लोकगीत और शास्त्रीय संगीत में क्या अंतर ं है? - lokageet aur shaastreey sangeet mein kya antar n hai?

लोकगीत और शास्त्रीय संगीत में क्या अंतर?

शास्त्रीय संगीत यदि स्वर प्रधान होता है तो लोकसंगीत शब्द प्रधान होता है । लोकसंगीत का स्वरूप सहज , स्वच्छन्द एवं लयगर्भित होता है , शास्त्रीय संगीत जटिल एवं शास्त्रोक्त होता है , किन्तु सांगीतिक तत्वों के आधार पर दोनों में पारस्परिक सम्बन्ध की अनुभूति विद्यमान है । लोकधुनों में शास्त्रोक्त रागें छुपी हुई हैं ।

लोकगीत शास्त्रीय संगीत से भिन्न है कैसे?

लोकगीत किस अर्थ में शास्त्रीय संगीत से भिन्न है? लोकगीत अपनी सोच, ताजगी तथा लोकप्रियता की दृष्टि से शास्त्रीय संगीत से भिन्न है। इस गीत को गाने के लिए शास्त्रीय संगीत जैसी साधना की ज़रूरत नहीं होती है।

लोक संगीत और लोकगीत से आप क्या समझते हैं?

लोकगीत लोक के गीत हैं। जिन्हें कोई एक व्यक्ति नहीं बल्कि पूरा लोक समाज अपनाता है। सामान्यतः लोक में प्रचलित, लोक द्वारा रचित एवं लोक के लिए लिखे गए गीतों को लोकगीत कहा जा सकता है। लोकगीतों का रचनाकार अपने व्यक्तित्व को लोक समर्पित कर देता है।

गीत और संगीत में क्या अंतर होता है?

गीत तथा संगीत में क्या अंतर है? केवल गाने के उच्चारण को लहज़े में गाना गीत कहलाता हैं, और वाद्य यंत्रों के साथ गीत गाना संगीत कहलाता है।