उत्तर: कीचड़ में जल की अल्प मात्रा होती है फिर भी इस जल से कई जीवों की प्यास बुझती है। लेकिन सागर का जल विशाल मात्रा में होने के बावजूद किसी की प्यास नहीं बुझा पाता। इसलिए रहीम ने सागर की अपेक्षा पंक जल को धन्य कहा है।
Question 4: एक को साधने से सब कैसे सध जाता है?
उत्तर: जिस तरह से जड़ को सींचने से ही पेड़ में फूल और फल लगते हैं उसी तरह से एक को साधने से सब सध जाता है। एक काम के पूरा होने से अन्य कार्यों के लिए रास्ता अपने आप खुल जाता है।
Question 5: जलहीन कमल की रक्षा सूर्य भी क्यों नहीं कर पाता?
उत्तर: कमल के लिए जल ही संपत्ति है। जल के बिना कमल को जरूरी पोषण नहीं मिलेगा। ऐसे में सूर्य भी उसकी रक्षा नहीं कर पाएगा, बल्कि कमल सूर्य की तपिश में झुलसकर मर जाएगा।
Question 6: अवध नरेश को चित्रकूट क्यों जाना पड़ा?
उत्तर: अवध नरेश को उनके पिता ने बनवास की आज्ञा दी थी। इसलिए अवध नरेश को चित्रकूट जाना पड़ा था। अन्यथा कोई भी व्यक्ति अनुकूल समय में चित्रकूट जैसे स्थान पर रहने के लिए नहीं जाता है।
Question 7: ‘नट’ किस कला में सिद्ध होने के कारण ऊपर चढ़ जाता है?
उत्तर: नट को कुंडली मारने में महारत हासिल होती है। वह कुंडली मारकर अपने शरीर को किसी भी मुद्रा में मोड़ सकता है। इसी कारण वह आसानी से ऊपर चढ़ जाता है।
Question 8: ‘मोती, मानुष, चून’ के संदर्भ में पानी के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: पानी के अभाव में मोती का निर्माण संभव नहीं है। बिना पानी के आदमी एक सप्ताह से अधिक जीवित नहीं रह सकता। घर की पुताई के लिए चूना बनाने के लिए भी पानी की आवश्यकता होती है।
निम्नलिखित दोहों को पढ़कर उसका आशय स्पष्ट कीजिये।
रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय।
टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय।।
प्रेम का धागा संबंधों को जोड़ता है इस तथ्य को स्पष्ट करते हुए रहीम जी कहते हैं कि प्रेम रूपी धागे को झटके से नहीं तोड़ना चाहिए। अगर इसमें एक बार गाँठ पड़ जाती है तो यह फिर नहीं जुड़ता और अगर जुड़ता भी है तो इसमें गाँठ पड़ जाती है अर्थात् प्रेम सम्बन्ध कठिनाई से बनते हैं। जब एक बार बन जाते है तो उन्हें यत्नपूर्वक संभाल लेना चाहिए। प्रेम संबंधों के टूट जाने पर उनमें पहले जैसा स्नेह नहीं रहता। उसमें खिंचाव बना रहता है।
निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
एक को साधने से सब कैसे सध जाता है?
एक पर अटूट विश्वास करके उसकी सेवा करने से सब कार्य सफल हो जाते हैं तथा इधर-उधर भटकना नहीं पड़ता। एक को साधने से सब कार्य उसी प्रकार सिद्ध हो जाते हैं जिस प्रकार जड़ को सींचने से फल, फूल आदि मिलते हैं। उसी प्रकार परमात्मा को साधने से अन्य सब कार्य कुशलता पूर्वक संपन्न हो जाते हैं।
प्रेम के धागे को क्यों नहीं तोड़ना चाहिए?
प्रेम का धागा संबंधों को जोड़ता है इस तथ्य को स्पष्ट करते हुए रहीम जी कहते हैं कि प्रेम रूपी धागे को झटके से नहीं तोड़ना चाहिए। अगर इसमें एक बार गाँठ पड़ जाती है तो यह फिर नहीं जुड़ता और अगर जुड़ता भी है तो इसमें गाँठ पड़ जाती है अर्थात् प्रेम सम्बन्ध कठिनाई से बनते हैं।
रहीम ने प्रेम संबंध तोड़ने से क्यों मना किया है?
उत्तर 3. रहिमन ने प्रेम के संबंध को तोड़ने से इसलिए मना किया है क्योंकि प्रेम के संबंध टूटने के बाद जुड़ नहीं सकते अगर जुड़ भी जाएं तो उनमें गठान पड़ जाती है।
कवि ने प्रेम का धागा क्यों बताया है?
उत्तर : (क) एक बार टूटने से फिर पहले जैसी स्थिति नहीं आती। धागे के टूटने पर उसे जोड़ते समय उसमें गाँठ पड़ जाती है। यही स्थिति हमारे प्रेम संबंधों की होती है। उसमें भी एक बार दरार आने के बाद हमेशा के लिए मन में ग्रंथि पड़ जाती है, और आपसी संबंधों में कटुता उत्पन्न हो जाती है ।
धागा जोड़ने से कवि का क्या अभिप्राय है?
उत्तर: जैसे टूटे हुए धागे को जोड़ने से उसमें गाँठ पड़ जाती है और वह पहले की तरह नहीं हो पाता, उसी तरह से रिश्ते के टूटने के बाद रिश्तों को फिर जोड़कर पहले की तरह नहीं बनाया जा सकता।