कार्नो इंजन क्या है इसके विभिन्न भागों का वर्णन कीजिए? - kaarno injan kya hai isake vibhinn bhaagon ka varnan keejie?

इस article मे हम कार्नो इंजन व कार्नो चक्र के बारे मे विस्तार से अध्ययन करेंगे इसमे हम कार्नो इंजन क्या है कार्नो चक्र क्या है कार्नो इंजन की संरचना इसकी कार्यविधि, दक्षता सूत्र, कार्नो प्रमेय इन सब मे बारे मे चर्चा करेंगे 

कार्नो इंजन व कार्नो चक्र (Carnot’s Engine and Carnot’s Cycle) –

ऊष्मीय इंजन एक ऐसी युक्ति होती है जो ऊष्मीय ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा मे बदल देती है सन् 1824 मे सबसे पहले सादी कार्नो ने ऊष्मा इंजन का अच्छे से अध्ययन करके एक ऐसे इंजन की कल्पना की किसी प्रकार का कोई ऊष्मा क्षय न हो अर्थात इंजन को दी गयी ऊष्मा का उपयोगी केवल यांत्रिक ऊर्जा बनाने मे भी हो ऐसे इंजन की दक्षता बहुत अधिक होती है  सादी कार्नो मे अपने अनेक अध्ययनों ये जानने की कोशिश की क्या इस इंजन की दक्षता 100% हो सकती है 

कार्नो इंजन कार्यकारी पदार्थ को कई उत्क्रमणीय प्रकमो से गुजार कर पहले वाली अवस्था मे लाया जाता है इसे ही कार्नो चक्र कहते है 

संरचना (Construction) –

कार्नो इंजन की संरचना मे अनेक भाग होते है जो की निम्न प्रकार है –

ऊष्मा स्रोत –

यह एक अत्याधिक उच्च ताप T₁K ताप का ऊष्मा भंडार होता है जिसकी ऊष्मा धारिता अनन्त होती है कार्यकारी पदार्थ के द्वारा ऊष्मा ग्रहण करने पर भी इसके ताप पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है इसका ऊपर सतह पुरे रूप से सुचालक होती है जिस से कार्यकारी पदार्थ ऊष्मा को आसानी से ग्रहण कर पाए 

यांत्रिक व्यवस्था व कार्यकारी पदार्थ –

कार्नो इंजन की यांत्रिक व्यवस्था मे एक खोखला सलेंडर होता है जो कुचालक होता है इसके नीचे का भाग सुचालक होता है इसमे एक पिस्टल लगा होता है जो बिना कोई घर्षण किये सलेंडर मे गति करता रहता है कार्नो इंजन मे कार्यकारी पदार्थ के रूप मे सलेंडर मे आदर्श गैस भरी जाती है

ऊष्मा सिंक –

यह एक ऊष्मा का भण्डार होता है जिसकी ऊष्मा धारिता अनन्त होती है इसमे कार्यकारी पदार्थ अनावश्यक ऊष्मा को बाहर निकाल देता है इसकी ऊपर वाली सतह पूरी तरह सुचालक होती है जिस से कार्यकारी पदार्थ के द्वारा अनावश्यक ऊष्मा को बाहर निकाला जा सके

स्टैंड- 

स्टैंड एक कुचालक पदार्थ का बना होता है जिसके ऊपर सलेंडर को रखा जाता है

कार्यविधि –

कार्नो चक्र मे कार्यकारी पदार्थ 4 प्रकमो से होकर गुजरता है इन प्रकमो में 2 प्रक्रम समतापी वह दो रुद्धोष्म प्रक्रम होते हैं जो निम्न प्रकार हैं-

1. समतापी प्रसार –

इस प्रकम मे सबसे पहले सिलेंडर को ऊष्मा स्रोत पर रखा जाता है जिस से कार्यकारी पदार्थ का ताप ऊष्मा के स्रोत समान हो जाता है व पिस्टल का दाब धीरे धीरे कम कर दिया जाता है 

2. रुद्धोष्म प्रसार –

इस प्रकम मे सिलेंडर को स्रोत से अलग कर दिया जाता है और सिलेंडर को कुचालक स्टैंड पर रख दिया जाता है जिस से कार्यकारी पदार्थ विलगित हो जाए और अब धीरे धीरे पिस्टल का दाब कम कर दिया जाता है जिस कारण गैस का ताप ऊष्मा सिंक मे ताप मे बराबर हो जाता है 

3. समतापी संपीडन –

इस प्रकम मे सिलेंडर को स्टैंड से उठाकर ऊष्मा सिंक पर रख दिया जाता है और अब धीरे धीरे पिस्टल का दाब बढ़ाकर गैस को संपीड़ित किया जाता है इस संपीड़न मे ताप नियत बना रहता है जिस से गैस की आंतरिक ऊर्जा मे कोई परिवर्तन नहीं होता

4. रुद्धोष्म संपीडन –

इस अंतिम प्रकम मे सिलेंडर को ऊष्मा सिंक से उठाकर कुचालक स्टैंड पर रख दिया जाता है और पिस्टल से गैस से तब तक संपीड़ित किया जाता है जब तक यह अपनी पहले वाली अवस्था मे ना आ जाए यह संपीड़न रुद्धोष्म होता है

कार्नो इंजन की दक्षता का सूत्र – 

η = [1-(1/ρ)γ-1]

कार्नो प्रमेय –

दो निर्धारित बराबर तापो के बीच कार्य वाले सभी उत्क्रमणीय इंजनो की दक्षता बराबर होती है

I hope आप को इस article की information pasand आयी होगी इस information को आप अपने दोस्तो के साथ share करे और नीचे कॉमेंट बॉक्स मे कॉमेंट करके बताओ आपको ये ये article कैसा लगा 

विषय-सूची

  • ऊष्मा इंजन
    • ऊष्मा इंजन की दक्षता
    • कार्नो इंजन
    • कार्नो चक्र
      • ऊष्मा इंजन संबंधित प्रश्न उत्तर
        • 1. ऊष्मा इंजन की दक्षता कितनी होती है?
        • 2. ऊष्मा इंजन के एक चक्र में कितने प्रक्रम होते हैं?

ऊष्मा इंजन

यह एक ऐसी युक्ति है जो ऊष्मीय ऊर्जा को यांत्रिक कार्य में परिवर्तित करती है।
ऊष्मा इंजन के मुख्यतः तीन भाग होते हैं।
(1) स्रोत
(2) कार्यकारी पदार्थ (इंजन)
(3) सिंक

कार्नो ऊष्मा इंजन

ऊष्मा इंजन कैसे काम करता है यह चित्र में दिखाया गया है। एक कार्यकारी पदार्थ (इंजन) ऊष्मा स्रोत से ऊष्मा लेता है एवं उसे ऊष्मा का कुछ भाग वह कार्य में परिवर्तित कर देता है तथा शेष भाग को वह सिंक को दे देता है। यह प्रक्रिया एक चक्र की तरह होती है इसलिए इसे चक्र भी कहते हैं।
Note –
सिंक का ताप हमेशा स्रोत के ताप से कम होता है। कहीं-कहीं आंकिक प्रश्न को हम समझ नहीं पाते हैं कि सिंक का ताप कौन सा है और स्रोत का ताप कौन सा।
तो आप याद रखें कि जो ताप कम होगा वह सिंक का ताप है।

ऊष्मा इंजन की दक्षता

ऊष्मा इंजन के एक पूर्ण चक्र में किए गए कार्य तथा स्रोत द्वारा ली गई कुल ऊष्मा के अनुपात को ऊष्मा इंजन की दक्षता कहते हैं। इसे η (ईटा) से प्रदर्शित करते हैं।
माना कार्य W तथा स्रोत का ताप Q1 हो तो उसमें इंजन की दक्षता का सूत्र निम्न होगा। अतः

η = \frac{W}{Q_1}
चूंकि कार्य W = स्रोत ऊष्मा (Q1) – सिंक ऊष्मा (Q2)
तब η = \frac{Q_1 - Q_2}{Q_1}
या \footnotesize \boxed { η = 1 - \frac{Q_2}{Q_1} }
ऊष्मा इंजन की दक्षता का सूत्र है इससे संबंधित numerical प्रश्न जरूर आते हैं।

कार्नो इंजन

ऊष्मा इंजन एक ऐसी युक्ति है जो उसमें ऊर्जा को यांत्रिक कार्य में परिवर्तित करती है। सन् 1824 ई० में फ्रेंच वैज्ञानिक सैडीकार्नो ने एक आदर्श ऊष्मा इंजन की परिकल्पना की। इस ऊष्मा इंजन को कार्नो ऊष्मा इंजन (Carnot’s heat engine in Hindi) कहते हैं।
इस इंजन में एक चक्र पूरा करने में चार प्रक्रम होते हैं।
(1) समतापी प्रसार
(2) रुद्धोष्म प्रसार
(3) समतापी संपीडन
(4) रुद्धोष्म संपीडन

पढ़ें… 11वीं भौतिक नोट्स | 11th class physics notes in Hindi

कार्नो चक्र

कार्नो ऊष्मा इंजन की क्रियाविधि जिस आदर्श चक्र पर आधारित होती है उसे कार्नो चक्र कहते हैं।
अर्थात् कार्यकारी पदार्थ द्वारा चार प्रक्रम में किए गए एक पूर्ण चक्र को कार्नो चक्र कहते हैं।

ऊष्मा इंजन संबंधित प्रश्न उत्तर

1. ऊष्मा इंजन की दक्षता कितनी होती है?

Ans. ऊष्मा इंजन की दक्षता = कार्य/स्रोत का ताप

2. ऊष्मा इंजन के एक चक्र में कितने प्रक्रम होते हैं?

Ans. चार

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कार्नोट इंजन क्या है इसके विभिन्न भागों का वर्णन करें?

कार्नोट इंजन वह इंजन है जिसकी अधिकतम दक्षता 100% हो सकती है। यदि उष्मीय इंजन की सम्पूर्ण ऊष्मा इंजन के अवस्था परिवर्तन (कार्य) में ही व्यय हो तो अधिकतम दक्षता प्राप्त होती है। कार्नो ने एक ऐसे आदर्स इन्जन क़ी कल्पना क़ी जिससे किसी भी प्रकार से उर्जा हानि नही होती।

कार्नो इंजन क्या है इसकी दक्षता का सूत्र लिखिए?

Solution : A से B तक समतापी प्रसार , B से C तक रुद्धोष्म प्रसार ,C से Dतक समतापी संपीडन तथा D से A तक रुद्धोष्म संपीडन होता है । W = W_(1) - W_(3)` <br> ` W = Q_(1) - Q_(2)` <br> अतः कार्नो इंजन की दक्षता `eta = (Q_(1) - Q_(2))/Q_(1) = 1 - Q_(2)/Q_(1)` <br> `:.

कार्नो इंजन के सिद्धांत क्या है?

कार्नो इंजन का सिद्धान्त (carnot engine principle) वैज्ञानिक लियोनार्ड कार्नाट ने ” एक ऐसे इंजन की कल्पना की जिसमे उत्पन्न पूरी ऊष्मा का इस्तेमाल कार्य के रूप में रूपांतरित करने में किया जाए अर्थात इस इंजन में किसी भी प्रकार की ऊष्मा या उर्जा का कोई नुकसान न हो , इसे कार्नो इंजन कहा गया। “

कार्नो चक्र क्या है उत्क्रमणीय ऊष्मा इंजन की दक्षता की विवेचना कीजिए?

कार्नो चक्र (Carnot cycle) सादी कार्नो द्वारा १८२४ में प्रस्तुत किया गया एक सैद्धान्तिक ऊष्मागतिक चक्र है। यह प्रदर्शित किया जा सकता है कि किसी दी हुई ऊष्मीय ऊर्जा को कार्य में बदलने के लिये या कार्य को तापान्तर में बदलने के लिये यही ऊष्मा-चक्र सबसे अधिक दक्ष है।

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