लौंग की खेती कैसे करते हैं? - laung kee khetee kaise karate hain?

लौंग एक मसाला वर्गीय फसल है। बाजार में इसकी मांग सदैव बनी रहती है। इसका उपयोग औषधि के रूप में भी होता है। लौंग की खेती (long ki kheti) यहां जानें।


लौंग की खेती (Clove Cultivation): कोरोना काल में दुनिया-भर में करोड़ों लोगों ने अपनी नौकरी खो दी। कृषि ही एक क्षेत्र था जोकि अर्थव्यवस्था को संभाले रखा। ऐसे में लोगों का रुझान स्वरोजगार और खेती के प्रति बढ़ने लगा है। खेती में भी लोग अब पारंपरिक खेती को छोड़ नगदी फसल पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं।

आज हम आपको इस लेख में लौंग की खेती (long ki kheti) के बारे में बताने जा रहे हैं। 

लौंग (Clove) एक मसाला वर्गीय फसल है। बाजार में इसकी मांग सदैव बनी रहती है। इसका उपयोग औषधि के रूप में भी होता है। स्वाद में कड़वा होने के कारण इसका उपयोग कीटाणुनाशक और दर्द के दवाओं में होता है। इस फसल से आप लाखों रुपए का टर्नओवर हासिल कर सकते हैं। लाजवाब स्वाद और आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर लौंग किसानों के लिए सोने के अंडे देने वाली मुर्गी से कम नहीं है। इसलिए आज हम लौंग की खेती से जुड़ी हर छोटी और मोटी जानकारी आपके लिए लेकर आए हैं।

सबसे पहले लौंग की खेती (long ki kheti) के लिए जलवायु के बारे में जान लेते हैं। 

लौंग की खेती (Clove Cultivation) के लिए आवश्यक जलवायु 

लौंग की खेती (long ki kheti) के लिए गर्म जलवायु उपयुक्त होती है।  इसके पौधों को बारिश की सामान्य रूप से जरूरत होती है। तापमान की बात करें तो लौंग की खेती के लिए औसत तापमान 20-30 डिग्री सेंटीग्रेड से आधिक नहीं होनी चाहिए। अधिक तेज सर्दी या गर्मी में इसके पौधों का विकास रुक जाता है। इसके पौधों को विकास करने के लिए छायादार जगहों की ज्यादा जरूरत होती है।

लौंग की खेती (Clove Cultivation) के लिए के मिट्टी

लौंग की खेती के लिए उपजाऊ दोमट मिट्टी या बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। लौंग की खेती जलभराव वाले जगह पर नहीं करनी चाहिए। इसके लिए मिट्टी का पीएचमान 6.5 से 7.5 के बीच होनी चाहिए।

रोपाई से पहले ध्यान देने योग्य बातें 

पौधों की रोपाई मानसून के वक्त की जाती है। जून-जुलाई में रोपे जाने वाले लौंग के पौधों को गर्मियों में अधिकतम 30 से 35 डिग्री और सर्दियों में न्यूनतम 20 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है।

ऐसे करें लौंग की खेती की तैयारी

जैसे खिलाड़ी खेल से पहले प्लेग्राउंड को ठोक-पीट पर तैयार करते हैं वैसे ही रोपाई से पहले खेतों के साथ किया जाता है। अच्छी पैदावार के लिए खेतों को ख़ास तरीकों से तैयार करना बेहद जरुरी होता है। 

ऐसे में लौंग के पौधे को खेत में लगाने से पहले खेत की 2-3 जुताई कर खेत में मौजूद खर-पतवार को हटाकर भूमि को समतल कर लें। लौंग की पौधों को लगाने के लिए 15 से 20 फीट की दूरी पर गढ्ढे की खुदाई कर लें। इन गड्ढों को जैविक और रासायनिक खाद भरकर गहरी सिंचाई के बाद दें। आपको बता दें, लौंग के पौधे दो साल बाद फल देने के लिए तैयार हो जाता है। 

पौधों की देखभाल और सिंचाई प्रबंधन

लौंग के पौधों को देखभाल की बहुत ज्यादा जरुरत होती है। समय-समय पर पौधों से सुखी और खराब शाखाओं को काटकर हटा दें। जिससे पौधे पर नई शाखा आ सके। इससे पैदावार में भी वृद्धि होती है।

लौंग के पौधों की रोपाई बारिश के मौसम में की जाती है। ऐसे में पौधे को सिंचाई की ज्यादा जरुरत नहीं होती है। वहीं गर्मी के मौसम में सप्ताह में एक बार सिंचाई जरुर करनी चाहिए। सर्दियों के मौसम में पौधों की 15 से 20 दिन के अंतराल में सिंचाई करनी चाहिए। वैसे पौधा जब 12 साल का हो जाए तो साल में बस एक बार ही सिंचाई करने की जरुरत पड़ती है। 

वहीं सिंचाई से पहले पौधों में उर्वरक डाला जाता है। लौंग के पौधे को शुरूआती दौर में कम उर्वरक की जरुरत होती है। समय के साथ ये जरुरत बढ़ती जाती है। एक पूर्ण रूप से विकसित पौधे को 40 से 50 किलो गोबर की खाद और एक किलो रासायनिक खाद की मात्रा सालभर में तीन से चार बार देनी चाहिए। 

लौंग की खेती (long ki kheti) में लागत और कमाई

लौंग की खेती (Clove Cultivation) वन-टाइम इन्वेस्टमेंट प्लान की तरह है। लौंग का पौधा 150 साल तक जीवित रहता है। साथ ही इसकी खेती मिश्रित खेती के रूप में की जाती है।  अर्थात अखरोट और नारियल जैसे पेड़ों के साथ उगाकर इससे दुगुनी कमाई कर सकते हैं। यदि एक पौधे पर तीन किलो पैदावार आती है तो बाज़ार में उसकी कीमत 2100 से 2400 रूपए है। इससे आप दूसरे फसल से ज्यादा कमा सकते हैं। अगर एक किसान एक एकड़ में लौंग के पौधे लगाता है तो प्रति एकड़ ढाई से तीन लाख रूपए आसानी से  कमा सकता है। 

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लौंग का बीज कैसे उगाया जाता है?

लौंग के बीज (Clove seeds) लौंग के बीज को तैयार करने के लिए माता पेड़ से पके हुए कुछ फलों को इक्कठा किया जाता है. इसके बाद उनको निकालकर रखा जाता है. जब बीजों की बुआई करनी हो, तब पहले इसको रात भर भिगोकर रखें. इसके बाद बीज फली को बुआई करने से पहले हटा दें.

लौंग का पौधा कितना बड़ा होता है?

लौंग का वृक्ष लौंग मध्यम आकार का सदाबहार वृक्ष से पाया जाने वाला, सूखा, अनखुला एक ऐसा पुष्प अंकुर होता है जिसके वृक्ष का तना सीधा और पेड़ भी 10-12 मीटर की ऊँचाई वाला होता है और जिसके पत्ते बड़े-बड़े तथा दीर्घवृताकार होते हैं।

लौंग कैसे बनता है?

नीचे का हिस्सा फूल का डंठल है। जैसे ही इन कलियों का रंग हल्का गुलाबी होता है एवं वे खिलती है, इन्हें चुन चुनकर हाथ से तोड़ लिया जाता है। कभी कभी पेड़ के नीचे कपड़ा बिछा देते हैं और शाखा को पीटकर इन कलियों को गिरा देते हैं। अच्छे मौसम में इन्हें धूप में सूखा लेते हैं, किंतु बदली होने पर इन्हें आग पर सूखाते हैं।

जायफल का पौधा कैसे उगाया जाता है?

इसकी खेती के लिए पौध बीज और कलम, दोनों तरीकों से नर्सरी में तैयार कर सकते हैं..
बीज के तरीके से पौध तैयार करने के लिए बीजों में उचित मात्रा में उर्वरक मिलाएं. ... .
कलम के माध्यम से पौध तैयार करने के लिए कलम दाब और ग्राफ्टिंग होती है, लेकिन ग्राफ्टिंग विधि से पौध तैयार करना काफी आसान होता है..

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