RBSE Solutions for Class 7 Hindi Chapter 7 बस की यात्रा are part of RBSE Solutions for Class 7 Hindi. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 7 Hindi Chapter 7 बस की यात्रा. BoardRBSETextbookSIERT, RajasthanClassClass 7SubjectHindiChapterChapter 7Chapter Nameबस की यात्राNumber of Questions Solved53CategoryRBSE SolutionsRajasthan Board RBSE Class 7 Hindi Chapter 7 बस की यात्रा (व्यंग्य-लेख)पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर पाठ से प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. लेखक व उसके मित्र सुबह घर क्यों पहुँचना चाहते थे? उत्तर: लेखक के मित्रों को सुबह काम पर जाना था इसलिए वे सुबह घर पहुँचना चाहते थे। लिखें प्रश्न 1. प्रश्न 2. उत्तर: अति लघूत्तरात्मक प्रश्न प्रश्न 1. बस कैसी थी? प्रश्न 2. प्रश्न 3. लघूत्तरात्मक प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. भाषा की बात प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. पाठ से आगे प्रश्न 1. प्रश्न 2. लेकिन झटका इतना जबरदस्त था कि ऊपर रखा सामान मुसाफिरों के ऊपर गिर पड़ा और सभी मुसाफिर अपने सामने वाली सीट पर जा भिड़े। खैर किसी तरह लोग सँभले और बस चलने लगी। मुश्किल से पंद्रह-बीस किलोमीटर चली होगी कि अचानक एक और झटका लगा और बस खड़ी हो गई। बस जहाँ खड़ी थी वह एक सँकरी-सी पुलिया थी। काफी धक्के लगाने के बावजूद बस ने दें तक नहीं किया। बहुत समय तक प्रयास करने पर भी जब बस नहीं चली तो चालक नीचे उतर गया और सामने से आने वाले वाहन की प्रतीक्षा करने लगा जिससे वह उस वाहन की मदद से बस को चकर पुलिया से बाहर निकलवा सके। इतने में सामने से एक ट्रक को आता देखकर उसने ट्रक को रोका और उसके चालक से बस को खिंचवाने का आग्रह किया। बस को खींचने का प्रयास चल ही रहा था कि अचानक पीछे से तेज रफ्तार से आ रहे ट्रक ने बस को जोरदार टक्कर मारी। टक्कर से बस तो जरूर आगे बढ़ी लेकिन बस में सवार कई यात्री घायल हो गए और बस के अगले और पिछले हिस्से को भी काफी नुकसान हुआ। गनीमत थी किसी की जान नहीं गई। उस घटना की याद आज भी मैं भूल नहीं पाया हूँ। यह भी करें प्रश्न 1. प्रश्न 2. इससे मेरे पैर फटने लगे हैं और मैं अब उतनी फुर्ती के साथ नहीं चल पाती जितनी मैं अपनी जवानी के दिनों में चला करती थी। पहले मुझे खुराक भी शुद्ध मिला करती थी जिससे मेरा दिमाग व पेट दुरुस्त रहता था। धीरे-धीरे मुझे मिलावटी भोजन दिया जाने लगा। फिर भी मैं अपनी जान पर खेलकर लोगों की सेवा कर रही हूँ। मेरे चालक और मालिक को मेरी इस दशा पर बिलकुल भी तरस नहीं आता। ऐसी हालत में मैं कभी भी कहीं भी दम तोड़ सकती हूँ। प्रश्न 3. अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर वस्तुनिष्ठ प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. उत्तर: रिक्त स्थानों की पूर्ति उचित शब्द से कीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. उत्तर: अति लघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. लघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. ऐसे जर्जर वाहनों को सड़क पर चलने देने के लिए प्रशासन भी सवालों के घेरे में आता है। आर.टी.ओ. और यातायात पुलिस की मिलीभगत के बिना ऐसे यात्रियों के दुश्मन वाहन नहीं चल सकते। हर जिम्मेदार नागरिक को इन वाहनों का बहिष्कार और विरोध करना चाहिए। ये खटारा वाहन वायु प्रदूषण फैलाने में भी आगे हैं। कठिन शब्दार्थ- गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्याएँ एवं अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर (1) हममें से दो को सुबह काम पर हाजिर होना था इसलिए वापसी का यही रास्ता अपनाना जरूरी था। लोगों ने सलाह दी कि समझदार आदमी इस शाम वाली बस से सफर नहीं करते। क्या रास्ते में डाकू मिलते हैं? नहीं, बस डाकिन है।’ बस को देखा तो श्रद्धा उमड़ पड़ी। खूब वयोवृद्ध थी। सदियों के अनुभव के निशान लिए हुए थी। लोग इसलिए इससे सफर नहीं करना चाहते कि वृद्धावस्था में इसे कष्ट होगा। यह बस पूजा के योग्य थी। उस पर सवार कैसे हुआ जा सकता है ! संदर्भ तथा प्रसंग- व्याख्या- प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. (2) बस सचमुच चल पड़ी और हमें लगा कि यह गाँधीजी के असहयोग और सविनय अवज्ञा आंदोलनों के वक्त अवश्य जवान रही होगी। उसे ट्रेनिंग मिल चुकी थी। हर हिस्सा दूसरे से असहयोग कर रहा था। पूरी बस सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौर से गुजर रही थी। सीट का बॉडी से असहयोग चल रहा था। कभी लगता, सीट बॉडी को छोड़कर आगे निकल गई है। कभी लगता कि सीट को छोड़कर बॉडी आगे भागी जा रही है। आठ-दस मील चलने पर सारे भेदभाव मिट गए। यह समझ में नहीं आता था कि सीट में हम बैठे हैं। या सीट हम पर बैठी है। संदर्भ तथा प्रसंग- व्याख्या- प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. (3) एक पुलिया के ऊपर पहुँचे ही थे कि एक टायर फिस्स करके बैठ गया। वह बहुत जोर से हिलकर थम गई। अगर स्पीड में होती तो उछलकर नाले में गिर जाती। मैंने उस कंपनी के हिस्सेदार की तरफ पहली बार श्रद्धाभाव से देखा। वह टायरों की हालत जानते हैं फिर भी जान हथेली पर लेकर इसी बस से सफर कर रहे हैं। उत्सर्ग की ऐसी भावना दुर्लभ है। संदर्भ तथा प्रसंग- व्याख्या- प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. We hope the RBSE Solutions for Class 7 Hindi Chapter 7 बस की यात्रा will help you. If you have any query regarding Rajasthan Board RBSE Class 7 Hindi Chapter 7 बस की यात्रा, drop a comment below and we will get back to you at the earliest. |