परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने के लिए कौन-कौन से तर्क दिए?
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Text Solution
Solution : परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण जी ने धनुष टूट जाने को लेकर निम्न तर्क दिए - <br> श्री राम ने धनुष को नया और बेहद मजबूत समझ कर सिर्फ धनुष को छुआ भर था <br> लेकिन धनुष बहुत पुराना व कमजोर होने के कारण टूट गया। <br> इस धनुष को तोड़ते समय श्री राम ने किसी भी प्रकार की लाभ-हानि के बारे में नहीं <br> सोचा था। <br> धनुष काफ़ी पुराना था, इसलिए राम भैया के छूने मात्र से ही यह टूट गया। <br> श्री राम ने ऐसे धनुष अपने बचपन में कई तोड़े है जिसके कारण उन्होंने यह धनुष इतनी <br> आसानी से तोड़ दिय।
परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने के लिए कौन-कौन से तर्क दिए?
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लिखित उत्तर
Solution : परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने निम्नलिखित तर्क दिए <br> (क) बचपन में हमसे कितने ही धनुष टूटे, परन्त आपने उन पर कभी क्रोध नहीं किया। इस विशेष धनु पर पर आपकी क्या ममता है ? ... <br> (ख) हमारी नजर में तो सब धनुष एक-समान होते हैं। फिर इस धनुष पर इतना हो हल्ला क्यों? <br> (ग) इस पुराने धनुष को तोड़ने से हमें क्या मिलना था ? <br>(घ) राम ने तो इस धनुष को छुआ ही था कि यह अपने-आप टूट गया। इसमें राम का कोई दोष नहीं।
परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने के लिए कौन-कौन से तर्क दिए?
सीता-स्वयंवर के अवसर पर श्री राम ने शिव जी के धनुष को तोड़ दिया था जिस कारण परशुराम अत्यंत क्रोधित हो गए थे। तब लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने के कारण बताते हुए कहा था कि वह धनुष नहीं था बल्कि धनुही थी। वह बहुत पुराना था और राम के द्वारा छूते ही वह टूट गया था। इसमें राम का कोई दोष नहीं था।
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लक्ष्मण ने वीर योद्धा की क्या-क्या विशेषताएँ बताई?
लक्ष्मण ने किसी भी वीर योद्धा की विशेषताओं के बारे में कहा था कि वे व्यर्थ ही अपनी वीरता की डींगें नहीं हाँकते बल्कि युद्ध भूमि में युद्ध करते हैं। अपने अस्त्र--शस्त्रों से वीरता के जोहर दिखाते हैं। शत्रु को सामने पाकर जो अपने प्रताप की बातें करते हैं, वे तो कायर होते हैं।
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भाव स्पष्ट कीजिये-
बिहसि लखनु बोले मृदु बानी। अहो मुनीसु महाभट मानी।।
पुनि पुनि मोहि देखाव कुठारु। चहत उड़ावन फूँकि पहारू।।
लक्ष्मण ने परशुराम के अभिमानपूर्ण स्वभाव पर व्यंग्य किया है। वीर वह होता है जो वीरता का प्रदर्शन करे न कि व्यर्थ में डींगें हांके। जब परशुराम ने यह कहा था कि उन्होंने अपनी भुजाओं के बल से कई बार पृथ्वी के क्षत्रिय राजाओं को मिटा कर उनके राज्य ब्राह्मणों को दे दिए थे और उन्होंने सहस्रबाहु की भुजाओं को काट डाला था तो लक्ष्मण ने मुस्करा कर कहा था कि मुनीश्वर तो अपने आप को बहुत बड़ा योद्धा समझते थे और बार -बार कुल्हाड़ी दिखा कर डराना चाहते थे। वे तो फूंक मार कर पहाड़ उड़ाने का कार्य करना चाहते थे। भाव है कि राम और लक्ष्मण ऐसे क्षत्रिय वीर नहीं थे जो सरलता और सहजता से परशुराम से हार जाते।
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परशुराम के क्रोध करने पर राम और लक्ष्मण की जो प्रतिक्रियाएँ हुई उनके आधार पर दोनों के स्वभाव की विशेषताएं अपने शब्दों में लिखिए।
राम और लक्ष्मण दोनों एक ही पिता की संतान थे। उन्होंने एक ही गुरु से शिक्षा पाई थी और एक-से वातावरण में ही रहे थे पर दोनों के स्वभाव में बहुत बड़ा अंतर था। राम स्वभाव से शांत थे पर लक्ष्मण उग्र स्वभाव के थे। धनुष टूट जाने पर राम ने शांत भाव से परशुराम से कहा था कि धनुष तोड़ने वाला कोई उनका दास ही होगा पर लक्ष्मण ने उन्हें मनचाही जली-कटी सुनाई थी। राम ने उनके क्रोध को शांत करने का प्रयास किया तो लक्ष्मण ने अपनी व्यंग्यपूर्ण वाणी से उकसाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। परशुराम के क्रोध करने पर-राम शांत भाव से बैठे रहे थे पर लक्ष्मण उन पर व्यंग्य करते हुए उन्हें उकसाते रहे थे। राम ऋषि-मुनियों का आदर-मान करने वाले थे पर लक्ष्मण का स्वभाव ऐसा नहीं था। लक्ष्मण की वाणी तो परशुराम रूपी यज्ञ की अग्नि में आहुति के समान थी तो राम की वाणी शीतल जल के समान उस अग्नि को शांत करने वाली थी।
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परशुराम ने अपने विषय में सभा में क्या-क्या कहा, निम्न पद्यांश के आधार पर लिखिए-
बाल
ब्रह्मचारी अति कोही। बिस्वबिदित क्षत्रियकुल द्रोही।।
भुजबल भूमि भूप बिनु कीन्ही। बिपुल बार महिदेवन्ह दीन्ही।।
सहसबाहुभुज छेदनिहारा। परसु बिलोकु महीपकुमारा।।
मातु पितहि जनि सोचबस करसि महीसकिसोर।
गर्भन्ह के अर्भक दलन परसु मोर अति घोर।।
परशुराम ने अपने विषय में कहा था कि वे बाल ब्रह्मचारी थे। वे स्वभाव के अति क्रोधी थे। सारा संसार जानता था कि वे क्षत्रिय वंश के प्रति द्रोही थे। उन्होंने पृथ्वी से क्षत्रिय राजाओं को समाप्त कर देने की प्रतिज्ञा कर रखी थी। उन्होंने न जाने कितनी बार अपने बाहुबल से इस पृथ्वी के क्षत्रिय राजाओं का वध कर ब्राहमणों को उनके राज्य सौंप दिए थे। वह तो सहस्रबाहु जैसे अपार बलशाली की भुजाओं की काट देने वाले पराक्रमी वीर थे। उन्होंने अपने फरसे से लक्ष्मण को डराने के लिए कहा था कि अरे राजा के बालक! तू मेरे द्वारा मारा जाएगा। क्यों अपने माता-पिता को चिंता में डालता है। वे मानते थे कि उनका फरसा बड़ा भयानक था जो गर्भ मे ही बच्चों का नाश कर देने वाला था। गुस्सा आने पर वे छोटे-बड़े में कोई अंतर नहीं करते थे और किसी का भी वध कर देते थे।
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