कोई समुदाय किसी जलस्रोत के आसपास स्थापित है तब उस जगह से बहुत दूर स्थित कोई दूसरा समुदाय मैं बहुत सारी विभिन्न हटाएं उत्पन्न होगी क्योंकि संसाधनों के उपयोग और आवास के कारण प्रजाति विविधता उत्पन्न होती है

पारिस्थितिक विविधता क्या है

पारिस्थितिक तंत्र में कई सारी जीव जंतु में पाई जाती है जाती है, जब दो विभिन्न प्रकार की परिस्थितिक तंत्र में पाई जाने वाली प्राणियों के बीच में भी विभिनता जाती है, जिसे पारिस्थितिक विविधता कहा जाता है।

मान लीजिए अगर हम सुंदरी वृक्ष की पारिस्थिकी तंत्र और वर्षा वन की पारिस्थितिक तंत्र में उपस्थित जीव-जंतुओं और प्राणियों की तुलना आपस में करें ,तब जीवो में पारिस्थितिक आधार पर बहुत जारी ज्यादा विभिनता दिखाई देगी जैसे कि वर्षा वनों में अधिकांश हमें ऐसे छोटे छोटे जीव जंतुओं दिखाएंगे जो सुंदरी वृक्ष के पारिस्थितिक तंत्र में नहीं पाए जाएंगे

इसके अलावा सुंदरी वृक्ष की पारिस्थितिक एक तंत्र समुद्र के किनारे स्थापित होगा इस कारण ऐसे क्षेत्रों में मगरमच्छ घड़ियाल,कछुआ, समुद्री मछली, समुद्री केकड़े समुद्री पक्षी, mangrove tree इसकी विशेषता होगी

 जबकि वर्षा वनों ( वर्षा वन क्या है ) में पाए जाने वाले जीवो में कई प्रकार के छोटे-छोटे जीव जंतु जैसे घोंगे,सांप की प्रजाति,मकड़ी की प्रजाति,चीटियों की प्रजाति इसके अलावा थोड़े बड़े जीव जैसे हिरणों, कई प्रकार के सदाबहार पेड़ ( सदाबहार वन क्या है ) की प्रजाति वर्षा वनों की मुख्य विशेषता होगी

जैव विविधता को कैसे बचाये

जय विविधता को बचाने के लिए सबसे पहले प्रयास तो जंगल को बचाने के लिए किया जाना चाहिए क्योंकि जब जंगल नहीं रहेंगे तो जय विविधता का विकास कैसे होगा उस में रहने वाले जीव कैसे अपनी अन्तः है क्रिया करते हुए अपनी जनसंख्या बढ़ाएंगे और पारिस्थिकी तंत्र में अपना अमूल्य योगदान देंगे

इसके लिए इसके लिए पेड़ पौधों को काटने से बचाना होगा

जिस जीव जंतु की जिस जीव जंतु की जनसंख्या में कमी आ रही है, उस जीव को टारगेट करते हुए उसके संरक्षण के लिए विशेष योजना बनाना होगा जहां पर उनकी उचित देखरेख और उनकी जनन क्षमता के अनुसार से उनकी जनसंख्या बढ़ाने पर ध्यान देने की आवश्यकता होगी

जीवो की कम जनसंख्या को देखते हुए लोगों में सभी जीव जंतुओं के प्रति यह भावना उत्पन्न करना होगा कि वे जीव जंतु अनलिमिटेड नहीं है और उनकी पापुलेशन खत्म हो सकती है जिसके कारण की पृथ्वी इकोसिस्टम पर की इको सिस्टम पर बहुत ही नकारात्मक प्रभाव पड़ता है तू लोगों में जागरूकता फैलाना होगा जोकि आपसी सहयोग से ही हो पाएगा जिसमें प्रशासन और आम लोगों की सहभागिता बहुत जरूरी है

मनुष्य द्वारा पृथ्वी द्वारा प्रदत प्राकृतिक संपदा को हमेशा उपभोग के नजरिए से देखा जाता है हमारे यहां सोच पृथ्वी के लिए बहुत घातक सिद्ध होती है

और इसके लिए उदाहरण देने की जरूरत नहीं है क्योंकि आज तक जो भी हमने खोया है वहां सिर्फ हमारी लालची प्रवृत्ति की कराना खोया है एक टाइम भारत में चीतो की अच्छी खासी संख्या पाई जाती थी संख्या पाई जाती थी किंतु उनकी अवैध शिकार की वजह से आज चीतो की संख्या भारत में भारत में प्राकृतिक रूप से नहीं पाई जाती

ये सभी आपको चिड़ियाघर में दिखाई देंगे क्योंकि खुले वातावरण में इनका देखभाल करना कठिन होता है इसलिए इन्हें चिड़िया घरों में रखा जाता है

जैवविविधता को बचाने के तरीके

जब किसी एरिया पर जैव विविधता को बचाने के लिए दो प्रकार के काम किए जाते हैं जिन्हें इन सीटू प्रोग्राम और एक्स सी टू प्रोग्राम के नाम से जाना जाता है आई एन के बारे में पूरी जानकारी आपको देते हैं

इन सीटू प्रोग्राम

इन सीटू प्रोग्राम में जीव जंतुओं को उनके आवास क्षेत्र में हुई मैं ही उनका देखभाल किया जा सकता है इसके लिए उनके आवास वाली एरिया को अभ्यारण नेशनल पार्क के रूप में संरक्षित किया जाता है इस प्रकार की संरक्षण तकनीक सस्ती होती है

 क्योंकि इन्हें उनके आवास क्षेत्र में ही संरक्षित किया जाता है लेकिन यह तभी संभव है जब जब तक उनकी संख्या को संरक्षित करने में कोई समस्या ना हो लेकिन जब इन्हें पूर्ण रूप से सुरक्षित करने की बात आती है तब एक्स सी टू प्रोग्राम उपयोग में लाया जाता है

एक्स सी टू प्रोग्राम

जब किसी जीव जंतुओं को उसके प्राकृतिक आवास क्षेत्र से लाकर एक ऐसे संरक्षित जगह पर रखा जाता है जहां पर उनकी पूर्ण देखभाल की जाए ऐसे सिस्टम को एक्स सीटू प्रोग्राम कहा जाता है

 एक्स सिटी प्रोग्राम में चिड़ियाघर , जीन बैंक और बगीचे शामिल हैं एक्स सीटू प्रोग्राम को हम आपको ऐसे समझाते हैं मानलो  आपको कोई बीमारी हो गई है और आप का इलाज घर पर ही चल रहा था जिसमें आपका खानपान और रहन-सहन पर पूरा फोकस होता था किंतु इसके बाद भी आप में सुधार नहीं हो पाया तब आपको हॉस्पिटल में एडमिट करवाया गया आपके बेहतर इलाज और देखरेख कीजिए तब इस कंडीशन में  आपको सुरक्षा गहन सुरक्षा और भरपूर देखरेख की गई तब यहां पर इस सिस्टम को एक्स सीटू प्रोग्राम कहा जाएगा

जैवविविधता का महत्व

जय विविधता सिर्फ जिओ तक सीमित नहीं है इसमें पेड़ पौधे भी आते हैं किसी खास स्थान पर यदि जय विविधता है तब वहां सिर्फ पेड़ गया या सिर्फ जीव नहीं पाए जाएंगे बल्कि उन दोनों की संख्या वहां पर उचित मात्रा में होगी क्योंकि जहां पर जीव होंगे वे सभी जीव मांसाहारी तो नहीं होंगे 

क्योंकि मांसाहार ओं की संख्या करीब 25 से 30 परसेंट है और बाकी 70 पर्सेंट तो शाकाहारी होते हैं शाकाहारी जीव होते हैं इन शाकाहारी जीवो को भोजन के लिए प्राथमिक उत्पादक पेड़ों पर ही निर्भर रहना होता है और यही पेड़ पौधे पेड़ पौधे जीवो को सिर्फ भोजन नहीं देते बल्कि आवास भी उपलब्ध करवाते हैं

 जिसकी कारण जीव जंतुओं और पेड़ पौधों की जरूरत हम सभी को होती है देखा जाए तो यदि पृथ्वी से पेड़ पौधे हटा दिया जाए तो सभी जीवो की मृत्यु हो जाएगी ऑक्सीजन की कमी से और यदि ऑक्सीजन का प्रबंध कर भी लिया जाए तब हम अपने खाद्य पदार्थ कहां से प्राप्त करेंगे 

।क्योंकि फल फूल और पेड़ पौधे से निर्मित अनेक प्रकार के खाद्य पदार्थ और खाद्य पदार्थ के अलावा भी हम अपने दैनिक जीवन पर बहुत सारी चीजें होती बहुत सारी चीजों हेतु हम अपने प्रकृति पर डिपेंड होते हैं और जब प्रकृति में पेड़ पौधे ही नहीं होंगे तब हम अपना गुजारा कैसे करेंगे 

अतः यह कहा जा सकता है कि बिना पेड़ पौधे और जीव जंतुओं की सिर्फ मनुष्य की जनसंख्या सिर्फ कुछ साल तक फिर जिंदा रह सकती है क्योंकि पारितंत्र में सभी जीवो की उपलब्धि आवश्यक है और सभी जिलों की उपलब्धता ही परिस्थितिक तंत्र को संतुलित करती है

जैवविविधता वाले सभी देश

हमारे पृथ्वी में जय विविधता के दृष्टिकोण से बहुत सारे देश है जहां पर प्राकृतिक संपदा और वन्यजीवों की अच्छी अच्छी खासी संख्या है इस आधार पर देशों को जैव विविधता के आधार पर बांटा गया है अगर हम विश्व विश्व में जैव विविधता के दृष्टिकोण से संपन्न देश देखें तब सबसे पहला आता है ब्राजील के घने जंगल जिसमें अमेज़न है इसके अलावा अन्य देश अफ्रीका ऑस्ट्रेलिया उत्तरी अमेरिका दक्षिण अमेरिका भूटान भारत जामनगर ऑस्ट्रेलिया जैसे बहुत सारे देश उचित जय विविधता संपन्न क्षेत्रों में गिना जाता है जिसमें विश्व के करीब 17 देश शामिल है चलिए

जैवविविधता वाले टॉप 17 देश को जानते है 

  1. Australia
  2. Brazil
  3. China
  4. Colombia
  5. Democratic Republic of the Congo
  6. Ecuador
  7. India
  8. Indonesia
  9. Madagascar
  10. Malaysia
  11. Mexico
  12. Papua New Guinea
  13. Peru
  14. Philippines
  15. South Africa
  16. United States
  17. Venezuela

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जैव विविधता क्या है

 दोस्तों आज हम हमने इस पोस्ट पर आपको जैव विविधता के बारे में बताने की कोशिश की है कि जैव विविधता क्या होता है और जैव विविधता से किसी देश या किसी महाद्वीप में क्या फर्क पड़ता है जैसे की आप सब जानते हैं

 कि जैव विविधता अधिक होने से होने से किसी एरिया की पादप उत्पादकता में वृद्धि होती है क्योंकि जीव जंतुओं के भोजन और उनके आवास के कारण जीवो द्वारा प्राकृतिक रूप से ही हरे पेड़ पौधों का भोजन को अपने सेवन किया जाता है और उनके बीजों का एक जगह से दूसरी जगह  स्थानांतरण होता है

 इसके अलावा और भी प्राकृतिक कारण है जैसे की हवा,पानी इत्यादि से पेड़ पौधों की विजय नहीं जगह पर पहुंचती है और वह पेड़ में परिवर्तित होते हैं जोकि कई प्रकार के जीव जंतुओं की आवास का काम करती है

इसके अलावा जय विविधता मापन के बारे में हमने बात की जिसमें अपने जाना कि जैव विविधता मापन के 3 तरीके हैं जिसमें से अल्फा, बीटा जय विविधता और गामा जय विविधता मापन हमने आपको आपको विस्तार से बताया है इसके अलावा जय विविधता को संरक्षित करने के तरीके पर भी हमने बात की

 जिस पर आपने जाना कि in situ और ex situ प्रोग्राम क्या होते हैं, जिससे कि जय विविधता को प्रोटेक्ट रखा जा सके

इस पोस्ट को पढ़कर आप हमें अपनी राय कमेंट बॉक्स पर दे सकते हैं इसके अलावा और भी पूछना पूछ सकते हैं जिसका उत्तर देने मे हमें बहुत खुशी होगी इसी प्रकार के अन्य जानकारी कि आप हमारी blog पर आते रहें धन्यवाद

FAQ जैव विविधता क्या है

Q जैव विविधता का अवधारणा सबसे पहले किसने दिया

A सर्वप्रथम नार्मन मेयर्स ने जैव विविधता का अवधारणा दिया

Q विश्व जैव विविधता दिवस कब मनाया जाता है

A 22 मई को विश्व जैव विविधता दिवस ( World Biodiversity Day ) मनाया जाता है

जैव विविधता का संरक्षण पर्यावरण के लिए क्यों आवश्यक है?

चूँकि जैव-विविधता मानव सभ्यता के विकास की स्तम्भ है इसलिये इसका संरक्षण अति आवश्यक है। जैव-विविधता हमारे भोजन, कपड़ा, औषधीय, ईंधन आदि की आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। जैव-विविधता पारिस्थितिक संतुलन को बनाये रखने में सहायक होती है।

जैव विविधता क्या है जैव विविधता संरक्षण की व्याख्या कीजिए?

जैव विविधता जीवन और विविधता के संयोग से निर्मित शब्द है जो आम तौर पर पृथ्वी पर मौजूद जीवन की विविधता और परिवर्तनशीलता को संदर्भित करता है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (युएनईपी), के अनुसार जैवविविधता biodiversity विशिष्टतया अनुवांशिक, प्रजाति, तथा पारिस्थितिकि तंत्र के विविधता का स्तर मापता है।

जैव विविधता के संरक्षण से आप क्या समझते हैं?

जैव संरक्षण, प्रजातियां, उनके प्राकृतिक वास और पारिस्थितिक तंत्र को विलोपन से बचाने के उद्देश्य से प्रकृति और पृथ्वी की जैव विविधता के स्तरों का वैज्ञानिक अध्ययन है। यह विज्ञान, अर्थशास्त्र और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के व्यवहार से आहरित अंतरनियंत्रित विषय है।

जैव विविधता का संरक्षण क्यों करना चाहिए?

जैव विविधता के कारण ही हमें खाद्य पदार्थ प्राप्त होते हैं तथा जन्तुओं के जीवन-यापन के अनजान पहलुओं का अध्ययन हम उस क्षेत्र के जन्तुओं को सुरक्षित रखकर कर सकते हैं। अत: जैव विविधता का संरक्षण अति आवश्यक है। यह हमारे जीवन के लिए एक बहुमूल्य निधि है।