कुशीनगर जिले में कितने गांव हैं - kusheenagar jile mein kitane gaanv hain

Kushinagar Block List: कुशीनगर जिले के रहने वाले बहुत से लोग कुशीनगर ब्लॉक लिस्ट देखना चाहते हैं या फिर जानना चाहते हैं कि कुशीनगर जिले में कितने ब्लॉक हैं।

ऐसे लोगो के जानकारी के लिए हमने कुशीनगर ब्लॉक सूची बनाया है, जिसे देखकर आप जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

कुशीनगर में कुल कितने ब्लॉक हैं? कुशीनगर जिले में कुल 14 ब्लॉक हैं। जिसकी लिस्ट निचे दी गई है।

Table of Contents

  • Kushinagar Block List | कुशीनगर ब्लॉक लिस्ट
    • कुशीनगर ब्लॉक लिस्ट | Kushinagar Block List
    • List of Blocks in Kushinagar Uttar Pradesh
    • Kushinagar Block List related FAQ’s

Kushinagar Block List | कुशीनगर ब्लॉक लिस्ट

S.No.Name of Block1.Tamkuhi2.Dudahi3.Seorahi4.Kasia5.fazilnagar6.Hata7.Motichak8.Sukrauli9.Vishnupura10.Padrauna11.Khadda12.Nebua Naurangiya13.Captainganj14.RamkolaKushinagar Block List

कुशीनगर ब्लॉक लिस्ट | Kushinagar Block List

क्रमांक स०ब्लॉक का नाम1.तमकुही2.दुदही3.सेवरही4.कसिया5.फाजिलनगर6.हाटा7.मोतीचक8.सुकरौली9.विशुनपुरा10.पडरौना11.खड्डा12.नेबुआ  नौरंगिया13.कप्तानगंज14.रामकोलाकुशीनगर ब्लॉक लिस्ट

List of Blocks in Kushinagar Uttar Pradesh

हमने आपके जानकारी मात्र के लिए ही कुशीनगर ब्लॉक लिस्ट (Kushinagar Block List) बनाया है, उम्मीद करते हैं आपको यह लेख पसंद आया होगा।

ऊपर दिया हुआ कुशीनगर जिले का नक्शा (मानचित्र) राष्ट्रीय राजमार्ग, सड़क, रेलवे, नदी, जिला मुख्यालय, जिला सीमा, प्रमुख शहरों और गांवों को दर्शाता है|

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आपका प्रश्न है किस नगर जिले में कुल कितने गांव हैं तो मैं आपको बताना चाहूंगा कि सुनगर जिले में 1639 गांव हैं

aapka prashna hai kis nagar jile me kul kitne gaon hain toh main aapko batana chahunga ki sunagar jile me 1639 gaon hain

आपका प्रश्न है किस नगर जिले में कुल कितने गांव हैं तो मैं आपको बताना चाहूंगा कि सुनगर जिले

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कुशीनगर जिले में कितने गांव हैं - kusheenagar jile mein kitane gaanv hain
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कुशीनगर जिले में कितने गांव हैं - kusheenagar jile mein kitane gaanv hain

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यह लेख 'कुशीनगर जिला' के बारे में है। कुशीनगर कस्बे के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए कुशीनगर देखें।


कुशीनगर जिला भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश के गोरखपुर मंडल के अन्तर्गत एक जिला है। इस जनपद का मुख्यालय कुशीनगर से कोई १५ किमी दूर पडरौना में स्थित है। कुशीनगर जिला पहले देवरिया जिले का भाग था। कुशीनगर जिले के पूर्व में बिहार राज्य, दक्षिण-पश्चिम में देवरिया जिला, पश्चिम में गोरखपुर जिला, उत्तर-पश्चिम में महराजगंज जिला स्थित हैं। कुशीनगर जिला का मुख्यालय पडरौना कस्बे के पास ही स्थित रवीन्द्र नगर धूस है।

जिले का क्षेत्रफल 2,873.5 वर्ग कि॰मी है तो जनसंख्या 3,560,830 (2011)। साक्षरता दर 67.66 प्रतिशत और लिंगानुपात 955 है। इस जिले में एक लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र (कुशीनगर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र) है और सात विधानसभा क्षेत्र- फाजिलनगर, खड्डा, रामकोला, हाटा, कसया, पडरौना, तमकुही राज हैं। जिले में 6 तहसीलें हैं - पडरौना, कुशीनगर, हाटा, तमकुहीराज , खड्डा, कप्तानगंज और 14 विकासखण्ड (block) हैं - पडरौना, बिशुनपुरा, कुशीनगर, हाटा, मोतीचक, सेवरही, नेबुआ नौरंगिया, खड्डा, दुदही, फाजिल नगर, सुकरौली, कप्तानगंज, रामकोला और तमकुहीराज। जिले में ग्रामों की संख्या 1447 हैं। कुशीनगर के हाटा तहसील में एक सरकारी पॉलीटेक्निक कॉलेज है जो कि मुजहना ग्राम में पड़ता है।जिले में तीन नगरपालिका क्रमशः पडरौना, हाटा एवम् कुशीनगर तथा दस नगर पंचायत हैं जिनमें सुकरौली, मथौली, कप्तानगंज, रामकोला, खड्डा, छितौनी, दुदही, फाजिलनगर, तमकुही व सेवरही हैं। नगरपालिका हाटा के ढाढ़ा ((राजमार्ग के निकट) में एक राजकीय महाविद्यालय भी है।और ढाढ़ा बुजुर्ग में एक उन्नत तकनीकी से स्थापित आधुनिक गन्ना मिल भी है।यहाँ गन्ने की खेती बहुतायत होती है। हाटा के दक्षिण में दो किलोमीटर दूरी पर प्रसिद्ध करमहां मठ है जो कि सिद्ध स्थान है।यहाँ पुरा काल में सिद्ध संत रहते थे।आज भी मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की पञ्चमी तिथि को सीता स्वयंवर और श्रीराम विवाह की प्रस्तुति कलाकारों द्वारा जनसहयोग से की जाती है।दूर दूर से लोग यहाँ आते हैं।यहाँ के प्राचीन धार्मिक स्थलों में कुबेर स्थान के निकट खन्हवार देवी स्थान, कसया के निकट मैनपुर देवी एवम् कसया से दक्षिण पूर्व में कुलकुला देवी का सिद्ध स्थान स्थापित है।

हिमालय की तराई वाले क्षेत्र में स्थित कुशीनगर का इतिहास अत्यन्त ही प्राचीन व गौरवशाली है। वर्ष 1876 ई0 में अंग्रेज पुरातत्वविद ए कनिंघम ने यहाँ पुरातात्विक खुदाई करायी थी और उसके बाद सी एल कार्लाइल ने भी खुदाई करायी जिसमें यहाँ का मुख्य स्तूप (रामाभार स्तूप) और 6.10 मीटर लम्बी भगवान बुद्ध की लेटी हुई प्रतिमा मिली थी। इन खोजों के परिणामस्वरूप कुशीनगर का गौरव पुनर्स्थापित हुआ। जे पीएच वोगेल ( J. Ph. Vogel) के देखरेख में पुनः 1904-5, 1905-6 एवं 1906-7 में खुदाई हुई जिससे बुद्ध धर्म से सम्बन्धित अनेकों वस्तुएँ प्राप्त हुईं।

वाल्मीकि रामायण के अनुसार यह स्थान त्रेता युग में भी आबाद था और यह मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के पुत्र कुश की राजधानी थी जिसके चलते इसे 'कुशावती' के नाम से जाना गया। पालि साहित्य के ग्रन्थ त्रिपिटक के अनुसार बौद्ध काल में यह स्थान षोड्श महाजनपदों में से एक था और मल्ल राजाओं की राजधानी। तब इसे 'कुशीनारा' के नाम से जाना जाता था। ईसापूर्व छठी शताब्दी के अन्त या ईसापूर्व पांचवी शताब्दी के आरम्भ में यहां भगवान बुद्ध का आगमन हुआ था। कुशीनगर में ही उन्होंने अपना अन्तिम उपदेश देने के बाद महापरिनिर्वाण को प्राप्त किया था।

कुशीनगर से 16 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में मल्लों का एक और गणराज्य पावा था। यहाँ बौद्ध धर्म के समानान्तर ही जैन धर्म का प्रभाव था। माना जाता है कि जैन धर्म के २४वें तीर्थंकर महावीर स्वामी (जो बुद्ध के समकालीन थे) ने पावानगर (वर्तमान में फाजिलनगर) में ही परिनिर्वाण प्राप्त किया था। इन दो धर्मों के अलावा प्राचीन काल से ही यह स्थल सनातन हिन्दू धर्मावलंम्बियों के लिए भी काफी महत्वपूर्ण माना जाता है।

गुप्तकाल के तमाम भग्नावशेष आज भी जिले में बिखरे पड़े हैं। इनमें लगभग डेढ़ दर्जन प्राचीन टीले हैं जिसे पुरातात्विक महत्व का मानते हुए पुरातत्व विभाग ने संरक्षित घोषित कर रखा है। उत्तर भारत का एकमात्र सूर्य मंदिर भी इसी जिले के तुर्कपट्टी में स्थित है। भगवान सूर्य की प्रतिमा यहां खुदाई के दौरान ही मिली थी जो गुप्तकालीन मानी जाती है। इसके अलावा भी जनपद के विभिन्न भागों में अक्सर ही जमीन के नीचे से पुरातन निर्माण व अन्य अवशेष मिलते ही रहते हैं।

कुशीनगर जनपद का जिला मुख्यालय पडरौना है जिसके नामकरण के सम्बन्ध में यह कहा जाता है कि भगवान राम विवाह के उपरान्त पत्नी सीता व अन्य सगे-संबंधियों के साथ इसी रास्ते जनकपुर से अयोध्या लौटे थे। उनके पैरों से रमित धरती पहले 'पदरामा' और बाद में पडरौना के नाम से जानी गई। जनकपुर से अयोध्या लौटने के लिए भगवान राम और उनके साथियों ने पडरौना से 10 किलोमीटर पूरब से होकर बह रही बांसी नदी को पार किया था। आज भी बांसी नदी के इस स्थान को 'रामघाट' के नाम से जाना जाता है। हर वर्ष यहां भव्य मेला लगता है जहाँ उत्तर प्रदेश और बिहार के लाखों श्रद्धालु आते हैं। बांसी नदी के इस घाट को स्थानीय लोग इतना महत्व देते हैं कि 'सौ काशी न एक बांसी' की कहावत ही बन गई है। मुगल काल में भी यह जनपद अपनी खास पहचान रखता था।

कुशीनगर जिले में 6 तहसीलें हैं -

कुशीनगर जिले में १४ विकासखण्ड (block) हैं - पडरौना, बिशुनपुरा, कुशीनगर, हाटा, मोतीचक, सेवरही, नेबुआ नौरंगिया, खड्डा, दुदही, फाजिल नगर, सुकरौली, कप्तानगंज, रामकोला और तमकुहीराज।

  • फाजिलनगर,
  • खड्डा,
  • रामकोला,
  • हाटा,
  • कसया,
  • पडरौना,
  • तमकुही राज

कुशीनगर का परिनिर्वाण मंदिर

कुशीनगर में महात्मा बुद्ध का परिनिर्वाण हुअ था। यहाँ पर मुख्य रूप से महापरिनिर्वाण मंदिर, रामाभार स्तूप तथा माथाकुँवर मंदिर है। आज कुशीनगर में म्यांमार बुद्ध विहार,थाईलैंड बुद्ध विहार,कोरिया बुद्ध विहार,चीनी बुद्ध विहार,जापानी बुद्ध विहार,श्री लंका बुद्ध विहार, कम्बोडिया बुद्ध विहार, एकयुप्रेशर परिषद्, प्रबुद्ध सोसाइटी, भदंत ज्ञानेश्वर बुद्ध विहार एवं भिक्षु संघ सेवारत है तथा प्रत्येक बर्ष बुद्ध पूर्णिमा धूमधाम से कुशीनगर में मनाया जाता है जिसमे देश विदेश के लाखों श्रद्धालु आते हैं । कुशीनगर में प्रत्येक वर्ष 10 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन , मिलन एवं सम्मान समारोह का आयोजन कुशीनगर भिक्षु संघ,एकयुप़ेशर काउंसिल एवं प्रबुद्ध सोसाइटी द्वारा किया जाता है.

तुर्पट्टी से लगभग 800 मीटर दक्षिण की ओर एक सूर्य मंदिर है। कुशीनगर का 'कोणार्क' कहे जाने वाले इस स्थान पर मिले सूर्य प्रतिमा की कथा सुदामा शर्मा से जुड़ी है। परिवार के लोगों के आकस्मिक निधन से परेशान श्री शर्मा ने रात में सपना देखा। स्वप्न में देखे गए स्थान की खुदाई में नीलमणि पत्थर की दो खंडित प्रतिमाएं मिली। अध्ययन के बाद इतिहासकारों ने बताया कि इनमें मिली मूर्तियां गुप्तकालीन हैं। एक प्रतिमा सूर्यदेव की है। 24 अप्रैल 1998 को इस प्रतिमा की चोरी हो गई थी, लेकिन पुलिस के प्रयास से प्रतिमा को बरामद कर लिया गया। अब यहां मंदिर बन चुका है। मंदिर परिसर श्रद्धालुओं से भरा रहता है। इस मूर्ति की विशेषता है कि सूर्य के उगने के साथ ही मूर्ति की चमक बढ़ती है और दोपहर बाद मूर्ति की चमक मंद पड़ने लगती है।

कुशीनगर के पनियहवा में गंडक नदी पर बना पुल देखने में काफी रोचक लगता है। पडरौना का बहुत पुराना राज दरबार भी पर्यटकों का दिल लुभाता है। कुशीनगर का सबसे बड़ा गांव जंगल खिरकिया में भव्य मंदिर है जहाँ श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। ग्राम जंगल अमवा के समीप मुसहर टोली में बना पंचवटी पार्क भी देखने योग्य हैं।

इस जिले में शिक्षा का स्तर काफी तेजी से बढ़ रहा है। बहुत सारे कालेज व शैक्षिण संस्थान हैं। जिनमें बुद्ध डिग्री कॉलेज, उदित नारायण डिग्री कॉलेज, किसान इंटर कॉलेज खड्डा में श्री गाँधी स्मारक इंटरमीडिएट कॉलेज,श्री राजरूप मेमोरियल महाविद्यालय आई टी आई मुजहना प्रमुख हैं।

इस जिले में पडरौना, कप्तानगंज जं, बोदरवार, लक्ष्मीगंज, रामकोला, कठकुईयां, खड्डा, दुदही, तमकुही रोड, पनियहवा समेत कई छोटे बड़े रेलवे स्टेशन हैं। वर्तमान में कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट का काम प्रगति पर है

कुशीनगर मुख्यतः कृषि-प्रधान जनपद है। गन्ना, गेहूँ, धान यहाँ की प्रमुख फसलें हैं। इसके अलावा मक्का, बाजरा, मूंग, उड़द, अरहर एवं सब्जियों की खेती भी की जाती है।

कुशीनगर जिला गन्ना एवं चीनी उत्पादन के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां गन्ने की सर्वाधिक खेती की जाती है। अतः यहां चीनी मिलों की अधिकता है। इस जिले में निम्न स्थानों पर मिलें स्थापित की गयी है-

सेवरही, पडरौना, खड्डा, कप्तानगंज, रामकोला (02), लक्ष्मीगंज, कटकुंइयाँ, छितौनी, ढाढ़ा

कुशीनगर जिले की धार्मिक जनसांख्यिकीधर्मप्रतिशतहिन्दू82.16%मुसलमान17.40%

सन २०११ की भारत की जनगणना के अनुसार कुशीनगर जिले की कुल जनसंख्या 3,560,830 है,[1] जो लिथुआनिया की जनसंख्या के लगभग बराबर है।[2] इस प्रकार कुशीनगर जिला भारत के ६४० जिलों में ८१वाँ सर्वाधिक जनसंख्या वाला जिला है।[1] इस जिले का जनसंख्या घनत्व १२२६ व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है।[1] २००१ से २०११ के बीच इस जिले की जनसंख्या की वृद्धि दर 23.08% रही।[1] लिंगानुपात की दृष्टि से इस जिले में १००० पुरुषों पर ९५५ स्त्रियाँ हैं।[1] साक्षरता दर 67.66% है।[1]

कुशीनगर जिले में हिन्दू, मुसलमान व बौद्ध धर्म के अधिकतर लोग निवास करते है। हिन्दू समुदाय के मल्ल-सैंथवार, अहिर, कोइरी, कुर्मी,बाभन/भूमिहार, ब्राह्मण राजपूत, कायस्थ, चमार, डोम, दुसाद, मुसहर, पासी, बीन, मल्लाह, भर, बारी, कुम्हार, भेड़िहार, हजाम, आदि जातियाँ निवास करती हैं और मुस्लिम समुदाय की शेख, पठान, अंसारी (जुलाहा), देवान, कुरैशी, चुड़ीहार, मिसकार, गद्दी, राकी इत्यादि ।

लोकरंग सांस्कृतिक समिति´ विगत तीन वषों से लोक संस्कृतियों के अन्वेषण, संवर्धन और संरक्षण की दिशा में कार्य कर रही है। किसी भी समाज की लोक संस्कृति, कला और संगीत का उसके मानवीय संवेदनाओं के संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान होता है। हम असीम लिप्सा, धूर्तता, पाखण्ड से आवृत परिवेश में जी रहे हैं, जहां ठहर कर लोकसंस्कृतियों की हिफाजत के लिए वक्त नहीं है। ऐसे में हमारी लोक संस्कृतियां समाप्त होने के कगार पर पहुंच चुकी हैं। इन्हीं चिन्ताओं को केंन्द्र में रखकर `लोकरंग सांस्कृतिक समिति´ ने ग्राम-जोगिया जनूबी पट्टी, फाजिलनगर, कुशीनगर के ग्रामीण इलाके में हस्तक्षेप किया है। `लोकरंग 2008´ के माध्यम से हमने प्रयास किया था कि पूर्वांचल के, देवीगीत, हुड़का, पखावज, फरी नृत्य, विविध लोकगीतों और नुक्कड़ नाटकों को एक मंच पर लाया जाए और इस दिशा में हम सफल भी हुए थे। `लोकरंग 2009´ में हमने चइता, बिरहा, जोगीरा, कहरवा, कबीर, कजरी और निर्गुन गायकी, एकतारा वादन, जांघिया, धोबियाऊ और फरी नृत्य, विविध लोकगीतों और नाटकों को मंच प्रदान किया। दोनों ही वर्ष हमने विचार गोष्ठियों का आयोजन किया जिनमें देश के महत्वपूर्ण साहित्यकार और लोक कलाकार सम्मिलित हुए।

'लोकरंग-2010' में पंवरिया, पखावज, हुड़का और अहिरऊ नृत्य, छत्तीसगढ़ी लोकगीत, बुन्देलखण्डी अचरी, बृजवासी, ईसुरी फाग एवं आल्हा गायकी को स्थान दिया गया है। भोजपुरी गीतों को मंच प्रदान करने के लिए तमाम लोक गायकों को आमन्त्रित किया गया है। हमारा प्रयास होगा कि `लोकरंग 2010´ लोकसंगीत /संस्कृति के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाए।

कुशीनगर में सबसे बड़ा गांव कौन सा है?

गांव और पंचायत.
खड्डा 143. 117. ... .
नेबुआ नौरंगिया 115. 111. ... .
विशुनपुरा 144. 133. ... .
पडरौना 108. 181. 174. ... .
कसिया ... .
दुदही –.
फाजिलनगर 126. 122. ... .
तमकुही 164. 155..

कुशीनगर में कितने गाँव है?

जिले में ग्रामों की संख्या 1447 हैं। कुशीनगर के हाटा तहसील में एक सरकारी पॉलीटेक्निक कॉलेज है जो कि मुजहना ग्राम में पड़ता है।

कुशीनगर का पुराना नाम क्या है?

“कसिया बाजार” नाम कुशीनगर में बदल गया है और उसके बाद “कसिया बाजार” आधिकारिक तौर पर “कुशीनगरनाम के साथ नगर पालिका बन गया है। यह बौद्ध तीर्थस्थल है जहाँ गौतम बुद्ध का महापरिनिर्वाण हुआ था। कुशीनगर, राष्ट्रीय राजमार्ग २८ पर गोरखपुर से लगभग ५० किमी पूरब में स्थित है। यहाँ अनेक सुन्दर बौद्ध मन्दिर हैं।

कुशीनगर जिले में कितने पुलिस थाने हैं?

बता दे कि कुशीनगर जिले में कुल 18 पुलिस थाने हैं ।