किसी समान्तर प्लेट संधारित्र में परावैद्युत पदार्थ भरने का क्या उपयोग है? - kisee samaantar plet sandhaaritr mein paraavaidyut padaarth bharane ka kya upayog hai?

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effect of dielectric medium filled between the plates of capacitor संधारित्र की प्लेटों के मध्य परावैद्युत माध्यम की उपस्थिति का प्रभाव  : संधारित्र की धारिता पर परावैद्युत माध्यम का भी प्रभाव पड़ता है इसे समझाने के लिए फैराडे ने एक प्रयोग किया और यह सिद्ध किया की संधारित्र की धारिता परावैद्युत माध्यम पर भी निर्भर करती है।

फेराडे ने दो संधारित्र लिए तथा दोनों को एक ही बैटरी के सिरों से जोड़ा , समान वातावरण में उन्होंने एक संधारित्र की प्लेटो के मध्य वायु ली तथा दूसरे संधारित्र की प्लेटो के मध्य पराविद्युत माध्यम लिया।

ऐसा करने के बाद फैराडे ने दोनों संधारित्र पर एकत्रित आवेश की गणना की और पाया की दोनों पर आवेश का मान अलग अलग है , उन्होंने वायु वाले संधारित्र में एकत्रित आवेश को q0 कहा तथा दूसरे पर एकत्र आवेश को q कहा और दोनों पर एकत्रित आवेशो के मान ये निम्न सम्बन्ध पाया

q = Kq0

चूँकि हम दोनों संधारित्रों में समान विभव (V) की बैटरी इस्तेमाल कर रहे है इससे ये भी स्पष्ट रूप से कह सकते है की दोनों की धारिता का मान भी अलग अलग होगा

वायु वाले संधारित्र की धारिता

C0 = q0/V

परावैद्युत वाले संधारित्र की धारिता

C = Kq0/V

फैराडे ने इस प्रयोग से यह निष्कर्ष निकाला की संधारित्र की प्लेटों के मध्य परावैद्युत माध्यम भरकर उसकी धारिता का मान बढ़ाया जा सकता है।

फैराडे धारिता बढ़ने का कारण निम्न प्रकार समझाया

धारिता बढ़ने का कारण

हम जानते है की जब किसी संधारित्र की प्लेटो को आवेशित किया जाता है तो दोनों प्लेटों के मध्य एक विभवांतर उत्पन्न होता है , अब यदि दोनों प्लेटो के बीच में कोई परावैद्युत माध्यम रख दिया जाए तो प्लेटो के मध्य में एक विद्युत क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है और इस क्षेत्र के कारण परावैद्युत माध्यम के अणुओ का ध्रुवीकरण हो जाता है अर्थात अणुओं के धनात्मक तथा ऋणात्मक केंद्र अलग अलग हो जाते है जिससे अणुओ का ऋणात्मक भाग धनात्मक प्लेट की तरफ हो जाता है तथा अणुओ का धनात्मक भाग ऋणात्मक प्लेट की तरफ हो जाता है , इसका परिणाम यह होता है की परावैद्युत माध्यम में एक विद्युत क्षेत्र E’ उत्पन्न हो जाता है , इस क्षेत्र की दिशा प्लेटो के मध्य उपस्थित विद्युत क्षेत्र E की दिशा के विपरीत होगी।

इससे प्रभावी क्षेत्र =  E – E’

इससे विभवांतर में कमी आ जाती है (क्योंकि E = ∇ V /x )

परिणामस्वरूप धारिता का मान बढ़ता है।  (क्योंकि C = q /V )

संधारित्रों में परावैद्युत के उपयोग से धारिता क्यों बढ़ जाती है?

किसी पदार्थ के ध्रुवण की मात्रा को उसके परावैद्युत स्थिरांक (dielectric constant) या परावैद्युतांक से मापा जाता है। परावैद्युत पदार्थों का एक प्रमुख उपयोग संधारित्र की प्लेटों के बीच में किया जाता है ताकि समान आकार में अधिक धारिता मिले।

संधारित्र क्या है समांतर प्लेट संधारित्र की धारिता के लिए व्यंजक प्राप्त कीजिए?

` समांतर प्लेट संधारित्र की धारिता, <br> `C = (Q)/(V) = (Q)/((sigma)/(epsi_(0)). d) = (sigmaA)/((sigma)/(epsi_(0)). d) = (epsi_(0)A)/(d)` <br> अब यदि संधारित्र की प्लेटो के बीच में एक परावैद्युत माध्यम जिसका परावैद्युतांक K हो, रखा दिया जाये तो संधारित्र की धारिता K गुनी हो जाती है।

समांतर प्लेट संधारित्र की धारिता क्या है?

प्रश्न - एक समांतर प्लेट संधारित्र की धारिता C0 है। प्लेटों के मध्य दूरी दोगुनी की जाती है तथा प्लेटों के मध्य एक परावैद्युत पट्टिका को पूर्णतः प्रवेशित किया जाता है।

प्रश्न 5 संधारित्र की प्लेटों के बीच परावैद्युत पदार्थ भरने से उसकी धारिता क्यों बढ़ जाती है 2014 17?

Solution : प्लेटों के बीच परावैघुत भरने से परावैघुत में प्ररित आवेश उत्पन्न हो जाने के कारण विघुत क्षेत्र घट जाता है। जिसके फल स्वरूप प्लेटों के बीच विभवान्तर कम हो जाता है। तथा धारिता बढ जाती है।

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